मोदी सरकार ने नए वक्फ कानून को लेकर ऐसा धमाका किया है कि इस कानून के खिलाफ केस लड़ रहे कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंवी की चिंता बढ़ गई होगी दर्शकों केंद्र सरकार जो वक्फ का संशोधन लेकर आई उसके बाद विपक्ष के कई नेताओं के पेट में मरोड़ उठने लगी उन्हें लगने लगा कि आखिर ऐसे ही चलता रहा तो हमारी तुष्टिकरण की राजनीति ही खत्म हो जाएगी तो भाई ऐसा नहीं करेंगे हम तो जाएंगे सुप्रीम कोर्ट और वहां से स्टे लेकर आएंगे इस पूरे मुद्दे पर तो भाई इनकी गैंग लग गई इस काम में और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को यह कहने पर मजबूर कर दिया कि अभी अगले आदेश तक कोई नियुक्ति नहीं होगी यानी कि देश के संसद से पास राष्ट्रपति द्वारा साइन किया गया संवैधानिक बिल पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठा दिया जिसके बाद काफी बवाल भी हुआ जो अभी तक चर्चा में है कि क्या वाकई सुप्रीम कोर्ट इतना ताकतवर है ?
तो आप शॉर्ट में समझ लीजिए कि सुप्रीम कोर्ट उन्हीं बिल को रोकता है जो संविधान की कसौटी पर खरा नहीं उतरे यानी कि कुल मिलाकर जो असंवैधानिक होंगे तो अब सरकार ने कहीं ना कहीं न्यायपालिका की गरिमा को बनाते हुए कोर्ट को यह बता दिया कि इस कानून पर सवाल उठाने वाले गलत है और सरकार सही है |आखिर कैसे हुआ यह सब बताते हैं आपको इस रिपोर्ट में दर्शकों आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कई व संपत्तियां केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं है क्योंकि इनमें अन्य समुदायों के अधिकार और दावे भी शामिल है उन्होंने यह भी दावा किया कि इन संपत्तियों को नियंत्रित करना सार्वजनिक व्यवस्था पर पहलू हो सकता है क्योंकि ऐसे विवादों के व्यापक प्रभाव हो सकते हैं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करते हुए यह कहा कि इस कानून पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती
क्योंकि संवैधानिकता की धारणा इसके पक्ष में है सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने 1332 पन्नों के प्रारंभिक जवाबी हलफनामे में नए वक्फ कानून का बचाव करते हुए कहा है कि चौंकाने वाली बात है कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में लगभग 209272 हेक्टेयर की वृद्धि हुई हलफनामे में कहा गया है कि मुगल काल से पहले स्वतंत्रता से पूर्व और स्वतंत्रता के बाद के दौर में भारत में कुल 1829163 एकड़ भूमि वफ की गई हलफनामे में प्राइवेट और सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने के लिए पहले के प्रावधानों के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया यह तब आया जब केंद्र सरकार ने संशोधित वक्फ अधिनियम पर सुनवाई के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया जिसमें अधिनियम के किसी भी प्रावधान जिसमें वफ बाय यूजर शामिल हैं पर रोक का विरोध किया था केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ अधिनियम में संशोधन धार्मिक प्रथाओं को बनाए रखता है और न्यायिक जवाबदेही लाता है उन्होंने आगे कहा कि संशोधन संविधान को बनाए रखने और आस्था और पूजा के मामले को अछूता छोड़ते हैं यह हलफनामे अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव शेरशाह सी शेख मोइद्दीन ने दायर किया हलफनामे में यह भी कहा गया कि कानून में यह स्थापित स्थिति है कि संवैधानिक अदालतों पर किसी भी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएगी संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर संवैधानिकता की धारणा लागू होती है संवैधानिकता की धारणा एक कानूनी सिद्धांत है जिसके अनुसार अगर किसी कानून को अदालत में चुनौती दी जाती है तो अदालत सामान्यतः यह मानकर चलती है कि यह संवैधानिक है और केवल तभी उसे असंवैधानिक ठहराया जाता है जब यह स्पष्ट रूप से संविधान का उल्लंघन करता हो केंद्र सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट तभी कानून की समीक्षा कर सकता है जब विधाई अधिकार क्षेत्रों और अनुच्छेद 32 में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ हो सरकार ने यह भी कहा कि प्रमुख राजनैतिक दलों के सदस्यों वाली संसदीय समिति के बहुत व्यापक गहन और विश्लेषणात्मक अध्ययन करने के बाद यह संशोधन किए गए हैं हलफनामे में कहा गया है कि संसद ने अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कार्य करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि वक्फ जैसी धार्मिक संस्थाओं का प्रबंधन इस प्रकार से किया जाए कि उनमें आस्था रखने वालों का और समाज का विकास कायम रखें ताकि धार्मिक स्वायता का हनन ना हो दर्शकों केंद्र सरकार ने जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट को डिटेल में 1332 पन्नों के प्रारंभिक जवाबी हलफनामे दायर किए हैं
उसके बाद इस कानून के खिलाफ रोक लगवा पाना कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी के लिए आसान नहीं होने वाला
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