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Thursday, March 15, 2018

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Friday, March 2, 2018

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Wednesday, February 21, 2018

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Sunday, February 18, 2018

बैंक लोन : तेरी लुटाई , हमारी मलाई

बैंक लोन : तेरी लुटाई , हमारी मलाई
यह यूपीए व कांग्रेस के नेताओं के लिए घोर आश्चर्य था कि 2004 से 2009 के कुशासन के बाद भी कैसे वे पुनः 2009 में केंद्र सत्ता में आ गए। शायद इसमें तेजहीन हो चुके भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का अधिक योगदान रहा। इसी कारण सोनिया गांधी का आडवाणी व चौकड़ी ( जेटली, सुषमा, वेंकैया व अनंत) से ख़ास लगाव रहा। मोदी खेमे ने जब राजनाथसिंह व मोहन भागवत को शीशे में उतारा तो चौकड़ी का चक्रव्यूह टूटा। किंतू जेटली का कांग्रेस प्रेम रह रह कर छलकता रहता है। हद तो इस बार बजट के बाद जेटली द्वारा अपने पिटठू इंडिया टीवी को दिए गए साक्षात्कार में हुई जब जेटली के पीछे दीवार पर नेहरू की फ़ोटो टंगी थी।
यूपीए के नेताओं को भरोसा था कि वे सन 2014 को लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाएंगे तो लंपटों की फौज ने देश को हर स्तर पर लूटने का खेल रचा। हर क्षेत्र में घोटाले जगजाहिर है। सोनिया " मिसेज 10 परसेंटेज" बन गयी और जिसने हिस्सा दिया उसे लूट की खुली छूट दी गयी। 52 लाख करोड़ के बैंक लोन भी इसी नीति के तहत बांटे गए। जिस प्रकार पीएनबी घोटाले से जाहिर हुआ कि भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं द्वारा विशेषकर यूरोप में ऋण दिए गए ऐसे दर्जनों और खेल खेले गए और लाखों करोड़ रुपए यूरोप व अमेरिका की मंदी की शिकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इटेलियन सोनिया मेनिया ने बंटवाए। डायलॉग इंडिया ने जनवरी,सन 2013 में ही रिजर्व बैंक से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बताया था कि कैसे हम आयात आधारित अर्थव्यवस्था में बदल चीन, आसियान देशो, अफ्रीका, यूरोप व अमेरिका का भला कर रहे हैं। अपने संसाधन व लोन उन पर लुटा रहे हैं।साथ ही 12 लाख करोड़ के लोन इसी खेल के कारण NPA में बदलने जा रहे हैं, मगर किसी ने इसे मुद्दा नहीं बनाया।
मौलिक भारत की ओर से मैंने सन 2014 में मोदी सरकार आने के बाद मांग की थी कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र जारी करे ताकि अर्थव्यवस्था ओर बैंकिंग व्यवस्था की स्थितियां पारदर्शी रूप से देश की जनता के सामने आ सकें। किंतू मोदी- जेटली की जोड़ी ने ऐसा नहीं किया। मोदी जी विभिन्न साक्षात्कारों में तर्क देते रहे कि ऐसा करने से हमारी अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग व छवि खराब हो जाएगी। मोदी सरकार ने इसकी जगह यूरोप की सरकारों (लोन के नाम पर) को दबाब में लिया व अपनी नीतियों का समर्थन करवाया। देशी व प्रवासी भारतीय उद्योगपतियों को कार्यवाही न करने का लालच दे अपने पाले में किया। ऐसा करने के साथ ही उन लोगो के सामने शर्त रखी कि कांग्रेस पार्टी व यूपीए को कोई चंदा नहीं देंगे ( सिर्फ भाजपा को ही देंगे)। दूसरी ओर बैंकिंग सिस्टम के कानून सख्त बना आगे किसी घपले, घोटाले व लूट को मुश्किल बना दिया, बैंक कर्मियों की जबाबदेही तय की और दबाब बनाकर डूबे हुए लोन का 25 से 30 प्रतिशत तक वसूल भी कर लिया। तीसरे नोटबंदी लागूकर बैंकिंग व्यवस्था को पुनः मजबूत बनाया और अब जीएसटी व डिजीटलीकरण से स्वच्छ व पारदर्शी बना रहे हैं।
बात पुराने पापियों की है जिन्होंने कांग्रेस व यूपीए के नेताओं के साथ मिलकर बैंकिंग सिस्टम को ध्वस्त किया और भाजपा व एनडीए नेताओं को उस लूट का हिस्सा देकर गलबहियां की। इन पापियों के पापों की फाइलें कांग्रेस नेताओं के पास भी है और मोदी सरकार के पास भी। कांग्रेस की रणनीति दबाब बना अपने पाले से छूटे इन "पुराने पापियों" से पुनः सेटिंग करने की है। इस कड़ी में देर सवेर इनमें से कुछ कीपोल पट्टी जनता के सामने आनी ही है ताकि बाकी पर दबाब बना सौदेबाजी की जा सके। साथ ही चुनावी राजनीति में चुनावों के समय इन पापियों के पापों की पोल खोलकर राजनीतिक दल जनता को भ्रमित कर सत्ता हथियाने के खेल खेलते हैं और बाद में जनता की आंखों में धूल झोंककर इन्हीं पापियों से सौदेबाजी कर लेते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने संसद को हाल ही में बताया था कि यूपीए सरकार ने कुल 52 लाख करोड़ रुपये ऐसे ही बांटे अपने 10 साल के कार्यकाल में। उन्होंने कहा था कि हमारे पास पूरी सूची है गड़बड़ी करने वालो की। यह लोकसभा चुनावों का बर्ष है व कांग्रेस इस लूट की जिम्मेदारी भाजपा पर डालेगी, ऐसे में अभी तो ऐसे अनेको बड़े बड़े घोटाले व मामले सामने लाएगी। बेहतर होता सरकार स्वयं ही घोटालेबाजो की सूची जारी करे और यूपीए के पापों को न ढोये। लुटेरों पर कड़ी कार्यवाही व उनसे किसी भी प्रकार की सहानुभूति न रखने में ही मोदी सरकार की भलाई है। जो प्यार भाजपा नेताओं ने पुराने पापियों से दिखाया है कुछ ऐसा ही प्यार दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने प्रवासी गुप्ता बंधुओं से दिखाया था और हासिल ही में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा व सत्ता गवानी पड़ी।
जनता बेचारी वज्र मूर्ख ही रहनी है। अस्तित्व के संघर्ष में उलझे लोगों के लिए यह उसकी समझ से बाहर ही रहेगा कि रुपया आता कहां है और जाता कहां है और मजे लेने वाले मजे लेते रहेंगे

Wednesday, December 20, 2017

सोनिया ने बनाया था BJP को गुजरात मे हराने के प्लान

मोदी को हराने के लिए कांग्रेस ने दिया था ओबामा को हराने वाली कंपनी को ठेका, बर्बाद हुए रुपये

Posted: 19 Dec 2017 12:35 AM PST

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गुजरात में मोदी को हराने के लिए कांग्रेस ने बहुत बड़ी ताकत लगायी थी, उन्होंने उस कंपनी को ठेका दिया था जिसने अमेरिका में ओबामा समर्थक हिलेरी क्लिंटन को हराया था और डोनाल्ड ट्रम्प को जीत दिलवाई थी, हम बात कर रहे हैं कैम्ब्रिज एनालिटिका की. कांग्रेस ने गुजरात में मोदी को हराकर दुनिया भर में उनकी छवि खराब करने के लिए इसी कंपनी को ठेका दिया था, यह डील दो साल पहले ही की गयी थी. कंपनी ने दो साल पहले ही काम शुरू कर दिया था.

कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी के कहने पर ही डेढ़ साल पहले कांग्रेस ने हार्दिक पटेल के जरिये पाटीदार आन्दोलन खड़ा करवाया, उन्हें और हार्दिक पटेल को पता था कि पटेलों को आरक्षण कभी नहीं मिल पाएगा उसके बावजूद भी पटेलों को आरक्षण का लालच दिखाकर उन्हें बीजेपी के खिलाफ भड़काया गया. कैम्ब्रिज एनालिटिका की यह कोशिश कामयाब रही और पाटीदारों ने कांग्रेस को वोट दिया. पाटीदारों के प्रभुत्व वाले सौराष्ट्र क्षेत्र में कांग्रेस को बीजेपी से अधिक सीटें मिलीं. अगर आपको शक हो रहा है तो सोचिये, हार्दिक पटेल को सैकड़ों रैलियों के लिए पैसे कहाँ से मिले, क्या उन्होंने अपने घर में रुपये छापने के लिए मशीन लगा रखी, हर रैली में 10-20-50 लाख रुपये खर्च किये गए और टोटल अरबों रुपये खर्च किये गए.


कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी के कहने पर ही कांग्रेस ने अल्पेश ठाकोर के जरिये OBC आन्दोलन खड़ा किया, OBC ने पटेलों को आरक्षण देने का विरोध करने के लिए आन्दोलन किया था और धीरे धीरे उनके मन में पटेलों के खिलाफ नफरत पैदा की गयी. इसके बाद अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हो गए तो उनके समर्थक भी कांग्रेस के साथ हो गए जबकि उन्होंने पटेलों के खिलाफ आन्दोलन किया था, इस तरह से कांग्रेस को पटेलों के भी वोट मिल गए और OBC के भी. अल्पेश ठाकोर के प्रभाव वाले क्षेत्रों में कांग्रेस को बीजेपी से अधिक सीटें मिलीं.

कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी के कहने पर ही जिग्नेश पटेल के जरिये दलित आन्दोलन खड़ा किया, पहले दो चार दलितों को गौ-हत्या के नाम पर पिटवाया गया और बाद में बीजेपी पर आरोप लगाकर दलितों को बीजेपी के खिलाफ भड़का दिया गया, कैम्ब्रिज एनालिटिका की यह कोशिश भी कामयाब रही और दलित बीजेपी के खिलाफ हो गए. जिग्नेश मेवानी के प्रभुत्व वाली सीटों पर कांग्रेस को बीजेपी से अधिक सीटें मिलीं.

कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ बीजेपी को गुजरात में हराने की डील दो साल पहले हुई और तीनों आन्दोलन डेढ़ साल पहले हुए, मतलब जब कैम्ब्रिज एनालिटिका ने 6 महीनें में गुजरात के माहौल का अध्ययन किया और उसके बाद तीनों नेताओं को काम में लगा दिया गया, तीनों नेताओं ने एक साल में जातिवादी आन्दोलन खड़ा किया और 6 महीनें पहले बीजेपी के खिलाफ माहौल तैयार हो गया.

इसके बाद कांग्रेस ने धीरे धीरे तीनों नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया जो कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी की रणनीति के तहत पहले से ही फिक्स था. इसका उदाहरण आप समझिये, पहले अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हुए तो हार्दिक पटेल ने उन्हें बधाई दी जबकि अल्पेश ठाकोर ने हार्दिक पटेल के खिलाफ ही OBC आन्दोलन शुरू किया था. इसके बाद जिग्नेश मेवानी ने कांग्रेस को समर्थन दिया, उसके बाद हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को समर्थन दिया. यह सब पहले से ही तय था.

इसके बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर इसाई पादरी से यह फतवा जारी करवाया गया कि राष्ट्रवाद की राजनीति करने वालों को सबक दिखाएं, आपके पास मौका आया है, गुजरात से पूरे देश में सन्देश देने का मौका आ गया है. पादरी ने ईसाईयों को कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी.

इसके बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर कश्मीर के मुस्लिम कट्टरपंथी सलमान निजामी को गुजरात चुनाव प्रचार में उतारा गया जिसमें कट्टरपंथियों के वोटों को कांग्रेस की तरफ मोड़ा. यही नहीं कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर पाकिस्तान के पूर्व सेना अध्यक्ष ने गुजरात में पहले ही कांग्रेस की जीत की मुबारकवाद दी ताकि मुस्लिम वोट सिर्फ कांग्रेस को मिलें.

इसके बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के ही कहने पर चुनाव से 1 महीनें पहले राहुल गाँधी ने अचानक मंदिरों का दौरा शुरू कर दिया, खुद को शिवभक्त बताना शुरू कर दिया, खुद को जनेऊधारी हिन्दू बताना शुरू कर दिया, ऐसा इसलिए ताकि सॉफ्ट हिंदुत्व की विचारधारा वाले लोग कांग्रेस को वोट दें. राहुल गाँधी ने खुद को शिवभक्त इसलिए बताया क्योंकि गुजरात में शिव को अधिक माना जाता है, सोमनाथ मंदिर वहीं पर है, उन्हें इसका फायदा भी मिला क्योंकि सोमनाथ जिले की चारों सीटें कांग्रेस को मिलीं.

कैम्ब्रिज एनालिटिका की वजह से ही कांग्रेस को गुजरात में 77 सीटें मिली हैं, अगर अंत में मोदी रैलियां ना करते और इसे गुजरात की अस्मिता का सवाल ना बनाते तो कांग्रेस को कम से कम 150 सीटें मिलतीं क्योंकि उनके पास दलित, पटेल, OBC, मुस्लिम, नरम हिन्दू, कट्टरपंथी, इसाई वोट थे जबकि बीजेपी के पास सिर्फ विकास चाहने वालों के वोट थे.

कैम्ब्रिज एनालिटिका ने कांग्रेस की जीत के लिए सभी गोटियाँ भिड़ा रखी थीं, गुजरात के लोग उनके जाल में फंस भी गए थे लेकिन अंत में मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां करके नतीजों को बीजेपी के पक्ष में मोड़ दिया, मोदी की सिर्फ विकास की वजह से जीत हुई है, उन्हें सिर्फ चार शहरों ने जितवाया है - अहमदाबाद, सूरत, राजकोट और वड़ोदरा. चारों शहरों में ही बीजेपी को 50-60 सीटें मिली हैं. अगर मोदी ने शहरों का विकास ना किया होता तो बीजेपी की हार तय थी लेकिन मोदी ने अपने दमपर चुनाव जितवाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका को भी हरा दिया.

कैम्ब्रिज एनालिटिका कैसे करती है काम

कैम्ब्रिज एनालिटिका फेसबुक के साथ मिलकर काम करती है, फेसबुक पर किसी राज्य के लोगों का पूरा डाटा लिया जाता है जिसे सोशल प्रोफाइलिंग कहते हैं, यहाँ पर देखा जाता है कि लोग सोच क्या रहे हैं, लोग कमेन्ट क्या करते हैं, लोग अपनी सरकार के बारे में क्या राय देते हैं, उसके बाद सरकार विरोधी लोगों की लिस्ट बनाई जाती है और उनके पास सरकार विरोधी ट्वीट किये जाते हैं ताकि वो उसे शेयर करें. धीरे धीरे सरकार के विरोध में लहर तेज की जाती है, लोगों के दिमाग में धीरे धीरे झूठ के जरिये सरकार के प्रति गुस्सा भर दिया जाता है और वह सरकार के विरोध में वोट देते हैं, ऐसा ही गुजरात में हुआ है. कांग्रेस के IT सेल में इस बाद करीब 1000 लोग काम कर रहे थे जो रोजाना बीजेपी के खिलाफ झूठे ट्वीट, झूठी तस्वीरें, झूठे आंकड़े, झूठे दावे पोस्ट करते थे, कांग्रेस की टीम इतनी बड़ी थी कि सिर्फ पांच मिनट में वह किसी भी चीज को टॉप ट्रेंड में ला देते थे.

बर्बाद हुए कांग्रेस के रुपये

कांग्रेस ने गुजरात जीतने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया, सबसे बड़ी और मंहगी कंपनी को ठेका दिया, हर जतन किये लेकिन मोदी की वजह से कांग्रेस का पूरा पैसा बर्बाद हो गया.

2019 लोकसभा जीतने के लिए फिर से कैम्ब्रिज एनालिटिका को ठेका

अब कांग्रेस ने 2019 में भी इसी कंपनी को ठेका दे दिया है क्योंकि इसी कंपनी की वजह से कांग्रेस ने गुजरात में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है. लोकसभा चुनावों में अभी डेढ़ साल बचे हैं, अब इस कंपनी के कहने पर हर राज्य में जातिवादी आन्दोलन खड़े किये जाएंगे, राजस्थान में गुर्जर आन्दोलन, हरियाणा में जाट आन्दोलन, गुजरात में पटेल आन्दोलन, धीरे धीरे देश को आन्दोलन की आग में झोंककर 2019 में मोदी को हटाने का अभियान शुरू शुरू हो जाएगा.

Monday, November 20, 2017

जानलेवा धुन्ध: जिम्मेदार कौन और समाधान कैसे


दिल्ली एनसीआर में प्रदुषण 30000 से अधिक जान ले चुका है यह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का दावा है। अभी लाखों लोग और मरने वाले हैं। दिल्ली एनसीआर को अनियंत्रित और ताबड़तोड़ विकास की भट्टी में झोंकने वाले तीन लोग सबसे पहले नज़र आते हैं। शीला दीक्षित, हुड्डा और मायावती। शीला ने दिल्ली को विकास माफिया के हाथों सौपा तो हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तो उत्तर प्रदेश को मायावती ने। इनकी जिद थी कि दिल्ली एनसीआर को पांच बड़े महानगरों में बदलने की, जिसमे प्रत्येक की आबादी 2 - 2 करोड़ हो। सारे मास्टर प्लान बदल दिए गए। यूपीए की सरकार यानि मनमोहन -सोनिया की सहमति यानि हिस्सेदारी (कमीशन)  तय की गई और झोंक दिया इस क्षेत्र को विकास की भट्टी में। न किसी ने सोचा कहां से आएगी इतनी सड़के, अच्छी हवा, साफ पानी और शुद्ध भोजन बस प्रॉपर्टी के दलाल और बिचौलिया बन अखबार और चेनल अथाह विकास की काल्पनिक गाथा गाते चले गए और व्यथाओं के दंश नित महंगी होती जमीन, मोटी कमाई, प्रोपर्टी डीलरों की अंधाधुंध कमाई और अय्याश जीवन शैली ने दवा दी। विकास का यह गुब्बारा सरकार खजाने की लूट और घोटालों की रकम से फुलाया गया था जिसमें कैश और जॉली करेंसी की बड़ी भूमिका थी। इसके फलने फूलने की एक सीमा थी और इसका फटना तय था।  विकसित देशों में विकास ठोस तरीके से किया गया है यानि गवर्नेंस के मॉडल के साथ किंतू भारत में यह सिस्टम को लूट कर किया गया और इसीलिए दिल्ली एनसीआर में " विकास पागल हो गया"। यह पागल विकास ही जनता को निगल रहा है।

मोदी सरकार आने के बाद दिल्ली एनसीआर में कोई नया प्रोजेक्ट नहीँ शुरू हुआ बल्कि पुराने रुके या धीमे पड़े प्रोजेक्ट पूरे किए जा रहे हैं वो भी गवर्नेंस का मॉडल लागू कर यानि नोटबंदी और जीएसटी के साथ। ऐसे में अब कालेधन से संपत्ति की नकद में खरीद फरोख्त भी रुक गयी है और सिस्टम में घोटाले भी नहीं हो रहे हैं।

ऐसे में तात्कालिक रूप से दिल्ली एनसीआर के बेकाबू प्रदूषण की जिम्मेदारी तीनों राज्य सरकारों और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, गंगा और यमुना की सफाई से जुड़े विभाग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की है। न तो हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश की सरकारें पराली यानी पुराल से बिजली बंनाने के कारखाने लगा पायी और न ही पराली के जलाने पर रोक। पर्यावरण मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री डॉ हर्षवर्धन और राज्य मंत्री डॉ महेश शर्मा की इस मंत्रालय में कोई रुचि नहीं है। उपर से केंद्र सरकार के ऊपर तेजी से लंबित परियोजनाओं को पूरा करने का दबाब है ताकि पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और मेट्रो के नए रूट के साथ ही दिल्ली मेरठ हाइवे जल्द से जल्द चौड़ा हो सके और ट्रैफिक जाम की समस्या से मुक्ति मिल सके। यानि एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लाख चाहे मगर अगले एक बर्ष विकास कार्य नहीँ रुकेंगे और धूल, धुआ और जाम की समस्या बनी रहेगी। कूड़े और पराली से खाद और बिजली बंनाने के कारखाने, सीवर और उच्च स्तरीय सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की चेन, सार्वजनिक परिवहन एक दिल्ली एनसीआर में एक जैसी व्यवस्था और नियम, नए वाहनों के पंजीकरण पर रोक और 12 बर्ष से अधिक पुराने वाहनों की विदाई की नीतियों पर प्रभावी अमल समय की जरूरत है। बिजली और सौर ऊर्जा पर आधारित परिवहन प्रणाली का विस्तार भी जरूरी है। उससे भी ज्यादा जरूरी निष्क्रिय और अन इच्छुक मंत्रियों और अधिकारियों को हटा तीनो प्रभावित राज्यो की टास्क फोर्स बनाकर ईनटीग्रेटेड मास्टर प्लान बनाकर निश्चित समय सीमा में उसे अमल में लाना। इस पूरी योजना को जमीन पर उतारने के लिए इस समूह की अध्यक्षता नितिन गडकरी, पीयूष गोयल या सुरेशप्रभु जैसे मंत्री कर सकते हैं।



How Headley's Testimony Confirmed Tahawwur Rana's Involvement to an Indian Court

  How Headley's Testimony Confirmed Tahawwur Rana's Involvement to an Indian Court In 2016, David Headley testified through video li...