नायडू दिल्ली पहुंचे और उसके बाद से खबरें तैरने लगी कि नायडू ने सीपी राधाकृष्णन को समर्थन दे दिया है। लेकिन इन सब के दरमियान कहीं से कहीं तक खबर यह नहीं बताई गई कि सीपी राधाकृष्णन को समर्थन तो दिया है लेकिन ब्लैकमेलिंग एक बार फिर शुरू कर दी है। नायडू फिर से मोदी सरकार को ब्लैकमेल करने पर उतारू हो चले हैं। दूसरी खबर। और यह इस वक्त की सबसे बड़ी खबर। संघ के एक वरिष्ठ प्रचारक ने एक चिट्ठी लिखी और उस चिट्ठी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के माथे पर पसीने लाने वाली बातें हैं।
सवाल यह है कि आज की तारीख में जो तख्त नसी हैं, वह आने वाली कितनी तारीखों तक तख्त पर बैठे रहेंगे? क्योंकि स्थितियां तेजी से बदल रही हैं। हालात तेजी से बदल रहे हैं। और हर गुजरते दिन के साथ कुर्सी हिल रही हैं। कुर्सी के पाएं हिल रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के। क्या-क्या हुआ है? नायडू साहब की ब्लैकमेलिंग से लेकर संघ द्वारा की जा रही घेराबंदी तक। और बात इसकी भी कि 2012 में जो नरेंद्र मोदी जी ने किया था वो पाप अब भारी पड़ने वाला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केचेहरे पर एक अलग सी खामोशी, एक अलग सी उदासी, एक अलग सी मायूसी है। इस मायूसी के पीछे का कारण क्या है? कुछ लोग कहते हैं कि सदन में लगते हुए वो नारे वोट चोर गद्दी छोड़। तो कुछ लोग कहते हैं कि तड़ी पार तड़ी पार के नारे। कुछ लोग कहते हैं कि दरअसल यह उदासी यह खामोशी, यह मायूसी इस वजह से है क्योंकि वोट चोरी का भंडाफोड़ हो गया है। लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा कुछ अंदर खाने में चल रहा है। सबसे पहले तो जरा 2012 का साल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पुराना पाप आज की तारीख में याद करना
जरूरी है क्योंकि संघ की उस वरिष्ठ प्रचारक ने जो चिट्ठी लिखी है उसमें जो कहा गया है दरअसल 2012 से जाकर जुड़ जाता है। 2012 में एक बड़ा पाप किया था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने। क्या था वो पाप जानते हैं आप? आज की तारीख में मोदी जी को कई बार हो सकता है उस बात पर अफसोस होता होगा। साल था 2012 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक अलग सा क्रेज था। उस वक्त पे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उत्तर प्रदेश में चुनावी रैलियों की जिम्मेदारी दी गई। कहा गया कि आपका समय चाहिए। आपको आना है। उस वक्त वो गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। और उन्होंने उस वक्त एक बात कही थी। भारतीय जनता पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं से कि जिस प्रदेश का प्रभारी संजय भाई जोशी हो मैं वहां पर चुनावी रैलियों को संबोधित करूं। मैं कदम नहीं रखूंगा। ऐसा नहीं हो सकता। कदापि नहीं हो सकता मैं नहीं आऊंगा।
संजय भाई जोशी को तात्कालिक तौर पर वहां से हटा दिया गया। नेपथ्य में डाल दिए गए संजय भाई जोशी और फिर 2012 के बाद 2014 का साल आया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो गए वो दिन और आज का दिन संजय भाई जोशी लगातार नेपथ्य में ही रहे हैं।
लेकिन संघ के उस वरिष्ठ प्रचारक ने क्या लिखा उस तरफ चलें उससे पहले एक और बात नायडू ने सीपी राधाकृष्णन को समर्थन देने का ऐलान तो कर दिया है। लेकिन इसके साथ ही साथ एक बार फिर नायडू की ब्लैकमेलिंग शुरू हो गई है। नायडू ने ₹5000 करोड़ मांगे हैं आंध्र प्रदेश के लिए। उन तमाम परियोजनाओं के लिए जो परियोजनाएं लटक गई हैं, अटक गई हैं, भटक गई हैं। जिसकी फाइलें रुक गई हैं। नायडू साहब की जो डिमांड है, वो जब भी दिल्ली आते हैं, झोला लेकर आते हैं और झोला भर के जाते हैं। दरअसल चंद्रबाबू नायडू गले की हड्डी बन चुके हैं इस वक्त पे मौजूदा मोदी सरकार के।एक बात बहुत अच्छे तरीके से समझा देना चाहता हूं कि दरअसल आज की तारीख में केंद्र सरकार की स्थिति यह नहीं है कि वो आंध्रा को लगातार बजट पे बजट देती रहे। नहीं है यह स्थिति।
साथ ही साथ इस बात पर भी गौर फरमाना चाहिए कि बिहार में चुनाव है। बिहार में तमाम परियोजनाओं पर पैसे खर्च हो रहे हैं। बिहार में तो चुनाव है लेकिन आंध्रा में अभी चुनाव है नहीं। और ऐसे में बार-बार जो डिमांड चंद्रबाबू नायडू कर रहे हैं उन्हें पता है कि वो एक बैसाखी हैं। वो एक मजबूरी है और इस वजह से वो हर बार ब्लैकमेल कर रहे हैं मोदी सरकार को। आज एक बार फिर वही हुआ है। वित्त मंत्री से मुलाकात करी 5000 करोड़ की डिमांड रख दी और यकीन मानिए देश की आर्थिक स्थिति फिल वक्त यह नहीं है कि किसी एक राज्य को सारा पैसा दिया जाए या बार-बार बजट अलॉट किया जाए। ऐसा करते-करते मोदी सरकार खुद भी परेशान हो गई है। खुद भी थक गई है। और जिस दिन ये डिमांड्स नहीं पूरी करेंगे उस दिन मोदी सरकार का क्या होगा? यह मोदी जी को अच्छे से पता है तो उनकी मजबूरियां भी हैं।
अब नायडू साहब किस तरीके से ब्लैकमेल कर रहे हैं और संघ की तरफ से क्या प्रेशर आ रहा है और इन सबका मिलाजुला समीकरण क्या बता रहा है कि तख्त के कितने दिन जरा उसको समझिए और केपी मलिक साहब का एक ट्वीट है। यह ट्वीट केपी मलिक साहब ने कुछ दिनों पहले किया और इस ट्वीट में उन्होंने एक बड़ी खबर ब्रेक कर दी। एक चिट्ठी ब्रेक कर दी। एक ऐसी चिट्ठी जो अभी तक आपके सामने नहीं आई होगी।जो वरिष्ठ प्रचारक हैं जिसने चिट्ठी लिखी है नागपुर को उसका मजमून डाला है और बताया है कि इस चिट्ठी में लिखा गया है:-
"नियति अपना कार्य करती रहती है किंतु पुरुषार्थ के बिना राष्ट्र का भविष्य उज्जवल नहीं हो सकता इसलिए आज मैं हृदय से कुछ निवेदन कर रहा हूं और इसके साथ ही साथ जो तीसरा पैरा है इस चिट्ठी का वो बेहद खास है। इस चिट्ठी में लिखा गया है आज दुर्भाग्य से दिल्ली स्वार्थ और महिमा मंडल के जयचंदों के कब्जे में प्रतीत होती है। शीर्ष नेतृत्व में वैचारिक शुचिताऔर संघ की सादगी का स्थान चतुराई और आडंबर ने ले लिया है। संगठन और संघ की विचारधारा का उपहास होने लगा है। ऐसे समय में आवश्यकता है संघ के अनुशासन और दंड की। भाजपा का संगठन ऐसे व्यक्ति के हाथों में होना चाहिए जो चरित्रवान हो जिसकी जीवन शैली और व्यक्तित्व संघ की संस्कृति से मेल खाते हो जो छल कपट से दूर रहते हुए व्यवहार कुशलता से नीति और नियम में स्पष्टता रखता हो तथा मां भारती की सेवा के लिए अपने दिन रात को समर्पित कर दे और इसके बाद फिर यहां पर फंसते हैं। 2012 का पाप याद आता है। क्यों फंसते हैं? क्योंकि इस चिट्ठी में लिखा गया है सीधे तौर पर गहन चिंतन मनन के बाद एक ही नाम बार-बार स्मरण में आता है और वो है संघ और भाजपा के लोकप्रिय सिद्धस्थ एवं तपस्वी कार्यकर्ता संजय जोशी का यह केवल मेरा व्यक्तिगत मन नहीं है बल्कि चार दशकों से उनके व्यक्तित्व और कर्तृत्व को निकट से देखने के बाद बनी हुई मेरी गहरी धारणा है। संजय जी का जीवन राष्ट्र सेवा से पूर्णतः समर्पित रहा है। वे पूजनीय बाबू राय राव जी के प्रिय शिष्य रहे हैं। उनके भीतर आत्मबल है।"
यह चिट्ठी ऐसा नहीं है कि रात में सपना आया होगा और किसी ने लिख डाली होगी किसी वरिष्ठ प्रचारक ने ना। बीते कुछ दिनों की स्थितियां ऐसी बन चली हैं कि संघ दो पदों पर अड़ गया। एक तो उपराष्ट्रपति पद उसे चाहिए था। तो फिर सीपी राधाकृष्णन यह खोज कर लाए और सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया एनडीए का। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष का जो चुनाव नहीं हो पा रहा है उसकी सिर्फ और सिर्फ एक वजह है और वो वजह है संघ का अड़ना, संघ का भिड़ना, संघ का भारतीय जनता पार्टी से लगातार लड़ते रहना कि अध्यक्ष तो हमारा होगा, हमारी पसंद का होगा। और यदि संजय भाई जोशी होंगे तो फिर जरा सोचिए तख्त नशी के तख्त पर कितने दिन मोदी जी की जो कुर्सी है वो हर रोज उनसे दूर होती जा रही है। इसके पीछे कारण नायडू भी हैं। कारण बिहार का चुनाव भी है और सबसे बड़ा अगर कोई कारण है तो वह कारण है कि भारतीय जनता पार्टी के लोग खुद ही अंदर खाने बहुत ज्यादा परेशान हो चले हैं। वो संघ की शरण में जा चुके हैं कि भैया कुछ भी करो मुक्ति दिलाओ।
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August 23, 2025 at 09:45AM
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