प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उसी आवास पर सात लोक कल्याण मार्ग पर भी पाकिस्तान के मसले पर एक बड़ी बैठक हुई। उस बड़ी बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।इस बड़ी बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी शामिल हुए और सबसे बड़ी बात है कि भारत की तीनों सेनाओं के मुखिया यानी इंडियन आर्मी के चीफ, इंडियन नेवी के चीफ, इंडियन एयरफोर्स के चीफ शामिल हुए और सूत्र यह बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक में सेना को खुली छूट दे दी है। सेना को यह सीधा-सीधा कह दिया है कि पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई का तरीका क्या होगा? आतंकवाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई का तरीका क्या होगा? और इसका टारगेट क्या होगा? ये दोनों चीजें सेना तय कर ले कि आतंकवाद को कैसे जवाब देना है? करारा जवाब देना है। कहां पर जाकर जवाब देना है? किस तरह से जवाब देना है? पाकिस्तान को किस तरह से सबक सिखाना है। कितनी मात्रा में सबक सिखाना है और कहां घुसकर सबक सिखाना है? यह तमाम चीजें सेना तय करने के लिए स्वतंत्र है।बिल्कुल साफ हो गई है कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब लड़ाई होने नहीं जा रही है। क्योंकि लड़ाई होना है या नहीं होना है। यह राजनीतिक नेतृत्व तय करता है और राजनीतिक नेतृत्व तय करके यह सेना को बताता है। सेना के तीनों अंगों को बताता है कि हमें पाकिस्तान को आखिरी सबक सिखाना है। आप बड़े स्तर पर लड़ाई की तैयारी कीजिए। हमें तीखा हमला बोलना है, बड़ा हमला बोलना है, बड़ा पलटवार करना है। लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को खुली छूट दे दी। इस तरह की खबरें निकल कर सामने आ रही है या इस तरह की खबरें चलवाई जा रही है। तो आप यह तय मान कर चलिए कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच में कोई बड़ी लड़ाई होने नहीं जा रही है। कम से कम भारत की तरफ से तो होने नहीं जा रही है। सर्जिकल स्ट्राइक या इसी तरह का कोई और तरीका निकाला जा सकता है आतंकवादी संगठनों को सबक सिखाने के लिए और उनके सरगना पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी सेना के चीफ को सबक सिखाने के लिए। भारतपाकि संबंध जम्मू कश्मीर के पहलगाव में जिस तरह से आतंकी वारदात हुई जिस तरह से निर्दोष नागरिकों की हत्या हुई यह कहा जा रहा है कि धर्म पूछकर हत्या हुई तो निश्चित तौर पर भारत के लिए बहुत ही संवेदनशील बहुत ही बड़ा विषय है और आरएसएस के मुखिया होने के नाते मोहन भागवत तब से ही लगातार बयान दे रहे हैं कि यह बहुत गंभीर मसला है और उसका लबोलुआ यानी मोहन भागवत के बयान का लबोलुआ यह भी निकल कर आ रहा है कि वह चाहते हैं कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पाकिस्तान का जवाब दे। चूंकि मोहन भागवत भारतीय जनता पार्टी के मात्र संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया है और हाल के दिनों में जब से जम्मू कश्मीर के पहलगांव में आतंकवादी हमला हुआ है उसके बाद से मोहन भागवत लगातार बयान दे रहे हैं जिसका लबोल लुआब यही निकल कर सामने आ रहा है कि इसका हिसाब किताब बराबर करना जरूरी है। पाकिस्तान को सबक सिखाना बहुत जरूरी है। तो यह बात बिल्कुल तय मानकर चलिए कि नरेंद्र मोदी और भागवत की मुलाकात में जितनी भी शपथ नरेंद्र मोदी ने ली है उन सूचनाओं को यानी खुफिया जानकारी और खुफिया सूचनाओं को तो उन्होंने मोहन भागवत को नहीं बताया होगा लेकिन मोटे तौर पर उन्होंने मोहन भागवत को जरूर यह बताया होगा कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत आतंकवादी संगठनों की कमर तोड़ने के लिए किस तरह से काम कर रहा है। पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सरकार किस तरह से काम कर रही है। आने वाले दिनों में किस तरह से आतंकवादी संगठनों को सबक सिखाया जाएगा और पाकिस्तान को भी सबक सिखाया जाएगा और जो भी पहलगाम आतंकी हमले वारदात के लिए जिम्मेदार है उनको इस धरती पर कहीं भी हो ढूंढकर सजा दी जाएगी| इस तरह की तमाम योजना की जानकारी निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जितनी वो दे सकते हैं एक सांस्कृतिक संगठन के मुखिया को इतनी जानकारी उन्होंने मोहन भागवत को जरूर दी होगी|और जहां तक भारत पाकिस्तान तनाव की बात है, सेना को खुली छूट मिल गई है और उस खुली छूट के बाद सेना अपने तरीके से अब पाकिस्तान को जवाब देगी। अपने तरीके से पाकिस्तान को सबक सिखाएगी। इस बीच खबर यह भी आ रही है कि कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक एक बार फिर से बुलाई गई है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक होगी। इससे पहले जो बैठक हुई थी वो पहलगांव में हुए आतंकवादी वारदात के एक दिन बाद हुई थी। उसके एक सप्ताह बाद यानी कल बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में फिर से कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक होने वाली है। जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल के अलावा कई अन्य उच्चाधिकारी मौजूद रहेंगे और इसमें तमाम परिस्थितियों पर सेना की तैयारियों पर पाकिस्तान से आने वाले रिस्पांस पर इस बीच में जो अमेरिका से बयान आया जो चाइना जिस तरह से पाकिस्तान के समर्थन में उतर गया। तुर्की ने जिस तरह से हथियार और सैन्य साजो सामान पाकिस्तान को भेजना शुरू कर दिया। इन तमाम घटनाक्रम पर विस्तार से चर्चा करके आगे की रणनीति कल की सीसीएस की बैठक में तय की जाएगी।
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