हमारे घर के अंदर बाहर वाले तो जो कर रहे हैं वो कर ही रहे हैं। हम लोग आज विषय लेने वाले हैं कि बांग्लादेश में ऑपरेशन सिंदूर के बाद खासतौर से बांग्लादेश में क्या गतिविधि गहराई से चल रही है जिसको भारत सरकार मेरे ख्याल से निश्चित रूप से ऑब्जर्व करके रखा होगा या ऑब्जर्व कर रही होगी। इधर भारत के अंदर जम्मू कश्मीर विषय कैसे उठाया जा रहा है और तीसरी तरफ असीम मुनीर या पाकिस्तान कैसे कर रहा था। चौथी बात यह भी है कि जो जम्मू कश्मीर में हुआ पहलगाम में जो कुछ हुआ उसके पीछे केवल पाकिस्तान नहीं था। जब हम ऑपरेशन सिंदूर कर रहे थे तो तीन देश सामने थे।
वो एक बड़ा षड्यंत्र था। भारत में आग फैलाने का षड्यंत्र, भारत को झुलसाने का षड्यंत्र और उनको उम्मीद थी कि भारत में ऐसा हो जाएगा तो एक तरफ से बांग्लादेश, एक तरफ से चाइना और एक तरफ से पाकिस्तान भारत के अंदर डिस्टरबेंस करेगा। ये वही डिस्टरबेंस जो जिना करना चाहता था। ये वही डिस्टरबेंस जो जिसको करके जिना हिंदुस्तान को कब्जा करना चाहता था। उस पॉलिसी को इंप्लीमेंट करने के लिए ये सारा षड्यंत्र चल रहा था। एक षड्यंत्र यह भी था कि मोदी जी किस प्रकार से भारत में कमजोर हो और उसके लिए डोनाल्ड ट्रंप और असीम मुनीर बैठकर भी कर रहे थे और एक षड्यंत्र यह भी था कि चाइना किस प्रकार से भारत को डिस्प्यूटेड करे वो हमने सबने राजनाथ जी का स्टेटमेंट देखा होगा जिसमें राजनाथ जी ने जॉइंट स्टेटमेंट साइन करने से मना कर दिया और साथ में उन्होंने कहा कि पहलगाम की घटना दुर्दंत घटना अगर नहीं है तो संसार की कोई घटना और इससे ज्यादा दुर्दता क्या हो सकती है जो संप्रदाय पूछकर महिलाओं और बच्चों के सामने पुरुषों को निशंस हत्या की जाए। वो एक चाइनीस षड्यंत्र था। हालांकि राजनाथ जी जैसा एक एक बड़ा नेता वहां गया था। इसलिए उनको किसी पूछने बताने की आवश्यकता नहीं। उन्होंने सीधा-सीधा उसको फ्रंट लेते हुए और सीधा क्फ्रंट किया चाइना और पाकिस्तान के इस षड्यंत्र से। तो हम वहां से निकल आए।
अभी एक और षड्यंत्र ये चल रहा है कि किस प्रकार से यूएनओ मेंकि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के अंदर इस समय एक महीने के लिए जुलाई के एक महीने के लिए पाकिस्तान को प्रिसाइड करने का अवसर मिला है। पाकिस्तान के स्थाई सदस्य ने जो जो यूएनओ में स्थाई सदस्य हैं उन्होंने यूएससी में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यूनाइटेड सिक्योरिटी काउंसिल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उन्होंने ये स्टेटमेंट दिया कि भारत इसमें हम जम्मू कश्मीर विषय उठाने वाले हैं। उनका कहना है कि जो एजेंडा है जो उस समय का एजेंडा है यूएससी के अंदर का एजेंडा था वो रेजोल्यूशन भारत पास करेगा। वो रेजोल्यूशन कुछ और नहीं। उनके शब्दों में वो प्लिसाइड का है और हम लगातार कहते आए हैं क्योंकि पाकिस्तान ने वो रेजोल्यूशन माना ही नहीं क्योंकि पाकिस्तान को पाक ऊपर जम्मू कश्मीर पहले खाली करना था उसके बाद हमको पीमिसाइड जैसे कदम उठाने थे। पाकिस्तान ने कभी वो हिस्सा खाली नहीं किया। लेकिन हमने वहां पर चुनाव करवाकर पॉपुलर गवर्नमेंट बनाई और पॉपुलर गवर्नमेंट बनाते हुए 2019 के 5 अगस्त को हमने आर्टिकल 370 का भी अंतिम संस्कार कर दिया। हमने डेमोक्रेटिक तरीके से जम्मू कश्मीर चलाया।
लेकिन वो जम्मू कश्मीर जो पाकिस्तान के कब्जे में है वो कभी उन्होंने मुक्त नहीं किया। इसलिए इस तरह का रेज़ोल्यूशन हमारे ऊपर लागू नहीं हो सकता। हालांकि उस रेजोल्यूशन में एक और बात थी। वो रेजोल्यूशन ये कहता है कि भारतकि वो एक्सेशन भारत में हो चुका है। भारत ने एक्सेशन में इसलिए डिले किया क्योंकि भारत प्रिविसाइड करवाना चाहता था। ये नेहरू जी की कारस्थानी थी कि वो प्रिविसाइड करवाना चाहते थे। ऐसा यू एनओ के अंदर बात उठी। प्रिविसाइड करवाना चाहता था। इस बात को यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल की यूएसीआईपी यूनाइटेड नेशन यूनाइटेशन कमीशन फॉर इंडियन पाकिस्तान यूएनसीआईपी उसको कहते हैं उसने रेोल्यूशन पास किया थाकि भारत ऐसा करवाना चाहता है इसलिए उस पर हमने सवाल पूछे थे उनसे उस समय हमने उनसे पूछा कि जब प्रीविसाइड होगा तो पाका कुपट जम्मू एंड कश्मीर किसके पास होगा तो उन्होंने कहा भारत के पास होगा हमने कहा सेनाएं किसकी होंगी उन्होंने कहा भारत की होंगी। हमने कहा उसका देखरेख कौन करेगा? उन्होंने कहा भारत करेगा। हमने कहा किसके संरक्षण में भी डिसाइड होगा? तो उन्होंने कहा भारत में उन्होंने कहा भारत के संरक्षण में होगा।
भारत सरकार ने उस समय यूनाइटेड नेशन कमीशन फॉर इंडियन एंड पाकिस्तान से पांच प्रश्न किए थे और पांचों का उत्तर भारत के पक्ष में आया था। पहली कंडीशन ये थी कि पाकिस्तान को पाक ऑक्यूपाइड जम्मू कश्मीर भारत को सौंपना होगा। जब इस जिसके बाद वहां पर यह गतिविधि हो सकती वह उस बात पे तो अ है कहता है प्लीसाइड मांग रहा है लेकिन वो इस बात को नहीं स्वीकार करता कि उसने कब्जा करके रखा हालांकि ये हम सब जानते हैं कि कोफिना साहब और बान की मूं ये दो सेक्रेटरी जनरल खुलकर बोल चुके हैं यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल के अंदर अब भारत और पाकिस्तान का कोई डिस्प्यूट नहीं बचा क्योंकि शिमला समझौते के बाद वो बटरल हो गया था शिमला शिमला समझौते में भारत और पाकिस्तान ने यह तय किया कि हम दोनों बैठकर जम्मू कश्मीर सॉल्व करेंगे। हालांकि शिमला समझौते के समय पाकड़ जम्मू एंड कश्मीर भारत सरकार वापस ले सकती थी। लेकिन उस समय इंदिरा गांधी ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखा बल्कि जुल्फिकार अली भुट्टो या उनके जो प्रतिनिधि आए थे उन्होंने आग्रह किया कि अगर कश्मीर भी आप ले लोगे तो फिर हमें पाकिस्तान में मुंह दिखाना मुश्किल हो जाएगा। थोड़ा समय दीजिए। वह समय 1972 से लेकर और अब 2025 हो गया। वो समय कभी नहीं आया। पाकिस्तान दुष्ट है। योगी जी के शब्दों में वो उसकी पूंछ टेढ़ी है। वो कभी सीधी नहीं हो सकती। लेकिन वो बटरल इशू हो गया। ये एक उपलब्धि कही जा सकती है। जब वो बटरल इशू हो गया तो यूनाइटेड नेशन रेोल्यूशन का क्या मतलब है? और अगर यूनाइटेड नेशन रेज़ोल्यूशन फॉलो भी किया जाए तो सबसे पहले पाकिस्तान को पाक कब्ज़ा जम्मू कश्मीर को भारत को सौंपना होगा।
जहां हमारी एडमिनिस्ट्रेशन में हमारी सरपरस्ती में पीवीसाइड का प्रावधान हो सकता है। हालांकि जैसा मैंने कहा कि हमने वहां बाकायदा पॉपुलर गवर्नमेंट बनाई। उस गवर्नमेंट ने रेोल्यूशन पास किया शेख अब्दुल्ला की अध्यक्षता में और जबकि हम महाराजा हरी सिंह उस पर साइन कर चुके थे देश में जैसे सारी रियासतों का अधिमिलन हुआ था वैसे ही उसका भी अधिमिलन हुआ था। लेकिन फिर भी भारत सरकार ने वहां पॉपुलर चुनाव करवाकर फिर बनी सरकार से फिर से अनुमोदन करवाया था ताकि कोई कंफ्यूजन संसार को ना रह जाए। अब ऐसी परिस्थिति में केवल एक ही काम रह जाता है और वो है कि पाक कब्ज़ा जम्मू कश्मीर भारत को कम मिलेगा। लेकिन वो षड्यंत्रों के महर्षि हैं। वो षड्यंत्र लगातार कर रहे हैं। हालांकि हमारे यहां की कांग्रेस पार्टी जो कि मुख्य विपक्षी पार्टी है उन्होंने एक सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा भारत सरकार क्या कर रही थी? जो वो उनको प्रिसाइडिंग ऑफिसर बन गए। पहली बात तो यह है कि अस्थाई अस्थाई सदस्यता रूटीन में होती है। अस्थाई सदस्य अगर वो है तो वो प्रिसाइड करेगा। ये वहां के रेगुलेशन में है। लेकिन उसके प्रिसाइड करने मात्र से क्या यह कहा जा सकता है कि यूएससी के अंदर वो कुछ कर पाएगा? आप याद करिए कि वो तो यूएससी के अस्थाई सदस्य तब भी थे जब हम ऑपरेशन सिंदूर चला रहे थे। उसने तब मीटिंग भी बुलाई थी और ऑपरेशन सिंदूर के विषय में भारत की डिप्लोमेसी ने उसको उसी यूएससी के अंदर अलग-थलग कर दिया था। 14 सदस्यों ने में से किसी ने भी उसका साथ नहीं दिया था। 14 मैं कहता हूं पांच स्थाई और 10 अस्थाई और वो 10 में पाकिस्तान शामिल है। तो बाकी के 14 बचते हैं पाकिस्तान को छोड़कर। उन्होंने इसका समर्थन नहीं किया था। इसका मतलब है भारत की डिप्लोमेसी कितनी स्ट्रांग है। अब वो अगर वहां प्रिसाइड भी करेगा तो क्या यूएएससी यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल के बाकी सदस्यों केपरे चला जाएगा वो यूनिलटरल कर लेगा अकेले कर लेगा।
इसलिए जब सवाल खड़ा करती है कांग्रेस तो उसको यह सोचना भी चाहिए कि भारत की डिप्लोमेसी आज कितनी स्ट्रांग है कि यूएससी का सदस्य होने के बावजूद वहां 15 में से 14 सदस्यों ने पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के समय पर धता बताई थी और कहा था कि लश्कर तैबा और जैश-ए-मोहम्मद क्या तुम्हारे आउटफिट नहीं है क्या? तुम्हारे ऑर्गेनाइजेशन नहीं है क्या? तुम्हारे देश में भरण पोषण नहीं होता। जाओ पहले उनको बंद करो। बाद में सिक्योरिटी काउंसिल में बात करना।
लेकिन उनको किसी को भारत के अंदर हो रहे षड्यंत्र दिखाई नहीं देते।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने एक स्टेटमेंट दे दिया। उन्होंने कहा आर्टिकल 370 खत्म किया गया या 35 कैपिटल ए या कॉन्स्टिट्यूशन जम्मू कश्मीर का खत्म किया गया। ये डॉक्टर अंबेडकर के विचार के अनुरूप है। क्योंकि अगर आप कॉन्सिट्यूशन असेंबली डिबेट पर जाएंगे तो वहां पर मिलेगा कि डॉ अंबेडकर एक संविधान बनाने में सफल हो गए। लेकिन पाक लेकिन जो जम्मू कश्मीर का हिस्सा था वो नेहरू जी की वजह से अलग संविधान बनाने में सफल रहा था। अलग संविधान वो एक्चुअली इनलार्ज स्टेट लिस्ट थी। यानी कि राज्य की जो लिस्ट है वो वहां बनाने का रख दिया गया था। अब वो नेहरू जी का कितना बड़ा फॉल्ट था कि उन्होंने उस समय बनने दिया। लेकिन डॉ. अंबेडकर तो एक ही संविधान के पक्ष में थे। तो सवाल ये पैदा होता है क्या चीफ जस्टिस जो कि डॉक्टर अंबेडकर के स्पेशलिस्ट हैं उन्होंने अगर डॉक्टर अंबेडकर के स्टेटमेंट उनकी मनोभावना के अनुसार ये अनुरूप ये कह दिया कि आर्टिकल 370 का अब्रोवेशन जो केंद्र सरकार ने किया है वो डॉक्टर अंबेडकर की भावना के अनुरूप किया है चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कह दे वो भी दलित चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कह दे वो भी एक पब्लिक कार्यक्रम में कहे ये भारत में कैसे बर्दाश्त हो सकता है नतीजा निकला कि भारत में पांच लोगों ने एक चिट्ठी लिखी। वो पांच लोगों के नाम जब आपको पता लगेंगे तो समझ में आएगा कि आखिर ये क्या करना चाहते थे। आखिर इनके मन में क्या चल रहा था। वो पांच लोगों ने चिट्ठी लिखी।हम सब जानते हैं ये चिट्ठी गैंग भारत में चल गया है। हम ये भी जानते हैं कि पीछे अवार्ड वापसी गैंग भी चल गया था। अवार्ड वापसी गैंग को मनाने के लिए भारत सरकार गई नहींथी।
एबर्ट वापसी गैंग के बाद वो चिट्ठी गैंग चल गया है और चिट्ठी गैंग लगातार चिट्ठी लिखकर विश्व को बाहर निकालता है। विश्व को बाहर केवल नहीं निकालता। वो ऐसे समय पर चिट्ठी लिखता है कि कि हो सकता है कि इनकी चिट्ठियों की वजह से पाकिस्तान को लाभ हो जाए और पाकिस्तान इन चिट्ठियों का हवाला देते हुए इंटरनेशनल भूमिका में आ जाए। कौन थे? उस समय फॉर्मर होम यूनियन होम सेक्रेटरी गोपाल पिल्लय फॉर्मर मेजर जनरल अशोक मेहता फॉर्मर एयर वाइस मार्शल कपिल काक जो कश्मीरी हिंदू हैं फॉर्मर मेंबर ऑफ इंटरलोकेटर्स जम्मू कश्मीर राधा कुमार जिनको बीच में ही छोड़ना पड़ा था क्योंकि उनके विषय में एक एक सदस्य अंसारी ने इंटरनेशनल मंच पर कह दिया था कि तुम तो सेपरेटिस्टों से मिली हुई हो या मिले हुए हो या जो भी राधा कुमार फॉर्मर यूनियन सेक्रेटरी इंटरस्ट काउंसिल अमिताभ पांडे ये पांच लोगों ने चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिख दी। चीफ जस्टिस को ये तो कह नहीं सकते कि आपने स्टेटमेंट ये क्यों दे दिया लेकिन चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर मैटर तो हॉट कर दिया और मैटर हॉट इतना कर दिया कि पाकिस्तान उसका चूंकि यूएस में पाकिस्तान इस समय चेयर कर रहा है। भारत की रोटी खाते हैं। भारत का नमक खाते हैं। और इनकी चिट्ठी का इस्तेमाल वह वहां करें तो फिर जम्मू कश्मीर का इशू उठाने में पाकिस्तान को आसानी हो जाए। इन इन सब की खास बात हमको समझनी चाहिए कि आखिर यह कौन कितने पानी में है और क्यों है। मैं सबसे पहला गोपाल कृष्ण पिल्लई की बात अगर करूं तो ये 2009 से लेकर 2011 तक भारत के होम सेक्रेटरी रहे। केरला के रहने वाले हैं। लेकिन इनका अगर इतिहास देखोगे 2016 में इन्होंने इशरत जहां एनकाउंटर पर सवाल उठा दिए। इशरत जहां एनकाउंटर का मतलब वही जिस पर कुछ लोग बिहार की बेटी बता रहे थे, कुछ भारत की बेटी बता रहे थे, कुछ गलत मार दिया ऐसा बता रहे थे। ये इनमें भी ये भी शामिल थे। ये इंसिस्टेंस ऑन आईएसआई बैक मिलिटेंसी ये 2011 में ये उस पर भी अपना उल्फाशुल्फा कुछ अपना इधर-उधर का मिला कर रहे थे। कुल मिला के आता है कि मोस्ट ये देश के जो जो इस तरह का माहौल जो है आवाज उठाने वाले उनमें ये शामिल है। कंट्रोवर्सियों में रहते हैं। मणिपुर क्राइसिस में इन्होंने कह दिया कि भारतसरकार तो मैती का साथ दे रही है
अशोक मेहता साहब इंडियन आर्मी के हैं। मिलिट्री का जीवन भर का करियर रहा। इनका इनकी खास बात यह है कि यह कारगिल के पॉइंट पर अपने प्रश्न करते हैं। ऑपरेशन पराक्रम पर क्रिटिसाइज करते हैं।ऑपरेशन पराक्रम भारत सरकार ने चलाया उस पर ये बात करते हैं। इनका पुराना इतिहास बड़ा है। खैर इन्होंने चिट्ठी में शामिल हुए। कपिल काक मैं मुझे जहां तक याद है गिलगिट से आए तमाम बुद्धिजीवियों और कानून के जानकारों ने शिरकत की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील जी के दुबे ने कहा कि कोई भी प्रेसिडेंशियल ऑर्डर तब तक कानून नहीं बन सकता जब तक उसे संसद में पास नहीं कर दिया जाता लेकिन आर्टिकल 35 ए आज तक संसद में पास नहीं हुआ उसके बाद भी कानून की शक्ल में मौजूद है पूरी तरह से गलत है कश्मीरी पंडित अपने को कहते हैंकश्मीरी हिंदू होने के नाते कश्मीर का जम्मू कश्मीर में प्रोग्रेसिव लेजिसलेशन नहीं जा सकता उन्होंने प्रिविलेज की बात कही है वी विल प्रोवाइड जम्मू कश्मीर प्रिविलेज में भारत सरकार अगर यहां पर राइट टू एजुकेशन पास करती है राइट टू इन पास करती है तो राइट टू एजुकेशन राइट टू इन और दुनिया भर के जो कानून भारत में प्रोग्रेसिव लेजिलेशन के रूप में बनते हैं देश के विकास के लिए वो जम्मू कश्मीर में नहीं जा पाते क्योंकि कॉन्स्टिट्यूशन ऑर्डर 1954 उसको मना कर देता है वो कहता है कि जो भी कानून भारत सरकार बनाएगी वो कानून जम्मू कश्मीर में सीधे नहीं जाएंगे ऐसे क्रिटिक्स यह 1954 का कॉन्स्टिट्यूशन ऑर्डर है जिसमें वो 368 68 में भी यह कहता है कि जो अमेंडमेंट होगा ना संविधान में वो अमेंडमेंट जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होगा। इनके पास सवाल इनके पास जवाब नहीं थे।
राधा कुमार मेंबर इंटरलोटर लोकेटर्स फॉर जम्मू एंड कश्मीर इंटरलोटर पीछे तो साहब ने 2010-11 में बनाया था। उसमें यह सदस्य थे। इनकी खास बात यह थी कि इंटरनेशनल मंच पर एमएम अंसारी साहब ने एक स्टेटमेंट दे दिया था और एमएम अंसारी के स्टेटमेंट की वजह से एमएम अंसारी ने ऐसा स्टेटमेंट दिया। उन्होंने कहा कि ये मिले हुए हैं मिलिटेंट से या ये सेपरेटिस्टों के साथ मिले हुए हैं। सेपरेटिस्टों के साथ मिले होने का मतलब इन्होंने इनके ऊपर सवाल खड़े किए। बाद में इन्होंने इस्तीफा दे दिया। आर्टिकल 370 के विषय में ये इनको बड़ा दर्द हुआ और इन्होंने जाकर यह भी उसमें शामिल हो गए। उन गैंगों में जो इंटर एंटीनेशनल या बायस मैं कहूं इंटरनेशनल किसको कहूं इनका अपना इंटरप्रिटेशन होगा। बाकी मेरे अपने इंटरप्रिटेशन है। यह तमाम तरह के प्रश्न खड़े होते हैं। अमिताभ पांडे यह यह भी वह व्यक्ति हैं। उसी ग्रुप के व्यक्ति इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के हैं। ये भी उनमें शामिल है। इन पांच लोगों ने चिट्ठी लिखी और चिट्ठी लिखकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से कहा कि जिस समय 370 का सुनवाई चल रही थी। कि आर्टिकल 370 की सुनवाई के समय पर हम सब जान रहे हैं कि उस समय ऑनरेबल और संजीव खन्ना साहब ने उस समय चीफ जस्टिस ने कहा था और उस समय सॉलिसिटर जनरल ने कहा था एस सून एस पॉसिबल हम इसका स्टेटहुड मेंटेन करेंगे जल्दी से जल्दी चुनाव करवाएंगे तो चुनाव तो करवा दिए गए हैं लेकिन स्टेटहुड नहीं दिया जा रहा है जम्मू कश्मीर या अनक्स्टिट्यूशन जबकि कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ये कह चुकी है कि कॉन्स्टिट्यूशनली पार्लियामेंट को पावर है।बेंच और उसने निर्णय में कहा हमने वहां सिद्ध किया कोर्ट ने स्वीकार किया और कोर्ट ने ऑर्डर किया लेकिन साहब अनकस्टिट्यूशनल अभी भी बता रहे हैं ये लोग अभी भी बता रहे हैं कि साहब स्टेटहुड का ये वो सवाल खड़े कर रहे हैं।
एक तो चीफ जस्टिस ने बोला इनका काउंटर और दूसरा कहीं जम्मू एंड कश्मीर विषय वो जो पाकिस्तान उठाना चाहता है इनका लेटर वो ग्राउंड तो नहीं बनेगा ये ग्राउंड बनाकर इंटरनेशनल सिनेरियो में रखना चाहते क्योंकि बड़ी डेजिग्नेटरी भारत की है। भारत के बड़े ओदों पर रहे हैं। इंटरनेशनलमंचों पर इसलिए जाते हैं क्योंकि अच्छे क्रिटिक हैं भारत के। लेकिन क्या इनको भारत अक्षुण रास नहीं आता? यह भी एक सवाल है।
अब उसमें तो सवाल नहीं खड़ा कर सकते। लेकिन इंटेंशन क्या है? इस पर सवाल खड़ा हो सकता है। आप सोच कर देखिए चटगांव बंदरगाह। इधर बांग्लादेश षड्यंत्र कर रहा है। चटगांव बंदरगाह। चरगांव बंदरगाह पर उनकी नेवी ने उसको ले लिया है। फिर वहां रडार सिस्टम से इस समय उसकी गहराई और उसका सब काउंट किया जा रहा है। यह कहा जाता है कि उसकी गहराई में कितने वॉरशिप्स आ सकते हैं। कितने बड़े-बड़े शिप वहां खड़े हो सकते हैं। कितने वॉरशिप वहां से निकल सकते हैं। उसके लिए क्या-क्या जरूरत है? अंदाजा यह है कि बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ और चाइना के साथ मुहिम खड़ी करके यह सब कुछ कर रहा है। मोहम्मद यूनुस लगातार कोशिश कर रहे हैं कि वहां पर वॉरशिप्स होते हैं वो चलाए जा सके। बांग्लादेश तो इस स्तर पर तैयारियां कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप मुनीर को बुलाकर मोदी जी को बुलाकर फोटो खिंचाना चाहते थे कि भैया मैंने करवा दिया और इधर मोदी जी क्रिटिसाइज होतेआडवाणी जी बन जाते नए और आडवाणी जी बन जाते तो मोदी जी का रास्ता इधर से कहीं आडवाणी जी की तरह चल जाता। जैसे वो जिना के मजार पर चले गए थे। ऐसे ही मोदी जी अगर डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी में चले जाते।मुनीर के साथ डोनाल्ड ट्रंप फोटो खिंचवा लेते। मतलब मोदी जी की दशा यहां खराब हो जाती। सरकार संकट में आ जाती और सरकार संकट में आती तो फिर क्या खेल खेलते कांग्रेसी और इनके साथ मिलकर यह भविष्य है। पाकिस्तान असीम मुनीर के साथ लगातार खेल खेल ही रहा है। असीम मुनीर अपने यहां लोगों के सेमिनार और तमाम तरह की रिसर्चें, स्कॉलरशिप प्रोनाउंस कर रहा है यह सिद्ध करने के लिए कि पाकिस्तान जीता है। कश्मीर कॉज के लिए जो लोग वहां बलिदान कर रहे हैं जो जा रहे हैं हम उनके साथ खड़े हुए हैं उनकी कुर्बानी में व्यर्थ नहीं जाने देंगे और वो टेररिस्ट नहीं है। आप सोचो 29 लोगों को मारने वाले सीधी गोली मारने वाले टेररिस्ट नहीं है। वो कहता है वो कश्मीर कॉज के लिए लड़ रहे हैं।बताने की कोशिश की कि षड्यंत्रों से भरा पड़ा है भारत। षड्यंत्रकारियों से घिरा पड़ा है भारत।
हमें बाहर दुश्मन ढूंढने की आवश्यकता नहीं वो तो दिखता ही है। अंदर भी दुश्मन हैं जिनको ढूंढकर चिन्हित करके इलिमिनेट करने की आवश्यकता है। ये मैंने आपको बताने की कोशिश करी। कितना विषय दुनिया के सामने जा पाएगा। कहां तक जा पाएगा? यह तो भविष्य बताएगा। लेकिन मैं चाहता हूं कि ये घर-घर जाए। लोगों को पता लगे, एनालिटिक्स पता लगे कि आखिर क्या खेल भारत के साथ खेला जा रहा है।
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