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Thursday, July 21, 2016

मोदी जी का तुरप का इक्का - योगी आदित्यनाथ

मोदी जी का तुरप का इक्का - योगी आदित्यनाथ
मायावती प्रकरण पर भाजपा ने जितनी तुरत फुरत अपने उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को पार्टी से बर्खास्त किया उससे महिला नेत्रियों के खिलाफ अपशब्द बोलते रहने वाले कांग्रेस, सपा, बसपा और आआपा के अन्य नेताओ की बर्खास्तगी पर भाजपा हमलावर हो सकती है। योजनाबद्ध तरीके से सपा,बसपा और कांग्रेस जिस प्रकार जाति और मुस्लिम कार्ड खेल रहे हें, उससे भाजपा के लिए खुले रूप से हिन्दू कार्ड खेलने का रास्ता साफ़ हो गया है। अब योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश चुनावों में भाजपा का मुख्यमंत्री घोषित करने भाजपा के लिए औपचारिकता भर रह गया है। प्रधानमन्त्री मोदी की जल्द ही गोरखपुर में होने वाली रैली में यह घोषणा होने की पूरी संभावना है, अन्यथा संसद सत्र के बाद यह हो जायेगा। गोरखपुर में AIIMS की स्थापना हेतू आज 1000 करोड़ रूपये के आवंटन को केंद्रीय मंत्रिमण्डल की स्वीकृति और योगी आदित्यनाथ की मोदी की टीम द्वारा ट्रेनिंग/ ग्रूमिंग की खबर भाजपा और यू पी की राजनीति में तूफान मचाने जा रही हें।

Monday, July 18, 2016

OPEN LETTER TO DEPARTED TERRORIST BUR HAN WANI BY VETERAN MAJOR ARYA

Here's FULL TEXT of the open letter
Dear Departed,
Ever since you were terminated in a forces-led operation in the Valley, 23 people have died. I don’t know why they died. The majority were possibly overcome with grief and fury and wanted to avenge your death. That did not happen, for obvious reasons. A policeman was thrown along with his vehicle into a river and he drowned. I grieve with your family and with the families of all those who lost their lives. Despicable though you may have been, I cannot find it in my heart to blame your family.
You could have been an engineer, a doctor, an archeologist or a software programmer but your fate drew you to the seductive world of social media, with its instant celebrity hood and all encompassing fame. You posted pictures on the internet with your “brothers”, all you fine young Rambos holding assault rifles and radio sets. It was right out of Hollywood. Your rifle’s fire selector switch was set to “safe” and your weapon rested on your shoulder. I know it’s too late to advise you on such matters, but NEVER do that in an operational area.
The day you started with your social media blitzkrieg, you were a dead man. You encouraged young men of Kashmir to kill Indian soldiers, all from behind the safety of your Facebook account. Your female fan following was delirious. You were a social media rage. Unknown to you, there was probably some nerd with a laptop sitting in HQ XV Corps, tracking you 24/7. You died when you were 22. Had you survived this operation, you would have died when you were 23. Just a different date on the calendar, that’s all. The intensity of violence and the result would have been the same.
I wish we had met and I could have explained to you (before killing you) that the old men of the Hurriyat Conference are like leech. They feed on the blood of men. They send young Kashmiris to face the Indian Army. What sort of a war is this, where lambs are sent to fight lions?
I would have shown you the sheer duplicity of the Hurriyat, with their sons living abroad, pursuing professions other than jihad. Name one relative of Syed Ali Geelani, the head of the Hurriyat Conference, who is fighting the so-called Indian “occupation”? His son Nayeem Geelani is a doctor in Rawalpindi, and lives under the patronage of the Pakistani ISI. Zahoor, his second son, lives in South Delhi. Mirwaiz Umar Farooq’s sister Rabia is a doctor in the US. Mariyam Andrabi, sister of head of the radical Dukhtran-e-Millat, Asiya Andrabi, along with her family lives in Malaysia. Every Kashmiri separatist leader’s daughter or son is rich and safe, outside Kashmir. Jihad is for other people’s sons.
And your parent’s son is dead. Dead from a 7.62 mm full metal jacket round to the head.
Kashmir’s young and restless blame the security forces for killing them. But they never question the Hurriyat. No one asks Syed Ali Geelani why Burhan Wani is not from his family.
Pakistani media was ecstatic when Kashmiris celebrated Eid this year along with Pakistan and not with the rest of India. This was reported as a blow to the unity of India. This is the first time in the 1400 year history of Islam that Eid was declared, not by witnessing the Shawwal moon, but by looking towards Pakistan. Well done.
The Hurriyat has nothing to do with Kashmiris. This unrest, this bloodshed is just another business. If not, I would like to see the list of martyrs from the Hurriyat leadership’s families.
The Hurriyat knows too well that Kashmir has fallen off the map of the world’s attention. No one cares and everyone knows that it is an artificially manufactured conflict. The Kashmir dispute exists because it is an inexpensive way for Pakistan to keep Indian forces bogged down in the valley.
You were a terrorist. You chose to wage war against India. Like for all other such perpetrators in the past, it didn’t go too well for you. When you choose to fight against the Indian Army, know this; THEY WILL KILL YOU.
Your supporters now want blood. So be it.
Cheers! 

Thursday, July 14, 2016

मी लार्ड यह बात कुछ हज़म नहीं हुई ! -#अनुज अग्रवाल

अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार की बहाली के निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा कि
" राज्यपाल का आचरण न सिर्फ निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए "
साथ ही यह भी कहा -

" राज्यपालों को राजनीतिक दलों की लड़ाई से खुद को दूर रखना चाहिए"

किंतू जिस प्रकार का आचरण निर्णय और व्यवहार न्यायपालिका कर रही है उससे ऊपर दिए गए कोड्स में राज्यपाल की जगह न्यायपालिका शब्द रख दिया जाए तो आम जनता को ज्यादा ठीक लगेगा।

कोर्ट परिसरों में रोज होती लूट, बिकते न्याय और 3 करोड़ लंबित मामलो के बीच जनता को भारत की न्याय व्यवस्था का चरित्र पता है। जिसका भी पडोसी न्यायाधीश, वकील या कोर्ट का कर्मचारी है उसे इस बाजार आधरित न्याय तंत्र का नंगा सच पता है। किंतू माननीय न्यायाधीश न तो अपने गिरेबां में झांकते हें और न ही अपने आँगन की सफाई करते हें। जनता को पता है कि कोलॉजियम, उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त मामले और फिर उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के बीच कैसे न्यायपालिका ने बिना किसी संवेधानिक प्रावधान के गैरकानूनी तरीक़ों से निर्णय दिए। कैसे और किन दबाबो में याकूब मेनन की फांसी की सजा रोकने के लिए रातों में कोर्ट खुलते हें, कभी जयललिता, कभी माया, कभी मुलायम, कभी सोनिया और राहुल तो कभी सलमान, संजय दत्त, अंसल बंधुओ, सहारा श्री आदि के लिए इंसाफ के पलड़े झुक जाते हें, यह सब जनता को पता है। जब वकील शांतिभूषण दर्जन भर पूर्व न्यायाधीशो के करोडो अरबो के भ्रष्टाचार के खेल हलफनामा देकर उच्चतम न्यायालय में खोलते हें, तब भी माननीय मिलार्डो की चुप्पी बहुत कुछ कह जाती है। फिलहाल जिन न्यायाधीशो की नियुक्ति उच्च और उच्चतम न्यायालयो में किये जाने की प्रक्रिया चल रही है उसमे कैसे कैसे गंदे खेल और सौदेबाजी की जा रही है इसकी खबरे भी जनता तक छन छन कर आ रही हें। क्या इन सब नियुक्तियों में निष्पक्षता और पारदर्शी तरीके से चयन के लिए निर्धारित मापदंडों को पूरा किया जा रहा है? क्यों न्यायायिक नियुक्ति विधेयक को संबिधान के विरुद्ध कहा गया और संबिधान में वर्णित न्यायिक सेवाओं की बहाली नहीं की जा रही है? सच तो यह है कि देश के लिए यह गहन अंधकार का युग है जब उसे न्याय मिलने की संभावनाएं न्यूनतम हें। न्याय अब उद्योग बन चूका है और न्यायपालिका उद्योगपति। सबसे दुःखद यह कि यह ब्रिटिश न्यायपालिका का विकृत रूप बन चुकी है। न तो इसका भारतीयकरण किया गया और न ही भारत तत्व का समावेश। अंग्रेजी भाषा, विद्रूप शैली और नोटंकी जैसी पोशाकों के बीच खुद का मजाक उड़वाती जोकरों की टोली।

#अनुजअग्रवाल, संपादक, डायलॉग इंडिया एवं महासचिव, मौलिक भारत।

Wednesday, July 6, 2016

जेटली : मोदी मंत्रिमण्डल की ताई की विदाई की पटकथा

जेटली : मोदी मंत्रिमण्डल की ताई की विदाई की पटकथा ‪#‎अनुजअग्रवाल‬,‪#‎संपादक‬,डायलॉग इंडिया
सन् 2014 में मोदी सरकार बनने के साथ ही सरकार में वित्त और रक्षा मंत्री बने अरुण जेटली स्वयं को मोदी से ऊपर ही समझते थे। उनका शानदार और लदकद कार्यालय जो मोदी के कार्यालय से ज्यादा बड़ा था और अक्खड़ कार्यशैली से यह दिखता रहा। चुनाव पूर्व के बर्षों में भाजपा की अंदरुनी गुटबाजी और कोंग्रेस सरकार की घेराबंदी के बीच जेटली मोदी के करीब होते गए। स्मृति ईरानी को मोदी केम्प से जोड़ने वाले जेटली ही थे।हर बात अहम का मुद्दा बनाने वाले जेटली ने लोकसभा चुनावों में भी खासी मनमानी की और उसके बाद भी। वे घोटालों में फंसी कारपोरेट लॉबी के प्रिय होते गए और उनके एजेंट से दिखने लगे। ऊपर से रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के विरोधी दिखने वाले जेटली अंदर से उनके साथ थे और दोनों ने बेंको के 14 लाख करोड़ रूपये लूटने वालों और कालाधन देश से बाहर ले जाने वाले कोंग्रेसी सरकार के समय के सिंडीकेट की मदद ही की। अंदर से जेटली मानते हें कि लोकसभा चुनावों में उनकी और स्मृति की हार के पीछे मोदी केम्प है। उनके अंदर प्रधानमंत्री बनने की भी भूख बनी हुई है। जब मोदी उनके कंधे पर बंदूक रख राजनाथ, सुषमा, गडकरी, शिवराज, वसुंधरा और रमन सिंह की साध रहे थे तो जेटली अरविंद केजरीवाल को बढ़ावा देकर मोदी को परेशान कर रहे थे। अपने प्रभाव के दिल्ली और पंजाब में जेटली ने भाजपा की बुरी गत कर दी है और आआपा को बढ़ाबा दिया। विदेशी दौरों में व्यस्त मोदी नीतिगत मामलो में उनपर निर्भर थे और वो इसका फायदा उठाकर मोदी को कमजोर करने में। Iघर में षड्यंत्र करने वाली एकता कपूर के सीरियलों वाली ताई की तरह वो मीडिया में सरकार के विरुद्ध नकारात्मक खबरें चलवाने वाले जेटली सबसे खुला पंगा लेने और अपमानित करने के शौकीन हें। कभी कोंग्रेस तो कभी नीतीश तो कभी केजरीवाल को सरकार और मोदी विरोधी स्कूप देने के भी उन पर आरोप हें तो स्मृति- मोदी की खबरें उड़ाने और मोदी की डिग्री को विवादास्पद बनाने के पीछे भी उनका हाथ होने के अंदरखाने आरोप लगे हें। मंत्रालयों को फंड आबंटन में देरी, योजनाओ के किर्यान्वयन को लटकाने, निजी मीडिया चेनलों पर जानबूझकर नियंत्रण न रखने,न्यायपालिक से उलझने, ज्वैलर्स, सेनिको, और किसानो को भड़काने और अब पे कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों की हड़ताल की घोषणा को मोदी केम्प जेटली केम्प की दबाब की राजनीति मानता है। जेटली ने चूँकि वित्त मंत्री रहते अमेरिकी हितो की रक्षा और प्रोत्साहन का कार्य किया है इसलिए ओबामा सरकार उन्हें वित्त मंत्री बनाए रखने पर जोर दे रही है। इसलिए अमेरिकी चुनावों तक उनका वित्त मंत्री बने रहना तय माना जा रहा था। किंतू जिस तरह उनसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय लिया गया है और वित्त मंत्रालय में मोदी और संघ के खास दो - दो वित्त राज्य मंत्री बेठा दिए गए हें , साथ ही उनके केम्प के मंत्रियो को फेटा गया या कद घटाया गया है उससे लगता है कि उनपर परोक्ष रूप से इस्तीफा देने का दबाब बनाया जा रहा है। अब चूँकि लुटियन जोन की संस्कृति से मोदी अच्छे से परिचित हो चुके हें और सारी बिजनेस लॉबी अमित शाह के इर्द गिर्द तार बुन रही हें ऐसे में संघ और जनता की नज़र में खलनायक ,भाजपा के अमर सिंह बन चुके बीमार जेटली चाह कर भी शायद ही लंबी पारी खेल पाएं। बाकि राजनीति की निराली माया कुछ चमत्कार कर दे तो पता भी नहीं।
#अनुजअग्रवाल, #संपादक,डायलॉग इंडिया

Monday, June 27, 2016

अरुण जेटली ने घुटने टेके, काम आया मोदी का स्वामी अस्त्र

अरुण जेटली ने घुटने टेके, काम आया मोदी का स्वामी अस्त्र -‪#‎अनुजअग्रवाल‬,संपादक,डायलॉगइंडिया
मोदी का स्वामी ब्रह्मास्त्र काम कर गया। डायलॉग इंडिया की यह खबर कि मोदी मंत्रिमण्डल विस्तार में जेटली कैम्प का सफाया कर सकते हें और सुब्रमणियम स्वामी के कंधे पर बन्दूक रख मोदी जेटली केम्प के लोगों पर निशाना साध रहे हें, ने जेटली कैम्प में हड़कंप मचा दिया। संकट में कुर्सी जान जेटली एक दिन पहले ही चीन का दौरा पूरा कर भारत वापस लौटे और मोदी के आगे समर्पण कर दिया। भारत में इंग्लैंड और अमेरिका के भोंपू टाइम्स ऑफ़ इंडिया ग्रुप के न्यूज़ चैंनल पर आनन् फानन में जेटली ने मोदी का इंटरव्यू आयोजित कराया और वो चैनल जो मोदी पर हावी रहता था और जेटली के ईशारों पर काम करता था आज मोदी के आगे दुम हिलाता नज़र आया। जेटली अपने पश्चमी आकाओ को यह संदेश देना चाहते थे के उनकी मोदी सरकार पर पकड़ बरकरार है और मोदी के लिए यह अवसर था जब नाटो देशों को संकेत दे सके के अब देश के वित्त मंत्रालय पर उनका नियंत्रण स्थापित हो गया है और वे जेटली को अपने कब्जे में कर चुके हें और यह उन्होंने बखूबी दे दिया। जेटली की फिलहाल की कवायद शायद उनका मंत्री पद तो बचा दे किंतू अब उनका न तो पहले जैसा रुतबा बचेगा और न ही अधिकार। मोदी अगले तीन चार महीनों में वित्त और सुचना प्रसारण मंत्रालयों पर अपना कब्ज़ा जमा और जी एस टी पास करा जेटली और उनके प्यादों को चलता कर सकते हें। जिसकी शुरुआत आगामी मंत्रिमंडल फेरबदल से हो सकती है। जहाँ तक स्वामी का प्रश्न है, भले ही मोदी ने औपचारिक इंटरव्यू में उन्हें उलाहने दिए हो किंतू अंदरखाने अभी भी वो मोदी की पहली पसंद हें और उनकी बिना मंत्री पद के भी प्रभावी भूमिका बनी रहेगी।

Thursday, June 23, 2016

जेटली को साधने के लिए सुब्रमण्यम स्वामी के कंधे पर मोदी की बंदूक

जेटली को साधने के लिए सुब्रमण्यम स्वामी के कंधे पर मोदी की बंदूक
रघुराम राजन के बाद सरकार के आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम पर जिस प्रकार सुब्रमणियन स्वामी ने वार किया है वह आकस्मिक या व्यक्तिगत नहीं है। मोदी 26 जून को मंत्रिमंडल विस्तार करने जा रहे हें। सरकार बनाने के बाद पहली बार। अपने प्रधानमंत्री बनने के समय मोदी किसी हद तक अरुण जेटली पर निर्भर थे और जेटली कहीं न कहीं मुक्त बाजार समर्थक लॉबी का हिस्सा जिसका मतलब फॉर्च्यून फाइव हंड्रेड कम्पनियों के दर्शन से सहमति और उनके हितो को ध्यान में रखते हुए नीतियों के निर्माण के समर्थक। जेटली पश्चमी देशो के मॉडल के अनुरूप मोदी को ऐसे लोकप्रिय जननेता के रूप में ढालना चाहते हें जो अंदर से फार्च्यून फाइव हंड्रेड कंपनियो के सीइओ के रूप में काम करता रहे और बाहर से जनप्रिय बना रहे। वो मानते हें कि पिछली यूपीए सरकार की नीतियां ठीक थी पर नीयत ख़राब थी और मोदी सरकार को मात्र नीयत ठीक रखने की जरुरत है नीतियां नहीं। जेटली गुट मोदी के सरकार बनाने से लेकर आज तक सरकार पर हावी रहा है। जेटली अपना वर्चस्व बनाये रखने हेतू और अपनी लॉबी के हितो की रक्षा हेतू मोदी सरकार पर दबाब बनाये रखे हें। माना जाता है कि बिहार में नितीश की सरकार बनाने और दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बनाने में जेटली केम्प की परोक्ष रूप से बड़ी भूमिका है वही पंजाब में आम आदमी पार्टी की बढत के पीछे भी जेटली कैम्प ही है। दबाब की राजनीति के तहत जेटली ने सूचना प्रसारण मंत्रालय पर पकड़ ढीली की हुई है और वित्त मंत्रालय की निर्णय प्रक्रिया को भी उलझा रखा है। वित्त, दूर संचार व अन्य मंत्रालयों में उनकी लॉबी के मंत्री-अफसरों का कब्ज़ा है और वे योजनाओ की मंजूरी और किर्यान्वयन, फंड के आबंटन आदि में जानबूझकर देरी करते रहे हें। इसी कारण अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही और न ही महंगाई नियंत्रण में। जेटली अब अन्तर्राष्ट्रीय लॉबी के इशारे पर रघुराम राजन के स्थान पर अरविन्द सुब्रमण्यम को रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाना चाहते हें ताकि भारत की मौद्रिक एवं वित्तीय नीतियों पर उनकी पकड़ बनी रहे और उनके हित सुरक्षित रहें।
मोदी अब इस जाल और खेल को समझ चुके हें और इससे बाहर आना चाहते हें , साथ ही जेटली और उनकी लॉबी की मुश्कें कसना चाहते हें या फिर उनसे निजात पाना चाहते हें। इसी कारण पहले डीजीसीए विवाद के बहाने जेटली- केजरीवाल में झगड़ा कराया गया और फिर जेटली के दुश्मन सुब्रमणियम स्वामी को राज्यसभा भेजा गया। स्वामी के माध्यम से गांधी परिवार, रघुराम राजन और जेटली केम्प के मंत्रियो व अफसरों को घेरा जा रहा है जो वास्तव में पिछली कोंग्रेस सरकार की नीतियों के अनुरूप ही अर्थव्यवस्था को चला रहे हें न की देश के हितों के अनुरूप। इस पलटवार से घबराये और मंत्री पद छिनने के डर से जेटली केम्प ने हड़बड़ाहट में काफी समय से लंबित ऍफ़डीआई, स्पेक्ट्रम नीलामी, टेक्सटाइल पालिसी आदि की घोषणा कर दी है और जीएसटी पर जरुरी बहुमत जुटाने का दावा किया है। जरुरी नहीं के इन सब निर्णयों से मोदी कैंप पूर्णतः सहमत हो। इन कारण इनमें बड़े बदलाब की पूरी संभावनाएं हें।
जेटली कैम्प को लगता है के एक बार फिर वह मोदी केम्प की आँखों में धूल झोंकने में कामयाब हो जायेगा और अपना एजेंडा लागू रखेगा।
इस बात का परीक्षण 26 जून के मंत्रिमण्डल विस्तार में हो जायेगा। गहराई से देखें तो लगता है अगले 3 से 4 महीनो में जेटली केम्प के लोगो की सरकार से सफाई तय है अगर मोदी ऐसा नहीं कर पाये तो उनके और देश के बुरे 

Saturday, April 9, 2016

Changes Observed by Mark Tully-In Modi Regine

Mark Tully the BBC correspondent for India for many years writes about changes happening in MODI'S regime....

Mark Tully, ex BBC Correspondent in his Book
"No Full Stops in India,"
while discussing about change writes ; In India change takes a lot more time.

The birth will be slow and perhaps painful. I believe it could be the birth of a new order which is not held up by the crumbling colonial pillars left behind by the Raj but is GENUINELY Indian ; a GC modern order, but not a slavish imitation of other modern orders”.

He goes on to say that – “For all its great achievements, the Nehru dynasty has stood like a Banyan tree, overshadowing the people and the institutions of India, and all Indians know that nothing grows under the Banyan tree”.

As Mark said , Change will be slow and painful, therefore for someone who doesn’t read and makes judgement based on perception will for quite some time not be able to see the change taking place or will pretend as if nothing is changing.

The way changes are coming in Railways, Power sector, Defense Production and in governance and at the same time accompanied by the resentment of the old forces indicate that the process of change has begun albeit slowly but firmly and is going to be painful.

Let us not undermine the capabilities of this termite ridden old Banyan tree which will still try its best to stop any one growing to the extent that it may even turn the soil upside down before falling down.

For a year or so we may witness more of Dadris, more of Kaniyahas, more of Owaisi style shouting but finally if the Society keeps its cool, acts maturely and continues to perform we will sail through and the old forces will die a natural death.

LET ME ADD to this every day the new stir media throws in your face is all doctored by forces who wish to topple Modi Govt as Modi has uprooted them and they are like fish out of the water The time has come to continue to support the man and keep your faith intact and we will see new India for sure bigger, better, stronger, corruption free , peaceful prosperous then ever before with people having better quality of life..
- Mark Tully.
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 🇮🇳🆚🇮🇳

केंद्र सरकार ने संशोधित वक्फ अधिनियम पर सुनवाई के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल

  मोदी सरकार ने नए वक्फ कानून को लेकर ऐसा धमाका किया है कि इस कानून के खिलाफ केस लड़ रहे कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंवी की चिंता बढ़ गई हो...