ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को पकड़ कर वापस भेजने में तेजी आई है। एक रिपोर्ट में यह बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद 2000 से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों को डिपोर्ट किया जा चुका है और इस मामले को लेकर दरअसल एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी घुसपैठियों के खिलाफ। लेकिन याचिका को खारिज कर दिया गया है। 2000 से ज्यादा ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया गया है। क्या है फिलहाल सरकार की तैयारी? कैसे सरकार काम कर रही है? उसके बाद सुप्रीम कोर्ट पे चर्चा करेंगे।
सरकार की तरफ से साफ-साफ कहा गया कि जितने भी विदेशी हैं उनको आईडेंटिफाई करना है उनको वापस भेजना है। और कल ही 2000 लोगों को बांग्लादेश के नोमैनस लैंड में भेज के उनको उधर विदा किया गया। आइडेंटिफिकेशन होता है। मालूम चलता है यह बांग्लादेशी है। उनको उठा के सीधे-सीधे बॉर्डर के पास ले जाकर के उधर छोड़ दिया जाता है। अभी खबर आ रही है कि वहां के जो बॉर्डर सिक्योरिटी के जो चीफ हैं उन्होंने कहा कि यह तो बहुत अचंभा काम हो रहा है। हम इन लोगों की मदद करेंगे और खबर यह भी आ रही है कुछ लोगों को बोट से ही भेज दिया जा रहा है। क्या आप उसको बोट पे लेकर के गए और सुंदरवन में जो है उनको बोट चढ़ा के कह दिया कि अब निकल आओ।
एक्शन हो रहा है इस एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल क्यों की गई? देखिए सुप्रीम कोर्ट खबर ये आई है कि बहुत सारे लोग हिंदुस्तान के वो पहुंच गए। यह वकीलों का सुप्रीम कोर्ट में एक नेक्सेस है। वह एनजीओ वाले लोगों वह पहुंच गए। यह कम से कम 10 वां या 12वां याचिका है जो वहां पहुंचते हैं किसी किसी केस को लेकर के। ये लोग आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे यह याचिका लेकर के छाती पीटने के लिए कि बहुत गड़बड़ हो रहा है। इस बार केस आसम का था कि यहां बांग्लादेशियों को भगाने के कारण उनको रात-रात में जाते हैं लोग उठाते हैं और जबरन उनको वापस भेज देते हैं। ये बड़ा अन्याय हो रहा है और हेमंत विश्व शर्मा यही काम कर भी रहे हैं कि मोहल्ला को टारगेट किया जाता है। मालूम चलता है कि वहां पे बांग्लादेशी लोग हैं। रात में पुलिस जाती है, जगाती है, गाड़ी में बिठाती है और सीधे-सीधे बॉर्डर के पास ले जाकर के नोमंस लैंड में कि उधर आप जाइए जहां से आप सुबह-सुबह बुलडोजर भी चला रहे थे और घर जो है वो तो सवेरे रात के अंधेरे में ही बुलडोजर खत्म।
कारवाई इसलिए भी तेज हो रही है क्योंकि यह केंद्र सरकार ने फैसला कर लिया है कि बांग्लादेशियों को खदेड़ खदेड़ के भगाएंगे। हिंदुस्तान कोई धर्मशाला नहीं है। अब जब इस तरह की चीजें हो रही है तो वोट बैंक पॉलिटिक्स भी इंपैक्ट हो रहा है।एनजीओ वाले वो जॉर्ज सोरोस के कांग्रेसी इकोसिस्टम ये सारे लोग वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं कि ये विदेशी हैं तो क्या हुआ? इनका भी एक फंडामेंटल राइट है। और यह काम बड़ा गड़बड़ हो रहा है। तो आज फिर पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने डांट के भगा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सब बेकार की बातें हैं।ये हमने ही आदेश दिया है।
एक बड़ा बयान आया इस तरीके का जब पूछा गया हेमंत विश्वकर्मा से कि भाई बड़ा अत्याचार आप कर रहे हैं क्योंकि वहां हजारों हजार की संख्या में रोज जो है बॉर्डर के पार भेजा जा रहा है। तो उन्होंने कहा कि नहीं हम कुछ नहीं कर रहे हैं। फरवरी में जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था हम सुप्रीम कोर्ट का आदेश पालन कर रहे हैं। और मैं आपको बता दूं कि सुप्रीम कोर्ट इस चीज को लेकर के इतना सख्त है कि कई सारे केसेस में जो हम लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान को धर्मशाला मत बना दो। ये कोई धर्मशाला थोड़ी है कि कहीं-कहीं से लोग आ जाएंगे और यहां पे रहेंगे और उसके बाद आप उसको जो है एक पॉलिटिकल टूल बना लीजिए।ये सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है। तो उन्होंने कहा कि देखिए हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही आगे बढ़ा रहे हैं। अब एक और उन्होंने बड़ी बात कह दी।उन्होंने कहा कि मैं जब फरवरी में आया तो जब हम लोगों ने चिन्हित किया कि भाई कौन फॉरेनर है कौन बांग्लादेशी है कौन बांग्लादेश से आया हुआ है वो तो लैंग्वेज से भी मालूम चल जाता है तो उन्होंने कहा कि रातोंरात 3000 लोग गायब हो गए जो आइडेंटिफिकेशन की लिस्ट थी उसमें पिछले सप्ताह 300 लोगों को ढूंढते हुए पुलिस पहुंची कि भाई यह एड्रेस है यहां बांग्लादेशी रहता तो कहां है मालूम चल रहा है गायब हो गए गायब कहां कहां हो गए?
सब भाग रहे हैं। लोग आधार कार्ड दिखा देते हैं इलेक्शन कार्ड दिखा देते हैं राशन कार्ड दिखा देते हैं लेकिन ये जो पुलिस ने इस बार नई विधा अपनाई कि उनका फोन उनका बैंक अकाउंट उनका सोशल मीडिया WhatsApp उनसे फोन जब्त करके उसका पूरा खंगाला जाता था तो मालूम यह चलता था कि अपने आपको यह बता रहा है कि हम तो हावड़ा के हैं और हावड़ा में कोई परिवार नहीं, कोई दोस्त नहीं, कोई स्कूल नहीं, कोई कुछ नहीं। सोशल मीडिया में बातचीत चल रही है ढाका में। तो ऐसे ये लोग पकड़े गए। अब जब पकड़े गए तो फिर उनको भी भेजा जाने लग गया। तो फिर वकील लोग पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट कि ये क्या तरीका है? आधार कार्ड है, सब कुछ है। ये हमारे लोगों को जो है वो मुसलमान बता करके समझा करके भाई मुसलमानों को के साथ अत्याचार हो रहा है। उठा के बाहर किया जा रहा है। ये वही सब गैंग वफ गैंग वाले जो वकील सब हैं वही सब पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने एक बात कह दी जिनसे इनकी होश उड़ गई। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी है तो वह आधार कार्ड बनाया हुआ हो, इलेक्शन कार्ड बनाया हो, राशन कार्ड हो इससे कोई लेना देना नहीं। नहीं उठा के बाहर फेंको। यह कोई धर्मशाला नहीं है। आपने बना रखा है। सालों सालों से रह रहे हैं। उन्हें भी नहीं बख्शा जाएगा।
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