यह कहानी है आर्टिकल 370 को खत्म करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई और सुप्रीम कोर्ट में आया हुआ फैसला जब मोदी सरकार ने पूरी ताकत दिखाते हुए 2019 में 5 अगस्त को आर्टिकल 370 खत्म कर दिया तो सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं की ढेर लग गईऔर उस याचिका को जो संविधान पीठ सुन रही थी उसके चीफ जस्टिस थे डी वाई चंद्रचूर न्यायमूर्ति संजय किशन कॉल न्यायमूर्ति संजीव खन्ना जो इस समय चीफ जस्टिस हैं न्यायमूर्ति बी आर गबई न्यायमूर्ति सूर्यकांत जो याचिका थी उसमें आर्टिकल 370 को खत्म करने की मांग की गई थी जो कानून बना था उसको निरस्त कर दिया गया सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया था|
लेकिन आप जानकर आश्चर्य से भर जाएंगे कि इसमें जजों ने जस्टिस ने तीन अलग-अलग फैसले सुनाए वो भी चलो ठीक है लेकिन जस्टिस ने भारत सरकार को एक बहुत बड़ा आदेश सुनाया बहुत बड़ा आदेश दिया किसने दिया प्रधान न्यायाधीश चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूर ने कहा जम्मू कश्मीर में चुनाव कराइए कराना ही पड़ेगा और सिर्फ कहा नहीं डेडलाइन दे दी|
जैसे अभी विधेयों के लिए राष्ट्रपति को आदेश दिया गया है ना वैसे ही जम्मू कश्मीर में चुनाव करने के लिए निर्देश दिया गया चंद्रचूर ने कहा जम्मू कश्मीर में युद्ध की स्थिति के कारण संविधान का अनुच्छेद 370 अंतरिम व्यवस्था थी उन्होंने कहा -हम निर्देश देते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए|
यह निर्देश है हम निर्देश देते हैं कि निर्वाचन आयोग 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाएं यह आर्डर था दोस्तों सुप्रीम कोर्ट का ऐसे ही बात नहीं उठती है कि जो राजनीतिक व्यवस्था के लिए राजनीति होती है राजनीतिक लोग होते हैं लेकिन राजनीति में अगर सुप्रीम कोर्ट या जुडिशरी घुस जाए तो क्या होता है|
मणिपुर का उदाहरण सबके सामने है सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर विधानसभा का चुनाव कराया जाए और इसी आदेश का परिणाम है कि जम्मू कश्मीर में तीन फेज में चुनाव हुए 18 सितंबर 25 सितंबर और 1 अक्टूबर सुप्रीम कोर्ट ने कहा 30 सितंबर 4 अक्टूबर को नतीजे भी घोषित आ गए अब आपको भी पता है जम्मू कश्मीर में जहां मुस्लिम आबादी सर्वाधिक है वहां कुछ भी कर लीजिए भाजपा सरकार कैसे बना लेगी और खास करके तब जब नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस अलगाववादी ताकतों के साथ जाकर मिलकर खड़ा हो गया हो सरकार बन गई नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस जीत गई और खेल शुरू हो गया जैसे ही चुनाव के नतीजे आए आप जानते हैं यह गैंग फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया मांग थी कि जल्दी से जल्दी राज्य का दर्जा बहाल किया जाए
और जैसे ही विधानसभा का गठन हुआ आपको यह भी पता होना चाहिए कि सिर्फ इसी मुद्दे पर मारपीट की गई विधानसभा के भीतर जूते लात घूंसे सब कुछ चले जमकर अब आप कल्पना कीजिए आपने एक ऐसी सरकार को चुना है जो सिर्फ अराजकता फैलाने के लिए है जो सिर्फ लोगों को उकसाने के लिए है और इसी सरकार का एक नुमाइंदा एक सांसद श्रीनगर का सांसद सैयद रुहुल्लाह मेहंदी नेशनल कांफ्रेंस का जो कांग्रेस के साथ है वो क्या भड़काता है जानते हैं वो बोल रहा है कि यह जो टूरिज्म है ना यह टूरिज्म नहीं है यह कल्चरल इन्वेशन हो रहा है बाय पर्पस एंड बाय डिजाइन इस वजह से कहते हैं ये टूरिज्म नहीं है मेरी नजर में मेरी नजर में ये कल्चरल इन्वेजन हो रहा है बाय पर्पस|
अब एक बात याद रखिए बहुत गौर से मैं आंकड़े दे रहा हूं आपको जिस दिन आर्टिकल 370 खत्म हुआ यानी 5 अगस्त 2019 और जब तक चुनाव कराने की घोषणा हुई उस दौरान पूरे आंकड़े देख लीजिए घाटी में आतंकवादी हमले खत्म ही हो गए एकदम ना के बराबर हो गए कुछ नहीं इक्कादुक्का तो चलो अब क्या करेंगे आप उसको कैसे रोक लेंगे वो तो कहीं भी क्राइम की घटनाएं हो जाती है लेकिन जैसे ही चुनाव की घोषणा हुई सरकार बन गई पूरे दौर में आप देखिए आतंकवादी घटनाओं में भयंकर इजाफा हो गया आपको कुछ घटनाएं भी दिखा देता हूं ना देखिए 3 नवंबर श्रीनगर के संडे बाजार में ग्रेनेड हमला 12 लोग घायल कल भी सेना के साथ मुठभेड़ ये देखिए एक और आतंकी हमला अंतराल में यूपी के मजदूर को दहशतगर्दों ने मारी गोली पूरे के पूरे चुनाव के माहौल में ऐसे धीरे-धीरे धीरे-धीरे आतंकवादी घटनाएं बढ़ने लगी अब जैसे मैं कुछ आपको और बताता हूं 9 जून को जम्मू के रियासी में तीर्थ यात्रियों से भरी बस को निशाना बनाया नौ मर गए कठुआ में 8 जुलाई को सेना की गाड़ी पर टारगेट किया पांच जवान शहीद हो गए नौशेरा में 10 जुलाई को घुसपैठ की कोशिश फिर 16 जुलाई को चार जवान शहीद हुए देख रहे हैं ना और यह मत भूलिएगा कि कश्मीर में आखिरी बड़ा आतंकी हमला कब हुआ था आप याद कीजिए आर्टिकल 370 खत्म होने के पहले तभी हुआ था ना याद है ना वो पुलवामा वाला हमला और उसके बाद कब हुआ अब जाकर हुआ है मतलब चुनाव कराने के बाद अब जाकर यह हमला हुआ है
इसके बाद यह पहली घटना है अब इसकी वजह भी मैं आपको बताता हूं कि आखिर यह क्यों हुआ कैसे हुआ एक सवाल आपके मन में बार-बार डाला जाएगा कि अरे गृह मंत्री राज्यपाल क्या कर रहे थे पुलिस कहां थी पहलगाम में क्यों नहीं थी उसका भी जवाब देता हूं जब यहां सरकार बन गई जैसे दिल्ली में लीजिए दिल्ली में क्या होता था मुख्यमंत्री तो केजरीवाल थे और हर रोज दिल्ली पुलिस को गाली देते थे हर रोज उसका मोराल डाउन करते थे अब सोचिए जो देश की राजधानी की पुलिस है रोज रोज मुख्यमंत्री गाली देगा तो क्या होगा मोराल डाउन होगा ना |अब जम्मू कश्मीर में यही हो रहा था सरकार बन गई और ये लोग अपनी ही पुलिस के खिलाफ बोलने लगे सेना के खिलाफ बोलने लगे लोगों को भड़काने लगे|
इसका मतलब यह है इसकी कड़ी यह जो पूरी कहानी वो सुप्रीम कोर्ट से शुरू हुई और कहां जाकर खत्म हुई सत्ता में बैठे नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की हरकतों पर जाकर खत्म होती है और तब जाकर पहलगाम जैसी घटना होती है और इस बात को आम जनता ही नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोग तो देख ही रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट भी महसूस कर रहा है आप सोचिए बड़े ध्यान से सोचिए कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर ने चुनाव कराने के लिए इस तरह के निर्देश नहीं दिए होते तो क्या इतनी बड़ी घटना होती अब इसका डायरेक्ट कनेक्शन तो नहीं है?
लेकिन है क्योंकि जो लोग चुनाव जीत कर आए उनको भारत में विश्वास नहीं है उनको इस देश के संविधान में विश्वास नहीं है उसको किसी चीज पर विश्वास नहीं है लेकिन ये मोदी है आपको बता देता हूं विश्वास कीजिए इस दुनिया में कोई ऐसा आदमी नहीं होगा जिसको यह विश्वास ना हो कि मोदी सरकार कारवाई करेगी
यह तो कांग्रेस को भी पता है यह पाकिस्तान को भी पता है और इस देश की जनता को भी पता है लेकिन उन आंसुओं का क्या करेंगे जो जम्मू कश्मीर के पहलगाम घूमने गए थे उनके लिए ही रोजीरोटी की व्यवस्था कर रहे थे वो खर्च करने गए थे और उनको ही गोलियों से आतंकवादियों ने भून दिया|कहते हैं ना कि कोई बहुत बड़ी घटना होती है तो जो बुरी प्रवृत्ति के लोग होते हैं फिर भी कुछ ना कुछ ढूंढ लाते हैं कल शाम रॉबर्ट वाड्रा की कहानी थी पता चलेगा कि यह जो गैंग है यह किस तरीके से काम करता है आतंकवादियों को बचाने के लिए किस प्रकार के नैरेटिव गढ़ता है|
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