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Tuesday, June 3, 2025

लालू यादव के खिलाफ ट्रायल अंतिम घड़ी में क्या सुप्रीम कोर्ट में सिबल लालू को मौज दिलाएगा ?

 लालू यादव के खिलाफ यह पूरा ट्रायल का मामला अंतिम घड़ी में लालू यादव के खिलाफ चार्शीटें दाखिल हो चुकी हुई है। कोर्ट का संज्ञान है। अब इस मामले में लालू यादव ही नहीं लालू यादव की पत्नी राबरी देवी, डिप्टी सीएम पूर्व डिप्टी सीएम रहा बेटा तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव,षा भारती समेत लालू का पूरा कुवा जेल जाना है। क्योंकि लालू ने अपने रेल मंत्री रहते हुए जो इतना भ्रष्टाचार किया उसका पूरा मौ पत्नियों के नाम पर अथाह संपत्ति बनाई

लालू गरीबों का मसीहा बना सामाजिक न्याय का नायक बना और लूट का धंधा करता रहा। यह आईआरसीटीसी घोटाला यह लैंड फॉर जॉब घोटाला लालू के उन पापों की बानगी है। उन पापों की कहानी है जो बताता है एक सफेदपश नेता किस तरह से जनता को मूर्ख बनाते हुए लूट का धंधा करता है। जातिवाद के नशे में देश की जनता को बरगलाता है और फिर अपने पूरे खानदान और पूरे पूर्णवे के लिए लूट का राज स्थापित करता है। लालू प्रसाद यादव पांच मामले का सजायाफ्ता अपराधी है। लेकिन सिब्बल की वजह से मौज ले रहा है।

वही लालू प्रसाद यादव अब जब अंडर ट्रायल दो मामले में जेल जाने के करीब है तो फिर इस देश के कानून को ठेंगा दिखाने की तैयारी चल रही है। मतलब ट्रायल अंतिम दौर में है और सिब्बल कोर्ट से ये कहने ला हैं कि इसकी एफआईआर ही रद्द कर दो। ये कहानी ही गलत है। तो क्या सिबल वो सब खेल करवा पाएंगे जो लालू यादव चाहते हैं। यही सबसे महत्वपूर्ण है। और देखना दिलचस्प ये है कि सिबल अपनी ताकत सुप्रीम कोर्ट में किस तरह से दिखाते हैं। क्योंकि आम आदमी का मानना है कि सिब्बल की हाई कोर्ट में तो नहीं चलेगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट सिबल कोर्ट बनकर सिबल को न्याय दिलाएगा। क्या सिबल लालू को मौज दिलाएगा।

देश की सबसे बड़ी अदालत का अहंकार कि वो सुप्रीम है

इस बात को समझिए कि देश की सबसे बड़ी अदालत जो इस अहंकार में थी कि वो सुप्रीम है,जो इस अहंकार में थी कि उसका कुछ भी नहीं हो सकता, जो इस अहंकार में थी कि वो 142 के तहत उसके पास सुप्रीम अधिकार है। तो एक अनुच्छेद 142 के तहत जस्टिस वर्मा के खिलाफ कारवाई क्यों नहीं की आपने? जस्टिस वर्मा के खिलाफ साक्ष्य जो कुछ भी था वो कोर्ट के पास उस समय भी था अब भी है। लेकिन एक याचिका दाखिल कर जब सुप्रीम कोर्ट से कहा गया कि आप एफआईआर क्यों नहीं दाखिल का आदेश क्यों नहीं देते? तो कहा जाओ प्रधानमंत्री से बात करो राष्ट्रपति से बात करो।

जिस राष्ट्रपति को आप अपना घरेलू नौकर समझ के आदेश जारी कर देते हैं। उस राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से आप कहते हैं कि जाओ उसके पास जाओ और उससे कहो एफआईआर दर्ज करने के लिए। संसद द्वारा पास कानून को आप रौंद देते हैं और कहते हैं जाओ प्रधानमंत्री से एफआईआर दर्ज करने के लिए। दरअसल देश अब इस खेल को समझ चुका है। इस जस्टिस वर्मा के परम पाप को इस इतने बड़े पाप को छुपाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पूरी कोशिश कर ली और इस देश को पता चल गया कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस रिलीज जारी करके कह दिया कि टाइम्स ऑफ इंडिया की छपी रिपोर्ट जो है वो अफवाह है।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट कोअंदाजा नहीं था कि अमित शाह घाग है। दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय के अंदर में आता है और तय सी बात है कि जब मामला हाई कोर्ट के जज का होगा तो ये पूरे मामले को लेकर दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्री से बात नहीं की होगी इसकी संभावना कतई नहीं है। इसका मतलब है कि गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी पूरी तैयारी की और तभी जब पूरा मामला ठंडा पड़ता नजर आया। सुप्रीम कोर्ट ने इसको अपवाह साबित कर दिया तो चुपके से एक पेन ड्राइव थमाया गया और इस पेनड्राइव में वो सब कुछ था जिसको झुठलाना मुश्किल था। सुप्रीम कोर्ट यह भी नहीं कर सकती थी कि उस पेन ड्राइव को दबा देती क्योंकि पेन ड्राइव की कॉपी गृह मंत्रालय के पास होगा। पेन ड्राइव की कॉपी दिल्ली पुलिस के कमिश्नर के पास होगा। इस बात का अंदाजा दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को था।

जिस जुडिशरी से इंसाफ की उम्मीद की जा रही थी उसने कह दिया कि सब अफवाह है। लेकिन एक प्रेशर बना और जुडिशियल आयोग बनाया गया। न्यायिक आयोग बनाया गया। उस आयोग ने साफ-साफ कह दिया कि जस्टिस वर्मा के घर नोटों की गड्डियां जली हुई मिली और जस्टिस वर्मा को सब कुछ पता था। जस्टिस वर्मा इस केस को दबाना चाह रहे थे। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट को कमेटी ने कहा कि इस आदमी पर FIR किया जाना चाहिए और इस इस आदमी को इस्तीफा देना चाहिए। जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा तक नहीं दिया और अब पूरा मामला संसद के हवाले है। अब देश की सुप्रीम संसद जो है वो तय करेगी कि जस्टिस वर्मा का क्या हो। इतिहास में आज तक किसी किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग चलाया नहीं जा सका। अंतिम अंजाम तक नहीं पहुंचा। ये जस्टिस वर्मा पहला शख्स होगा क्योंकि इस मामले में विपक्ष भी सरकार के खिलाफ नहीं जा सकती और सुप्रीम कोर्ट का तो क्या होगा जुडिशरी का क्या होगा जस्टिस जस्टिस वर्मा का सच सामने आएगा आखिर इसके पीछे कितने लोग हैं क्या सैकड़ों करोड़ रुपए सिर्फ जस्टिस वर्मा के हो सकते हैं तो पता चलेगा क्या इसके पीछे घाघा कोर्ट फिक्सरों की भी भूमिका है।

Monday, June 2, 2025

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी

 ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी आई है। एक रिपोर्ट में यह बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद 2000 से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों को डिपोर्ट किया जा चुका है और इस मामले को लेकर दरअसल एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी घुसपैठियों के खिलाफ। लेकिन याचिका को खारिज कर दिया गया है। 2000 से ज्यादा ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया गया है। क्या है फिलहाल सरकार की तैयारी? कैसे सरकार काम कर रही है? उसके बाद सुप्रीम कोर्ट पे चर्चा करेंगे।

सरकार की तरफ से साफ-साफ कहा गया कि जितने भी विदेशी हैं उनको आईडेंटिफाई करना है उनको वापस भेजना है। और कल ही 2000 लोगों को बांग्लादेश के नोमैनस लैंड में भेज के उनको उधर विदा किया गया। आइडेंटिफिकेशन होता है। मालूम चलता है यह बांग्लादेशी है। उनको उठा के सीधे-सीधे बॉर्डर के पास ले जाकर के उधर छोड़ दिया जाता है। अभी खबर आ रही है कि वहां के जो बॉर्डर सिक्योरिटी के जो चीफ हैं उन्होंने कहा कि यह तो बहुत अचंभा काम हो रहा है। हम इन लोगों की मदद करेंगे और खबर यह भी आ रही है कुछ लोगों को बोट से ही भेज दिया जा रहा है। क्या आप उसको बोट पे लेकर के गए और सुंदरवन में जो है उनको बोट चढ़ा के कह दिया कि अब निकल आओ।

एक्शन हो रहा है इस एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल क्यों की गई? देखिए सुप्रीम कोर्ट खबर ये आई है कि बहुत सारे लोग हिंदुस्तान के वो पहुंच गए। यह वकीलों का सुप्रीम कोर्ट में एक नेक्सेस है। वह एनजीओ वाले लोगों वह पहुंच गए। यह कम से कम 10 वां या 12वां याचिका है जो वहां पहुंचते हैं किसी किसी केस को लेकर के। ये लोग आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे यह याचिका लेकर के छाती पीटने के लिए कि बहुत गड़बड़ हो रहा है। इस बार केस आसम का था कि यहां बांग्लादेशियों को भगाने के कारण उनको रात-रात में जाते हैं लोग उठाते हैं और जबरन उनको वापस भेज देते हैं। ये बड़ा अन्याय हो रहा है और हेमंत विश्व शर्मा यही काम कर भी रहे हैं कि मोहल्ला को टारगेट किया जाता है। मालूम चलता है कि वहां पे बांग्लादेशी लोग हैं। रात में पुलिस जाती है, जगाती है, गाड़ी में बिठाती है और सीधे-सीधे बॉर्डर के पास ले जाकर के नोमंस लैंड में कि उधर आप जाइए जहां से आप सुबह-सुबह बुलडोजर भी चला रहे थे और घर जो है वो तो सवेरे रात के अंधेरे में ही बुलडोजर खत्म।

कारवाई इसलिए भी तेज हो रही है क्योंकि यह केंद्र सरकार ने फैसला कर लिया है कि बांग्लादेशियों को खदेड़ खदेड़ के भगाएंगे। हिंदुस्तान कोई धर्मशाला नहीं है। अब जब इस तरह की चीजें हो रही है तो वोट बैंक पॉलिटिक्स भी इंपैक्ट हो रहा है।एनजीओ वाले वो जॉर्ज सोरोस के कांग्रेसी इकोसिस्टम ये सारे लोग वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं कि ये विदेशी हैं तो क्या हुआ? इनका भी एक फंडामेंटल राइट है। और यह काम बड़ा गड़बड़ हो रहा है। तो आज फिर पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने डांट के भगा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सब बेकार की बातें हैं।ये हमने ही आदेश दिया है।

एक बड़ा बयान आया इस तरीके का जब पूछा गया हेमंत विश्वकर्मा से कि भाई बड़ा अत्याचार आप कर रहे हैं क्योंकि वहां हजारों हजार की संख्या में रोज जो है बॉर्डर के पार भेजा जा रहा है। तो उन्होंने कहा कि नहीं हम कुछ नहीं कर रहे हैं। फरवरी में जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था हम सुप्रीम कोर्ट का आदेश पालन कर रहे हैं। और मैं आपको बता दूं कि सुप्रीम कोर्ट इस चीज को लेकर के इतना सख्त है कि कई सारे केसेस में जो हम लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान को धर्मशाला मत बना दो। ये कोई धर्मशाला थोड़ी है कि कहीं-कहीं से लोग आ जाएंगे और यहां पे रहेंगे और उसके बाद आप उसको जो है एक पॉलिटिकल टूल बना लीजिए।ये सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है। तो उन्होंने कहा कि देखिए हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही आगे बढ़ा रहे हैं। अब एक और उन्होंने बड़ी बात कह दी।उन्होंने कहा कि मैं जब फरवरी में आया तो जब हम लोगों ने चिन्हित किया कि भाई कौन फॉरेनर है कौन बांग्लादेशी है कौन बांग्लादेश से आया हुआ है वो तो लैंग्वेज से भी मालूम चल जाता है तो उन्होंने कहा कि रातोंरात 3000 लोग गायब हो गए जो आइडेंटिफिकेशन की लिस्ट थी उसमें पिछले सप्ताह 300 लोगों को ढूंढते हुए पुलिस पहुंची कि भाई यह एड्रेस है यहां बांग्लादेशी रहता तो कहां है मालूम चल रहा है गायब हो गए गायब कहां कहां हो गए?

सब भाग रहे हैं। लोग आधार कार्ड दिखा देते हैं इलेक्शन कार्ड दिखा देते हैं राशन कार्ड दिखा देते हैं लेकिन ये जो पुलिस ने इस बार नई विधा अपनाई कि उनका फोन उनका बैंक अकाउंट उनका सोशल मीडिया WhatsApp उनसे फोन जब्त करके उसका पूरा खंगाला जाता था तो मालूम यह चलता था कि अपने आपको यह बता रहा है कि हम तो हावड़ा के हैं और हावड़ा में कोई परिवार नहीं, कोई दोस्त नहीं, कोई स्कूल नहीं, कोई कुछ नहीं। सोशल मीडिया में बातचीत चल रही है ढाका में। तो ऐसे ये लोग पकड़े गए। अब जब पकड़े गए तो फिर उनको भी भेजा जाने लग गया। तो फिर वकील लोग पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट कि ये क्या तरीका है? आधार कार्ड है, सब कुछ है। ये हमारे लोगों को जो है वो मुसलमान बता करके समझा करके भाई मुसलमानों को के साथ अत्याचार हो रहा है। उठा के बाहर किया जा रहा है। ये वही सब गैंग वफ गैंग वाले जो वकील सब हैं वही सब पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने एक बात कह दी जिनसे इनकी होश उड़ गई। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी है तो वह आधार कार्ड बनाया हुआ हो, इलेक्शन कार्ड बनाया हो, राशन कार्ड हो इससे कोई लेना देना नहीं। नहीं उठा के बाहर फेंको। यह कोई धर्मशाला नहीं है। आपने बना रखा है। सालों सालों से रह रहे हैं। उन्हें भी नहीं बख्शा जाएगा।


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ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी

 ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी आई है। एक रिपोर्ट में यह बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद 2000 से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों को डिपोर्ट किया जा चुका है और इस मामले को लेकर दरअसल एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी घुसपैठियों के खिलाफ। लेकिन याचिका को खारिज कर दिया गया है। 2000 से ज्यादा ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया गया है। क्या है फिलहाल सरकार की तैयारी? कैसे सरकार काम कर रही है? उसके बाद सुप्रीम कोर्ट पे चर्चा करेंगे।

सरकार की तरफ से साफ-साफ कहा गया कि जितने भी विदेशी हैं उनको आईडेंटिफाई करना है उनको वापस भेजना है। और कल ही 2000 लोगों को बांग्लादेश के नोमैनस लैंड में भेज के उनको उधर विदा किया गया। आइडेंटिफिकेशन होता है। मालूम चलता है यह बांग्लादेशी है। उनको उठा के सीधे-सीधे बॉर्डर के पास ले जाकर के उधर छोड़ दिया जाता है। अभी खबर आ रही है कि वहां के जो बॉर्डर सिक्योरिटी के जो चीफ हैं उन्होंने कहा कि यह तो बहुत अचंभा काम हो रहा है। हम इन लोगों की मदद करेंगे और खबर यह भी आ रही है कुछ लोगों को बोट से ही भेज दिया जा रहा है। क्या आप उसको बोट पे लेकर के गए और सुंदरवन में जो है उनको बोट चढ़ा के कह दिया कि अब निकल आओ।

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एक बड़ा बयान आया इस तरीके का जब पूछा गया हेमंत विश्वकर्मा से कि भाई बड़ा अत्याचार आप कर रहे हैं क्योंकि वहां हजारों हजार की संख्या में रोज जो है बॉर्डर के पार भेजा जा रहा है। तो उन्होंने कहा कि नहीं हम कुछ नहीं कर रहे हैं। फरवरी में जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था हम सुप्रीम कोर्ट का आदेश पालन कर रहे हैं। और मैं आपको बता दूं कि सुप्रीम कोर्ट इस चीज को लेकर के इतना सख्त है कि कई सारे केसेस में जो हम लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान को धर्मशाला मत बना दो। ये कोई धर्मशाला थोड़ी है कि कहीं-कहीं से लोग आ जाएंगे और यहां पे रहेंगे और उसके बाद आप उसको जो है एक पॉलिटिकल टूल बना लीजिए।ये सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है। तो उन्होंने कहा कि देखिए हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही आगे बढ़ा रहे हैं। अब एक और उन्होंने बड़ी बात कह दी।उन्होंने कहा कि मैं जब फरवरी में आया तो जब हम लोगों ने चिन्हित किया कि भाई कौन फॉरेनर है कौन बांग्लादेशी है कौन बांग्लादेश से आया हुआ है वो तो लैंग्वेज से भी मालूम चल जाता है तो उन्होंने कहा कि रातोंरात 3000 लोग गायब हो गए जो आइडेंटिफिकेशन की लिस्ट थी उसमें पिछले सप्ताह 300 लोगों को ढूंढते हुए पुलिस पहुंची कि भाई यह एड्रेस है यहां बांग्लादेशी रहता तो कहां है मालूम चल रहा है गायब हो गए गायब कहां कहां हो गए?

सब भाग रहे हैं। लोग आधार कार्ड दिखा देते हैं इलेक्शन कार्ड दिखा देते हैं राशन कार्ड दिखा देते हैं लेकिन ये जो पुलिस ने इस बार नई विधा अपनाई कि उनका फोन उनका बैंक अकाउंट उनका सोशल मीडिया WhatsApp उनसे फोन जब्त करके उसका पूरा खंगाला जाता था तो मालूम यह चलता था कि अपने आपको यह बता रहा है कि हम तो हावड़ा के हैं और हावड़ा में कोई परिवार नहीं, कोई दोस्त नहीं, कोई स्कूल नहीं, कोई कुछ नहीं। सोशल मीडिया में बातचीत चल रही है ढाका में। तो ऐसे ये लोग पकड़े गए। अब जब पकड़े गए तो फिर उनको भी भेजा जाने लग गया। तो फिर वकील लोग पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट कि ये क्या तरीका है? आधार कार्ड है, सब कुछ है। ये हमारे लोगों को जो है वो मुसलमान बता करके समझा करके भाई मुसलमानों को के साथ अत्याचार हो रहा है। उठा के बाहर किया जा रहा है। ये वही सब गैंग वफ गैंग वाले जो वकील सब हैं वही सब पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने एक बात कह दी जिनसे इनकी होश उड़ गई। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी है तो वह आधार कार्ड बनाया हुआ हो, इलेक्शन कार्ड बनाया हो, राशन कार्ड हो इससे कोई लेना देना नहीं। नहीं उठा के बाहर फेंको। यह कोई धर्मशाला नहीं है। आपने बना रखा है। सालों सालों से रह रहे हैं। उन्हें भी नहीं बख्शा जाएगा।


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 ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी आई है। एक रिपोर्ट में यह बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद 2000 से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों को डिपोर्ट किया जा चुका है और इस मामले को लेकर दरअसल एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी घुसपैठियों के खिलाफ। लेकिन याचिका को खारिज कर दिया गया है। 2000 से ज्यादा ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया गया है। क्या है फिलहाल सरकार की तैयारी? कैसे सरकार काम कर रही है? उसके बाद सुप्रीम कोर्ट पे चर्चा करेंगे।

सरकार की तरफ से साफ-साफ कहा गया कि जितने भी विदेशी हैं उनको आईडेंटिफाई करना है उनको वापस भेजना है। और कल ही 2000 लोगों को बांग्लादेश के नोमैनस लैंड में भेज के उनको उधर विदा किया गया। आइडेंटिफिकेशन होता है। मालूम चलता है यह बांग्लादेशी है। उनको उठा के सीधे-सीधे बॉर्डर के पास ले जाकर के उधर छोड़ दिया जाता है। अभी खबर आ रही है कि वहां के जो बॉर्डर सिक्योरिटी के जो चीफ हैं उन्होंने कहा कि यह तो बहुत अचंभा काम हो रहा है। हम इन लोगों की मदद करेंगे और खबर यह भी आ रही है कुछ लोगों को बोट से ही भेज दिया जा रहा है। क्या आप उसको बोट पे लेकर के गए और सुंदरवन में जो है उनको बोट चढ़ा के कह दिया कि अब निकल आओ।

एक्शन हो रहा है इस एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल क्यों की गई? देखिए सुप्रीम कोर्ट खबर ये आई है कि बहुत सारे लोग हिंदुस्तान के वो पहुंच गए। यह वकीलों का सुप्रीम कोर्ट में एक नेक्सेस है। वह एनजीओ वाले लोगों वह पहुंच गए। यह कम से कम 10 वां या 12वां याचिका है जो वहां पहुंचते हैं किसी किसी केस को लेकर के। ये लोग आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे यह याचिका लेकर के छाती पीटने के लिए कि बहुत गड़बड़ हो रहा है। इस बार केस आसम का था कि यहां बांग्लादेशियों को भगाने के कारण उनको रात-रात में जाते हैं लोग उठाते हैं और जबरन उनको वापस भेज देते हैं। ये बड़ा अन्याय हो रहा है और हेमंत विश्व शर्मा यही काम कर भी रहे हैं कि मोहल्ला को टारगेट किया जाता है। मालूम चलता है कि वहां पे बांग्लादेशी लोग हैं। रात में पुलिस जाती है, जगाती है, गाड़ी में बिठाती है और सीधे-सीधे बॉर्डर के पास ले जाकर के नोमंस लैंड में कि उधर आप जाइए जहां से आप सुबह-सुबह बुलडोजर भी चला रहे थे और घर जो है वो तो सवेरे रात के अंधेरे में ही बुलडोजर खत्म।

कारवाई इसलिए भी तेज हो रही है क्योंकि यह केंद्र सरकार ने फैसला कर लिया है कि बांग्लादेशियों को खदेड़ खदेड़ के भगाएंगे। हिंदुस्तान कोई धर्मशाला नहीं है। अब जब इस तरह की चीजें हो रही है तो वोट बैंक पॉलिटिक्स भी इंपैक्ट हो रहा है।एनजीओ वाले वो जॉर्ज सोरोस के कांग्रेसी इकोसिस्टम ये सारे लोग वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं कि ये विदेशी हैं तो क्या हुआ? इनका भी एक फंडामेंटल राइट है। और यह काम बड़ा गड़बड़ हो रहा है। तो आज फिर पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने डांट के भगा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सब बेकार की बातें हैं।ये हमने ही आदेश दिया है।

एक बड़ा बयान आया इस तरीके का जब पूछा गया हेमंत विश्वकर्मा से कि भाई बड़ा अत्याचार आप कर रहे हैं क्योंकि वहां हजारों हजार की संख्या में रोज जो है बॉर्डर के पार भेजा जा रहा है। तो उन्होंने कहा कि नहीं हम कुछ नहीं कर रहे हैं। फरवरी में जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था हम सुप्रीम कोर्ट का आदेश पालन कर रहे हैं। और मैं आपको बता दूं कि सुप्रीम कोर्ट इस चीज को लेकर के इतना सख्त है कि कई सारे केसेस में जो हम लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान को धर्मशाला मत बना दो। ये कोई धर्मशाला थोड़ी है कि कहीं-कहीं से लोग आ जाएंगे और यहां पे रहेंगे और उसके बाद आप उसको जो है एक पॉलिटिकल टूल बना लीजिए।ये सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है। तो उन्होंने कहा कि देखिए हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही आगे बढ़ा रहे हैं। अब एक और उन्होंने बड़ी बात कह दी।उन्होंने कहा कि मैं जब फरवरी में आया तो जब हम लोगों ने चिन्हित किया कि भाई कौन फॉरेनर है कौन बांग्लादेशी है कौन बांग्लादेश से आया हुआ है वो तो लैंग्वेज से भी मालूम चल जाता है तो उन्होंने कहा कि रातोंरात 3000 लोग गायब हो गए जो आइडेंटिफिकेशन की लिस्ट थी उसमें पिछले सप्ताह 300 लोगों को ढूंढते हुए पुलिस पहुंची कि भाई यह एड्रेस है यहां बांग्लादेशी रहता तो कहां है मालूम चल रहा है गायब हो गए गायब कहां कहां हो गए?

सब भाग रहे हैं। लोग आधार कार्ड दिखा देते हैं इलेक्शन कार्ड दिखा देते हैं राशन कार्ड दिखा देते हैं लेकिन ये जो पुलिस ने इस बार नई विधा अपनाई कि उनका फोन उनका बैंक अकाउंट उनका सोशल मीडिया WhatsApp उनसे फोन जब्त करके उसका पूरा खंगाला जाता था तो मालूम यह चलता था कि अपने आपको यह बता रहा है कि हम तो हावड़ा के हैं और हावड़ा में कोई परिवार नहीं, कोई दोस्त नहीं, कोई स्कूल नहीं, कोई कुछ नहीं। सोशल मीडिया में बातचीत चल रही है ढाका में। तो ऐसे ये लोग पकड़े गए। अब जब पकड़े गए तो फिर उनको भी भेजा जाने लग गया। तो फिर वकील लोग पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट कि ये क्या तरीका है? आधार कार्ड है, सब कुछ है। ये हमारे लोगों को जो है वो मुसलमान बता करके समझा करके भाई मुसलमानों को के साथ अत्याचार हो रहा है। उठा के बाहर किया जा रहा है। ये वही सब गैंग वफ गैंग वाले जो वकील सब हैं वही सब पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने एक बात कह दी जिनसे इनकी होश उड़ गई। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी है तो वह आधार कार्ड बनाया हुआ हो, इलेक्शन कार्ड बनाया हो, राशन कार्ड हो इससे कोई लेना देना नहीं। नहीं उठा के बाहर फेंको। यह कोई धर्मशाला नहीं है। आपने बना रखा है। सालों सालों से रह रहे हैं। उन्हें भी नहीं बख्शा जाएगा।


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ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी

 ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी आई है। एक रिपोर्ट में यह बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद 2000 से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों को डिपोर्ट किया जा चुका है और इस मामले को लेकर दरअसल एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी घुसपैठियों के खिलाफ। लेकिन याचिका को खारिज कर दिया गया है। 2000 से ज्यादा ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया गया है। क्या है फिलहाल सरकार की तैयारी? कैसे सरकार काम कर रही है? उसके बाद सुप्रीम कोर्ट पे चर्चा करेंगे।

सरकार की तरफ से साफ-साफ कहा गया कि जितने भी विदेशी हैं उनको आईडेंटिफाई करना है उनको वापस भेजना है। और कल ही 2000 लोगों को बांग्लादेश के नोमैनस लैंड में भेज के उनको उधर विदा किया गया। आइडेंटिफिकेशन होता है। मालूम चलता है यह बांग्लादेशी है। उनको उठा के सीधे-सीधे बॉर्डर के पास ले जाकर के उधर छोड़ दिया जाता है। अभी खबर आ रही है कि वहां के जो बॉर्डर सिक्योरिटी के जो चीफ हैं उन्होंने कहा कि यह तो बहुत अचंभा काम हो रहा है। हम इन लोगों की मदद करेंगे और खबर यह भी आ रही है कुछ लोगों को बोट से ही भेज दिया जा रहा है। क्या आप उसको बोट पे लेकर के गए और सुंदरवन में जो है उनको बोट चढ़ा के कह दिया कि अब निकल आओ।

एक्शन हो रहा है इस एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल क्यों की गई? देखिए सुप्रीम कोर्ट खबर ये आई है कि बहुत सारे लोग हिंदुस्तान के वो पहुंच गए। यह वकीलों का सुप्रीम कोर्ट में एक नेक्सेस है। वह एनजीओ वाले लोगों वह पहुंच गए। यह कम से कम 10 वां या 12वां याचिका है जो वहां पहुंचते हैं किसी किसी केस को लेकर के। ये लोग आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे यह याचिका लेकर के छाती पीटने के लिए कि बहुत गड़बड़ हो रहा है। इस बार केस आसम का था कि यहां बांग्लादेशियों को भगाने के कारण उनको रात-रात में जाते हैं लोग उठाते हैं और जबरन उनको वापस भेज देते हैं। ये बड़ा अन्याय हो रहा है और हेमंत विश्व शर्मा यही काम कर भी रहे हैं कि मोहल्ला को टारगेट किया जाता है। मालूम चलता है कि वहां पे बांग्लादेशी लोग हैं। रात में पुलिस जाती है, जगाती है, गाड़ी में बिठाती है और सीधे-सीधे बॉर्डर के पास ले जाकर के नोमंस लैंड में कि उधर आप जाइए जहां से आप सुबह-सुबह बुलडोजर भी चला रहे थे और घर जो है वो तो सवेरे रात के अंधेरे में ही बुलडोजर खत्म।

कारवाई इसलिए भी तेज हो रही है क्योंकि यह केंद्र सरकार ने फैसला कर लिया है कि बांग्लादेशियों को खदेड़ खदेड़ के भगाएंगे। हिंदुस्तान कोई धर्मशाला नहीं है। अब जब इस तरह की चीजें हो रही है तो वोट बैंक पॉलिटिक्स भी इंपैक्ट हो रहा है।एनजीओ वाले वो जॉर्ज सोरोस के कांग्रेसी इकोसिस्टम ये सारे लोग वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं कि ये विदेशी हैं तो क्या हुआ? इनका भी एक फंडामेंटल राइट है। और यह काम बड़ा गड़बड़ हो रहा है। तो आज फिर पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने डांट के भगा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सब बेकार की बातें हैं।ये हमने ही आदेश दिया है।

एक बड़ा बयान आया इस तरीके का जब पूछा गया हेमंत विश्वकर्मा से कि भाई बड़ा अत्याचार आप कर रहे हैं क्योंकि वहां हजारों हजार की संख्या में रोज जो है बॉर्डर के पार भेजा जा रहा है। तो उन्होंने कहा कि नहीं हम कुछ नहीं कर रहे हैं। फरवरी में जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था हम सुप्रीम कोर्ट का आदेश पालन कर रहे हैं। और मैं आपको बता दूं कि सुप्रीम कोर्ट इस चीज को लेकर के इतना सख्त है कि कई सारे केसेस में जो हम लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान को धर्मशाला मत बना दो। ये कोई धर्मशाला थोड़ी है कि कहीं-कहीं से लोग आ जाएंगे और यहां पे रहेंगे और उसके बाद आप उसको जो है एक पॉलिटिकल टूल बना लीजिए।ये सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है। तो उन्होंने कहा कि देखिए हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही आगे बढ़ा रहे हैं। अब एक और उन्होंने बड़ी बात कह दी।उन्होंने कहा कि मैं जब फरवरी में आया तो जब हम लोगों ने चिन्हित किया कि भाई कौन फॉरेनर है कौन बांग्लादेशी है कौन बांग्लादेश से आया हुआ है वो तो लैंग्वेज से भी मालूम चल जाता है तो उन्होंने कहा कि रातोंरात 3000 लोग गायब हो गए जो आइडेंटिफिकेशन की लिस्ट थी उसमें पिछले सप्ताह 300 लोगों को ढूंढते हुए पुलिस पहुंची कि भाई यह एड्रेस है यहां बांग्लादेशी रहता तो कहां है मालूम चल रहा है गायब हो गए गायब कहां कहां हो गए?

सब भाग रहे हैं। लोग आधार कार्ड दिखा देते हैं इलेक्शन कार्ड दिखा देते हैं राशन कार्ड दिखा देते हैं लेकिन ये जो पुलिस ने इस बार नई विधा अपनाई कि उनका फोन उनका बैंक अकाउंट उनका सोशल मीडिया WhatsApp उनसे फोन जब्त करके उसका पूरा खंगाला जाता था तो मालूम यह चलता था कि अपने आपको यह बता रहा है कि हम तो हावड़ा के हैं और हावड़ा में कोई परिवार नहीं, कोई दोस्त नहीं, कोई स्कूल नहीं, कोई कुछ नहीं। सोशल मीडिया में बातचीत चल रही है ढाका में। तो ऐसे ये लोग पकड़े गए। अब जब पकड़े गए तो फिर उनको भी भेजा जाने लग गया। तो फिर वकील लोग पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट कि ये क्या तरीका है? आधार कार्ड है, सब कुछ है। ये हमारे लोगों को जो है वो मुसलमान बता करके समझा करके भाई मुसलमानों को के साथ अत्याचार हो रहा है। उठा के बाहर किया जा रहा है। ये वही सब गैंग वफ गैंग वाले जो वकील सब हैं वही सब पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने एक बात कह दी जिनसे इनकी होश उड़ गई। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी है तो वह आधार कार्ड बनाया हुआ हो, इलेक्शन कार्ड बनाया हो, राशन कार्ड हो इससे कोई लेना देना नहीं। नहीं उठा के बाहर फेंको। यह कोई धर्मशाला नहीं है। आपने बना रखा है। सालों सालों से रह रहे हैं। उन्हें भी नहीं बख्शा जाएगा।


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June 02, 2025 at 04:29PM

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी

 ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी आई है। एक रिपोर्ट में यह बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद 2000 से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों को डिपोर्ट किया जा चुका है और इस मामले को लेकर दरअसल एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी घुसपैठियों के खिलाफ। लेकिन याचिका को खारिज कर दिया गया है। 2000 से ज्यादा ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया गया है। क्या है फिलहाल सरकार की तैयारी? कैसे सरकार काम कर रही है? उसके बाद सुप्रीम कोर्ट पे चर्चा करेंगे।

सरकार की तरफ से साफ-साफ कहा गया कि जितने भी विदेशी हैं उनको आईडेंटिफाई करना है उनको वापस भेजना है। और कल ही 2000 लोगों को बांग्लादेश के नोमैनस लैंड में भेज के उनको उधर विदा किया गया। आइडेंटिफिकेशन होता है। मालूम चलता है यह बांग्लादेशी है। उनको उठा के सीधे-सीधे बॉर्डर के पास ले जाकर के उधर छोड़ दिया जाता है। अभी खबर आ रही है कि वहां के जो बॉर्डर सिक्योरिटी के जो चीफ हैं उन्होंने कहा कि यह तो बहुत अचंभा काम हो रहा है। हम इन लोगों की मदद करेंगे और खबर यह भी आ रही है कुछ लोगों को बोट से ही भेज दिया जा रहा है। क्या आप उसको बोट पे लेकर के गए और सुंदरवन में जो है उनको बोट चढ़ा के कह दिया कि अब निकल आओ।

एक्शन हो रहा है इस एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल क्यों की गई? देखिए सुप्रीम कोर्ट खबर ये आई है कि बहुत सारे लोग हिंदुस्तान के वो पहुंच गए। यह वकीलों का सुप्रीम कोर्ट में एक नेक्सेस है। वह एनजीओ वाले लोगों वह पहुंच गए। यह कम से कम 10 वां या 12वां याचिका है जो वहां पहुंचते हैं किसी किसी केस को लेकर के। ये लोग आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे यह याचिका लेकर के छाती पीटने के लिए कि बहुत गड़बड़ हो रहा है। इस बार केस आसम का था कि यहां बांग्लादेशियों को भगाने के कारण उनको रात-रात में जाते हैं लोग उठाते हैं और जबरन उनको वापस भेज देते हैं। ये बड़ा अन्याय हो रहा है और हेमंत विश्व शर्मा यही काम कर भी रहे हैं कि मोहल्ला को टारगेट किया जाता है। मालूम चलता है कि वहां पे बांग्लादेशी लोग हैं। रात में पुलिस जाती है, जगाती है, गाड़ी में बिठाती है और सीधे-सीधे बॉर्डर के पास ले जाकर के नोमंस लैंड में कि उधर आप जाइए जहां से आप सुबह-सुबह बुलडोजर भी चला रहे थे और घर जो है वो तो सवेरे रात के अंधेरे में ही बुलडोजर खत्म।

कारवाई इसलिए भी तेज हो रही है क्योंकि यह केंद्र सरकार ने फैसला कर लिया है कि बांग्लादेशियों को खदेड़ खदेड़ के भगाएंगे। हिंदुस्तान कोई धर्मशाला नहीं है। अब जब इस तरह की चीजें हो रही है तो वोट बैंक पॉलिटिक्स भी इंपैक्ट हो रहा है।एनजीओ वाले वो जॉर्ज सोरोस के कांग्रेसी इकोसिस्टम ये सारे लोग वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं कि ये विदेशी हैं तो क्या हुआ? इनका भी एक फंडामेंटल राइट है। और यह काम बड़ा गड़बड़ हो रहा है। तो आज फिर पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने डांट के भगा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सब बेकार की बातें हैं।ये हमने ही आदेश दिया है।

एक बड़ा बयान आया इस तरीके का जब पूछा गया हेमंत विश्वकर्मा से कि भाई बड़ा अत्याचार आप कर रहे हैं क्योंकि वहां हजारों हजार की संख्या में रोज जो है बॉर्डर के पार भेजा जा रहा है। तो उन्होंने कहा कि नहीं हम कुछ नहीं कर रहे हैं। फरवरी में जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था हम सुप्रीम कोर्ट का आदेश पालन कर रहे हैं। और मैं आपको बता दूं कि सुप्रीम कोर्ट इस चीज को लेकर के इतना सख्त है कि कई सारे केसेस में जो हम लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान को धर्मशाला मत बना दो। ये कोई धर्मशाला थोड़ी है कि कहीं-कहीं से लोग आ जाएंगे और यहां पे रहेंगे और उसके बाद आप उसको जो है एक पॉलिटिकल टूल बना लीजिए।ये सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है। तो उन्होंने कहा कि देखिए हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही आगे बढ़ा रहे हैं। अब एक और उन्होंने बड़ी बात कह दी।उन्होंने कहा कि मैं जब फरवरी में आया तो जब हम लोगों ने चिन्हित किया कि भाई कौन फॉरेनर है कौन बांग्लादेशी है कौन बांग्लादेश से आया हुआ है वो तो लैंग्वेज से भी मालूम चल जाता है तो उन्होंने कहा कि रातोंरात 3000 लोग गायब हो गए जो आइडेंटिफिकेशन की लिस्ट थी उसमें पिछले सप्ताह 300 लोगों को ढूंढते हुए पुलिस पहुंची कि भाई यह एड्रेस है यहां बांग्लादेशी रहता तो कहां है मालूम चल रहा है गायब हो गए गायब कहां कहां हो गए?

सब भाग रहे हैं। लोग आधार कार्ड दिखा देते हैं इलेक्शन कार्ड दिखा देते हैं राशन कार्ड दिखा देते हैं लेकिन ये जो पुलिस ने इस बार नई विधा अपनाई कि उनका फोन उनका बैंक अकाउंट उनका सोशल मीडिया WhatsApp उनसे फोन जब्त करके उसका पूरा खंगाला जाता था तो मालूम यह चलता था कि अपने आपको यह बता रहा है कि हम तो हावड़ा के हैं और हावड़ा में कोई परिवार नहीं, कोई दोस्त नहीं, कोई स्कूल नहीं, कोई कुछ नहीं। सोशल मीडिया में बातचीत चल रही है ढाका में। तो ऐसे ये लोग पकड़े गए। अब जब पकड़े गए तो फिर उनको भी भेजा जाने लग गया। तो फिर वकील लोग पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट कि ये क्या तरीका है? आधार कार्ड है, सब कुछ है। ये हमारे लोगों को जो है वो मुसलमान बता करके समझा करके भाई मुसलमानों को के साथ अत्याचार हो रहा है। उठा के बाहर किया जा रहा है। ये वही सब गैंग वफ गैंग वाले जो वकील सब हैं वही सब पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने एक बात कह दी जिनसे इनकी होश उड़ गई। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी है तो वह आधार कार्ड बनाया हुआ हो, इलेक्शन कार्ड बनाया हो, राशन कार्ड हो इससे कोई लेना देना नहीं। नहीं उठा के बाहर फेंको। यह कोई धर्मशाला नहीं है। आपने बना रखा है। सालों सालों से रह रहे हैं। उन्हें भी नहीं बख्शा जाएगा।

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