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Sunday, April 15, 2018

EXPERIMENT WITH SOCIALISM

                                                  Think about it a little serious.
In one of his statements, a professor of economics at a local college said -
"He never failed a student before, but recently he has failed the whole class of a whole."
Because that class has firmly said that "socialism will be successful and neither will anyone be poor nor will there be any rich" a great principle of stuffing everyone!
Then the professor said - well okay! Let us do an experiment according to socialism in the class. "The average of different grades of all the students who will be successful will be taken out and they will all be given the same grade"
After the first test, the average of all grades was taken out and each student received B grade.
The students who worked hard had become upset and those who had less education were happy.
For the second examination, the lesser students had already studied less and studied hard and the hard work done by them, they decided that they would also get a free grade and they also studied less.
The grade of the second test was l
So there was no happiness
When the third test took place, grade F became.
As the exams started moving forward, the score never went up, but nobody reads as a result of mutual discord, accusation, abuse and mutual discontinuity, because no student would be uncomfortable with others. Wanted
In the end, all surprisingly failed and the professor told them that in the same way "socialism" will eventually fail, because the reward is huge when the enterprise to be successful will be very big. But when the government Nobody will want to be successful and neither will try to be successful.
The following five best verses apply to this experiment.
1. You can not make the law of enriching a poor person by expelling him from prosperity.
2. The person who receives something without doing the job, is certainly stripped of the reward of another person who is diligent and given it.
3. The Government can not give any object to anyone unless it takes away that item from any other person.
4. You can not increase the wealth by sharing it.
5. When half the population of a nation realizes that it does not have to do any work, because the rest of the population is doing its maintenance and the other half of the population is not doing any good work thinking that the fruits of his work Getting someone else,
So the end of that nation begins.
If you understand, then share

Thursday, March 15, 2018

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Monday, March 12, 2018

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Friday, March 2, 2018

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Wednesday, February 21, 2018

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Sunday, February 18, 2018

बैंक लोन : तेरी लुटाई , हमारी मलाई

बैंक लोन : तेरी लुटाई , हमारी मलाई
यह यूपीए व कांग्रेस के नेताओं के लिए घोर आश्चर्य था कि 2004 से 2009 के कुशासन के बाद भी कैसे वे पुनः 2009 में केंद्र सत्ता में आ गए। शायद इसमें तेजहीन हो चुके भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का अधिक योगदान रहा। इसी कारण सोनिया गांधी का आडवाणी व चौकड़ी ( जेटली, सुषमा, वेंकैया व अनंत) से ख़ास लगाव रहा। मोदी खेमे ने जब राजनाथसिंह व मोहन भागवत को शीशे में उतारा तो चौकड़ी का चक्रव्यूह टूटा। किंतू जेटली का कांग्रेस प्रेम रह रह कर छलकता रहता है। हद तो इस बार बजट के बाद जेटली द्वारा अपने पिटठू इंडिया टीवी को दिए गए साक्षात्कार में हुई जब जेटली के पीछे दीवार पर नेहरू की फ़ोटो टंगी थी।
यूपीए के नेताओं को भरोसा था कि वे सन 2014 को लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाएंगे तो लंपटों की फौज ने देश को हर स्तर पर लूटने का खेल रचा। हर क्षेत्र में घोटाले जगजाहिर है। सोनिया " मिसेज 10 परसेंटेज" बन गयी और जिसने हिस्सा दिया उसे लूट की खुली छूट दी गयी। 52 लाख करोड़ के बैंक लोन भी इसी नीति के तहत बांटे गए। जिस प्रकार पीएनबी घोटाले से जाहिर हुआ कि भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं द्वारा विशेषकर यूरोप में ऋण दिए गए ऐसे दर्जनों और खेल खेले गए और लाखों करोड़ रुपए यूरोप व अमेरिका की मंदी की शिकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इटेलियन सोनिया मेनिया ने बंटवाए। डायलॉग इंडिया ने जनवरी,सन 2013 में ही रिजर्व बैंक से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बताया था कि कैसे हम आयात आधारित अर्थव्यवस्था में बदल चीन, आसियान देशो, अफ्रीका, यूरोप व अमेरिका का भला कर रहे हैं। अपने संसाधन व लोन उन पर लुटा रहे हैं।साथ ही 12 लाख करोड़ के लोन इसी खेल के कारण NPA में बदलने जा रहे हैं, मगर किसी ने इसे मुद्दा नहीं बनाया।
मौलिक भारत की ओर से मैंने सन 2014 में मोदी सरकार आने के बाद मांग की थी कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र जारी करे ताकि अर्थव्यवस्था ओर बैंकिंग व्यवस्था की स्थितियां पारदर्शी रूप से देश की जनता के सामने आ सकें। किंतू मोदी- जेटली की जोड़ी ने ऐसा नहीं किया। मोदी जी विभिन्न साक्षात्कारों में तर्क देते रहे कि ऐसा करने से हमारी अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग व छवि खराब हो जाएगी। मोदी सरकार ने इसकी जगह यूरोप की सरकारों (लोन के नाम पर) को दबाब में लिया व अपनी नीतियों का समर्थन करवाया। देशी व प्रवासी भारतीय उद्योगपतियों को कार्यवाही न करने का लालच दे अपने पाले में किया। ऐसा करने के साथ ही उन लोगो के सामने शर्त रखी कि कांग्रेस पार्टी व यूपीए को कोई चंदा नहीं देंगे ( सिर्फ भाजपा को ही देंगे)। दूसरी ओर बैंकिंग सिस्टम के कानून सख्त बना आगे किसी घपले, घोटाले व लूट को मुश्किल बना दिया, बैंक कर्मियों की जबाबदेही तय की और दबाब बनाकर डूबे हुए लोन का 25 से 30 प्रतिशत तक वसूल भी कर लिया। तीसरे नोटबंदी लागूकर बैंकिंग व्यवस्था को पुनः मजबूत बनाया और अब जीएसटी व डिजीटलीकरण से स्वच्छ व पारदर्शी बना रहे हैं।
बात पुराने पापियों की है जिन्होंने कांग्रेस व यूपीए के नेताओं के साथ मिलकर बैंकिंग सिस्टम को ध्वस्त किया और भाजपा व एनडीए नेताओं को उस लूट का हिस्सा देकर गलबहियां की। इन पापियों के पापों की फाइलें कांग्रेस नेताओं के पास भी है और मोदी सरकार के पास भी। कांग्रेस की रणनीति दबाब बना अपने पाले से छूटे इन "पुराने पापियों" से पुनः सेटिंग करने की है। इस कड़ी में देर सवेर इनमें से कुछ कीपोल पट्टी जनता के सामने आनी ही है ताकि बाकी पर दबाब बना सौदेबाजी की जा सके। साथ ही चुनावी राजनीति में चुनावों के समय इन पापियों के पापों की पोल खोलकर राजनीतिक दल जनता को भ्रमित कर सत्ता हथियाने के खेल खेलते हैं और बाद में जनता की आंखों में धूल झोंककर इन्हीं पापियों से सौदेबाजी कर लेते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने संसद को हाल ही में बताया था कि यूपीए सरकार ने कुल 52 लाख करोड़ रुपये ऐसे ही बांटे अपने 10 साल के कार्यकाल में। उन्होंने कहा था कि हमारे पास पूरी सूची है गड़बड़ी करने वालो की। यह लोकसभा चुनावों का बर्ष है व कांग्रेस इस लूट की जिम्मेदारी भाजपा पर डालेगी, ऐसे में अभी तो ऐसे अनेको बड़े बड़े घोटाले व मामले सामने लाएगी। बेहतर होता सरकार स्वयं ही घोटालेबाजो की सूची जारी करे और यूपीए के पापों को न ढोये। लुटेरों पर कड़ी कार्यवाही व उनसे किसी भी प्रकार की सहानुभूति न रखने में ही मोदी सरकार की भलाई है। जो प्यार भाजपा नेताओं ने पुराने पापियों से दिखाया है कुछ ऐसा ही प्यार दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने प्रवासी गुप्ता बंधुओं से दिखाया था और हासिल ही में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा व सत्ता गवानी पड़ी।
जनता बेचारी वज्र मूर्ख ही रहनी है। अस्तित्व के संघर्ष में उलझे लोगों के लिए यह उसकी समझ से बाहर ही रहेगा कि रुपया आता कहां है और जाता कहां है और मजे लेने वाले मजे लेते रहेंगे

Wednesday, December 20, 2017

सोनिया ने बनाया था BJP को गुजरात मे हराने के प्लान

मोदी को हराने के लिए कांग्रेस ने दिया था ओबामा को हराने वाली कंपनी को ठेका, बर्बाद हुए रुपये

Posted: 19 Dec 2017 12:35 AM PST

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गुजरात में मोदी को हराने के लिए कांग्रेस ने बहुत बड़ी ताकत लगायी थी, उन्होंने उस कंपनी को ठेका दिया था जिसने अमेरिका में ओबामा समर्थक हिलेरी क्लिंटन को हराया था और डोनाल्ड ट्रम्प को जीत दिलवाई थी, हम बात कर रहे हैं कैम्ब्रिज एनालिटिका की. कांग्रेस ने गुजरात में मोदी को हराकर दुनिया भर में उनकी छवि खराब करने के लिए इसी कंपनी को ठेका दिया था, यह डील दो साल पहले ही की गयी थी. कंपनी ने दो साल पहले ही काम शुरू कर दिया था.

कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी के कहने पर ही डेढ़ साल पहले कांग्रेस ने हार्दिक पटेल के जरिये पाटीदार आन्दोलन खड़ा करवाया, उन्हें और हार्दिक पटेल को पता था कि पटेलों को आरक्षण कभी नहीं मिल पाएगा उसके बावजूद भी पटेलों को आरक्षण का लालच दिखाकर उन्हें बीजेपी के खिलाफ भड़काया गया. कैम्ब्रिज एनालिटिका की यह कोशिश कामयाब रही और पाटीदारों ने कांग्रेस को वोट दिया. पाटीदारों के प्रभुत्व वाले सौराष्ट्र क्षेत्र में कांग्रेस को बीजेपी से अधिक सीटें मिलीं. अगर आपको शक हो रहा है तो सोचिये, हार्दिक पटेल को सैकड़ों रैलियों के लिए पैसे कहाँ से मिले, क्या उन्होंने अपने घर में रुपये छापने के लिए मशीन लगा रखी, हर रैली में 10-20-50 लाख रुपये खर्च किये गए और टोटल अरबों रुपये खर्च किये गए.


कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी के कहने पर ही कांग्रेस ने अल्पेश ठाकोर के जरिये OBC आन्दोलन खड़ा किया, OBC ने पटेलों को आरक्षण देने का विरोध करने के लिए आन्दोलन किया था और धीरे धीरे उनके मन में पटेलों के खिलाफ नफरत पैदा की गयी. इसके बाद अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हो गए तो उनके समर्थक भी कांग्रेस के साथ हो गए जबकि उन्होंने पटेलों के खिलाफ आन्दोलन किया था, इस तरह से कांग्रेस को पटेलों के भी वोट मिल गए और OBC के भी. अल्पेश ठाकोर के प्रभाव वाले क्षेत्रों में कांग्रेस को बीजेपी से अधिक सीटें मिलीं.

कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी के कहने पर ही जिग्नेश पटेल के जरिये दलित आन्दोलन खड़ा किया, पहले दो चार दलितों को गौ-हत्या के नाम पर पिटवाया गया और बाद में बीजेपी पर आरोप लगाकर दलितों को बीजेपी के खिलाफ भड़का दिया गया, कैम्ब्रिज एनालिटिका की यह कोशिश भी कामयाब रही और दलित बीजेपी के खिलाफ हो गए. जिग्नेश मेवानी के प्रभुत्व वाली सीटों पर कांग्रेस को बीजेपी से अधिक सीटें मिलीं.

कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ बीजेपी को गुजरात में हराने की डील दो साल पहले हुई और तीनों आन्दोलन डेढ़ साल पहले हुए, मतलब जब कैम्ब्रिज एनालिटिका ने 6 महीनें में गुजरात के माहौल का अध्ययन किया और उसके बाद तीनों नेताओं को काम में लगा दिया गया, तीनों नेताओं ने एक साल में जातिवादी आन्दोलन खड़ा किया और 6 महीनें पहले बीजेपी के खिलाफ माहौल तैयार हो गया.

इसके बाद कांग्रेस ने धीरे धीरे तीनों नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया जो कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी की रणनीति के तहत पहले से ही फिक्स था. इसका उदाहरण आप समझिये, पहले अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हुए तो हार्दिक पटेल ने उन्हें बधाई दी जबकि अल्पेश ठाकोर ने हार्दिक पटेल के खिलाफ ही OBC आन्दोलन शुरू किया था. इसके बाद जिग्नेश मेवानी ने कांग्रेस को समर्थन दिया, उसके बाद हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को समर्थन दिया. यह सब पहले से ही तय था.

इसके बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर इसाई पादरी से यह फतवा जारी करवाया गया कि राष्ट्रवाद की राजनीति करने वालों को सबक दिखाएं, आपके पास मौका आया है, गुजरात से पूरे देश में सन्देश देने का मौका आ गया है. पादरी ने ईसाईयों को कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी.

इसके बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर कश्मीर के मुस्लिम कट्टरपंथी सलमान निजामी को गुजरात चुनाव प्रचार में उतारा गया जिसमें कट्टरपंथियों के वोटों को कांग्रेस की तरफ मोड़ा. यही नहीं कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर पाकिस्तान के पूर्व सेना अध्यक्ष ने गुजरात में पहले ही कांग्रेस की जीत की मुबारकवाद दी ताकि मुस्लिम वोट सिर्फ कांग्रेस को मिलें.

इसके बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर चुनाव से 1 महीनें पहले राहुल गाँधी ने अचानक मंदिरों का दौरा शुरू कर दिया, खुद को शिवभक्त बताना शुरू कर दिया, खुद को जनेऊधारी हिन्दू बताना शुरू कर दिया, ऐसा इसलिए ताकि सॉफ्ट हिंदुत्व की विचारधारा वाले लोग कांग्रेस को वोट दें. राहुल गाँधी ने खुद को शिवभक्त इसलिए बताया क्योंकि गुजरात में शिव को अधिक माना जाता है, सोमनाथ मंदिर वहीं पर है, उन्हें इसका फायदा भी मिला क्योंकि सोमनाथ जिले की चारों सीटें कांग्रेस को मिलीं.

कैम्ब्रिज एनालिटिका की वजह से ही कांग्रेस को गुजरात में 77 सीटें मिली हैं, अगर अंत में मोदी रैलियां ना करते और इसे गुजरात की अस्मिता का सवाल ना बनाते तो कांग्रेस को कम से कम 150 सीटें मिलतीं क्योंकि उनके पास दलित, पटेल, OBC, मुस्लिम, नरम हिन्दू, कट्टरपंथी, इसाई वोट थे जबकि बीजेपी के पास सिर्फ विकास चाहने वालों के वोट थे.

कैम्ब्रिज एनालिटिका ने कांग्रेस की जीत के लिए सभी गोटियाँ भिड़ा रखी थीं, गुजरात के लोग उनके जाल में फंस भी गए थे लेकिन अंत में मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां करके नतीजों को बीजेपी के पक्ष में मोड़ दिया, मोदी की सिर्फ विकास की वजह से जीत हुई है, उन्हें सिर्फ चार शहरों ने जितवाया है - अहमदाबाद, सूरत, राजकोट और वड़ोदरा. चारों शहरों में ही बीजेपी को 50-60 सीटें मिली हैं. अगर मोदी ने शहरों का विकास ना किया होता तो बीजेपी की हार तय थी लेकिन मोदी ने अपने दमपर चुनाव जितवाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका को भी हरा दिया.

कैम्ब्रिज एनालिटिका कैसे करती है काम

कैम्ब्रिज एनालिटिका फेसबुक के साथ मिलकर काम करती है, फेसबुक पर किसी राज्य के लोगों का पूरा डाटा लिया जाता है जिसे सोशल प्रोफाइलिंग कहते हैं, यहाँ पर देखा जाता है कि लोग सोच क्या रहे हैं, लोग कमेन्ट क्या करते हैं, लोग अपनी सरकार के बारे में क्या राय देते हैं, उसके बाद सरकार विरोधी लोगों की लिस्ट बनाई जाती है और उनके पास सरकार विरोधी ट्वीट किये जाते हैं ताकि वो उसे शेयर करें. धीरे धीरे सरकार के विरोध में लहर तेज की जाती है, लोगों के दिमाग में धीरे धीरे झूठ के जरिये सरकार के प्रति गुस्सा भर दिया जाता है और वह सरकार के विरोध में वोट देते हैं, ऐसा ही गुजरात में हुआ है. कांग्रेस के IT सेल में इस बाद करीब 1000 लोग काम कर रहे थे जो रोजाना बीजेपी के खिलाफ झूठे ट्वीट, झूठी तस्वीरें, झूठे आंकड़े, झूठे दावे पोस्ट करते थे, कांग्रेस की टीम इतनी बड़ी थी कि सिर्फ पांच मिनट में वह किसी भी चीज को टॉप ट्रेंड में ला देते थे.

बर्बाद हुए कांग्रेस के रुपये

कांग्रेस ने गुजरात जीतने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया, सबसे बड़ी और मंहगी कंपनी को ठेका दिया, हर जतन किये लेकिन मोदी की वजह से कांग्रेस का पूरा पैसा बर्बाद हो गया.

2019 लोकसभा जीतने के लिए फिर से कैम्ब्रिज एनालिटिका को ठेका

अब कांग्रेस ने 2019 में भी इसी कंपनी को ठेका दे दिया है क्योंकि इसी कंपनी की वजह से कांग्रेस ने गुजरात में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है. लोकसभा चुनावों में अभी डेढ़ साल बचे हैं, अब इस कंपनी के कहने पर हर राज्य में जातिवादी आन्दोलन खड़े किये जाएंगे, राजस्थान में गुर्जर आन्दोलन, हरियाणा में जाट आन्दोलन, गुजरात में पटेल आन्दोलन, धीरे धीरे देश को आन्दोलन की आग में झोंककर 2019 में मोदी को हटाने का अभियान शुरू शुरू हो जाएगा.

The frequent judicial interventions by the Supreme Court of India

 ### Summary This Article presents a detailed critique of the frequent judicial interventions by the Supreme Court of India in administrati...