फिर यह दृष्टिभ्रम क्यों मोदी जी?
   #AnujAgarwal

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों की सुनामी के बाद भाजपा और मोदी जी की बांछे खिल गयी हैं। मोदी जी के समर्थक इसे सरकार के विमुद्रिकरण (विरोधियों द्वारा नसबंदी की तर्ज पर इसे नोटबंदी कहा गया) के कदम पर जनता की मुहर बता रहे हैं। मगर सच्चाई यही है कि यह दोनों प्रदेशो में हिंदुओं की उपेक्षा, उनसे भेदभाव और कट्टर इस्लाम को बढ़ाबा देने की कांग्रेस, बसपा और सपा सरकारों की बदनीयती एवं बिगड़ती कानून व्यवस्था के खिलाफ हिंदुओं का एकजुट विरोध और प्रतिक्रिया है। नतीज़ों के बाद हिन्दुओं द्वारा जिस विनम्रता और शांति का परिचय दिया गया यह मुसलमानों को दिया गया स्पष्ट सन्देश है कि हम शांतिपूर्ण सहअस्तित्व में विश्वास रखने वाले लोग हैं और आप लोग भी अपने संप्रदाय से कट्टरपंथी और अराजक तत्वों को छांट कर अलग कर दो।
जहाँ तक विमुद्रिकरण पर जनता की मुहर का सवाल है तो सच्चाई यही है कि देश की दो तिहाई यानि 85 करोड़ जनता तो हॉशिये पर जीवन जी रही है और उसे राज कमाना और रोज खाना होता है। सच तो यह है कि वह आधुनिक अर्थव्यवस्था के दायरे में ही नहीँ है, हां वह वोट बैंक जरूर है जिसको पैसे, शराब, पेंशन, छात्रवृत्ति, मनरेगा, मुफ्त भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर बरगलाकर राजनीतिक दल इस्तेमाल करते रहते हैं। देश में केंद्र और राज्य सरकारों का आधा बजट गरीबो के नाम पर खर्च होता है और इसका 75% भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। यानि कुल 40 लाख करोड़ में से 20 लाख करोड़ गरीबो के नाम खर्च होता है और इसमें से 15 लाख करोड़ नेताओ, अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेकेदारो द्वारा खा पी लिया जाता है। देश में 35 करोड़ मध्यम वर्ग यानि सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारी, छोटे व्यापारी आदि और उनके परिजन हैं और 10 करोड़ उच्च मध्यम वर्ग एवं अमीर वर्ग है। देश की कुल संपत्ति और आय का 95% इसी दस करोड़ लोगो के पास है यानि दो करोड़ परिवारों के पास। यही वर्ग देश में चुनाव लड़ता है, नेता बनता है, ठेके लेता है , बड़े उद्योग धंधे लगता है बड़े व्यापार करता है , आयात- निर्यात से जुड़ा है और सरकार में राजपत्रित पदों, सेना, सार्वजनिक निगमो और न्यायपालिका में बड़े पदों पर है और आयकर देता है और देश में पंजीकृत 15 लाख कंपनियो का मालिक है। सरकारी, सार्वजनिक लूट और घोटालॉ के साथ हो सभी प्रकार की कर चोरी के लिए भी यही उत्तरदायी है। सरकार के पास विमुद्रिकरण के बाद जुटायी गयी जानकारी के बाद स्पष्ट हो गया है कि 15 लाख पंजीकृत कंपनियो में से 10 लाख सिर्फ कर चोरी, लूट और घोटालों की रकम सफ़ेद करने के लिए ही बनी हैं और शेष 5 लाख में भी लाखों करोड़ रूपये ऐसे जमा किये गए हैं जो पिछले बर्षों के उन कम्पनियो के औडिटेड अकाउंट की टर्नओवर से असामान्य रूप से ज्यादा हैं। सरकार खुद ही कह रही है कि 16 हज़ार रिजर्व बैंक, सार्वजनिक बैंक , सहकारी बैंक और निजी बेंको के कर्मचारी अवैध रूप से पुराने नोटों को नए नोटों में बदलने के खेल में चिन्हित हुए हैं। ए टी एम में नोटों की आपूर्ति करने वाली निजी कम्पनियां भी बड़े पैमाने पर चिन्हित हुई हैं। लगभग 80 लाख बैंक खातों में संदिग्ध और अवैध लेनदेन या  धन जमा हुआ है। सेकड़ो चार्टेड अकउंटेंट, वकील, ज्वेलर्स, हवाला कारोबारी भी काले को सफ़ेद करने के खेल में सरकार की रडार पर हैं। बेंको द्वारा बड़ी मछलियों को दिया गया लाखो करोड़ का ऋण बैंक और सरकार नही वसूल पा रहे हें। मगर इन सब के खिलाफ इतना समय बीत जाने के बाद भी निर्णायक कार्यवाही क्यों नही हो रही। ऐसे में जबकि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट कह रही है कि आयकर अधिकारी जानबूझकर फर्जी कंपनियो के लेनदेन और खेल को नज़रंदाज़ कर रहे हैं यानि कमीशन/ रिश्वत खाकर चुप बैठे हें, वाकई निराशाजनक है। सच्चाई यह भी है कि केंद्र और राज़्यों के कर अधिकारी जी एस टी लागू होने पर कर वसूली के अधिकारों की लड़ाई में संलग्न हैं और ज्यादा से ज्यादा अधिकार पाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं ताकि ज्यादा माल कमा सकें।
ऐसे अराजक माहौल में भाजपा और मोदी सरकार की जीत के क्या फायदे जब न तो लुटेरे किसी ख़ौफ़ में हैं और न ही सरकारी कर्मचारी?
सब बेफिक्र हें क्योंकि उन्हें पता है इस देश में ' कानून का कोई ख़ौफ़ नहीँ है और सरकार कुछ करती नहीँ क्योकि उसके अपने खेल काले हैं'। अगर सरकार सच में कुछ करना चाहती है और इस मुद्दे पर विपक्ष के विरोध के कारण जनादेश की प्रतीक्षा में थी तो वो तो मिल ही गया। अब प्रतीक्षा क्यों?
आप सुन रहे हैं न मोदी जी!
अनुज अग्रवाल
संपादक, डायलॉग इंडिया
महासचिव, मौलिक भारत

Comments

Popular posts from this blog

What is the Gaza Strip? What you want to be aware of the domain at the core of the Israel-Hamas war

The barbaric act of Hamas against Israeli children and women

Israel vows to invade Rafah amid Gaza truce talks, UN warns against assault