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Thursday, August 14, 2025

देवगुरु बृहस्पति अपने ही नक्षत्र पुनर्वसु नक्षत्र पर गोचर करेंगे तख्ता पलट की घटनाएं करवाने वाला यह गोचर 13 अगस्त 2025-18 जून 2026

देवगुरु बृहस्पति अपने ही नक्षत्र पुनर्वसु नक्षत्र पर गोचर करेंगे तख्ता पलट की घटनाएं करवाने वाला यह गोचर 13 अगस्त 2025-18 जून 2026
देवगुरु बृहस्पति अपने ही नक्षत्र पुनर्वसु नक्षत्र पर गोचर करेंगे तख्ता पलट की घटनाएं करवाने वाला यह गोचर 13 अगस्त 2025-18 जून 2026

जय सियाराम

आप सबके समक्ष देवुरु बृहस्पति के नक्षत्र परिवर्तन और उसके प्रभाव को लेकर बहुत ही शानदार बहुत ही विशिष्ट नक्षत्र गोचर होने जा रहा है और सिंह राशि के जातकों को इसका सर्वाधिक परिणाम और अच्छा परिणाम प्राप्त होने जा रहा है। 13 अगस्त 2025 से देवगुरु बृहस्पति अपने ही नक्षत्र पुनर्वसु नक्षत्र पर गोचर करेंगे और यहां पर वो 18 जून 2026 तक विराजमान रहेंगे। इतना लंबा कार्यकाल अपने नक्षत्र पर देवगुरु बृहस्पति का गोचर बहुत ही शानदार बहुत ही श्रेष्ठ परिणाम तख्ता पलट की घटनाएं करवाने वाला यह गोचर होगा देवगुरु बृहस्पति का।तख्ता पलट का अर्थ है टोटल ट्रांसफॉर्मेशन। उल्टे को उलट कर सीधा करने की क्षमता जिस गोचर में है वो इस देवगुरु बृहस्पति के पुनर्वसु नक्षत्र पर है। मंडेन एस्ट्रोलॉजी की बात करें तो वो वैश्विक स्तर पर तमाम ऐसी घटनाएं घटने वाली हैं जिसमें सत्ता परिवर्तन होगा। सेना के द्वारा सत्ता का तख्तापलट हो जाएगा। लेकिन हमारे जीवन में भी तख्तापलट की घटनाएं होंगी। लेकिन सकारात्मक होंगी। अर्थात हमारे जीवन में भी बहुत आमूलचूल परिवर्तन करने वाले हैं देवगुरु बृहस्पति।


क्यों? कैसे? आइए समझते हैं। देवगुरु बृहस्पति पुनर्वसु नक्षत्र पर जब गोचर करेंगे तो पुनर्वसु नक्षत्र के जो प्रत्यवता है, देवी है जो इसकी वो हैं अदिति। मां अदिति। मां आदिति के बारे में आप सब लोग जानते हैं। इन्हीं के गर्भ से देवता पैदा हुए हैं। भगवान सूर्य भी मां आदिति के गर्भ से पैदा हुए। इसीलिए उन्हें आदित्य कहा जाता है। पुनर्वसु नक्षत्र की मां अदिति स्वामिनी होने के कारण इस नक्षत्र का स्वभाव बन जाता है। मदरली केयर एंड नर्चरिंग का। अर्थात मां मां की धरा मां की तरह ध्यान रखने वाला केयर करने वाला पालन पोषण करने वाला नक्षत्र है। अब देवगुरु बृहस्पति का ज्ञान जब इस नक्षत्र पर आएगा तो आप समझ सकते हैं कितनी शानदार घटनाएं घट सकती हैं। और ना केवल यहां पर इसके चार बड़ी ही महत्वपूर्ण गुण हैं पुनर्वसु नक्षत्र का।



पहले तो समझ लीजिए कि इसका विस्तार मिथुन राशि के 20° से लेकर के कर्क राशि के 3° 20 मिनट तक है। और ये चार जो मूलभूत विशेषताएं हैं उसको बताने के पहले एक बात बता दें आपको ताकि इससे आप इन विशेषताओं को कनेक्ट करके समझ सकते हैं कि हमारे जीवन पर कैसा परिणाम प्राप्त होगा। वाल्मीकि रामायण के बालकांड में 18 नंबर सर्ग के श्लोक नंबर आठ, 9, 10 और 11 में यह बताया गया है कि भगवान राम का जन्म भी इसी नक्षत्र अर्थात पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ है। भगवान राम भी अपने अवतरण के लिए इस नक्षत्र को चुने हैं। तो समझ सकते हैं कितना महत्वपूर्ण और कितना शानदार नक्षत्र है यह।

अब देवगुरु बृहस्पति जब इस नक्षत्र पर आ रहे हैं तो चार विशेषताएं इस नक्षत्र की हैं और चार विशेषताएं हमारे जीवन में घटेंग और वही भगवान राम के भी जीवन में घटी। क्या पहली जो घटना है रिटर्न रिटर्न होना वापस होना अर्थात सिंह राशि के जातकों की जो भी चीज इनके हाथ से निकल गई थी, इनका धन चला गया था, इनका मान सम्मान चला गया था, इनकी नौकरी चली गई थी, यह सब रिटर्न हो के वापस आएगी। आप रिटर्न इसका स्वभाव है। भगवान राम भी तो रिटर्न हो के आए हैं। क्योंकि बार-बार जन्म लेने का उनका स्वभाव है। बार-बार अवतरित होकर के पृथ्वी पर अवतरित होकर के यहां पर धर्म की स्थापना करने का उनका वचन है। तो रिटर्न होते रहते यहां पर रिटर्न हुआ। पहली बात उनका राज्य जो चला गया था। आपने देखा वो राज भी रिटर्न हुआ उनको। पत्नी चली गई थी। पत्नी रिटर्न हुई उनकी। तथा रिटर्न विशेष इनके जीवन में हो रहा है और हमारे जीवन में भी जो चला गया था इस नक्षत्र पर देव गुरु बृहस्पति गोचर करते हमें वापस कराएंगे। नंबर एक



दूसरा है रिन्यूल। पहला रिटर्न दूसरा है रिन्यूल अर्थात नवीनीकरण करना। यहां पर जैसे भगवान ने इस पृथ्वी पर अवतार लेकर के भगवान राम ने अवतार लेकर चीजों का रिन्यूल किया। नवीनीकरण किया। अत्याचार अनाचार राक्षसों से इस पृथ्वी को मुक्त करके उनका विनाश करके इस पृथ्वी का नवीनीकरण करके राम राज्य स्थापित किया। ऐसे ही हमारे जीवन में भी नवीनीकरण होगा अर्थात घटनाएं नवीनीकरण में घटनाएं तो कुछ भयावह हो सकती है। अर्थात जब नवीनीकरण होगा तो पुरानी चीजें उखाड़ कर फेंकी जाएंगी। जो समस्या पैदा कर रही हैं तो आपकी समस्याओं को जब उखाड़ करके फेंका जाएगा तो कुछ समस्याएं तो जरूर आएंगी। लेकिन उससे नवीनीकरण होगा और अच्छाई के लिए होगा और बेहतरी के लिए होगा।



तीसरा है रेस्टोरेशन। रिस्टोरेशन मतलब पुनस्थापना करना है। रिस्टोरेशन होगा। अच्छा रिस्टोरेशन जब होगा तो पुनस्थापना भगवान राम ने भी तो पुन स्थापना की। अब गीता में श्लोक आता है ना कि यदा यदा धर्मस भवती भारतान अधर्मस तद्मान सजाम परित्राणाय साधु नाम विनाशाय दुष्कता धर्म संस्थापनार्थाय संभवाम योगे योगे धर्म की स्थापना कर रहे हैं पुनरस्थापना कर रहे हैं भगवान का यह वचन है और यह किया उन्होंने पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म लेकर के हमारे भी जीवन में पुन स्थापना करेंगे देव गुरु बृहस्पति हम कौन सी पुन पुन स्थापना अर्थात जो चीजें जहां भी समस्याएं हैं जिन भी कारणों से समस्याएं पैदा हुई उन कारणों को उन उसके रूट काज में जाकर के उन कारणों को ऐसी समझ हम में विकसित होगी उन कारणों को हम पहचान पाएंगे उन कारणों को हटा करके हम अपनी पुनस्थापना करेंगे अपनी पद की अपनी प्रतिष्ठा की पुन स्थापना अपनी सर्विस चली गई नौकरी चली गई तो उसकी पुनस्थापना घर की पुनस्थापना आदि आदि व्यापार की पुनस्थापना आदि और चौथी महत्वपूर्ण बात यहां पर घट रही है और वह है रिपीटीशन अर्थात बारंबार वही वही घटनाएं घटने वाली हैं 18 जून तक अच्छी भी बुरी भी अच्छी की मात्रा अधिक और जो बुरी घटनाएं घटेंग वो भी अच्छाई के लिए घटने वाली हैं। भगवान राम भी संभवाम युगे युगे अर्थात बार-बार हर युग में मैं आता रहूंगा। वो रिपीटीशन उनका हो रहा है। ऐसी घटनाएं भी यहां रिपीटीशन करेंगी।

सिंह राशि के जातकों अब कैसे करेंगी? इसको समझिए सिंह राशि के जातकों के लिए त्रिकोण के स्वामी हो रहे हैं देवगुरु बृहस्पति फंक्शनल रोल उनका बहुत अच्छा हो गया कार्यात्मक भूमिका बहुत जबरदस्त हो गई उनकी और गोचर कहां कर रहे हैं आपके इनकम के भाव पर और यहां पर चकि ये मिथुन राशि है शत्रु की राशि है यहां पर बहुत अच्छे परिणाम देने के लिए बहुत बाध्य नहीं है देवुरु बृहस्पति लेकिन जब अपने ही नक्षत्र पर गोचर करने लगेंगे 13 अगस्त ते से तब शानदार परिणाम इनका देखने को प्राप्त होगा और जबरदस्त परिणाम प्राप्त होगा 13 अगस्त से इनकम बढ़ेगी। देव गुरु बृहस्पति जहां बैठते हैं उस भाव को एक्सपेंड करते हैं। उसको विस्तार देते हैं। तो अर्थात इनकम के भाव पर बैठे तो इनकम को विस्तार देंगे। लाभ का विस्तार देंगे। पद की प्राप्ति कराते हैं। देवगुरु बृहस्पति 11थ भाव पर गोचर करते हैं तो पद का लाभ आपको होने वाला है। प्रतिष्ठा आपको बन आपकी बढ़ने वाली है। यहां पर पुनर्वसु नक्षत्र पर गोचर करते हुए तो इनकम निश्चित रूप से बढ़ने वाली है। अच्छा देवगुरु बृहस्पति क्योंकि आपके अष्टम स्थान के स्वामी हैं। अष्टम स्थान के स्वामी लाभ स्थान पर बैठे हैं। अष्टम से लाभ अर्थात आकस्मिकता से लाभ अचानक अचानक से चीजों से लाभ होगा। अचानक लाभ होगा। आकस्मिक लाभ की घटनाएं घटेंग। धन लाभ होता हुआ दिख रहा है। कैसे? अचानक। अच्छा किसी के द्वारा संचित धन प्राप्त हो सकता है या ऐसे धन प्राप्त हो सकते हैं जिस पे हमने बहुत मेहनत नहीं की जिसप हमने बहुत बड़ा इन्वेस्ट कोई नहीं किया था। वहां से भी लाभ आकस्मिक लाभ के योग बनते हुए दिख रहे हैं।


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