दिल्ली एनसीआर में प्रदुषण 30000 से अधिक जान ले चुका है यह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का दावा है। अभी लाखों लोग और मरने वाले हैं। दिल्ली एनसीआर को अनियंत्रित और ताबड़तोड़ विकास की भट्टी में झोंकने वाले तीन लोग सबसे पहले नज़र आते हैं। शीला दीक्षित, हुड्डा और मायावती। शीला ने दिल्ली को विकास माफिया के हाथों सौपा तो हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तो उत्तर प्रदेश को मायावती ने। इनकी जिद थी कि दिल्ली एनसीआर को पांच बड़े महानगरों में बदलने की, जिसमे प्रत्येक की आबादी 2 - 2 करोड़ हो। सारे मास्टर प्लान बदल दिए गए। यूपीए की सरकार यानि मनमोहन -सोनिया की सहमति यानि हिस्सेदारी (कमीशन) तय की गई और झोंक दिया इस क्षेत्र को विकास की भट्टी में। न किसी ने सोचा कहां से आएगी इतनी सड़के, अच्छी हवा, साफ पानी और शुद्ध भोजन बस प्रॉपर्टी के दलाल और बिचौलिया बन अखबार और चेनल अथाह विकास की काल्पनिक गाथा गाते चले गए और व्यथाओं के दंश नित महंगी होती जमीन, मोटी कमाई, प्रोपर्टी डीलरों की अंधाधुंध कमाई और अय्याश जीवन शैली ने दवा दी। विकास का यह गुब्बारा सरकार खजाने की लूट और घोटालों की रकम से फुलाया गया था जिसमें कै...