CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों
पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।
पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।
अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस
स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।
संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं
करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।
कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।
ये पहले से एक Planned एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।
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