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Sunday, February 18, 2018

बैंक लोन : तेरी लुटाई , हमारी मलाई

बैंक लोन : तेरी लुटाई , हमारी मलाई
यह यूपीए व कांग्रेस के नेताओं के लिए घोर आश्चर्य था कि 2004 से 2009 के कुशासन के बाद भी कैसे वे पुनः 2009 में केंद्र सत्ता में आ गए। शायद इसमें तेजहीन हो चुके भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का अधिक योगदान रहा। इसी कारण सोनिया गांधी का आडवाणी व चौकड़ी ( जेटली, सुषमा, वेंकैया व अनंत) से ख़ास लगाव रहा। मोदी खेमे ने जब राजनाथसिंह व मोहन भागवत को शीशे में उतारा तो चौकड़ी का चक्रव्यूह टूटा। किंतू जेटली का कांग्रेस प्रेम रह रह कर छलकता रहता है। हद तो इस बार बजट के बाद जेटली द्वारा अपने पिटठू इंडिया टीवी को दिए गए साक्षात्कार में हुई जब जेटली के पीछे दीवार पर नेहरू की फ़ोटो टंगी थी।
यूपीए के नेताओं को भरोसा था कि वे सन 2014 को लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाएंगे तो लंपटों की फौज ने देश को हर स्तर पर लूटने का खेल रचा। हर क्षेत्र में घोटाले जगजाहिर है। सोनिया " मिसेज 10 परसेंटेज" बन गयी और जिसने हिस्सा दिया उसे लूट की खुली छूट दी गयी। 52 लाख करोड़ के बैंक लोन भी इसी नीति के तहत बांटे गए। जिस प्रकार पीएनबी घोटाले से जाहिर हुआ कि भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं द्वारा विशेषकर यूरोप में ऋण दिए गए ऐसे दर्जनों और खेल खेले गए और लाखों करोड़ रुपए यूरोप व अमेरिका की मंदी की शिकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इटेलियन सोनिया मेनिया ने बंटवाए। डायलॉग इंडिया ने जनवरी,सन 2013 में ही रिजर्व बैंक से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बताया था कि कैसे हम आयात आधारित अर्थव्यवस्था में बदल चीन, आसियान देशो, अफ्रीका, यूरोप व अमेरिका का भला कर रहे हैं। अपने संसाधन व लोन उन पर लुटा रहे हैं।साथ ही 12 लाख करोड़ के लोन इसी खेल के कारण NPA में बदलने जा रहे हैं, मगर किसी ने इसे मुद्दा नहीं बनाया।
मौलिक भारत की ओर से मैंने सन 2014 में मोदी सरकार आने के बाद मांग की थी कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र जारी करे ताकि अर्थव्यवस्था ओर बैंकिंग व्यवस्था की स्थितियां पारदर्शी रूप से देश की जनता के सामने आ सकें। किंतू मोदी- जेटली की जोड़ी ने ऐसा नहीं किया। मोदी जी विभिन्न साक्षात्कारों में तर्क देते रहे कि ऐसा करने से हमारी अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग व छवि खराब हो जाएगी। मोदी सरकार ने इसकी जगह यूरोप की सरकारों (लोन के नाम पर) को दबाब में लिया व अपनी नीतियों का समर्थन करवाया। देशी व प्रवासी भारतीय उद्योगपतियों को कार्यवाही न करने का लालच दे अपने पाले में किया। ऐसा करने के साथ ही उन लोगो के सामने शर्त रखी कि कांग्रेस पार्टी व यूपीए को कोई चंदा नहीं देंगे ( सिर्फ भाजपा को ही देंगे)। दूसरी ओर बैंकिंग सिस्टम के कानून सख्त बना आगे किसी घपले, घोटाले व लूट को मुश्किल बना दिया, बैंक कर्मियों की जबाबदेही तय की और दबाब बनाकर डूबे हुए लोन का 25 से 30 प्रतिशत तक वसूल भी कर लिया। तीसरे नोटबंदी लागूकर बैंकिंग व्यवस्था को पुनः मजबूत बनाया और अब जीएसटी व डिजीटलीकरण से स्वच्छ व पारदर्शी बना रहे हैं।
बात पुराने पापियों की है जिन्होंने कांग्रेस व यूपीए के नेताओं के साथ मिलकर बैंकिंग सिस्टम को ध्वस्त किया और भाजपा व एनडीए नेताओं को उस लूट का हिस्सा देकर गलबहियां की। इन पापियों के पापों की फाइलें कांग्रेस नेताओं के पास भी है और मोदी सरकार के पास भी। कांग्रेस की रणनीति दबाब बना अपने पाले से छूटे इन "पुराने पापियों" से पुनः सेटिंग करने की है। इस कड़ी में देर सवेर इनमें से कुछ कीपोल पट्टी जनता के सामने आनी ही है ताकि बाकी पर दबाब बना सौदेबाजी की जा सके। साथ ही चुनावी राजनीति में चुनावों के समय इन पापियों के पापों की पोल खोलकर राजनीतिक दल जनता को भ्रमित कर सत्ता हथियाने के खेल खेलते हैं और बाद में जनता की आंखों में धूल झोंककर इन्हीं पापियों से सौदेबाजी कर लेते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने संसद को हाल ही में बताया था कि यूपीए सरकार ने कुल 52 लाख करोड़ रुपये ऐसे ही बांटे अपने 10 साल के कार्यकाल में। उन्होंने कहा था कि हमारे पास पूरी सूची है गड़बड़ी करने वालो की। यह लोकसभा चुनावों का बर्ष है व कांग्रेस इस लूट की जिम्मेदारी भाजपा पर डालेगी, ऐसे में अभी तो ऐसे अनेको बड़े बड़े घोटाले व मामले सामने लाएगी। बेहतर होता सरकार स्वयं ही घोटालेबाजो की सूची जारी करे और यूपीए के पापों को न ढोये। लुटेरों पर कड़ी कार्यवाही व उनसे किसी भी प्रकार की सहानुभूति न रखने में ही मोदी सरकार की भलाई है। जो प्यार भाजपा नेताओं ने पुराने पापियों से दिखाया है कुछ ऐसा ही प्यार दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने प्रवासी गुप्ता बंधुओं से दिखाया था और हासिल ही में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा व सत्ता गवानी पड़ी।
जनता बेचारी वज्र मूर्ख ही रहनी है। अस्तित्व के संघर्ष में उलझे लोगों के लिए यह उसकी समझ से बाहर ही रहेगा कि रुपया आता कहां है और जाता कहां है और मजे लेने वाले मजे लेते रहेंगे

Wednesday, December 20, 2017

सोनिया ने बनाया था BJP को गुजरात मे हराने के प्लान

मोदी को हराने के लिए कांग्रेस ने दिया था ओबामा को हराने वाली कंपनी को ठेका, बर्बाद हुए रुपये

Posted: 19 Dec 2017 12:35 AM PST

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गुजरात में मोदी को हराने के लिए कांग्रेस ने बहुत बड़ी ताकत लगायी थी, उन्होंने उस कंपनी को ठेका दिया था जिसने अमेरिका में ओबामा समर्थक हिलेरी क्लिंटन को हराया था और डोनाल्ड ट्रम्प को जीत दिलवाई थी, हम बात कर रहे हैं कैम्ब्रिज एनालिटिका की. कांग्रेस ने गुजरात में मोदी को हराकर दुनिया भर में उनकी छवि खराब करने के लिए इसी कंपनी को ठेका दिया था, यह डील दो साल पहले ही की गयी थी. कंपनी ने दो साल पहले ही काम शुरू कर दिया था.

कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी के कहने पर ही डेढ़ साल पहले कांग्रेस ने हार्दिक पटेल के जरिये पाटीदार आन्दोलन खड़ा करवाया, उन्हें और हार्दिक पटेल को पता था कि पटेलों को आरक्षण कभी नहीं मिल पाएगा उसके बावजूद भी पटेलों को आरक्षण का लालच दिखाकर उन्हें बीजेपी के खिलाफ भड़काया गया. कैम्ब्रिज एनालिटिका की यह कोशिश कामयाब रही और पाटीदारों ने कांग्रेस को वोट दिया. पाटीदारों के प्रभुत्व वाले सौराष्ट्र क्षेत्र में कांग्रेस को बीजेपी से अधिक सीटें मिलीं. अगर आपको शक हो रहा है तो सोचिये, हार्दिक पटेल को सैकड़ों रैलियों के लिए पैसे कहाँ से मिले, क्या उन्होंने अपने घर में रुपये छापने के लिए मशीन लगा रखी, हर रैली में 10-20-50 लाख रुपये खर्च किये गए और टोटल अरबों रुपये खर्च किये गए.


कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी के कहने पर ही कांग्रेस ने अल्पेश ठाकोर के जरिये OBC आन्दोलन खड़ा किया, OBC ने पटेलों को आरक्षण देने का विरोध करने के लिए आन्दोलन किया था और धीरे धीरे उनके मन में पटेलों के खिलाफ नफरत पैदा की गयी. इसके बाद अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हो गए तो उनके समर्थक भी कांग्रेस के साथ हो गए जबकि उन्होंने पटेलों के खिलाफ आन्दोलन किया था, इस तरह से कांग्रेस को पटेलों के भी वोट मिल गए और OBC के भी. अल्पेश ठाकोर के प्रभाव वाले क्षेत्रों में कांग्रेस को बीजेपी से अधिक सीटें मिलीं.

कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी के कहने पर ही जिग्नेश पटेल के जरिये दलित आन्दोलन खड़ा किया, पहले दो चार दलितों को गौ-हत्या के नाम पर पिटवाया गया और बाद में बीजेपी पर आरोप लगाकर दलितों को बीजेपी के खिलाफ भड़का दिया गया, कैम्ब्रिज एनालिटिका की यह कोशिश भी कामयाब रही और दलित बीजेपी के खिलाफ हो गए. जिग्नेश मेवानी के प्रभुत्व वाली सीटों पर कांग्रेस को बीजेपी से अधिक सीटें मिलीं.

कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ बीजेपी को गुजरात में हराने की डील दो साल पहले हुई और तीनों आन्दोलन डेढ़ साल पहले हुए, मतलब जब कैम्ब्रिज एनालिटिका ने 6 महीनें में गुजरात के माहौल का अध्ययन किया और उसके बाद तीनों नेताओं को काम में लगा दिया गया, तीनों नेताओं ने एक साल में जातिवादी आन्दोलन खड़ा किया और 6 महीनें पहले बीजेपी के खिलाफ माहौल तैयार हो गया.

इसके बाद कांग्रेस ने धीरे धीरे तीनों नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया जो कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी की रणनीति के तहत पहले से ही फिक्स था. इसका उदाहरण आप समझिये, पहले अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हुए तो हार्दिक पटेल ने उन्हें बधाई दी जबकि अल्पेश ठाकोर ने हार्दिक पटेल के खिलाफ ही OBC आन्दोलन शुरू किया था. इसके बाद जिग्नेश मेवानी ने कांग्रेस को समर्थन दिया, उसके बाद हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को समर्थन दिया. यह सब पहले से ही तय था.

इसके बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर इसाई पादरी से यह फतवा जारी करवाया गया कि राष्ट्रवाद की राजनीति करने वालों को सबक दिखाएं, आपके पास मौका आया है, गुजरात से पूरे देश में सन्देश देने का मौका आ गया है. पादरी ने ईसाईयों को कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी.

इसके बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर कश्मीर के मुस्लिम कट्टरपंथी सलमान निजामी को गुजरात चुनाव प्रचार में उतारा गया जिसमें कट्टरपंथियों के वोटों को कांग्रेस की तरफ मोड़ा. यही नहीं कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर पाकिस्तान के पूर्व सेना अध्यक्ष ने गुजरात में पहले ही कांग्रेस की जीत की मुबारकवाद दी ताकि मुस्लिम वोट सिर्फ कांग्रेस को मिलें.

इसके बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर चुनाव से 1 महीनें पहले राहुल गाँधी ने अचानक मंदिरों का दौरा शुरू कर दिया, खुद को शिवभक्त बताना शुरू कर दिया, खुद को जनेऊधारी हिन्दू बताना शुरू कर दिया, ऐसा इसलिए ताकि सॉफ्ट हिंदुत्व की विचारधारा वाले लोग कांग्रेस को वोट दें. राहुल गाँधी ने खुद को शिवभक्त इसलिए बताया क्योंकि गुजरात में शिव को अधिक माना जाता है, सोमनाथ मंदिर वहीं पर है, उन्हें इसका फायदा भी मिला क्योंकि सोमनाथ जिले की चारों सीटें कांग्रेस को मिलीं.

कैम्ब्रिज एनालिटिका की वजह से ही कांग्रेस को गुजरात में 77 सीटें मिली हैं, अगर अंत में मोदी रैलियां ना करते और इसे गुजरात की अस्मिता का सवाल ना बनाते तो कांग्रेस को कम से कम 150 सीटें मिलतीं क्योंकि उनके पास दलित, पटेल, OBC, मुस्लिम, नरम हिन्दू, कट्टरपंथी, इसाई वोट थे जबकि बीजेपी के पास सिर्फ विकास चाहने वालों के वोट थे.

कैम्ब्रिज एनालिटिका ने कांग्रेस की जीत के लिए सभी गोटियाँ भिड़ा रखी थीं, गुजरात के लोग उनके जाल में फंस भी गए थे लेकिन अंत में मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां करके नतीजों को बीजेपी के पक्ष में मोड़ दिया, मोदी की सिर्फ विकास की वजह से जीत हुई है, उन्हें सिर्फ चार शहरों ने जितवाया है - अहमदाबाद, सूरत, राजकोट और वड़ोदरा. चारों शहरों में ही बीजेपी को 50-60 सीटें मिली हैं. अगर मोदी ने शहरों का विकास ना किया होता तो बीजेपी की हार तय थी लेकिन मोदी ने अपने दमपर चुनाव जितवाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका को भी हरा दिया.

कैम्ब्रिज एनालिटिका कैसे करती है काम

कैम्ब्रिज एनालिटिका फेसबुक के साथ मिलकर काम करती है, फेसबुक पर किसी राज्य के लोगों का पूरा डाटा लिया जाता है जिसे सोशल प्रोफाइलिंग कहते हैं, यहाँ पर देखा जाता है कि लोग सोच क्या रहे हैं, लोग कमेन्ट क्या करते हैं, लोग अपनी सरकार के बारे में क्या राय देते हैं, उसके बाद सरकार विरोधी लोगों की लिस्ट बनाई जाती है और उनके पास सरकार विरोधी ट्वीट किये जाते हैं ताकि वो उसे शेयर करें. धीरे धीरे सरकार के विरोध में लहर तेज की जाती है, लोगों के दिमाग में धीरे धीरे झूठ के जरिये सरकार के प्रति गुस्सा भर दिया जाता है और वह सरकार के विरोध में वोट देते हैं, ऐसा ही गुजरात में हुआ है. कांग्रेस के IT सेल में इस बाद करीब 1000 लोग काम कर रहे थे जो रोजाना बीजेपी के खिलाफ झूठे ट्वीट, झूठी तस्वीरें, झूठे आंकड़े, झूठे दावे पोस्ट करते थे, कांग्रेस की टीम इतनी बड़ी थी कि सिर्फ पांच मिनट में वह किसी भी चीज को टॉप ट्रेंड में ला देते थे.

बर्बाद हुए कांग्रेस के रुपये

कांग्रेस ने गुजरात जीतने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया, सबसे बड़ी और मंहगी कंपनी को ठेका दिया, हर जतन किये लेकिन मोदी की वजह से कांग्रेस का पूरा पैसा बर्बाद हो गया.

2019 लोकसभा जीतने के लिए फिर से कैम्ब्रिज एनालिटिका को ठेका

अब कांग्रेस ने 2019 में भी इसी कंपनी को ठेका दे दिया है क्योंकि इसी कंपनी की वजह से कांग्रेस ने गुजरात में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है. लोकसभा चुनावों में अभी डेढ़ साल बचे हैं, अब इस कंपनी के कहने पर हर राज्य में जातिवादी आन्दोलन खड़े किये जाएंगे, राजस्थान में गुर्जर आन्दोलन, हरियाणा में जाट आन्दोलन, गुजरात में पटेल आन्दोलन, धीरे धीरे देश को आन्दोलन की आग में झोंककर 2019 में मोदी को हटाने का अभियान शुरू शुरू हो जाएगा.

Monday, November 20, 2017

जानलेवा धुन्ध: जिम्मेदार कौन और समाधान कैसे


दिल्ली एनसीआर में प्रदुषण 30000 से अधिक जान ले चुका है यह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का दावा है। अभी लाखों लोग और मरने वाले हैं। दिल्ली एनसीआर को अनियंत्रित और ताबड़तोड़ विकास की भट्टी में झोंकने वाले तीन लोग सबसे पहले नज़र आते हैं। शीला दीक्षित, हुड्डा और मायावती। शीला ने दिल्ली को विकास माफिया के हाथों सौपा तो हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तो उत्तर प्रदेश को मायावती ने। इनकी जिद थी कि दिल्ली एनसीआर को पांच बड़े महानगरों में बदलने की, जिसमे प्रत्येक की आबादी 2 - 2 करोड़ हो। सारे मास्टर प्लान बदल दिए गए। यूपीए की सरकार यानि मनमोहन -सोनिया की सहमति यानि हिस्सेदारी (कमीशन)  तय की गई और झोंक दिया इस क्षेत्र को विकास की भट्टी में। न किसी ने सोचा कहां से आएगी इतनी सड़के, अच्छी हवा, साफ पानी और शुद्ध भोजन बस प्रॉपर्टी के दलाल और बिचौलिया बन अखबार और चेनल अथाह विकास की काल्पनिक गाथा गाते चले गए और व्यथाओं के दंश नित महंगी होती जमीन, मोटी कमाई, प्रोपर्टी डीलरों की अंधाधुंध कमाई और अय्याश जीवन शैली ने दवा दी। विकास का यह गुब्बारा सरकार खजाने की लूट और घोटालों की रकम से फुलाया गया था जिसमें कैश और जॉली करेंसी की बड़ी भूमिका थी। इसके फलने फूलने की एक सीमा थी और इसका फटना तय था।  विकसित देशों में विकास ठोस तरीके से किया गया है यानि गवर्नेंस के मॉडल के साथ किंतू भारत में यह सिस्टम को लूट कर किया गया और इसीलिए दिल्ली एनसीआर में " विकास पागल हो गया"। यह पागल विकास ही जनता को निगल रहा है।

मोदी सरकार आने के बाद दिल्ली एनसीआर में कोई नया प्रोजेक्ट नहीँ शुरू हुआ बल्कि पुराने रुके या धीमे पड़े प्रोजेक्ट पूरे किए जा रहे हैं वो भी गवर्नेंस का मॉडल लागू कर यानि नोटबंदी और जीएसटी के साथ। ऐसे में अब कालेधन से संपत्ति की नकद में खरीद फरोख्त भी रुक गयी है और सिस्टम में घोटाले भी नहीं हो रहे हैं।

ऐसे में तात्कालिक रूप से दिल्ली एनसीआर के बेकाबू प्रदूषण की जिम्मेदारी तीनों राज्य सरकारों और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, गंगा और यमुना की सफाई से जुड़े विभाग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की है। न तो हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश की सरकारें पराली यानी पुराल से बिजली बंनाने के कारखाने लगा पायी और न ही पराली के जलाने पर रोक। पर्यावरण मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री डॉ हर्षवर्धन और राज्य मंत्री डॉ महेश शर्मा की इस मंत्रालय में कोई रुचि नहीं है। उपर से केंद्र सरकार के ऊपर तेजी से लंबित परियोजनाओं को पूरा करने का दबाब है ताकि पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और मेट्रो के नए रूट के साथ ही दिल्ली मेरठ हाइवे जल्द से जल्द चौड़ा हो सके और ट्रैफिक जाम की समस्या से मुक्ति मिल सके। यानि एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लाख चाहे मगर अगले एक बर्ष विकास कार्य नहीँ रुकेंगे और धूल, धुआ और जाम की समस्या बनी रहेगी। कूड़े और पराली से खाद और बिजली बंनाने के कारखाने, सीवर और उच्च स्तरीय सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की चेन, सार्वजनिक परिवहन एक दिल्ली एनसीआर में एक जैसी व्यवस्था और नियम, नए वाहनों के पंजीकरण पर रोक और 12 बर्ष से अधिक पुराने वाहनों की विदाई की नीतियों पर प्रभावी अमल समय की जरूरत है। बिजली और सौर ऊर्जा पर आधारित परिवहन प्रणाली का विस्तार भी जरूरी है। उससे भी ज्यादा जरूरी निष्क्रिय और अन इच्छुक मंत्रियों और अधिकारियों को हटा तीनो प्रभावित राज्यो की टास्क फोर्स बनाकर ईनटीग्रेटेड मास्टर प्लान बनाकर निश्चित समय सीमा में उसे अमल में लाना। इस पूरी योजना को जमीन पर उतारने के लिए इस समूह की अध्यक्षता नितिन गडकरी, पीयूष गोयल या सुरेशप्रभु जैसे मंत्री कर सकते हैं।



संकटानंद पप्पू कैसे बनेंगे कांग्रेस के संकटमोचक


               सोनिया माइनो की सिट्टी पिट्टी गुजरात चुनाव के परिणामों से खासा पहले ही गुम हो चुकी है। गरिमाहीन होने के साथ ही यह चुनावो से बहुत पहले ही हार स्वीकार करने जैसा है और यह भी सिद्ध करता है कि राहुल में पार्टी को जीत दिलाने की क्षमता नहीं, फिर भी बीमार और हताश सोनिया किसी भी हालत और कीमत पर राहुल को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बना पार्टी पर गांधी परिवार का कब्जा बरकरार रखना चाहती हैं। इसीलिए बिखरी और टूटी फूटी कांग्रेस जिसकी पिछले तीन बर्षो से राष्ट्रीय कार्यकारिणी तक कि बैठक विवादों और बंटबारे के डर से सोनिया नहीं बुला पायी वहाँ बिना लोकतांत्रिक प्रक्रिया और आंतरिक सांगठनिक चुनावों के ही मात्र राष्ट्रीय कार्यसमिति द्वारा जबर्दस्ती पारित करा राहुल को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में थोपा जा रहा है, ऐसे में अध्यक्ष पद के लिए चुनावों की घोषणा मात्र आंखों में धूल झोंकने जैसी है। उम्मीद है कि 5 दिसंबर को राहुल औपचारिक रूप से पार्टी अध्यक्ष बन जाएंगे।
 देशवासियों की नजरों में गाँधी परिवार का सम्मोहन बहुत पहले ही बिखर चुका है। पिछले 4 बर्षो में आधे से ज्यादा बरिष्ठ कांग्रेसी नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। बचे खुचे जमीनी नेता मानकर चल रहे थे कि अब जब राहुल असफल हो रहे हैं तो उनको आगे बढ़ने का एक मौका हाथ लग सकेगा।ऐसे में राहुल की जबरदस्ती ताजपोशी से यह विलगाव और बिखराब और तेज हो जाएगा। सोनिया -राहुल खेमे ने लोकसभा चुनावों से काफी पहले ही गुजरात चुनावों पर बड़ा दांव लगा राहुल को प्रोजेक्ट कर स्थापित करने के अप्रत्याशित कोशिशें की। राहुल की अमेरिका यात्रा, थाईलैंड के बौद्ध ध्यान केंद्रों पर प्रशिक्षण, नरम हिंदुत्ववादी चेहरा , भाषण शैली में सुधार, सोशल मीडिया पर बड़ा अभियान, मुख्यधारा के मीडिया पर ताबड़तोड़ उपस्थित, गुजरात मे निचले स्तर पर बड़े अभियान और पाटीदार, पिछड़ों, दलित, जनजाति व अल्पसंख्यक गठजोड़ को लामबंद करने की कोशिश। इससे भी ज्यादा नोटबंदी और जीएसटी के खिलाफ आक्रामक अभियान भी चलाया गया, अनेक झूठे सच्चे घोटालों को सामने लाने की भी कोशिश की गई, किंतू अंततः सब फुस्स। मोदी और अमित शाह को राहुल गुट की इस आक्रमकता के कारण गुजरात मे कुछ ज्यादा ही मेहनत करनी पड़ रही है किंतू हाशिये पर आने के डर से घबराए पुराने कांग्रेसी नेता यथा दिग्विजय सिंह, चिदंबरम आदि अंदरखाने भाजपा की मदद कर रहे हैं और जैसे ही राहुल की कुछ छवि बनती है वैसे ही विवादास्पद बयानों से माहौल बिगाड़ देते हैं और राहुल हाशिये पर और कांग्रेस विवादों से घिर जाती है।
ऐसे में निराश राहुल और हताश सोनिया के पास अंतिम विकल्प के रूप में गुजरात चुनावों के परिणाम से पूर्व ही ये केन प्रकरेण राहुल को पार्टी का अध्यक्ष बना देने कर अलावा कोई चारा भी नहीं बचा। क्योंकि गुजरात  और हिमाचल की हार के बाद किसी भी प्रकार से राहुल की ताजपोशी को न तो कार्यकर्ता स्वीकार पाएंगे और न ही सोनिया खेमा ऐसा करने की हिम्मत कर पाएगा। सोनिया और राहुल खेमे के नेता जानते हैं कि यह कदम कांग्रेस पार्टी में औपचारिक दोफाड़ की राह खोल सकता है क्योंकि पार्टी में जमीनी और प्रतिभावान नेताओं की जमात अपरिपक्व राहुल के नेतृत्व को बर्दाश्त नहीं कर पायेगी और बुजुर्ग नेताओं से राहुल की बनती नहीं। अनुमान है कि 20 दिसंबर के बाद कांग्रेस पार्टी के पास कर्नाटक और पंजाब बस दो ही बड़े राज्य बचेंगे और उनमें से कर्नाटक भी अगले कुछ माह में हाथ से निकल सकता है।किंतू बची खुची इज़्ज़त को बचाने की खातिर माँ बेटा यह जोखिम लेने की हिम्मत कर बैठे हैं किंतू उनके इस कदम से पूरी पार्टी ही दाव पर लग गयी है।


Thursday, November 2, 2017

NSA to. Arundhati Roy

Letter purportedly from Ajit Doval to Arundhati Roy:

*What a reply?*
 All please share this.

*Arundhati Roy wrote a lot of letters to the National Security Council (India), complaining about the treatment of captive insurgents (terrorists) being held in National Correctional System facilities.*
 She demanded a response to her letter correspondence. She received back the following reply:

National Security Advisor ,
South Block, Raisina Hill,
New Delhi-110011

Dear Concerned Citizen,

Thank you for your recent letter expressing your profound concern of treatment of the ISIS and LeT terrorists captured by Indian Forces who were subsequently transferred to National Correctional System facilities. Our administration takes these matters seriously and your opinions were heard loud and clear here in New Delhi. You will be pleased to learn, thanks to the concerns of citizens like yourself; we are creating a new department here at the Department of National Defense, to be called 'Liberals Accept Responsibility for Killers' program, or L.A.R.K. for short.

In accordance with the guidelines of this new program, we have decided to divert one terrorist and place him in your personal care. Your personal detainee has been selected and is scheduled for transportation under heavily armed guard to your residence in Mumbai next Monday.

Ali Mohammed Ahmed
 bin Mahmud (you can just call him Ahmed) is to be cared for pursuant to the standards you personally demanded in your letter of complaint! It will likely be necessary for you to hire some assistant caretakers. We will conduct weekly inspections to ensure that your standards of care for Ahmed are commensurate with those you so strongly recommend in your letter. Although Ahmed is a sociopath and extremely violent, we hope that your sensitivity to what you described as his 'attitudinal problem' will help him overcome these character flaws. Perhaps you are correct in describing these problems as mere cultural differences.
We understand that you plan to offer counseling and home schooling.'

Your adopted terrorist is extremely proficient in hand-to-hand combat and can extinguish human life with such simple items as a pencil or nail clippers. We advise that you do not ask him to demonstrate these skills at your next yoga group.

 Please advise any friends, neighbors or relatives as your house guest might get agitated or even violent, but we are sure you can reason with him. He is also expert at making a wide variety of explosive devices from common household products, so you may wish to keep those items locked up, unless (in your opinion) this might offend him

Ahmed will not wish to interact with you or your daughters (except sexually) since he views females as a sub human form of property thereby having no rights, including refusal of his sexual demands. This is a particularly sensitive subject for him and he has been known to show violent tendencies around women who fail to comply with the new dress code that he will "recommend" as more appropriate attire.

 I'm sure you will come to enjoy the anonymity offered by the burka over time. Just remember that it is all part of 'respecting his culture and religious beliefs' as described in your letter.

Thanks again for your concern.

We truly appreciate it when folks like you keep us informed of the proper way to do our job and care for our fellow man. You take good care of Ahmed and remember we'll be watching.

Good luck and God bless you

Cordially,
*Ajit Doval*
*National Security Advisor*

Friday, October 20, 2017

I'm forwarding this msg to all contacts in my phone book n request you all do so as I did;

*A Great Feedback From an Army Veteran on Supreme Court's Order on Human Rights in Kashmir*

An Army veteran, who lost a family member to a militant’s bullet, has raised an agonising poser to the Supreme Court, *“How much do you know about the brutality of war?*

*How many of you have sent your progeny to the armed forces*?

*Have you ever lost a family member in the defence of the country*?

*Do you know the pain of losing a young son or having a widowed daughter or seeing your grandchildren grow up without their father*?
*If not, please do not impede our war effort. Human rights sound very nice when you and your families are safely ensconced in secure air-conditioned homes but not when you are facing bullets and stone of a unruly religious fanatic mob*.”

*Applying the Court directions to the Pulwama incident, an FIR will be lodged against Gunner Rishi Kumar who risked his life and killed two terrorists despite being hit on his headgear*.

Police investigations will carry on for years haunting him even when posted to other places in India.

 *Courts will issue summons and demand his presence. He will be accused of depriving the ‘innocent’ jihadis of their human rights and asked to justify the killings*.
He will be queried, *Are you sure they were terrorists? They did not kill you, why did you kill them?*
He will be asked  *"Did you give them adequate opportunity to surrender and reform themselves?"*  *Did you give them a fair chance to escape?* *Did you fire warning shots in the air?"*

*Instead of lauding his bravery, he will be subjected to judicial witch-hunt. What a disgrace for the nation*!

*Subjecting active military operations to judicial review is an outlandish idea. Whereas all nations empower their soldiers to vanquish enemies of the state, India takes pride in shackling them*.

While addressing the U.S. Naval Academy in April 2010, *Secretary of Defence Robert M Gates of USA had said, “* *You have answered the trumpet call. For my part, I consider myself personally responsible for each and every one of you as though you were my own sons and daughters. And when I send you in harm’s way, as I will, I will do everything in my power to see that you have what you need to accomplish your mission – and come home safely."*

*Apparently, India’s Supreme Court thinks differently*. *Human rights of the enemies of the state appear to be far more important than the security of the country*.

*Finally, as a serving officer commented wryly, “The Supreme Court has given us two options* – *get killed and the country will honour your martyrdom* or
*kill the terrorist and face police/judicial investigations for years."*

His apprehensions are genuine and shared by the most. Wonder which soldier will look forward to serving in such antagonistic environment!

*Appeal to All Indians*:-
*However, Let us all make this a People's movement so that the Supreme Court will Reconsider the issue and Appreciate its gravity*.
*We cannot Fight for India on borders but We can Fight for our Soldiers Betterment from the safety of our homes

Tuesday, October 17, 2017

  THE ART OF GIVING

With the holiday season here, it is time for giving. However, giving goes much further than something you do around a certain time of year. For example, believe it or not, the art of giving can unlock true abundances in your life. On top of that, it feels good to help others and put a smile on their face.
Basically, giving is good for others as well as yourself. It’s a winning situation from all sides and something we could all stand to do just a little more.
Check out this article about the importance of giving from FINERMINDS.
Right now we’ve got some serious world issues on the agenda – financial meltdown, war, climate woes – which leads to a tendency to turn inwards. Crises put us in ‘me’ mode. It makes us feel scared, like there’s not enough of anything – money, jobs, security – to go around.

What kind of energy vibrations are we sending out into the world by doing this?

When we’re all thinking, acting and feeling selfishly, what do we get? We get less of everything. The universe mirrors us. One of the best ways to combat this urge to curl into an anxious ball and hoard all of our worldly possessions is to give. It’s that simple.

When you give something from your heart without expecting anything in return, you will unleash a powerful force into the universe that will positively boomerang back to you in incredible ways. You will usher in good vibrations and abundance into your life. Give unconditionally, without the expectation of rewards. Simply give because you’re happy doing it.

Even the act of giving has its own rewards. Studies show that those who give enjoy:
•Better health (enhanced immune system, lower cholesterol, stronger cardiovascular fitness, less chest pain)
•Increased life expectancy
•Less stress
•More friends
•Being able to find a romantic partner and meaningful jobs in a shorter amount of time

A study by me on RSS Volunteers reported that 50% of volunteers felt healthier as a result of the work they were doing. With one in five reporting that they had lost a significant amount of weight while doing volunteer work.

People generally believe that volunteering and donating money are wonderful ideas. But for the majority it stays at the idea level. They never do it. They put it off for later when they hopefully have a little more time and money.

The important part is to start giving now. It doesn’t matter how little. It’s about creating the habit of giving, which will serve you (and, most importantly, others!) for a lifetime.
Two Popular Ways to Give:

Donation

There are so many organizations out there that focus on critical issues – poverty, education, women’s rights, health issues, etc. – at the local, national and international level. Get on the Internet and start researching causes that mean something to you. Identify organizations that are aligned with your interests and goals and help them out financially. Many people say, “well, I don’t want to just give money.” They have the philosophy that instead of giving a person a fish to eat, they would rather give them a fishing pole and teach them how to fish, so they can eat for a lifetime. Completely understandable.

The great part is there are many organizations out there that do just these sorts of things – organizations that are very much focused on education, training and empowerment. By supporting these groups, you are essentially teaching a group ‘to fish’. Here are some websites to get you started: JustGive, Network for Good, Just Giving.

An alternative to a financial donation is to donate clothes or other material items that will benefit another person or group. It’s as easy as finding a local shelter and dropping off items from time to time. You can even mobilize your friends and family members to donate as well, which will help out even more. And perhaps you have your own business. Committing 10% of you profits to charities is a great way to give back.

Volunteering

Another important way to give is through service, giving some of your time to make things better or easier for another person, animal or even the environment.
Rajendra Shukla

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