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Thursday, April 24, 2025

For First Time in Indian History Supreme Court Paid Homage to Hindus Killed by Islamic Terroists

For First Time in Indian History Supreme Court Paid Homage to Hindus Killed by Islamic Terroists

नमस्कार दोस्तों पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक बहुत बड़ा फैसला हुआ क्या आपने यह फैसला देखा क्या कहीं नहीं दिखा होगा आपको कि यह फैसला क्या है और इस फैसले को दिखाऊंगा जब तब आपको बहुत सारे सवाल आपके मन में खड़े हो जाएंगे उन सवालों का भी मैं जवाब दूंगा पहले तो फैसला बताऊंगा फिर उन सवालों के जवाब दूंगा और आपके मन में जो सवाल उठेंगे वह भी बता देता हूं क्या सुप्रीम कोर्ट कहीं गहरे दबाव में है आखिर सुप्रीम कोर्ट इतना चिंतित क्यों है आखिर सुप्रीम कोर्ट के भीतर जो दस्तावेजों को लेकर ही काम करते हैं उनमें इतनी संवेदना कैसे भर गई है सुप्रीम कोर्ट क्या कहीं डरा हुआ है देखिए यह सवाल जब मैं आपसे पूछ रहा हूं ना तो उसके पीछे एक तथ्य आपको दिखाने वाला हूं दोस्तों बड़े गौर से समझिएगा और साथ ही दोस्तों इस सवाल का भी जवाब दूंगा अभी क्या एक नैरेटिव खड़ा हो गया आप जानते हैं जो लेफ्ट लिबरल गैंग है वह सवाल पूछ रहा है कि भाई जब सुरक्षा गृह मंत्रालय के अंतर्गत है जब जम्मू कश्मीर की सुरक्षा राज्यपाल से निर्देशित होती है तो फिर इतनी बड़ी घटना कैसे हो गई जिस पहलगाम में सदमे में थे क्योंकि अब मैं यह खबर आपको क्या बताऊं कि वहां दो आतंकी मारे गए यहां दो आतंकी ढेर हो गए पहलगाम में 1500 से ज्यादा लोग पूरी घाटी में हिरासत में लिए गए कई आतंकवादी मार दिए गए सरगना घेर लिया गया टॉप आतंकी यह सब तो आप न्यूज़ में देख ही लेंगे दोस्तों मैं तो कुछ और दिखाना चाहता हूं लेकिन एक और विजुअल दिखाता हूं पहलगाम की पहलगाम में जानते हैं कई दशकों में यह मुर्दनी शांति छाई हुई है सब कुछ बंद अपने आप बंद कुछ घंटे में हजारों सैलानी हजारों हिंदू बल्कि बोलिए सीधे वो घाटी छोड़कर वापस चले आए सब कुछ छोड़ दिया

भारी संख्या में हवाई जहाज भी लगाया गया कि वापस चलो इनको आना है ले आओ अब देखिए यहां पर लोग सफल भी हो गए जो लोग सवाल उठाते हैं ना कि रोजगार नहीं है यह नहीं है इसका दोषी कौन है यही लोग हैं यही आतंकी है दोस्तों मैं तो आपको सुप्रीम कोर्ट की कहानी सुनाना चाहता हूं लेकिन उस कहानी से पहले एक चार विंडो देख लीजिए और तब आपको जो मैं जहां लेकर जाना चाहता हूं आपको समझ में आएगा कि आखिर क्यों यह महत्वपूर्ण है यह लेफ्टिनेंट विनय नरवाल 3 साल पहले इंडियन नेवी जॉइ की थी पोस्टिंग कोच्ची में थी अभी शादी हुई थी घूमने गए थे पहलगाम पूछ लिया कौन से धर्म के हो यह नहीं पूछा कौन से जात के हो भाई पूछा धर्म क्या है तेरा और जब पता चल गया हिंदू हैं तो गोलियों से भून दिया गया यह है कहानी अब आपको मैं असली कहानी पर लेकर आता हूं दोस्तों भारत के इतिहास में मुझे याद नहीं है अगर आप लोगों में से किसी को भी याद हो मैंने तो बहुत रिसर्च कर लिया मुझे नहीं मिला बहुत बड़ा फैसला बता रहा हूं आप जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ है ना उसके मृतकों को श्रद्धांजलि दी ठीक 1:59 पर दोपहर में कल की बात बता रहा हूं एक सायरन बजा और सायरन बजते ही सभी न्यायाधीश अधिवक्ताओं वादियों सभी ने खड़े होकर दो मिनट का मौन रखा श्रद्धांजलि दी अभी तो आपको पहलगाम में दिखा रहा था ना पहलगाम अपने आप बंद है खोल के भी क्या करेंगे दुकान मार के भगा दिया भाई हिंदुओं को यह सुप्रीम कोर्ट है दोस्तों बहुत बड़ा फैसला है

और क्यों है यह भी मैं आपके सामने रखने वाला हूं भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में किसी आतंकी हमले पर जो मेरी जानकारी है श्रद्धांजलि दी गई अगर इससे पहले दी गई हो मुझे बताइएगा मैंने तो रिसर्च कर लिया और उसके बाद सर्वस्मति से सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की गई है सर्वोच्च न्यायालय ने एक बयान जारी कहा है अब देखिए क्यों महत्वपूर्ण है मान लीजिए कहीं आतंकवादी हमला हो जाए सुप्रीम कोर्ट जाइएगा तो सुप्रीम कोर्ट में तो पट्टी बंधी होती है ना यही तो कानून की परिभाषा है कि उसके सामने सब बराबर होते हैं आप बोलेंगे यार इसने हत्या कर दी बोलेगा दिखाओ सबूत सबूत नहीं है तो वो बरी हो जाएगा यहां सुप्रीम कोर्ट एक बयान जारी करता है सुनिए क्या कहा है इस अमानवीय और निर्मम हिंसा के कृत ने सभी की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है और यह आतंकवाद की बर्बरता और अमानवीयता की याद दिलाता है न्यायालय ने कहा है यह भारतीय सर्वोच्च न्यायालय उन निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिनकी जान निर्दयता से और असमय ले ली गई साथ ही शोकाकूल परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता है ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें और घायल लोग शीघ्र स्वस्थ हो इस अकल्पनीय दुख की घड़ी में राष्ट्र पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ खड़ा है


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April 24, 2025 at 10:18AM

अब्दुल्ला, मुफ़्ती, सोज़ की रणनीति - चुनाव और राज्य के दर्जे के लिए वे सुप्रीम कोर्ट के पीछे क्यों पड़े - पहलगाम हमले तक का घटनाक्रम-मेरी राय

यह कहानी है आर्टिकल 370 को खत्म करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई और सुप्रीम कोर्ट में आया हुआ फैसला जब मोदी सरकार ने पूरी ताकत दिखाते हुए 2019 में 5 अगस्त को आर्टिकल 370 खत्म कर दिया तो सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं की ढेर लग गईऔर उस याचिका को जो संविधान पीठ सुन रही थी उसके चीफ जस्टिस थे डी वाई चंद्रचूर न्यायमूर्ति संजय किशन कॉल न्यायमूर्ति संजीव खन्ना जो इस समय चीफ जस्टिस हैं न्यायमूर्ति बी आर गबई न्यायमूर्ति सूर्यकांत जो याचिका थी उसमें आर्टिकल 370 को खत्म करने की मांग की गई थी जो कानून बना था उसको निरस्त कर दिया गया सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया था|

लेकिन आप जानकर आश्चर्य से भर जाएंगे कि इसमें जजों ने जस्टिस ने तीन अलग-अलग फैसले सुनाए वो भी चलो ठीक है लेकिन जस्टिस ने भारत सरकार को एक बहुत बड़ा आदेश सुनाया बहुत बड़ा आदेश दिया किसने दिया प्रधान न्यायाधीश चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूर ने कहा जम्मू कश्मीर में चुनाव कराइए कराना ही पड़ेगा और सिर्फ कहा नहीं डेडलाइन दे दी|

जैसे अभी विधेयों के लिए राष्ट्रपति को आदेश दिया गया है ना वैसे ही जम्मू कश्मीर में चुनाव करने के लिए निर्देश दिया गया चंद्रचूर ने कहा जम्मू कश्मीर में युद्ध की स्थिति के कारण संविधान का अनुच्छेद 370 अंतरिम व्यवस्था थी उन्होंने कहा -हम निर्देश देते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए|

यह निर्देश है हम निर्देश देते हैं कि निर्वाचन आयोग 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाएं यह आर्डर था दोस्तों सुप्रीम कोर्ट का ऐसे ही बात नहीं उठती है कि जो राजनीतिक व्यवस्था के लिए राजनीति होती है राजनीतिक लोग होते हैं लेकिन राजनीति में अगर सुप्रीम कोर्ट या जुडिशरी घुस जाए तो क्या होता है|

मणिपुर का उदाहरण सबके सामने है सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर विधानसभा का चुनाव कराया जाए और इसी आदेश का परिणाम है कि जम्मू कश्मीर में तीन फेज में चुनाव हुए 18 सितंबर 25 सितंबर और 1 अक्टूबर सुप्रीम कोर्ट ने कहा 30 सितंबर 4 अक्टूबर को नतीजे भी घोषित आ गए अब आपको भी पता है जम्मू कश्मीर में जहां मुस्लिम आबादी सर्वाधिक है वहां कुछ भी कर लीजिए भाजपा सरकार कैसे बना लेगी और खास करके तब जब नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस अलगाववादी ताकतों के साथ जाकर मिलकर खड़ा हो गया हो सरकार बन गई नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस जीत गई और खेल शुरू हो गया जैसे ही चुनाव के नतीजे आए आप जानते हैं यह गैंग फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया मांग थी कि जल्दी से जल्दी राज्य का दर्जा बहाल किया जाए

और जैसे ही विधानसभा का गठन हुआ आपको यह भी पता होना चाहिए कि सिर्फ इसी मुद्दे पर मारपीट की गई विधानसभा के भीतर जूते लात घूंसे सब कुछ चले जमकर अब आप कल्पना कीजिए आपने एक ऐसी सरकार को चुना है जो सिर्फ अराजकता फैलाने के लिए है जो सिर्फ लोगों को उकसाने के लिए है और इसी सरकार का एक नुमाइंदा एक सांसद श्रीनगर का सांसद सैयद रुहुल्लाह मेहंदी नेशनल कांफ्रेंस का जो कांग्रेस के साथ है वो क्या भड़काता है जानते हैं वो बोल रहा है कि यह जो टूरिज्म है ना यह टूरिज्म नहीं है यह कल्चरल इन्वेशन हो रहा है बाय पर्पस एंड बाय डिजाइन इस वजह से कहते हैं ये टूरिज्म नहीं है मेरी नजर में मेरी नजर में ये कल्चरल इन्वेजन हो रहा है बाय पर्पस|

अब एक बात याद रखिए बहुत गौर से मैं आंकड़े दे रहा हूं आपको जिस दिन आर्टिकल 370 खत्म हुआ यानी 5 अगस्त 2019 और जब तक चुनाव कराने की घोषणा हुई उस दौरान पूरे आंकड़े देख लीजिए घाटी में आतंकवादी हमले खत्म ही हो गए एकदम ना के बराबर हो गए कुछ नहीं इक्कादुक्का तो चलो अब क्या करेंगे आप उसको कैसे रोक लेंगे वो तो कहीं भी क्राइम की घटनाएं हो जाती है लेकिन जैसे ही चुनाव की घोषणा हुई सरकार बन गई पूरे दौर में आप देखिए आतंकवादी घटनाओं में भयंकर इजाफा हो गया आपको कुछ घटनाएं भी दिखा देता हूं ना देखिए 3 नवंबर श्रीनगर के संडे बाजार में ग्रेनेड हमला 12 लोग घायल कल भी सेना के साथ मुठभेड़ ये देखिए एक और आतंकी हमला अंतराल में यूपी के मजदूर को दहशतगर्दों ने मारी गोली पूरे के पूरे चुनाव के माहौल में ऐसे धीरे-धीरे धीरे-धीरे आतंकवादी घटनाएं बढ़ने लगी अब जैसे मैं कुछ आपको और बताता हूं 9 जून को जम्मू के रियासी में तीर्थ यात्रियों से भरी बस को निशाना बनाया नौ मर गए कठुआ में 8 जुलाई को सेना की गाड़ी पर टारगेट किया पांच जवान शहीद हो गए नौशेरा में 10 जुलाई को घुसपैठ की कोशिश फिर 16 जुलाई को चार जवान शहीद हुए देख रहे हैं ना और यह मत भूलिएगा कि कश्मीर में आखिरी बड़ा आतंकी हमला कब हुआ था आप याद कीजिए आर्टिकल 370 खत्म होने के पहले तभी हुआ था ना याद है ना वो पुलवामा वाला हमला और उसके बाद कब हुआ अब जाकर हुआ है मतलब चुनाव कराने के बाद अब जाकर यह हमला हुआ है

इसके बाद यह पहली घटना है अब इसकी वजह भी मैं आपको बताता हूं कि आखिर यह क्यों हुआ कैसे हुआ एक सवाल आपके मन में बार-बार डाला जाएगा कि अरे गृह मंत्री राज्यपाल क्या कर रहे थे पुलिस कहां थी पहलगाम में क्यों नहीं थी उसका भी जवाब देता हूं जब यहां सरकार बन गई जैसे दिल्ली में लीजिए दिल्ली में क्या होता था मुख्यमंत्री तो केजरीवाल थे और हर रोज दिल्ली पुलिस को गाली देते थे हर रोज उसका मोराल डाउन करते थे अब सोचिए जो देश की राजधानी की पुलिस है रोज रोज मुख्यमंत्री गाली देगा तो क्या होगा मोराल डाउन होगा ना |अब जम्मू कश्मीर में यही हो रहा था सरकार बन गई और ये लोग अपनी ही पुलिस के खिलाफ बोलने लगे सेना के खिलाफ बोलने लगे लोगों को भड़काने लगे|

इसका मतलब यह है इसकी कड़ी यह जो पूरी कहानी वो सुप्रीम कोर्ट से शुरू हुई और कहां जाकर खत्म हुई सत्ता में बैठे नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की हरकतों पर जाकर खत्म होती है और तब जाकर पहलगाम जैसी घटना होती है और इस बात को आम जनता ही नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोग तो देख ही रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट भी महसूस कर रहा है आप सोचिए बड़े ध्यान से सोचिए कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर ने चुनाव कराने के लिए इस तरह के निर्देश नहीं दिए होते तो क्या इतनी बड़ी घटना होती अब इसका डायरेक्ट कनेक्शन तो नहीं है?

लेकिन है क्योंकि जो लोग चुनाव जीत कर आए उनको भारत में विश्वास नहीं है उनको इस देश के संविधान में विश्वास नहीं है उसको किसी चीज पर विश्वास नहीं है लेकिन ये मोदी है आपको बता देता हूं विश्वास कीजिए इस दुनिया में कोई ऐसा आदमी नहीं होगा जिसको यह विश्वास ना हो कि मोदी सरकार कारवाई करेगी

यह तो कांग्रेस को भी पता है यह पाकिस्तान को भी पता है और इस देश की जनता को भी पता है लेकिन उन आंसुओं का क्या करेंगे जो जम्मू कश्मीर के पहलगाम घूमने गए थे उनके लिए ही रोजीरोटी की व्यवस्था कर रहे थे वो खर्च करने गए थे और उनको ही गोलियों से आतंकवादियों ने भून दिया|कहते हैं ना कि कोई बहुत बड़ी घटना होती है तो जो बुरी प्रवृत्ति के लोग होते हैं फिर भी कुछ ना कुछ ढूंढ लाते हैं कल शाम रॉबर्ट वाड्रा की कहानी थी पता चलेगा कि यह जो गैंग है यह किस तरीके से काम करता है आतंकवादियों को बचाने के लिए किस प्रकार के नैरेटिव गढ़ता है|

For First Time in Indian History Supreme Court Paid Homage to Hindus Killed by Islamic Terroists

नमस्कार दोस्तों पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक बहुत बड़ा फैसला हुआ क्या आपने यह फैसला देखा क्या कहीं नहीं दिखा होगा आपको कि यह फैसला क्या है और इस फैसले को दिखाऊंगा जब तब आपको बहुत सारे सवाल आपके मन में खड़े हो जाएंगे उन सवालों का भी मैं जवाब दूंगा पहले तो फैसला बताऊंगा फिर उन सवालों के जवाब दूंगा और आपके मन में जो सवाल उठेंगे वह भी बता देता हूं क्या सुप्रीम कोर्ट कहीं गहरे दबाव में है आखिर सुप्रीम कोर्ट इतना चिंतित क्यों है आखिर सुप्रीम कोर्ट के भीतर जो दस्तावेजों को लेकर ही काम करते हैं उनमें इतनी संवेदना कैसे भर गई है सुप्रीम कोर्ट क्या कहीं डरा हुआ है देखिए यह सवाल जब मैं आपसे पूछ रहा हूं ना तो उसके पीछे एक तथ्य आपको दिखाने वाला हूं दोस्तों बड़े गौर से समझिएगा और साथ ही दोस्तों इस सवाल का भी जवाब दूंगा अभी क्या एक नैरेटिव खड़ा हो गया आप जानते हैं जो लेफ्ट लिबरल गैंग है वह सवाल पूछ रहा है कि भाई जब सुरक्षा गृह मंत्रालय के अंतर्गत है जब जम्मू कश्मीर की सुरक्षा राज्यपाल से निर्देशित होती है तो फिर इतनी बड़ी घटना कैसे हो गई जिस पहलगाम में सदमे में थे क्योंकि अब मैं यह खबर आपको क्या बताऊं कि वहां दो आतंकी मारे गए यहां दो आतंकी ढेर हो गए पहलगाम में 1500 से ज्यादा लोग पूरी घाटी में हिरासत में लिए गए कई आतंकवादी मार दिए गए सरगना घेर लिया गया टॉप आतंकी यह सब तो आप न्यूज़ में देख ही लेंगे दोस्तों मैं तो कुछ और दिखाना चाहता हूं लेकिन एक और विजुअल दिखाता हूं पहलगाम की पहलगाम में जानते हैं कई दशकों में यह मुर्दनी शांति छाई हुई है सब कुछ बंद अपने आप बंद कुछ घंटे में हजारों सैलानी हजारों हिंदू बल्कि बोलिए सीधे वो घाटी छोड़कर वापस चले आए सब कुछ छोड़ दिया

भारी संख्या में हवाई जहाज भी लगाया गया कि वापस चलो इनको आना है ले आओ अब देखिए यहां पर लोग सफल भी हो गए जो लोग सवाल उठाते हैं ना कि रोजगार नहीं है यह नहीं है इसका दोषी कौन है यही लोग हैं यही आतंकी है दोस्तों मैं तो आपको सुप्रीम कोर्ट की कहानी सुनाना चाहता हूं लेकिन उस कहानी से पहले एक चार विंडो देख लीजिए और तब आपको जो मैं जहां लेकर जाना चाहता हूं आपको समझ में आएगा कि आखिर क्यों यह महत्वपूर्ण है यह लेफ्टिनेंट विनय नरवाल 3 साल पहले इंडियन नेवी जॉइ की थी पोस्टिंग कोच्ची में थी अभी शादी हुई थी घूमने गए थे पहलगाम पूछ लिया कौन से धर्म के हो यह नहीं पूछा कौन से जात के हो भाई पूछा धर्म क्या है तेरा और जब पता चल गया हिंदू हैं तो गोलियों से भून दिया गया यह है कहानी अब आपको मैं असली कहानी पर लेकर आता हूं दोस्तों भारत के इतिहास में मुझे याद नहीं है अगर आप लोगों में से किसी को भी याद हो मैंने तो बहुत रिसर्च कर लिया मुझे नहीं मिला बहुत बड़ा फैसला बता रहा हूं आप जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ है ना उसके मृतकों को श्रद्धांजलि दी ठीक 1:59 पर दोपहर में कल की बात बता रहा हूं एक सायरन बजा और सायरन बजते ही सभी न्यायाधीश अधिवक्ताओं वादियों सभी ने खड़े होकर दो मिनट का मौन रखा श्रद्धांजलि दी अभी तो आपको पहलगाम में दिखा रहा था ना पहलगाम अपने आप बंद है खोल के भी क्या करेंगे दुकान मार के भगा दिया भाई हिंदुओं को यह सुप्रीम कोर्ट है दोस्तों बहुत बड़ा फैसला है

और क्यों है यह भी मैं आपके सामने रखने वाला हूं भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में किसी आतंकी हमले पर जो मेरी जानकारी है श्रद्धांजलि दी गई अगर इससे पहले दी गई हो मुझे बताइएगा मैंने तो रिसर्च कर लिया और उसके बाद सर्वस्मति से सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की गई है सर्वोच्च न्यायालय ने एक बयान जारी कहा है अब देखिए क्यों महत्वपूर्ण है मान लीजिए कहीं आतंकवादी हमला हो जाए सुप्रीम कोर्ट जाइएगा तो सुप्रीम कोर्ट में तो पट्टी बंधी होती है ना यही तो कानून की परिभाषा है कि उसके सामने सब बराबर होते हैं आप बोलेंगे यार इसने हत्या कर दी बोलेगा दिखाओ सबूत सबूत नहीं है तो वो बरी हो जाएगा यहां सुप्रीम कोर्ट एक बयान जारी करता है सुनिए क्या कहा है इस अमानवीय और निर्मम हिंसा के कृत ने सभी की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है और यह आतंकवाद की बर्बरता और अमानवीयता की याद दिलाता है न्यायालय ने कहा है यह भारतीय सर्वोच्च न्यायालय उन निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिनकी जान निर्दयता से और असमय ले ली गई साथ ही शोकाकूल परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता है ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें और घायल लोग शीघ्र स्वस्थ हो इस अकल्पनीय दुख की घड़ी में राष्ट्र पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ खड़ा है

Tuesday, April 22, 2025

सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर

सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर
सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर
सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर
सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर

सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर सुप्रीम कोर्ट को लेकर क्या है पीएम मोदी का धाकड़ प्लान और प्लान को पूरा करने के लिए पीएम मोदी ने अपने बड़े-बड़े नेताओं को मंत्रियों को बड़ी-बड़ी जिम्मेदारी भी दे दी है क्योंकि ऐसे ही नहीं अचानक से उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कहा था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती उनके बाद निशिकांत दुबे ने कहा कि कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है

किसी को सारे मामलों के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए उसके बाद दिनेश शर्मा ने कहा कि जो नियम बनाने का कानून बनाने का जो काम है वह पार्लियामेंट करेगा यानी संसद करेगा राज्यसभा करेगा सुप्रीम कोर्ट नहीं हालांकि दिनेश शर्मा और निशिकांत दुबे के बयान से बीजेपी ने किनारा तो कर लिया पर उसके बाद क्या हुआ नड्डा ने आदेश दिया फिर भी नहीं रुक रहे हैं बीजेपी के नेता निशिकांत दुबे ने उसके बाद फिर कई सारे बयान भी दे दिए तो निशिकांत दुबे की जुबान फिसली या निकलवाया गया सच और सबसे बड़ी बात निशुकांत दुबे के बयान के सपोर्ट में फौरन खड़े हो गए असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा तो क्या चल रहा है बीजेपी में क्या कुछ बड़ा करने वाले हैं पीएम मोदी क्या बड़ी प्लानिंग में जुटे हैं अमित शाह कॉलेजियम की जगह एनजीएसी की वापसी का क्या पूरा फार्मूला तय हो गया है मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार को खत्म किया नीतियों में नौकरशाही में चुनावी व्यवस्था में अब क्या बारी न्यायपालिका की है तो आज इसी पर पूरी डिटेल्स आपको देंगे तो चलिए शो शुरू करते हैं आप जानते ही हैं कि सुप्रीम कोर्ट इन दिनों जबरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है सुप्रीम कोर्ट को लेकर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट वर्सेस संसद की लड़ाई चल रही है आज एक ऐसा दौर आ गया है जहां एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या अदालतें जनता की चुनवी संसद से ऊपर है क्या अदालतें अब सीमाएं लांग रही हैं और जब इस तरह के सवाल बड़े-बड़े नेता उठाने लगे तो सवाल और गंभीर हो जाते हैं सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को राष्ट्रपति को विधेयकों पर फैसला लेने के लिए एक समय सीमा तय करने की बात कही थी इस पर अब विवाद बढ़ता जा रहा है पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनकर ने कहा

था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती उसके बाद 19 अप्रैल को बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है अगर हर किसी को सारे मामले के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए उन्होंने कहा कि संसद इस देश का कानून बनाती है क्या आप उस संसद को निर्देश देंगे देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार है वहीं धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है उसके बाद फौरन दिनेश शर्मा ने कहा था कि लोगों में यह आशंका है कि जब डॉक्टर बी आर

अंबेडकर ने संविधान लिखा था तब विधायकी और न्यायपालिका के अधिकार स्पष्ट रूप से तय किए गए थे भारत के संविधान के अनुसार कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देश नहीं दे सकता और राष्ट्रपति पहले ही इस पर अपनी सहमति दे चुके हैं कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च है उसके बाद इन दोनों ही नेताओं के बयान से बीजेपी ने किनारा कर लिया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि निशुकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका और देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है यह इनका व्यक्तिगत बयान है पर यहां समझने वाली बात क्या है वो जरा समझिए यहां समझने वाली बात यह है कि जेपी नड्डा के बयान के बाद भी निशिकांत दुबे चुप नहीं बैठे वो नहीं रुके उसके बाद भी उनका कई सारा बयान सामने आया बवाल बढ़ने के बीच ही निशुकांत दुबे ने यह भी कह दिया कि भारत का इतिहास और संस्कृति बहुत पुरानी है और किसी एक धर्म की जमीन नहीं रही उन्होंने कुरैशी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो देश को बांटने जैसी बातें कर रहे हैं जबकि भारत अब किसी और बंटवारे को स्वीकार नहीं करेगा मतलब वो चुप नहीं हुए और बार-बार शामिल है

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से डॉ निशिकांत दुबे के विरुद्ध कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट में नियमानुसार कारवाई किए जाने की प्रार्थना की है अब सुप्रीम कोर्ट में भी एक वाक्या हुआ है वह भी आपको बता देते हैं सुप्रीम कोर्ट से उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने की मांग की गई थी और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक अहम घटनाक्रम भी हुआ जिसकी भी जानकारी आपको दे देते हैं दरअसल जब एक याचिकाकर्ता निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमान केस की अनुमति लेने के लिए जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस आंगस्टेन जॉर्ज मसीह की पीठ के पास कहता है कानून क्या निशिकांत दुबे के खिलाफ कोई कारवाई हो सकती है उस पर भी थोड़ी डिटेल्स आपको बताते हैं दरअसल भारतीय कानून के तहत कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 में यह व्यवस्था है कि अगर अटर्नी जनरल अनुमति दे देते हैं तो निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जा सकता है हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का है तो कानून के जानकार यह कह रहे हैं कि सजा मिल सकती है लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे कहते हैं कि अवमानना के मामले में 6 महीने तक की सजा का प्रावधान है


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सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर

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सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर सुप्रीम कोर्ट को लेकर क्या है पीएम मोदी का धाकड़ प्लान और प्लान को पूरा करने के लिए पीएम मोदी ने अपने बड़े-बड़े नेताओं को मंत्रियों को बड़ी-बड़ी जिम्मेदारी भी दे दी है क्योंकि ऐसे ही नहीं अचानक से उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कहा था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती उनके बाद निशिकांत दुबे ने कहा कि कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है

किसी को सारे मामलों के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए उसके बाद दिनेश शर्मा ने कहा कि जो नियम बनाने का कानून बनाने का जो काम है वह पार्लियामेंट करेगा यानी संसद करेगा राज्यसभा करेगा सुप्रीम कोर्ट नहीं हालांकि दिनेश शर्मा और निशिकांत दुबे के बयान से बीजेपी ने किनारा तो कर लिया पर उसके बाद क्या हुआ नड्डा ने आदेश दिया फिर भी नहीं रुक रहे हैं बीजेपी के नेता निशिकांत दुबे ने उसके बाद फिर कई सारे बयान भी दे दिए तो निशिकांत दुबे की जुबान फिसली या निकलवाया गया सच और सबसे बड़ी बात निशुकांत दुबे के बयान के सपोर्ट में फौरन खड़े हो गए असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा तो क्या चल रहा है बीजेपी में क्या कुछ बड़ा करने वाले हैं पीएम मोदी क्या बड़ी प्लानिंग में जुटे हैं अमित शाह कॉलेजियम की जगह एनजीएसी की वापसी का क्या पूरा फार्मूला तय हो गया है मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार को खत्म किया नीतियों में नौकरशाही में चुनावी व्यवस्था में अब क्या बारी न्यायपालिका की है तो आज इसी पर पूरी डिटेल्स आपको देंगे तो चलिए शो शुरू करते हैं आप जानते ही हैं कि सुप्रीम कोर्ट इन दिनों जबरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है सुप्रीम कोर्ट को लेकर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट वर्सेस संसद की लड़ाई चल रही है आज एक ऐसा दौर आ गया है जहां एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या अदालतें जनता की चुनवी संसद से ऊपर है क्या अदालतें अब सीमाएं लांग रही हैं और जब इस तरह के सवाल बड़े-बड़े नेता उठाने लगे तो सवाल और गंभीर हो जाते हैं सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को राष्ट्रपति को विधेयकों पर फैसला लेने के लिए एक समय सीमा तय करने की बात कही थी इस पर अब विवाद बढ़ता जा रहा है पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनकर ने कहा

था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती उसके बाद 19 अप्रैल को बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है अगर हर किसी को सारे मामले के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए उन्होंने कहा कि संसद इस देश का कानून बनाती है क्या आप उस संसद को निर्देश देंगे देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार है वहीं धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है उसके बाद फौरन दिनेश शर्मा ने कहा था कि लोगों में यह आशंका है कि जब डॉक्टर बी आर

अंबेडकर ने संविधान लिखा था तब विधायकी और न्यायपालिका के अधिकार स्पष्ट रूप से तय किए गए थे भारत के संविधान के अनुसार कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देश नहीं दे सकता और राष्ट्रपति पहले ही इस पर अपनी सहमति दे चुके हैं कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च है उसके बाद इन दोनों ही नेताओं के बयान से बीजेपी ने किनारा कर लिया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि निशुकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका और देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है यह इनका व्यक्तिगत बयान है पर यहां समझने वाली बात क्या है वो जरा समझिए यहां समझने वाली बात यह है कि जेपी नड्डा के बयान के बाद भी निशिकांत दुबे चुप नहीं बैठे वो नहीं रुके उसके बाद भी उनका कई सारा बयान सामने आया बवाल बढ़ने के बीच ही निशुकांत दुबे ने यह भी कह दिया कि भारत का इतिहास और संस्कृति बहुत पुरानी है और किसी एक धर्म की जमीन नहीं रही उन्होंने कुरैशी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो देश को बांटने जैसी बातें कर रहे हैं जबकि भारत अब किसी और बंटवारे को स्वीकार नहीं करेगा मतलब वो चुप नहीं हुए और बार-बार शामिल है

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से डॉ निशिकांत दुबे के विरुद्ध कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट में नियमानुसार कारवाई किए जाने की प्रार्थना की है अब सुप्रीम कोर्ट में भी एक वाक्या हुआ है वह भी आपको बता देते हैं सुप्रीम कोर्ट से उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने की मांग की गई थी और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक अहम घटनाक्रम भी हुआ जिसकी भी जानकारी आपको दे देते हैं दरअसल जब एक याचिकाकर्ता निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमान केस की अनुमति लेने के लिए जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस आंगस्टेन जॉर्ज मसीह की पीठ के पास कहता है कानून क्या निशिकांत दुबे के खिलाफ कोई कारवाई हो सकती है उस पर भी थोड़ी डिटेल्स आपको बताते हैं दरअसल भारतीय कानून के तहत कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 में यह व्यवस्था है कि अगर अटर्नी जनरल अनुमति दे देते हैं तो निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जा सकता है हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का है तो कानून के जानकार यह कह रहे हैं कि सजा मिल सकती है लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे कहते हैं कि अवमानना के मामले में 6 महीने तक की सजा का प्रावधान है


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सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर

सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर
सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर

सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर सुप्रीम कोर्ट को लेकर क्या है पीएम मोदी का धाकड़ प्लान और प्लान को पूरा करने के लिए पीएम मोदी ने अपने बड़े-बड़े नेताओं को मंत्रियों को बड़ी-बड़ी जिम्मेदारी भी दे दी है क्योंकि ऐसे ही नहीं अचानक से उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कहा था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती उनके बाद निशिकांत दुबे ने कहा कि कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है

किसी को सारे मामलों के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए उसके बाद दिनेश शर्मा ने कहा कि जो नियम बनाने का कानून बनाने का जो काम है वह पार्लियामेंट करेगा यानी संसद करेगा राज्यसभा करेगा सुप्रीम कोर्ट नहीं हालांकि दिनेश शर्मा और निशिकांत दुबे के बयान से बीजेपी ने किनारा तो कर लिया पर उसके बाद क्या हुआ नड्डा ने आदेश दिया फिर भी नहीं रुक रहे हैं बीजेपी के नेता निशिकांत दुबे ने उसके बाद फिर कई सारे बयान भी दे दिए तो निशिकांत दुबे की जुबान फिसली या निकलवाया गया सच और सबसे बड़ी बात निशुकांत दुबे के बयान के सपोर्ट में फौरन खड़े हो गए असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा तो क्या चल रहा है बीजेपी में क्या कुछ बड़ा करने वाले हैं पीएम मोदी क्या बड़ी प्लानिंग में जुटे हैं अमित शाह कॉलेजियम की जगह एनजीएसी की वापसी का क्या पूरा फार्मूला तय हो गया है मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार को खत्म किया नीतियों में नौकरशाही में चुनावी व्यवस्था में अब क्या बारी न्यायपालिका की है तो आज इसी पर पूरी डिटेल्स आपको देंगे तो चलिए शो शुरू करते हैं आप जानते ही हैं कि सुप्रीम कोर्ट इन दिनों जबरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है सुप्रीम कोर्ट को लेकर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट वर्सेस संसद की लड़ाई चल रही है आज एक ऐसा दौर आ गया है जहां एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या अदालतें जनता की चुनवी संसद से ऊपर है क्या अदालतें अब सीमाएं लांग रही हैं और जब इस तरह के सवाल बड़े-बड़े नेता उठाने लगे तो सवाल और गंभीर हो जाते हैं सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को राष्ट्रपति को विधेयकों पर फैसला लेने के लिए एक समय सीमा तय करने की बात कही थी इस पर अब विवाद बढ़ता जा रहा है पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनकर ने कहा

था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती उसके बाद 19 अप्रैल को बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है अगर हर किसी को सारे मामले के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए उन्होंने कहा कि संसद इस देश का कानून बनाती है क्या आप उस संसद को निर्देश देंगे देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार है वहीं धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है उसके बाद फौरन दिनेश शर्मा ने कहा था कि लोगों में यह आशंका है कि जब डॉक्टर बी आर

अंबेडकर ने संविधान लिखा था तब विधायकी और न्यायपालिका के अधिकार स्पष्ट रूप से तय किए गए थे भारत के संविधान के अनुसार कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देश नहीं दे सकता और राष्ट्रपति पहले ही इस पर अपनी सहमति दे चुके हैं कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च है उसके बाद इन दोनों ही नेताओं के बयान से बीजेपी ने किनारा कर लिया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि निशुकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका और देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है यह इनका व्यक्तिगत बयान है पर यहां समझने वाली बात क्या है वो जरा समझिए यहां समझने वाली बात यह है कि जेपी नड्डा के बयान के बाद भी निशिकांत दुबे चुप नहीं बैठे वो नहीं रुके उसके बाद भी उनका कई सारा बयान सामने आया बवाल बढ़ने के बीच ही निशुकांत दुबे ने यह भी कह दिया कि भारत का इतिहास और संस्कृति बहुत पुरानी है और किसी एक धर्म की जमीन नहीं रही उन्होंने कुरैशी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो देश को बांटने जैसी बातें कर रहे हैं जबकि भारत अब किसी और बंटवारे को स्वीकार नहीं करेगा मतलब वो चुप नहीं हुए और बार-बार शामिल है

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से डॉ निशिकांत दुबे के विरुद्ध कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट में नियमानुसार कारवाई किए जाने की प्रार्थना की है अब सुप्रीम कोर्ट में भी एक वाक्या हुआ है वह भी आपको बता देते हैं सुप्रीम कोर्ट से उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने की मांग की गई थी और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक अहम घटनाक्रम भी हुआ जिसकी भी जानकारी आपको दे देते हैं दरअसल जब एक याचिकाकर्ता निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमान केस की अनुमति लेने के लिए जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस आंगस्टेन जॉर्ज मसीह की पीठ के पास कहता है कानून क्या निशिकांत दुबे के खिलाफ कोई कारवाई हो सकती है उस पर भी थोड़ी डिटेल्स आपको बताते हैं दरअसल भारतीय कानून के तहत कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 में यह व्यवस्था है कि अगर अटर्नी जनरल अनुमति दे देते हैं तो निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जा सकता है हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का है तो कानून के जानकार यह कह रहे हैं कि सजा मिल सकती है लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे कहते हैं कि अवमानना के मामले में 6 महीने तक की सजा का प्रावधान है


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सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर

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सुप्रीम कोर्ट को लेकर अंदर की खबर सुप्रीम कोर्ट को लेकर क्या है पीएम मोदी का धाकड़ प्लान और प्लान को पूरा करने के लिए पीएम मोदी ने अपने बड़े-बड़े नेताओं को मंत्रियों को बड़ी-बड़ी जिम्मेदारी भी दे दी है क्योंकि ऐसे ही नहीं अचानक से उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कहा था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती उनके बाद निशिकांत दुबे ने कहा कि कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है

किसी को सारे मामलों के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए उसके बाद दिनेश शर्मा ने कहा कि जो नियम बनाने का कानून बनाने का जो काम है वह पार्लियामेंट करेगा यानी संसद करेगा राज्यसभा करेगा सुप्रीम कोर्ट नहीं हालांकि दिनेश शर्मा और निशिकांत दुबे के बयान से बीजेपी ने किनारा तो कर लिया पर उसके बाद क्या हुआ नड्डा ने आदेश दिया फिर भी नहीं रुक रहे हैं बीजेपी के नेता निशिकांत दुबे ने उसके बाद फिर कई सारे बयान भी दे दिए तो निशिकांत दुबे की जुबान फिसली या निकलवाया गया सच और सबसे बड़ी बात निशुकांत दुबे के बयान के सपोर्ट में फौरन खड़े हो गए असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा तो क्या चल रहा है बीजेपी में क्या कुछ बड़ा करने वाले हैं पीएम मोदी क्या बड़ी प्लानिंग में जुटे हैं अमित शाह कॉलेजियम की जगह एनजीएसी की वापसी का क्या पूरा फार्मूला तय हो गया है मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार को खत्म किया नीतियों में नौकरशाही में चुनावी व्यवस्था में अब क्या बारी न्यायपालिका की है तो आज इसी पर पूरी डिटेल्स आपको देंगे तो चलिए शो शुरू करते हैं आप जानते ही हैं कि सुप्रीम कोर्ट इन दिनों जबरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है सुप्रीम कोर्ट को लेकर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट वर्सेस संसद की लड़ाई चल रही है आज एक ऐसा दौर आ गया है जहां एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या अदालतें जनता की चुनवी संसद से ऊपर है क्या अदालतें अब सीमाएं लांग रही हैं और जब इस तरह के सवाल बड़े-बड़े नेता उठाने लगे तो सवाल और गंभीर हो जाते हैं सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को राष्ट्रपति को विधेयकों पर फैसला लेने के लिए एक समय सीमा तय करने की बात कही थी इस पर अब विवाद बढ़ता जा रहा है पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनकर ने कहा

था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती उसके बाद 19 अप्रैल को बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है अगर हर किसी को सारे मामले के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए उन्होंने कहा कि संसद इस देश का कानून बनाती है क्या आप उस संसद को निर्देश देंगे देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार है वहीं धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है उसके बाद फौरन दिनेश शर्मा ने कहा था कि लोगों में यह आशंका है कि जब डॉक्टर बी आर

अंबेडकर ने संविधान लिखा था तब विधायकी और न्यायपालिका के अधिकार स्पष्ट रूप से तय किए गए थे भारत के संविधान के अनुसार कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देश नहीं दे सकता और राष्ट्रपति पहले ही इस पर अपनी सहमति दे चुके हैं कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च है उसके बाद इन दोनों ही नेताओं के बयान से बीजेपी ने किनारा कर लिया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि निशुकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका और देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है यह इनका व्यक्तिगत बयान है पर यहां समझने वाली बात क्या है वो जरा समझिए यहां समझने वाली बात यह है कि जेपी नड्डा के बयान के बाद भी निशिकांत दुबे चुप नहीं बैठे वो नहीं रुके उसके बाद भी उनका कई सारा बयान सामने आया बवाल बढ़ने के बीच ही निशुकांत दुबे ने यह भी कह दिया कि भारत का इतिहास और संस्कृति बहुत पुरानी है और किसी एक धर्म की जमीन नहीं रही उन्होंने कुरैशी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो देश को बांटने जैसी बातें कर रहे हैं जबकि भारत अब किसी और बंटवारे को स्वीकार नहीं करेगा मतलब वो चुप नहीं हुए और बार-बार शामिल है

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से डॉ निशिकांत दुबे के विरुद्ध कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट में नियमानुसार कारवाई किए जाने की प्रार्थना की है अब सुप्रीम कोर्ट में भी एक वाक्या हुआ है वह भी आपको बता देते हैं सुप्रीम कोर्ट से उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने की मांग की गई थी और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक अहम घटनाक्रम भी हुआ जिसकी भी जानकारी आपको दे देते हैं दरअसल जब एक याचिकाकर्ता निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमान केस की अनुमति लेने के लिए जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस आंगस्टेन जॉर्ज मसीह की पीठ के पास कहता है कानून क्या निशिकांत दुबे के खिलाफ कोई कारवाई हो सकती है उस पर भी थोड़ी डिटेल्स आपको बताते हैं दरअसल भारतीय कानून के तहत कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 में यह व्यवस्था है कि अगर अटर्नी जनरल अनुमति दे देते हैं तो निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जा सकता है हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का है तो कानून के जानकार यह कह रहे हैं कि सजा मिल सकती है लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे कहते हैं कि अवमानना के मामले में 6 महीने तक की सजा का प्रावधान है


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April 22, 2025 at 03:28PM

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया CJI सू...