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Saturday, December 13, 2025

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

 देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों 

पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग  प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।

पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।

 अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस 

स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए  चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।

संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है  नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि  सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं

करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।

कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।


ये पहले से एक Planned  एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।

Jai Hind Jai Bharat



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CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

 देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों 

पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग  प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।

पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।

 अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस 

स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए  चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।

संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है  नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि  सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं

करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।

कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।


ये पहले से एक Planned  एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।

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CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

 देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों 

पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग  प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।

पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।

 अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस 

स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए  चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।

संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है  नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि  सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं

करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।

कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।


ये पहले से एक Planned  एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।

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CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

 देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों 

पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग  प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।

पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।

 अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस 

स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए  चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।

संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है  नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि  सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं

करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।

कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।


ये पहले से एक Planned  एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।

Jai Hind Jai Bharat



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CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

 देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों 

पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग  प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।

पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।

 अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस 

स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए  चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।

संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है  नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि  सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं

करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।

कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।


ये पहले से एक Planned  एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।

Jai Hind Jai Bharat



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December 13, 2025 at 02:08PM

Wednesday, December 10, 2025

संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल

संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल
संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल
संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल

 

  संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व  की फिर टालमटोल

नागपुर से एक औपचारिक संदेश दिल्ली भेजा गया। इतना सीधा, इतना साफ और इतना कठोर कि कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने पहले तो इसे अफवाह समझा। लेकिन यह अफवाह नहीं बल्कि आरएसएस की अंतिम समय सीमा थी। संदेश था बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें। इस महीने के भीतर कोई देरी स्वीकार नहीं। इस संदेश का स्वर अनुरोध नहीं आदेश जैसा था। संघ ने कहा कि अब राजनीतिक गणित, लोकसभा सीटें, व्यक्तिगत रिश्ते कुछ भी इस निर्णय में बाधा नहीं बन सकता।और पहली बार नागपुर ने यह भी जोड़ दिया कि यदि बीजेपी नेतृत्व फिर भी टालमटोल करता है तो संगठन का अगला कदम अपनी स्वतंत्र दिशा तय करना होगा। जिसमें संजय जोशी को उच्चतम संघ नेतृत्व की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है।

यानी 14 जनवरी 2026 संघ बीजेपी संबंधों का टर्निंग पॉइंट बन गया। बिहार चुनाव का शोर अब आखिरकार थम चुका था और दिल्ली के सत्ता गलियारों में एक नई तरह की खामोशी तैर रही थी। वही खामोशी जो किसी बड़े तूफान से पहले महसूस होती है। बीजेपी हेड क्वार्टर में जश्न का माहौल धीरे-धीरे खत्म हो रहा था। लेकिन नागपुर में आरएसएस के दफ्तर में माहौल बिल्कुल उल्टा। तनावपूर्ण, गंभीर और बेहद निर्णायक। संघ के बड़े पदाधिकारी साफ

बोल चुके थे कि अब बहाने नहीं चलेंगे। चुनाव खत्म जीत मिली। ठीक है। पर अब संगठन को दिशा देनी है और उसके लिए बीजेपी प्रेसिडेंट का नाम तुरंत घोषित किया जाना चाहिए। और यहीं से असली पेंच शुरू हुआ। क्योंकि इस बार संघ ने सिर्फ एक सुझाव नहीं दिया बल्कि एक स्पष्ट आदेश जैसा कुछ भेजा। किसी और का नहीं संजय जोशी का नाम। और यह नाम जब संघ ने सीधे पीएम मोदी और अमित शाह को भेजा तो पावर कॉरिडोर में हलचल दौड़ गई। संजय जोशी वह नाम जिसे बीजेपी का कार्यकर्ता आज भी सम्मान के साथ लेता है। लेकिन सत्ता के शीर्ष पर बैठे कई लोग जिसकी वापसी से घबराए रहते हैं। बिहार के नतीजों ने यह दिखा दिया था कि मोदी शाह की रणनीति अभी भी मजबूत है। लेकिन आरएसएस का मानना था कि जमीन पर संगठन की पकड़ पिछले कुछ वर्षों में कमजोर हुई है। और इसी कमजोरी को ठीक करने के लिए संघ चाहता था कि बीजेपी का मुखिया अब कोई ऐसा बने जो पूरी तरह से संघ शिक्षित संघ शैली वाला और संघ के प्रति 100% समर्पित हो। संघ अपना विश्वास जिस नाम पर रख रहा था वह केवल और केवल संजय जोशी थे। आरएसएस ने स्पष्ट कहा यदि बीजेपी नेतृत्व संजय जोशी को अध्यक्ष नहीं बनाता, तो संघ अपनी दिशा खुद तय करेगा। यहां तक कि अगले सरसघ चालक के रूप में भी वही नाम सोचा जा रहा है।


 नरेंद्र मोदी को यह बात सबसे ज्यादा चुभ कि संघ ने पहली बार इतनी सख्त भाषा में चेतावनी दी। अमित शाह भी हैरान थे क्योंकि पिछले कई वर्षों की राजनीतिक चाले, संगठनात्मक फैसले और केंद्रीय नेतृत्व का नियंत्रण सब कुछ एक तरह से पीएमओ और गृह मंत्रालय की स्क्रिप्ट पर चलता रहा था। लेकिन इस बार मामला अलग था। संघ अपनी उस मूल भावना में लौट चुका था जिसके अनुसार संगठन सरकार से बड़ा है और उन्हीं गलियारों में चर्चा चल रही थी कि इस बार संघ सिर्फ दबाव नहीं डाल रहा बल्कि लिमिट सेट कर रहा है। एक रेखा कि मोदी शाह सरकार को पार नहीं करनी चाहिए और यदि वे फिर भी नहीं समझे तो संघ संजय जोशी को सिर्फ बीजेपी अध्यक्ष नहीं बल्कि आरएसएस चीफ के रूप में भी आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। मोहन भागवत पिछले कई वर्षों से संतुलन साधने की कोशिश कर रहे थे। एक तरफ सरकार की ताकत दूसरी ओर संगठन की परंपरा लेकिन यह संतुलन अब टूटता हुआ दिख रहा था। भागवत जानते थे कि मोदी और शाह दोनों ही संजय जोशी की वापसी से असहज है। लेकिन वे यह भी समझते थे कि संगठन की जड़ों को मजबूत करने के लिए जोशी जैसा व्यक्ति ही सबसे उपयुक्त है। भागवत ने कई बार पीएम को संकेतों में बताया कि आरएसएस और बीजेपी के बीच दूरी बढ़ रही है। लेकिन उन संकेतों को सत्ता की चमक में शायद उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया और अब संघ का धैर्य समाप्त हो चुका था। इसलिए भागवत ने पहली बार अपने ही लोगों से कहा, अब संतुलन का दूसरा तरीका अपनाना पड़ेगा। सत्ता को संगठन का महत्व समझाना होगा। दिल्ली में बैठे रणनीतिकारों का मानना था कि आरएसएस का यह दबाव साधारण नहीं है। क्योंकि बिहार जीत से उत्साहित बीजेपी चाहती थी कि वही कहानी देश भर में दोहराई जाए। जहां चुनावी रणनीति मोदी शाह केंद्रित हो और संगठन की भूमिका पीछे सरक जाए। लेकिन आर एस एस यह मॉडल अब स्वीकार करने के मूड में नहीं था। वे चाहते थे कि बीजेपी का अगला अध्यक्ष ऐसा हो जो पार्टी को फिर से केंद्र से बाहर चलाए यानी दिल्ली की सत्ता से स्वतंत्र। और यही विचार मोदी शाह के लिए सबसे कठिन था क्योंकि संजय जोशी के आने का मतलब था पार्टी का असल कंट्रोल फिर नागपुर की तरफ झुकना और यह दोनों नेताओं को मंजूर नहीं।

आरएसएस का अंतिम संदेश बेहद कठोर था। या तो बीजेपी अध्यक्ष संजय जोशी होंगे या फिर संघ अपना रास्ता अलग तय करेगा। यह बात सुनकर दिल्ली में कई वरिष्ठ नेता चुप हो गए क्योंकि यह केवल नाम का विवाद नहीं था। यह शक्ति संतुलन की लड़ाई थी। एक तरफ चुनी हुई सरकार की ताकत। दूसरी तरफ एक विचारधारा की दशकों पुरानी शाखाएं और इन शाखाओं में वही लोग काम करते हैं, जिन्हें आज भी लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने संघ की सलाह को लगातार अनसुना किया है। संघ चाहता था कि 2026 के चुनावों से पहले पार्टी पूरी तरह से वैचारिक दिशा में लौटे और इसके लिए संजय जोशी से बेहतर कोई चेहरा नहीं। दिल्ली की बैठकों में कई विकल्प सामने आए। किसी नए चेहरे को लाना, किसी पुराने नेता को आगे करना या आरएसएस को मनाने के लिए कुछ और प्रस्ताव भेजना। लेकिन नागपुर की तरफ से एक ही उत्तर हर बार मिला। नाम सिर्फ संजय जोशी। यह एक तरह का सीधा संदेश था कि इस बार संघ समझौता करने वाला नहीं। मोदी शाह को यह बात चुभियन लग रही थी कि वही संजय जोशी जिनकी राजनीतिक वापसी को उन्होंने वर्षों तक रोक कर रखा। अब बीजेपी और आरएसएस दोनों का संभावित मुखिया बन सकते हैं और यही डर इस कहानी को और दिलचस्प बना रहा था।

 कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी मन में यह बात स्वीकार कर ली थी कि जोशी यदि अध्यक्ष बनते हैं तो जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का मनोबल अचानक बढ़ जाएगा। क्योंकि जोशी की पहचान संगठन के आदमी वाली है जो बिना प्रचार के बिना कैमरे के रात-रात भर बूथ स्तर पर काम करते हैं। वहीं मोदी शाह का मॉडल है प्रचार नेतृत्व और चुनावी प्रबंधन। दोनों के काम करने के तरीकों में जमीन आसमान का अंतर है। आरएसएस चाहता था कि बीजेपी का पुनर्गठन खाली सत्ता के लिए नहीं बल्कि विचारधारा के लिए हो और जोशी इस काम के लिए आदर्श माने जाते थे। आरएसएस के अंदरूनी हलकों में यहां तक चर्चा शुरू हो गई कि संजय जोशी को सर संघचालक बनाने का प्रस्ताव तभी लागू होगा जब बीजेपी नेतृत्व उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाने से साफ इंकार कर दे। यानी एक तरह से यह संघ की बैकअप प्लान थी और यह धमकी नहीं बल्कि रणनीतिक संकेत था कि संघ अब पूरी तरह से तैयार है शक्ति संतुलन को बदलने के लिए। इस स्थिति ने मोदी शाह को ऐसी पोजीशन में ला दिया जहां उन्हें पहली बार महसूस हुआ कि बिहार की जीत के बाद सत्ता का नशा जितना तेज था उससे ज्यादा तेज संघ का दबाव उतर सकता है। अब पूरी कहानी एक ऐसे मोड़ पर आ गई जहां बीजेपी और आरएसएस की दशकों पुरानी साझेदारी की परीक्षा हो रही है। मोहन भागवत के प्रयास असफल होते दिख रहे  हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों एक मजबूत राजनीतिक ढांचे के समर्थक हैं। जबकि संघ वैचारिक और संगठनात्मक ढांचे को प्राथमिकता देता है। अगर जोशी को अध्यक्ष बनाया जाता है तो सत्ता का केंद्र बदल जाएगा। अगर नहीं बनाया जाता तो संघ अपने सबसे अनुभवी अनुशासन प्रिय और वैचारिक रूप से कठोर कार्यकर्ता को अपनी सर्वोच्च कुर्सी पर बैठाकर बीजेपी को एक सीधा संदेश दे देगा। कहानी अब केवल नाम की नहीं आने वाले वर्षों में भारतीय राजनीति के शक्ति संतुलन की है और इस संघर्ष का सबसे बड़ा किरदार बन चुका है संजय जोशी।





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संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल

संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल
संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल

 

  संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व  की फिर टालमटोल

नागपुर से एक औपचारिक संदेश दिल्ली भेजा गया। इतना सीधा, इतना साफ और इतना कठोर कि कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने पहले तो इसे अफवाह समझा। लेकिन यह अफवाह नहीं बल्कि आरएसएस की अंतिम समय सीमा थी। संदेश था बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें। इस महीने के भीतर कोई देरी स्वीकार नहीं। इस संदेश का स्वर अनुरोध नहीं आदेश जैसा था। संघ ने कहा कि अब राजनीतिक गणित, लोकसभा सीटें, व्यक्तिगत रिश्ते कुछ भी इस निर्णय में बाधा नहीं बन सकता।और पहली बार नागपुर ने यह भी जोड़ दिया कि यदि बीजेपी नेतृत्व फिर भी टालमटोल करता है तो संगठन का अगला कदम अपनी स्वतंत्र दिशा तय करना होगा। जिसमें संजय जोशी को उच्चतम संघ नेतृत्व की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है।

यानी 14 जनवरी 2026 संघ बीजेपी संबंधों का टर्निंग पॉइंट बन गया। बिहार चुनाव का शोर अब आखिरकार थम चुका था और दिल्ली के सत्ता गलियारों में एक नई तरह की खामोशी तैर रही थी। वही खामोशी जो किसी बड़े तूफान से पहले महसूस होती है। बीजेपी हेड क्वार्टर में जश्न का माहौल धीरे-धीरे खत्म हो रहा था। लेकिन नागपुर में आरएसएस के दफ्तर में माहौल बिल्कुल उल्टा। तनावपूर्ण, गंभीर और बेहद निर्णायक। संघ के बड़े पदाधिकारी साफ

बोल चुके थे कि अब बहाने नहीं चलेंगे। चुनाव खत्म जीत मिली। ठीक है। पर अब संगठन को दिशा देनी है और उसके लिए बीजेपी प्रेसिडेंट का नाम तुरंत घोषित किया जाना चाहिए। और यहीं से असली पेंच शुरू हुआ। क्योंकि इस बार संघ ने सिर्फ एक सुझाव नहीं दिया बल्कि एक स्पष्ट आदेश जैसा कुछ भेजा। किसी और का नहीं संजय जोशी का नाम। और यह नाम जब संघ ने सीधे पीएम मोदी और अमित शाह को भेजा तो पावर कॉरिडोर में हलचल दौड़ गई। संजय जोशी वह नाम जिसे बीजेपी का कार्यकर्ता आज भी सम्मान के साथ लेता है। लेकिन सत्ता के शीर्ष पर बैठे कई लोग जिसकी वापसी से घबराए रहते हैं। बिहार के नतीजों ने यह दिखा दिया था कि मोदी शाह की रणनीति अभी भी मजबूत है। लेकिन आरएसएस का मानना था कि जमीन पर संगठन की पकड़ पिछले कुछ वर्षों में कमजोर हुई है। और इसी कमजोरी को ठीक करने के लिए संघ चाहता था कि बीजेपी का मुखिया अब कोई ऐसा बने जो पूरी तरह से संघ शिक्षित संघ शैली वाला और संघ के प्रति 100% समर्पित हो। संघ अपना विश्वास जिस नाम पर रख रहा था वह केवल और केवल संजय जोशी थे। आरएसएस ने स्पष्ट कहा यदि बीजेपी नेतृत्व संजय जोशी को अध्यक्ष नहीं बनाता, तो संघ अपनी दिशा खुद तय करेगा। यहां तक कि अगले सरसघ चालक के रूप में भी वही नाम सोचा जा रहा है।


 नरेंद्र मोदी को यह बात सबसे ज्यादा चुभ कि संघ ने पहली बार इतनी सख्त भाषा में चेतावनी दी। अमित शाह भी हैरान थे क्योंकि पिछले कई वर्षों की राजनीतिक चाले, संगठनात्मक फैसले और केंद्रीय नेतृत्व का नियंत्रण सब कुछ एक तरह से पीएमओ और गृह मंत्रालय की स्क्रिप्ट पर चलता रहा था। लेकिन इस बार मामला अलग था। संघ अपनी उस मूल भावना में लौट चुका था जिसके अनुसार संगठन सरकार से बड़ा है और उन्हीं गलियारों में चर्चा चल रही थी कि इस बार संघ सिर्फ दबाव नहीं डाल रहा बल्कि लिमिट सेट कर रहा है। एक रेखा कि मोदी शाह सरकार को पार नहीं करनी चाहिए और यदि वे फिर भी नहीं समझे तो संघ संजय जोशी को सिर्फ बीजेपी अध्यक्ष नहीं बल्कि आरएसएस चीफ के रूप में भी आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। मोहन भागवत पिछले कई वर्षों से संतुलन साधने की कोशिश कर रहे थे। एक तरफ सरकार की ताकत दूसरी ओर संगठन की परंपरा लेकिन यह संतुलन अब टूटता हुआ दिख रहा था। भागवत जानते थे कि मोदी और शाह दोनों ही संजय जोशी की वापसी से असहज है। लेकिन वे यह भी समझते थे कि संगठन की जड़ों को मजबूत करने के लिए जोशी जैसा व्यक्ति ही सबसे उपयुक्त है। भागवत ने कई बार पीएम को संकेतों में बताया कि आरएसएस और बीजेपी के बीच दूरी बढ़ रही है। लेकिन उन संकेतों को सत्ता की चमक में शायद उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया और अब संघ का धैर्य समाप्त हो चुका था। इसलिए भागवत ने पहली बार अपने ही लोगों से कहा, अब संतुलन का दूसरा तरीका अपनाना पड़ेगा। सत्ता को संगठन का महत्व समझाना होगा। दिल्ली में बैठे रणनीतिकारों का मानना था कि आरएसएस का यह दबाव साधारण नहीं है। क्योंकि बिहार जीत से उत्साहित बीजेपी चाहती थी कि वही कहानी देश भर में दोहराई जाए। जहां चुनावी रणनीति मोदी शाह केंद्रित हो और संगठन की भूमिका पीछे सरक जाए। लेकिन आर एस एस यह मॉडल अब स्वीकार करने के मूड में नहीं था। वे चाहते थे कि बीजेपी का अगला अध्यक्ष ऐसा हो जो पार्टी को फिर से केंद्र से बाहर चलाए यानी दिल्ली की सत्ता से स्वतंत्र। और यही विचार मोदी शाह के लिए सबसे कठिन था क्योंकि संजय जोशी के आने का मतलब था पार्टी का असल कंट्रोल फिर नागपुर की तरफ झुकना और यह दोनों नेताओं को मंजूर नहीं।

आरएसएस का अंतिम संदेश बेहद कठोर था। या तो बीजेपी अध्यक्ष संजय जोशी होंगे या फिर संघ अपना रास्ता अलग तय करेगा। यह बात सुनकर दिल्ली में कई वरिष्ठ नेता चुप हो गए क्योंकि यह केवल नाम का विवाद नहीं था। यह शक्ति संतुलन की लड़ाई थी। एक तरफ चुनी हुई सरकार की ताकत। दूसरी तरफ एक विचारधारा की दशकों पुरानी शाखाएं और इन शाखाओं में वही लोग काम करते हैं, जिन्हें आज भी लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने संघ की सलाह को लगातार अनसुना किया है। संघ चाहता था कि 2026 के चुनावों से पहले पार्टी पूरी तरह से वैचारिक दिशा में लौटे और इसके लिए संजय जोशी से बेहतर कोई चेहरा नहीं। दिल्ली की बैठकों में कई विकल्प सामने आए। किसी नए चेहरे को लाना, किसी पुराने नेता को आगे करना या आरएसएस को मनाने के लिए कुछ और प्रस्ताव भेजना। लेकिन नागपुर की तरफ से एक ही उत्तर हर बार मिला। नाम सिर्फ संजय जोशी। यह एक तरह का सीधा संदेश था कि इस बार संघ समझौता करने वाला नहीं। मोदी शाह को यह बात चुभियन लग रही थी कि वही संजय जोशी जिनकी राजनीतिक वापसी को उन्होंने वर्षों तक रोक कर रखा। अब बीजेपी और आरएसएस दोनों का संभावित मुखिया बन सकते हैं और यही डर इस कहानी को और दिलचस्प बना रहा था।

 कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी मन में यह बात स्वीकार कर ली थी कि जोशी यदि अध्यक्ष बनते हैं तो जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का मनोबल अचानक बढ़ जाएगा। क्योंकि जोशी की पहचान संगठन के आदमी वाली है जो बिना प्रचार के बिना कैमरे के रात-रात भर बूथ स्तर पर काम करते हैं। वहीं मोदी शाह का मॉडल है प्रचार नेतृत्व और चुनावी प्रबंधन। दोनों के काम करने के तरीकों में जमीन आसमान का अंतर है। आरएसएस चाहता था कि बीजेपी का पुनर्गठन खाली सत्ता के लिए नहीं बल्कि विचारधारा के लिए हो और जोशी इस काम के लिए आदर्श माने जाते थे। आरएसएस के अंदरूनी हलकों में यहां तक चर्चा शुरू हो गई कि संजय जोशी को सर संघचालक बनाने का प्रस्ताव तभी लागू होगा जब बीजेपी नेतृत्व उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाने से साफ इंकार कर दे। यानी एक तरह से यह संघ की बैकअप प्लान थी और यह धमकी नहीं बल्कि रणनीतिक संकेत था कि संघ अब पूरी तरह से तैयार है शक्ति संतुलन को बदलने के लिए। इस स्थिति ने मोदी शाह को ऐसी पोजीशन में ला दिया जहां उन्हें पहली बार महसूस हुआ कि बिहार की जीत के बाद सत्ता का नशा जितना तेज था उससे ज्यादा तेज संघ का दबाव उतर सकता है। अब पूरी कहानी एक ऐसे मोड़ पर आ गई जहां बीजेपी और आरएसएस की दशकों पुरानी साझेदारी की परीक्षा हो रही है। मोहन भागवत के प्रयास असफल होते दिख रहे  हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों एक मजबूत राजनीतिक ढांचे के समर्थक हैं। जबकि संघ वैचारिक और संगठनात्मक ढांचे को प्राथमिकता देता है। अगर जोशी को अध्यक्ष बनाया जाता है तो सत्ता का केंद्र बदल जाएगा। अगर नहीं बनाया जाता तो संघ अपने सबसे अनुभवी अनुशासन प्रिय और वैचारिक रूप से कठोर कार्यकर्ता को अपनी सर्वोच्च कुर्सी पर बैठाकर बीजेपी को एक सीधा संदेश दे देगा। कहानी अब केवल नाम की नहीं आने वाले वर्षों में भारतीय राजनीति के शक्ति संतुलन की है और इस संघर्ष का सबसे बड़ा किरदार बन चुका है संजय जोशी।





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December 10, 2025 at 09:59AM
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संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल

संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल

 

  संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व  की फिर टालमटोल

नागपुर से एक औपचारिक संदेश दिल्ली भेजा गया। इतना सीधा, इतना साफ और इतना कठोर कि कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने पहले तो इसे अफवाह समझा। लेकिन यह अफवाह नहीं बल्कि आरएसएस की अंतिम समय सीमा थी। संदेश था बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें। इस महीने के भीतर कोई देरी स्वीकार नहीं। इस संदेश का स्वर अनुरोध नहीं आदेश जैसा था। संघ ने कहा कि अब राजनीतिक गणित, लोकसभा सीटें, व्यक्तिगत रिश्ते कुछ भी इस निर्णय में बाधा नहीं बन सकता।और पहली बार नागपुर ने यह भी जोड़ दिया कि यदि बीजेपी नेतृत्व फिर भी टालमटोल करता है तो संगठन का अगला कदम अपनी स्वतंत्र दिशा तय करना होगा। जिसमें संजय जोशी को उच्चतम संघ नेतृत्व की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है।

यानी 14 जनवरी 2026 संघ बीजेपी संबंधों का टर्निंग पॉइंट बन गया। बिहार चुनाव का शोर अब आखिरकार थम चुका था और दिल्ली के सत्ता गलियारों में एक नई तरह की खामोशी तैर रही थी। वही खामोशी जो किसी बड़े तूफान से पहले महसूस होती है। बीजेपी हेड क्वार्टर में जश्न का माहौल धीरे-धीरे खत्म हो रहा था। लेकिन नागपुर में आरएसएस के दफ्तर में माहौल बिल्कुल उल्टा। तनावपूर्ण, गंभीर और बेहद निर्णायक। संघ के बड़े पदाधिकारी साफ

बोल चुके थे कि अब बहाने नहीं चलेंगे। चुनाव खत्म जीत मिली। ठीक है। पर अब संगठन को दिशा देनी है और उसके लिए बीजेपी प्रेसिडेंट का नाम तुरंत घोषित किया जाना चाहिए। और यहीं से असली पेंच शुरू हुआ। क्योंकि इस बार संघ ने सिर्फ एक सुझाव नहीं दिया बल्कि एक स्पष्ट आदेश जैसा कुछ भेजा। किसी और का नहीं संजय जोशी का नाम। और यह नाम जब संघ ने सीधे पीएम मोदी और अमित शाह को भेजा तो पावर कॉरिडोर में हलचल दौड़ गई। संजय जोशी वह नाम जिसे बीजेपी का कार्यकर्ता आज भी सम्मान के साथ लेता है। लेकिन सत्ता के शीर्ष पर बैठे कई लोग जिसकी वापसी से घबराए रहते हैं। बिहार के नतीजों ने यह दिखा दिया था कि मोदी शाह की रणनीति अभी भी मजबूत है। लेकिन आरएसएस का मानना था कि जमीन पर संगठन की पकड़ पिछले कुछ वर्षों में कमजोर हुई है। और इसी कमजोरी को ठीक करने के लिए संघ चाहता था कि बीजेपी का मुखिया अब कोई ऐसा बने जो पूरी तरह से संघ शिक्षित संघ शैली वाला और संघ के प्रति 100% समर्पित हो। संघ अपना विश्वास जिस नाम पर रख रहा था वह केवल और केवल संजय जोशी थे। आरएसएस ने स्पष्ट कहा यदि बीजेपी नेतृत्व संजय जोशी को अध्यक्ष नहीं बनाता, तो संघ अपनी दिशा खुद तय करेगा। यहां तक कि अगले सरसघ चालक के रूप में भी वही नाम सोचा जा रहा है।


 नरेंद्र मोदी को यह बात सबसे ज्यादा चुभ कि संघ ने पहली बार इतनी सख्त भाषा में चेतावनी दी। अमित शाह भी हैरान थे क्योंकि पिछले कई वर्षों की राजनीतिक चाले, संगठनात्मक फैसले और केंद्रीय नेतृत्व का नियंत्रण सब कुछ एक तरह से पीएमओ और गृह मंत्रालय की स्क्रिप्ट पर चलता रहा था। लेकिन इस बार मामला अलग था। संघ अपनी उस मूल भावना में लौट चुका था जिसके अनुसार संगठन सरकार से बड़ा है और उन्हीं गलियारों में चर्चा चल रही थी कि इस बार संघ सिर्फ दबाव नहीं डाल रहा बल्कि लिमिट सेट कर रहा है। एक रेखा कि मोदी शाह सरकार को पार नहीं करनी चाहिए और यदि वे फिर भी नहीं समझे तो संघ संजय जोशी को सिर्फ बीजेपी अध्यक्ष नहीं बल्कि आरएसएस चीफ के रूप में भी आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। मोहन भागवत पिछले कई वर्षों से संतुलन साधने की कोशिश कर रहे थे। एक तरफ सरकार की ताकत दूसरी ओर संगठन की परंपरा लेकिन यह संतुलन अब टूटता हुआ दिख रहा था। भागवत जानते थे कि मोदी और शाह दोनों ही संजय जोशी की वापसी से असहज है। लेकिन वे यह भी समझते थे कि संगठन की जड़ों को मजबूत करने के लिए जोशी जैसा व्यक्ति ही सबसे उपयुक्त है। भागवत ने कई बार पीएम को संकेतों में बताया कि आरएसएस और बीजेपी के बीच दूरी बढ़ रही है। लेकिन उन संकेतों को सत्ता की चमक में शायद उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया और अब संघ का धैर्य समाप्त हो चुका था। इसलिए भागवत ने पहली बार अपने ही लोगों से कहा, अब संतुलन का दूसरा तरीका अपनाना पड़ेगा। सत्ता को संगठन का महत्व समझाना होगा। दिल्ली में बैठे रणनीतिकारों का मानना था कि आरएसएस का यह दबाव साधारण नहीं है। क्योंकि बिहार जीत से उत्साहित बीजेपी चाहती थी कि वही कहानी देश भर में दोहराई जाए। जहां चुनावी रणनीति मोदी शाह केंद्रित हो और संगठन की भूमिका पीछे सरक जाए। लेकिन आर एस एस यह मॉडल अब स्वीकार करने के मूड में नहीं था। वे चाहते थे कि बीजेपी का अगला अध्यक्ष ऐसा हो जो पार्टी को फिर से केंद्र से बाहर चलाए यानी दिल्ली की सत्ता से स्वतंत्र। और यही विचार मोदी शाह के लिए सबसे कठिन था क्योंकि संजय जोशी के आने का मतलब था पार्टी का असल कंट्रोल फिर नागपुर की तरफ झुकना और यह दोनों नेताओं को मंजूर नहीं।

आरएसएस का अंतिम संदेश बेहद कठोर था। या तो बीजेपी अध्यक्ष संजय जोशी होंगे या फिर संघ अपना रास्ता अलग तय करेगा। यह बात सुनकर दिल्ली में कई वरिष्ठ नेता चुप हो गए क्योंकि यह केवल नाम का विवाद नहीं था। यह शक्ति संतुलन की लड़ाई थी। एक तरफ चुनी हुई सरकार की ताकत। दूसरी तरफ एक विचारधारा की दशकों पुरानी शाखाएं और इन शाखाओं में वही लोग काम करते हैं, जिन्हें आज भी लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने संघ की सलाह को लगातार अनसुना किया है। संघ चाहता था कि 2026 के चुनावों से पहले पार्टी पूरी तरह से वैचारिक दिशा में लौटे और इसके लिए संजय जोशी से बेहतर कोई चेहरा नहीं। दिल्ली की बैठकों में कई विकल्प सामने आए। किसी नए चेहरे को लाना, किसी पुराने नेता को आगे करना या आरएसएस को मनाने के लिए कुछ और प्रस्ताव भेजना। लेकिन नागपुर की तरफ से एक ही उत्तर हर बार मिला। नाम सिर्फ संजय जोशी। यह एक तरह का सीधा संदेश था कि इस बार संघ समझौता करने वाला नहीं। मोदी शाह को यह बात चुभियन लग रही थी कि वही संजय जोशी जिनकी राजनीतिक वापसी को उन्होंने वर्षों तक रोक कर रखा। अब बीजेपी और आरएसएस दोनों का संभावित मुखिया बन सकते हैं और यही डर इस कहानी को और दिलचस्प बना रहा था।

 कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी मन में यह बात स्वीकार कर ली थी कि जोशी यदि अध्यक्ष बनते हैं तो जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का मनोबल अचानक बढ़ जाएगा। क्योंकि जोशी की पहचान संगठन के आदमी वाली है जो बिना प्रचार के बिना कैमरे के रात-रात भर बूथ स्तर पर काम करते हैं। वहीं मोदी शाह का मॉडल है प्रचार नेतृत्व और चुनावी प्रबंधन। दोनों के काम करने के तरीकों में जमीन आसमान का अंतर है। आरएसएस चाहता था कि बीजेपी का पुनर्गठन खाली सत्ता के लिए नहीं बल्कि विचारधारा के लिए हो और जोशी इस काम के लिए आदर्श माने जाते थे। आरएसएस के अंदरूनी हलकों में यहां तक चर्चा शुरू हो गई कि संजय जोशी को सर संघचालक बनाने का प्रस्ताव तभी लागू होगा जब बीजेपी नेतृत्व उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाने से साफ इंकार कर दे। यानी एक तरह से यह संघ की बैकअप प्लान थी और यह धमकी नहीं बल्कि रणनीतिक संकेत था कि संघ अब पूरी तरह से तैयार है शक्ति संतुलन को बदलने के लिए। इस स्थिति ने मोदी शाह को ऐसी पोजीशन में ला दिया जहां उन्हें पहली बार महसूस हुआ कि बिहार की जीत के बाद सत्ता का नशा जितना तेज था उससे ज्यादा तेज संघ का दबाव उतर सकता है। अब पूरी कहानी एक ऐसे मोड़ पर आ गई जहां बीजेपी और आरएसएस की दशकों पुरानी साझेदारी की परीक्षा हो रही है। मोहन भागवत के प्रयास असफल होते दिख रहे  हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों एक मजबूत राजनीतिक ढांचे के समर्थक हैं। जबकि संघ वैचारिक और संगठनात्मक ढांचे को प्राथमिकता देता है। अगर जोशी को अध्यक्ष बनाया जाता है तो सत्ता का केंद्र बदल जाएगा। अगर नहीं बनाया जाता तो संघ अपने सबसे अनुभवी अनुशासन प्रिय और वैचारिक रूप से कठोर कार्यकर्ता को अपनी सर्वोच्च कुर्सी पर बैठाकर बीजेपी को एक सीधा संदेश दे देगा। कहानी अब केवल नाम की नहीं आने वाले वर्षों में भारतीय राजनीति के शक्ति संतुलन की है और इस संघर्ष का सबसे बड़ा किरदार बन चुका है संजय जोशी।





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December 10, 2025 at 09:59AM

Tuesday, December 2, 2025

भारत का अपना सोशल मीडिया ऐप -Nyburs:Hyper Local Social App

भारत का अपना सोशल मीडिया ऐप -Nyburs:Hyper Local Social App
भारत का अपना सोशल मीडिया ऐप -Nyburs:Hyper Local Social App
भारत का अपना सोशल मीडिया ऐप -Nyburs:Hyper Local Social App
भारत का अपना सोशल मीडिया ऐप -Nyburs:Hyper Local Social App
भारत का अपना सोशल मीडिया ऐप -Nyburs:Hyper Local Social App

 


मोदी जी ने एक बार अपील किया था कि भारत के पास अपना सोशल मीडिया का प्लेटफार्म होना चाहिए। मोदी जी ने अनाउंस किया और किसी ने बैंगलोर में बैठकर इसको हकीकत में उन्होंने कन्वर्ट भी कर दिया। ये है भारत का


Nyburs:Hyper Social Local App

आपने सोशल मीडिया के एप्स को यूज़ किया होगा। उसके अंदर आपको Instagram, Twitter, Facebook, WhatsApp के ग्रुप्स यह सारे आपको अलग-अलग से नए एप्स लेने पड़ते हैं। लेकिन यह एक ऐसा ऐप है जिसके अंदर ये सारे के सारी चीजें एक ही ऐप के अंदर डाल दी। यह है भारत का आंसर और इसके अंदरआप जो अपनी पोस्ट करते हैं या फ्रेंड्स के साथ अगर आप इनको रेकमेंड करते हैं तो आपको पैसे भी मिलते हैं। यहां तक कि जैसे YouTube के अंदर आप वीडियो डाल सकते हैं। इसके अंदर भी वो फैसिलिटी है। 

अब आते हैं कि ये जो ऐप है ये बाकी ऐप से डिफरेंट क्यों है?पहली बात ये है जैसे अपने जितने भी सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म्स है वो माने जाते हैं कि हमें ये तो मालूम है कि ईलॉन मस्क ने क्या खाया? राहुल गांधी ने क्या खाया वो उसके उसके घर में क्या हो रहा है लेकिन हमें अपने घर में क्या हो रहा है या हमारे जो नेबर्स हैं वहां पर क्या हो रहा है हमें पता ही नहीं है ये एक्सीडेंट नहीं है ये डिजाइन है इनका ये डिजाइन है इनका कि हम दुनिया से कनेक्ट हो लेकिन हम अपने ही घर में हम डिस्कनेक्ट हो जाए नाउ ये जो छोटी सी कंपनी है बैंगलोर के अंदर उन्होंने स्टार्टअप शुरू कर दिया स्टार्टअप ये शुरू किया है जो सब कुछ चेंज कर देगा समथिंग वि इस गोइंग टू फ्लिप सोशल मीडिया कंप्लीटली अपसाइड डाउन।सोशल मीडिया आपको दुनिया से कनेक्ट करता है। अपने आप से डिस्कनेक्ट करता है। इस इसको समझा और उन्होंने ऐप बना  दिया जहां पर आप सिंपली डाउनलोड कर सकते हैं। और उसके बाद आप अपने लोगों के साथ कनेक्ट कर सकते हैं। अपने लोगों का मतलब क्या है? जो आपके घर के आसपास रहते हैं। Facebook के ऊपर आपके पास हो सकता है 5000 दोस्त हो। लेकिन उनका पता है आपको उसकी लाइफ में क्या चल रहा है। लेकिन आपके नेबर बिल्कुल साथ में जो जिसकी दीवार आपके घर के साथ लगती है उसके बारे में आपको पता नहीं है। आपके घर के पास एक नया रेस्टोरेंट खुल गया। एक नया कैफे खुल गया। आपको उसके बारे में पता नहीं है। लेकिन ग्लोबल कंटेंट आपको मालूम है क्योंकि उन्होंने इस तरह बनाया है इसको कंटेंट को ताकि वो पैसे बनाए। आप डाटा कंज्यूम कर रहे हैं। पैसा वो बना रहे हैं।

 अब आपकी जो कम्युनिटी है वो आपके साथ कनेक्ट कर सकती है ना कि दुनिया में क्या हो रहा है उसको कनेक्ट करने की बजाय। आपको डिस्कनेक्ट करने के लिए आप ही के लोगों के लिए आप ही आप ही के लोगों के साथ। अब जो मॉडर्न सोशल मीडिया का प्लेटफार्म है भारत ने उसको उल्टा कर दिया। आपको आइसोलेट करने की कोशिश करनी थी।


अब हमारा जो भारत का अपना डाटा है अपना जो सोशल मीडिया ऐप है वो आपको अपने आप से वो कनेक्ट करेगा सॉल्व करेगा आपकी बेसिक प्रॉब्लम्स को क्यों ये जो ऐप है ये नवीन शर्मा हिंदू सनातनी है विशाल चौधरी नवीन शर्मा दो नाम जिन्होंने इसको इन्होंने शुरू किया पिच क्या थी पिच इनकी ये है मेड फॉर इंडिया बाय इंडिया टू इंडिया अब इसका मतलब क्या है फिर Twitter आपको कनेक्ट करता है दुनिया से। इन्होंने बोल दिया आपकी जो लोकल कम्युनिटी है कॉलोनी है पहले वो आपके साथ कनेक्ट करेंगे। Instagram आपको दिखाएगा इनफ्लुएंसर्स। नेबर्स आपको दिखाएगा आपकी लोकालिटी में कौन सा इनफ्लुएंसरर है। आपका इशू क्या है आपके एरिया का वो आपको दिखाई देगा। इसको बोलते हैं लाइफ हाइपर लोकल

सोशल नेटवर्किंग। अब ये सोशल नेटवर्किंग क्या होती डिवोर्स का जो ये सिस्टम है वो है एक ही सिंपल सिस्टम सर्कल आपके घर के पास और जो चैनल है वो भी आपके घर के पास यानी कि आपके नेबरहुड में क्या हो रहा है आपको वो दिखेगा एल्गोरिदम यहां पर यूज़ नहीं हो रहा उनको लोकेशन मालूम है आपकी आपकी लोकेशन के हिसाब से आपके लोकेशन बेस्ड जो आपके घर के आसपास है उसी के फीड मिलेंगे आपको दूसरे एरिया में वो क्या हो रहा है आपको मतलब नहीं है सपोजिंग साउथ दिल्ली में आप रहते हैं। वहां पर एक रेस्टोरेंट खुला तो साउथ दिल्ली के जितने रेजिडेंट्स हैं जो लोग वहां पर रहते हैं उनको उसका मैसेज पहुंचेगा कि आपके घर के आसपास दो चार किलोमीटर में ये नया रेस्टोरेंट खुला है। आप पटना में रहते हैं। वार्ड नंबर 12 है आपका। वहां पर कोई इंफ्रास्ट्रक्चर का नया प्रोजेक्ट लगने वाला है। जो वार्ड नंबर 12 में जो लोग रहते हैं उस उनको अपने वार्ड की हर इंफॉर्मेशन उनके पास पहुंचेगी। दोस्तों अब आप सोच के देखिए अब आप कम्युनिटीज को ऑर्गेनाइज कर पाएंगे मोबलाइज कर पाएंगे आपका सड़क में आपकी जो सड़क है वो गंदी पड़ी है वहां पर कोई सफाई करने नहीं आया है आप वहां पर ऐप में डाल सकते है आपके एरिया का आदमी उसको देखेगा आप कनेक्ट कर सकते है अपने लोकल मंत्रियों के साथ वोटर रजिस्ट्रेशन है आपके एरिया में कब हो रही है कब नहीं हो रही आपको पता लगेगा यानि की लोकल इश्यूज आपके घर के आसपास के वो सारे आपके सामने फिंगर टिप्स के ऊपर होंगे इसलिए इसको बनाया गया है इसको सुपर लोकल हाइपर लूप बोलते हैं और ये स्वदेशी ऐप है जहां पर एक तो ये चीज है कि आप कनेक्ट करेंगे अपने ही लोगो के साथ रियल वर्ल्ड के अंदर क्या एक्शन हो रहा है वो आपको पता लगेगा बट सबसे बड़ी चीज है आपको अपनी लैंग्वेज में ये ऐप आप चला सकते है 12  लैंग्वेज इन्होंने ऑलरेडी डाल दिए मैं कोई इनका एफिलिएट नहीं हूं आपको लगेगा मुझे सर इसमें पैसे मिलने वाले है जनरली सनातनियों को सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही आती है नहीं इसमें ये सिर्फ इसलिए कि भारत का ऐप है। मोदी जी खुद इसको प्रमोट कर रहे हैं।दूसरा जो डाटा है वो भारत में रहेगा। यानी कि सर्वर भारत में है। कोई अमेरिकन कंपनी हमारे डाटा को यूज़ करके हमें मार्केटिंग का प्रोडक्ट वो बेच नहीं पाएगी। एंड लास्टली यू कैन अर्न मनी फ्रॉम दिस ऐप। वो कैसे? इन्होंने क्या किया? जब इसको ल्च किया इसके अंदर कांटेस्ट रखे हैं। हर रोज का कांटेस्ट है जहां पर आपको कैश मिलता है। वीकली चैलेंजेस है। आप लाइव स्ट्रीमिंग कर सकते हैं। लाइव स्ट्रीमिंग के आपको पैसे मिलते हैं। अगर आप रेफर करते हैं किसी को उसका बोनस भी है। यानी कि आप अपनी कम्युनिटी में एंगेज करेंगे और उस एंगेजमेंट का आपको रिवॉर्ड भी मिलेगा। बिजनेस मॉडल बड़ा ही सिंपल है और जीनियस भी है। वो कैसे? भारत का जो डिजिटल एडवरटाइजिंग का मार्केट है वो डेढ़ लाख करोड़ रुपया है 2025 का निबोर्स ने क्या किया वो जो लोकल बेस्ड एडवरटाइजिंग होती है जो छोटी सी दुकान है उसने खोली है अभी वो अपने आप को एडवर्टाइज करना चाहता है अगर वो सोशल मीडिया पे जाएगा तो सोशल मीडिया पे पूरे इंडिया में बैंगलोर के अंदर किसी ने छोटी सी दुकान खोली उसका उसका मैसेज अगर दिल्ली वाले के पास जाएगा उसका फायदा नहीं है लेकिन आपको देने पड़ते हैं मोटे इन सारे कामों के लिए अब आपकी दुकान छोटी है। आप अपने ही आदमी जो आपके एरिया के आसपास है उनको मैसेज पहुंचाना चाहते हैं। इट इस गोइंग टू बी वेरी वेरीरी चीप। लेकिन अगर कोई नेशनल लेवल पर काम कर रहा है। उसकी प्रीमियम सर्विज है, फीचर्स है जो आप ले सकते हैं। यानी कि बड़ा आदमी बड़ी कंपनी है उसके लिए अलग पैकेज है। छोटा जो आदमी है लोकल आदमी उसके लिए अलग पैकेज है। सस्टेनेबल है, स्केलेबल है। एंड जमीन से जुड़ा हुआ सशन निकाला है। क्यों? क्योंकि एक तो बड़े-बड़े जो वेंचर कैपिटल होते हैं उनसे पैसा नहीं लिया तो हमें ये नहीं है कि कोई फॉरेन इन्वेस्टर है एंड दे आर गोइंग टू पुल द शॉट्स नॉट एट ऑल। भारतीय कंपनी भारत में बैठकर भारतीयों का जो सोलशन है वो निकाल रही है। अब ये मैटर क्यों करता है? एक ऐप ने पूरी सोशल मीडिया मार्केट को हिला के रख देना है। जब ये चलेगा। एक तो हमारे पास 90 करोड़ इंटरनेट यूज़र्स है 2025 में। सभी के पास ऑलमोस्ट स्मार्टफोनस है और जो हमारा डिजिटल लिटरेसी है वो बढ़ता जा रहा है। हम अभी तक डिपेंडेंट थे फॉरेन के प्लेटफॉर्म्स के ऊपर लेकिन वो प्लेटफार्म भारतीय कम्युनिटी को और हमारे कल्चर को वो समझते ही नहीं है। इसलिए वो ना तो रीजनल लैंग्वेज के अंदर वो प्रॉपर्ली समझते हैं ना ही कोई एप्स उनके रीजनल लैंग्वेज के ऊपर है। एंड जो लोकल हमारे इश्यूज है उसके नीड्स को वो कभी पूरा करते ही नहीं। लेकिन निबुर्स ने क्या किया? डिजिटल इंडिपेंडेंस लेकर आए। स्वदेशी टेक्नोलॉजी है 100% जो भारत की बनी हुई है। एंड एक्चुअली इट वर्क्स और सशन डिजाइन किए कि हमें डिफरेंट डिफरेंट प्लेटफॉर्म्स की जरूरत क्या है? जब एक ही ऐप आपके सारे काम कर सकता है तो आपको 10 प्लेटफार्म बनाने की जरूरत क्या थी? क्योंकि उन्होंने सब जगह पे आपको ऐड भेजनी है। और हमने जो बनाया है ये कोई कॉपी पेस्ट नहीं किया वेस्टर्न मॉडल को। दुनिया का पहला ये लोकल ऐप है ज पर हम अलाइन कर रहे है कहां पर लोकल इश्यूज को प्लस गवर्नमेंट के जो ई गवर्नेंस के इनिशिएटिव है उसके साथ इसको अलाइन कर दिया गवर्नमेंट की कौन सी पॉलिसी है आपके एरिया में कौन से इश्यूज है हर चीज को आपके साथ कनेक्ट कर दिया यानी कि जो डिजिटल डिवाइड था वो खत्म कर दिया और जो लोकल सिटीजन लोकल बॉडी है वो अपने लोगों के साथ जैसे आपका म्युनिसिपल कॉरपोरेशन है आपका एमपी है आपका एमएलए है वो वो आपके इश्यूज के साथ वो इंटरेक्ट कर सकता है आपके साथ। इसलिए इसको बनाया गया है और ये है भारत की डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की स्टोरी दोस्तों। लेकिन रियलिटी चेक भी मैं देता हूं आपको एक। अब बड़ा अच्छा लगता है कि यस हमने बना लिया।

 जब तक हम भारतीय इन चीजों को सपोर्ट नहीं करेंगे। ये चीजें नहीं चल सकती।ऐप इस कंसर्न इसके अंदर रेवोल्यूशन आने वाला है। और ये रेवोल्यूशन तब आएगा जब हम खुद इसको प्रमोट करेंगे। ये अर्ली स्टेज है। छोटी सी टीम है उनकी। जमीन से जुड़े हुए हैं। कमट कर रहे हैं ट्रिलियन डॉलर के जॉइंट्स के साथ। ऑड्स कुछ ज्यादा अच्छे नहीं है। लेकिन हर रेवोल्यूशन छोटे से शुरू होता है। जब Jio ने शुरू किया था पूरे टेलीकॉम इंडस्ट्री को उसने हिला के रख दिया। यूपीआई ने पूरा पेमेंट सिस्टम को ट्रांसफॉर्म कर दिया। और अब ये इंडियन ऐप है जैसे आराई है। उसने पूरे वर्ल्ड में तहलका मचाया हुआ है। और भाई चाइना में बसेस के पीछे ट्रक के पीछे यहां पर कहीं भी चले जाइए। आपको आरताई की जोहो है उसकी ऐड दिखती है चाइना के अंदर। मार्केट हमारे भारत की रेडी है। नीड है सिर्फ आपकी ताकि आप अपने ही कंट्री के ऐप को प्रमोट करना शुरू करें। मैंने नाम दे दिया था दोबारा से निबुs नाम थोड़ा डिफिकल्ट लगता है। ये लोकल ऐप है। आप खुद भी यूज़ करें। अपनी कम्युनिटी में भी बाकी लोगों को यूज़ करवाएं ताकि हम ये जो फॉरेन के एप्स है उससे हम बाहर निकल

जाएंगे। जहां पर एक ही चीज की जाती है जो टॉक्सिक जो डाटा है ग्लोबल वाला गंदे वाला वो हमें फील किया जा रहा है। अब देखिए उनको देख देख कर हमारे भारत की लड़कियां कैसे किस तरह की वीडियोस आजकल Instagram पे बना रही है।भारत के एप्स अपने बनने शुरू हो गए हैं। एंड द क्वेश्चन इज आर यू गोइंग टू बी अर्ली अडॉप्टर? पैसे बना सकते हैं आप? अभी तक तो आप पैसे देते रहे। अब आप पैसे बना सकते हैं। और जितनी जल्दी आप अडॉप्ट करेंगे उतना ही ज्यादा अच्छी तरह से हम अपने अपने नेबरहुड के साथ, अपने घर के कम्युनिटी के साथ हम उनके साथ जुड़ सकते हैं। और भारत के सोशल मीडिया रेवोल्यूशन को हम हम शुरू करवा सकते हैं। 

 मुझे नहीं लगता कि अभी iPhone पे आया है। जब आएगा तो उसके ऊपर भी मैं आपको इंडिकेशन दे दूंगा।

 जय हिंद


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