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Tuesday, April 29, 2025

बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है

बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है
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बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है
बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है
बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है

 बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है और यह तय हो चुका है कि बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ही रहेंगे।अध्यक्ष पद को लेकर आरएसएस और बीजेपी हाईकमान के बीच में जो टकराव चल रहा है उस टकराव के केंद्र में जेपी नड्डा हैं। संघ चाहता है कि जेपी नड्डा को हटाया जाए और दूसरी तरफ बीजेपी हाईकमान यानी कि मोदी और शाह ये चाहते हैं कि जेपी नड्डा ही अध्यक्ष बने रहे और इसको लेकर लगातार क्योंकि अक्टूबर से चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अक्टूबर से लेकर अप्रैल आ गया है। हर बार एक नई तारीख आती है और तारीख निकल जाती है उसके बाद एक नई तारीख फिर आ जाती है और अब तो चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरीके से ही रोक दिया गया है और अब ये चुनाव प्रक्रिया कब से शुरू होगी क्योंकि पहले ये कहा जा रहा था कि अप्रैल में बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा लेकिन अप्रैल तो पूरा निकल ही गया है लगभग 2 दिन बचे हुए हैं। अब ये क्या कहा जा रहा है कि मई में भी बीजेपी को अध्यक्ष नहीं मिलेगा। यहां तक कि ये कहा अब तो सीधा-सीधा ये कह दिया गया जो बीजेपी की उच्च स्तरीय कमेटी है उसने ये बोल दिया है कि अभी हम चुनाव प्रक्रिया को रोक रहे हैं। यानी कि आगे भी कब भी अध्यक्ष पद बीजेपी को अध्यक्ष नया मिलेगा। इस पर सवाल खड़े हो गए हैं और साफ-साफ यह कहा गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष बने रहेंगे। जबकि जेपी नड्डा को लेकर बीजेपी और आरएसएस के बीच लगातार तनातनी बनी हुई है। आपको याद होगा लोकसभा 204 चुनाव के दौरान बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ को लेकर एक विवादित बयान दे दिया था।

उन्होंने साफ-साफ कहा था कि अब बीजेपी को संघ की जरूरत नहीं है। संघ अपने और काम देखे। और इस बयान ने संघ और बीजेपी के बीच दूरियां बढ़ा दी थी। संघ की नाराजगी इस बात पर भी थी कि जेपी नड्डा ने जो बयान दिया है इस पर बीजेपी आलाकमान यानी मोदी और शाह की तरफ से कोई टिप्पणी क्यों नहीं आई? क्यों उन्होंने इस बयान को खारिज नहीं किया? क्यों उन्होंने जेपी नड्डा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं दिया? यानी उनकी जो चुप्पी थी उसे उनका समर्थन मान लिया गया।

यानी संघ ने यह मान लिया कि जो भी जेपी नड्डा ने कहा है वह बीजेपी आलाकमान के इशारे पर ही कहा है। ऐसे में संघ लगातार जेपी नड्डा के खिलाफ रहा और इसका असर यह हुआ कि लोकसभा चुनाव के नतीजे जब आए तो बीजेपी को करारा झटका लगा क्योंकि बीजेपी अकेले के दम पर बहुमत हासिल इस बार चुनाव में नहीं कर पाई। जबकि बीजेपी तो चार सुपार के सपने देख रही थी। इसके बाद बीजेपी समझ गई कि बिना संघ के उसका गुजारा नहीं हो सकता और इसीलिए संघ को मनाने की कोशिश की। लेकिन संघ अपनी मांग पर लगातार अड़ा रहा। संघ यह बात लगातार दोहराता रहा कि अगर हमारा समर्थन चाहिए तो अध्यक्ष हमारे पसंद का होना चाहिए और इसी के चलते लगातार चुनाव प्रक्रिया स्लो पर स्लो कराई गई। बीजेपी की तरफ से संघ की तरफ से बार-बार अल्टीमेटम दिया गया। पहले यह माना जा रहा था कि जनवरी में चुनाव होंगे। जब 2024 के अगस्त में चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी तब यह माना जा रहा था कि जनवरी में बीजेपी के अध्यक्ष पद के चुनाव होंगे। लेकिन जनवरी में भी चुनाव नहीं हुए। उसके बाद बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान हुआ कि जब दिल्ली विधानसभा चुनाव हो जाएंगे तब वहां पर चुनाव कराए जाएंगे बीजेपी अध्यक्ष को लेकर। लेकिन फिर दिल्ली चुनाव के बाद भी चुनाव को टाला गया, आगे बढ़ाया गया और फिर यह माना जा रहा था कि संघ ने अल्टीमेटम दे दिया है कि अप्रैल में हर हाल में बीजेपी अध्यक्ष मिल जाना चाहिए नया।

लेकिन अब जो खबर आ रही है उसने साफ-साफ बता दिया है कि बीजेपी आलाकमान संघ को पूरी तरह किनारे लगा चुका है और अब संघ के साथ बीजेपी आलाकमान आर-पार के मूड में है। जबकि पिछले दिनों खबर यह आ रही थी कि संघ ने साफ-साफ अल्टीमेटम दे दिया है कि एक चीज आप अपने पसंद की रख सकते हैं। या तो बीजेपी अध्यक्ष का पद अपने हाथ में रखिए या फिर पीएम की कुर्सी। तो अब बड़ा सवाल यह हैअब संघ क्या करेगा? यानी बीजेपी आलाकमान ने तो दो टोक बता दिया कि हमारा जो अध्यक्ष है वह तो जेपी नड्डा ही रहेंगे। लेकिन आगे अब पीएम पद को लेकर क्या स्थितियां बनेंगी? क्या संभावनाएं दिखाई दे रही हैं?अभी तो चुनाव है नहीं है।

लोकसभा का चुनाव जो होना है वो 2029 में होगा। और इसी को लेकर क्योंकि नरेंद्र मोदी को भी इस चीज का एहसास है कि अगर आरएसएस की पसंद के व्यक्ति को बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया जाता है तो फिर अगला नंबर उन्हीं का आने वाला है। क्योंकि फिर यह कहा जाएगा कि आप 75 साल के हो गए हैं। आप कुर्सी छोड़िएगा और बहुत ज्यादा यदि नरेंद्र मोदी को आरएसएस फिर उसके बाद समय देगा तो एक या 2 साल तक का समय दे सकता है। लेकिन 2029 का चुनाव फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए और बीजेपी नहीं लड़ेगी।दूसरा यह है कि यदि नड्डा की जगह किसी और को बनाना पड़े तो फिर वह बीजेपी हाईकमान ही तय करे उसमें संघ की ज़्यादा कोई बस खाली उनको नाम भेज दिया जाएगा| संघ मोहर लगा दे लेकिन संघ की तरफ से नाम तय नहीं किया जाए। ये शुरुआत से ही चल रहा था जो लोकसभा चुनाव के समय पर जो बयान दिया था जेपी नड्डा ने ये बात तो संघ के सभी नेताओं को पता है कि विदाउट अमित शाह और नरेंद्र मोदी की सहमति के जेपी नड्डा इतना बड़ा बयान नहीं दे सकते हैं। और इसको लेकर ही संघ की नाराजगी तो वो अलग है ही है। क्योंकि संघ नहीं चाहता कि जेपी नड्डा या जेपी नड्डा जैसा कोई दूसरा शख्स बीजेपी का अध्यक्ष बने। और इसीलिए जो संघ की तरफ से शुरुआत में संजय जोशी का नाम लेकर आया गया। लेकिन संजय जोशी को लेकर तो आपको पता है कि किस तरीके से बीजेपी हाईकमान में साफ-साफ रेड सिग्नल दिखा दिया गया। यहां तक कि जिन लोगों ने संजय जोशी के नाम के पोस्टर भी लगाए उन सभी को नोटिस जारी कर दिए गए। जी तो यह तो तय हो गया कि जो आरएसएस की तरफ से जो नाम आएगा उसको बीजेपी हाईकमान पूरी तरीके से खारिज कर देगा और इसी के चलते क्योंकि ना तो आरएसएस का नाम बीजेपी हाईकमान मानने को तैयार है और ना ही बीजेपी हाईकमान की तरफ से जो नाम दिया जा रहा है उसको संघ स्वीकार कर रहा है और इसी के चलते जेपी नड्डा के नाम पर अब मोदी और शाह भी अड़ गए हैं और उन्होंने साफ कर दिया है कि जेपी नड्डा ही हमारे अध्यक्ष रहेंगे और जहां तक चुनाव प्रक्रिया की बात है कि जब तक आरएसएस अपनी तरफ से इसको सहमति नहीं देता है तब तक के लिए चुनाव प्रक्रिया भी टाल दी गई है।

चुनाव प्रक्रिया को इसीलिए इतना स्लो किया जा रहा है जिससे कि आखिर में जेपी नड्डा को ही अध्यक्ष चुना जा सके। यानी अब बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान कर दिया गया है कि कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। जेपी नड्डा ही अध्यक्ष रहेंगे। यानी ये तो साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव अब जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा और उसके आगे हो सकता है बंगाल विधानसभा चुनाव और जो दूसरे राज्यों के चुनाव हैं बंगाल के साथ वो सभी के सब अब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे क्योंकि जैसा कि आपको बता दें 2024-25 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव कई राज्यों में हुए क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष का जो चुनाव है शुरू होने से पहले कम से कम 50% राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने जरूरी होते हैं। ऐसा नियम है बीजेपी का और उस मीटिंग में यह अल्टीमेटम दे दिया गया था बीजेपी आलाकमान को कि आप जल्द से जल्द बीजेपी अध्यक्ष चुन लीजिए नया और तभी संघ आपको आगे समर्थन करेगा लेकिन जिस तरह से बीजेपी आलाकमान ने अपना फैसला संघ को सुना दिया है अब संघ नाराज दिखाई दे रहा है और यह माना जा रहा था कि संघ ने जिस तरह से अल्टीमेटम दिया उसको देखते हुए अप्रैल में कम से कम 19 राज्यों के चुनाव बीजेपी करवा लेगी लेकिन अब खबर आ रही है कि बीजेपी ने अपना जो चुनाव प्रक्रिया है उसको आगे के लिए टाल दिया है टालने का साफ-साफ मतलब है कि जेपी नड्डा को बनाए रखने के लिए बीजेपी आलाकमान जो अभी तक दूसरी तड़मे लगा रही थी जब उसकी कोई भी तड़म नहीं चली तो उसने सीधे-सीधे अपना फरमान अब संघ को भी सुना दिया है कि इसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। हां बिल्कुल क्योंकि जिस तरीके से चुनाव टाला गया है क्योंकि अभी अप्रैल चल रहा है और मई पहले ये चल एक बात कही जा रही थी कि मई में चुनाव प्रक्रिया शुरू की जा सकती है क्योंकि जो 36 राज्य और यूनियन टेरिटरी हैं उनमें से आधे यानी आधे से ज्यादा यानी 19 राज्यों में या यूनियन टेरिटरी में बीजेपी के जो संगठन चुनाव पूरे हो जाने चाहिए थे। लेकिन जिस तरीके से पिछले 4 महीने में सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए क्योंकि 12 राज्यों में तो चुनाव पहले ही हो चुके थे। सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए हैं। उससे साफ दिख रहा था कि इतना स्लो ये प्रक्रिया कर दी गई है कि चुनाव अप्रैल मई में हो ही ना हो पाए। अब इस चुनाव को अनिश्चितकाल के लिए टाला गया है और यह तय है कि यदि तीन चार महीने चुनाव नहीं होते हैं तो फिर ये कहा जाएगा कि अब बिहार चुनाव आ गया है क्योंकि चुनाव से जस्ट पहले यदि चुनाव नया अध्यक्ष पार्टी को मिलेगा तो वो अपनी नई टीम नहीं बना पाएगा और उसका असर बिहार जैसे राज्य पर पड़ेगा। तो फिर बिहार चुनाव के चलते चुनाव चुनाव टाला जाएगा। फिर बिहार चुनाव जैसे ही खत्म होगा वैसे ही पांच राज्य के चुनाव प्रक्रिया टाली गई है उनका एक साल और बढ़ जाएगा। यानी एक्सटेंशन पर ही उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष का ये कार्यकाल पूरा कर लिया है।

संघ कुछ भी करे लेकिन बीजेपी हाईकमान ने जो सोच रखा है वही होना है और ये तय हो गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष रहेंगे और जेपी नड्डा की जगह यदि कोई दूसरा शख्स आएगा भी तो बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही आएगा। इस पूरे मामले में अब आरएसएस को बीजेपी हाईकमान यानी मोदी और अमित शाह ने एक तरह से पूरी तरीके से किनारे कर दिया है। जी बिल्कुल उन्होंने अपना मैसेज संघ तक पहुंचा दिया है कि मर्जी तो अब बीजेपी आलाकमान की ही चलेगी। यानी अगर जेपी नड्डा जाएंगे तो भी जो दूसरा अध्यक्ष होगा वो बीजेपी आलाकमान यानी बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही होगा। ऐसे में अब सभी की निगाहें हैं संघ पर कि संघ इस पूरे मामले को लेकर अब क्या प्रतिक्रिया देता है।


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बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है

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बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है

 बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है और यह तय हो चुका है कि बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ही रहेंगे।अध्यक्ष पद को लेकर आरएसएस और बीजेपी हाईकमान के बीच में जो टकराव चल रहा है उस टकराव के केंद्र में जेपी नड्डा हैं। संघ चाहता है कि जेपी नड्डा को हटाया जाए और दूसरी तरफ बीजेपी हाईकमान यानी कि मोदी और शाह ये चाहते हैं कि जेपी नड्डा ही अध्यक्ष बने रहे और इसको लेकर लगातार क्योंकि अक्टूबर से चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अक्टूबर से लेकर अप्रैल आ गया है। हर बार एक नई तारीख आती है और तारीख निकल जाती है उसके बाद एक नई तारीख फिर आ जाती है और अब तो चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरीके से ही रोक दिया गया है और अब ये चुनाव प्रक्रिया कब से शुरू होगी क्योंकि पहले ये कहा जा रहा था कि अप्रैल में बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा लेकिन अप्रैल तो पूरा निकल ही गया है लगभग 2 दिन बचे हुए हैं। अब ये क्या कहा जा रहा है कि मई में भी बीजेपी को अध्यक्ष नहीं मिलेगा। यहां तक कि ये कहा अब तो सीधा-सीधा ये कह दिया गया जो बीजेपी की उच्च स्तरीय कमेटी है उसने ये बोल दिया है कि अभी हम चुनाव प्रक्रिया को रोक रहे हैं। यानी कि आगे भी कब भी अध्यक्ष पद बीजेपी को अध्यक्ष नया मिलेगा। इस पर सवाल खड़े हो गए हैं और साफ-साफ यह कहा गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष बने रहेंगे। जबकि जेपी नड्डा को लेकर बीजेपी और आरएसएस के बीच लगातार तनातनी बनी हुई है। आपको याद होगा लोकसभा 204 चुनाव के दौरान बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ को लेकर एक विवादित बयान दे दिया था।

उन्होंने साफ-साफ कहा था कि अब बीजेपी को संघ की जरूरत नहीं है। संघ अपने और काम देखे। और इस बयान ने संघ और बीजेपी के बीच दूरियां बढ़ा दी थी। संघ की नाराजगी इस बात पर भी थी कि जेपी नड्डा ने जो बयान दिया है इस पर बीजेपी आलाकमान यानी मोदी और शाह की तरफ से कोई टिप्पणी क्यों नहीं आई? क्यों उन्होंने इस बयान को खारिज नहीं किया? क्यों उन्होंने जेपी नड्डा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं दिया? यानी उनकी जो चुप्पी थी उसे उनका समर्थन मान लिया गया।

यानी संघ ने यह मान लिया कि जो भी जेपी नड्डा ने कहा है वह बीजेपी आलाकमान के इशारे पर ही कहा है। ऐसे में संघ लगातार जेपी नड्डा के खिलाफ रहा और इसका असर यह हुआ कि लोकसभा चुनाव के नतीजे जब आए तो बीजेपी को करारा झटका लगा क्योंकि बीजेपी अकेले के दम पर बहुमत हासिल इस बार चुनाव में नहीं कर पाई। जबकि बीजेपी तो चार सुपार के सपने देख रही थी। इसके बाद बीजेपी समझ गई कि बिना संघ के उसका गुजारा नहीं हो सकता और इसीलिए संघ को मनाने की कोशिश की। लेकिन संघ अपनी मांग पर लगातार अड़ा रहा। संघ यह बात लगातार दोहराता रहा कि अगर हमारा समर्थन चाहिए तो अध्यक्ष हमारे पसंद का होना चाहिए और इसी के चलते लगातार चुनाव प्रक्रिया स्लो पर स्लो कराई गई। बीजेपी की तरफ से संघ की तरफ से बार-बार अल्टीमेटम दिया गया। पहले यह माना जा रहा था कि जनवरी में चुनाव होंगे। जब 2024 के अगस्त में चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी तब यह माना जा रहा था कि जनवरी में बीजेपी के अध्यक्ष पद के चुनाव होंगे। लेकिन जनवरी में भी चुनाव नहीं हुए। उसके बाद बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान हुआ कि जब दिल्ली विधानसभा चुनाव हो जाएंगे तब वहां पर चुनाव कराए जाएंगे बीजेपी अध्यक्ष को लेकर। लेकिन फिर दिल्ली चुनाव के बाद भी चुनाव को टाला गया, आगे बढ़ाया गया और फिर यह माना जा रहा था कि संघ ने अल्टीमेटम दे दिया है कि अप्रैल में हर हाल में बीजेपी अध्यक्ष मिल जाना चाहिए नया।

लेकिन अब जो खबर आ रही है उसने साफ-साफ बता दिया है कि बीजेपी आलाकमान संघ को पूरी तरह किनारे लगा चुका है और अब संघ के साथ बीजेपी आलाकमान आर-पार के मूड में है। जबकि पिछले दिनों खबर यह आ रही थी कि संघ ने साफ-साफ अल्टीमेटम दे दिया है कि एक चीज आप अपने पसंद की रख सकते हैं। या तो बीजेपी अध्यक्ष का पद अपने हाथ में रखिए या फिर पीएम की कुर्सी। तो अब बड़ा सवाल यह हैअब संघ क्या करेगा? यानी बीजेपी आलाकमान ने तो दो टोक बता दिया कि हमारा जो अध्यक्ष है वह तो जेपी नड्डा ही रहेंगे। लेकिन आगे अब पीएम पद को लेकर क्या स्थितियां बनेंगी? क्या संभावनाएं दिखाई दे रही हैं?अभी तो चुनाव है नहीं है।

लोकसभा का चुनाव जो होना है वो 2029 में होगा। और इसी को लेकर क्योंकि नरेंद्र मोदी को भी इस चीज का एहसास है कि अगर आरएसएस की पसंद के व्यक्ति को बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया जाता है तो फिर अगला नंबर उन्हीं का आने वाला है। क्योंकि फिर यह कहा जाएगा कि आप 75 साल के हो गए हैं। आप कुर्सी छोड़िएगा और बहुत ज्यादा यदि नरेंद्र मोदी को आरएसएस फिर उसके बाद समय देगा तो एक या 2 साल तक का समय दे सकता है। लेकिन 2029 का चुनाव फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए और बीजेपी नहीं लड़ेगी।दूसरा यह है कि यदि नड्डा की जगह किसी और को बनाना पड़े तो फिर वह बीजेपी हाईकमान ही तय करे उसमें संघ की ज़्यादा कोई बस खाली उनको नाम भेज दिया जाएगा| संघ मोहर लगा दे लेकिन संघ की तरफ से नाम तय नहीं किया जाए। ये शुरुआत से ही चल रहा था जो लोकसभा चुनाव के समय पर जो बयान दिया था जेपी नड्डा ने ये बात तो संघ के सभी नेताओं को पता है कि विदाउट अमित शाह और नरेंद्र मोदी की सहमति के जेपी नड्डा इतना बड़ा बयान नहीं दे सकते हैं। और इसको लेकर ही संघ की नाराजगी तो वो अलग है ही है। क्योंकि संघ नहीं चाहता कि जेपी नड्डा या जेपी नड्डा जैसा कोई दूसरा शख्स बीजेपी का अध्यक्ष बने। और इसीलिए जो संघ की तरफ से शुरुआत में संजय जोशी का नाम लेकर आया गया। लेकिन संजय जोशी को लेकर तो आपको पता है कि किस तरीके से बीजेपी हाईकमान में साफ-साफ रेड सिग्नल दिखा दिया गया। यहां तक कि जिन लोगों ने संजय जोशी के नाम के पोस्टर भी लगाए उन सभी को नोटिस जारी कर दिए गए। जी तो यह तो तय हो गया कि जो आरएसएस की तरफ से जो नाम आएगा उसको बीजेपी हाईकमान पूरी तरीके से खारिज कर देगा और इसी के चलते क्योंकि ना तो आरएसएस का नाम बीजेपी हाईकमान मानने को तैयार है और ना ही बीजेपी हाईकमान की तरफ से जो नाम दिया जा रहा है उसको संघ स्वीकार कर रहा है और इसी के चलते जेपी नड्डा के नाम पर अब मोदी और शाह भी अड़ गए हैं और उन्होंने साफ कर दिया है कि जेपी नड्डा ही हमारे अध्यक्ष रहेंगे और जहां तक चुनाव प्रक्रिया की बात है कि जब तक आरएसएस अपनी तरफ से इसको सहमति नहीं देता है तब तक के लिए चुनाव प्रक्रिया भी टाल दी गई है।

चुनाव प्रक्रिया को इसीलिए इतना स्लो किया जा रहा है जिससे कि आखिर में जेपी नड्डा को ही अध्यक्ष चुना जा सके। यानी अब बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान कर दिया गया है कि कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। जेपी नड्डा ही अध्यक्ष रहेंगे। यानी ये तो साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव अब जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा और उसके आगे हो सकता है बंगाल विधानसभा चुनाव और जो दूसरे राज्यों के चुनाव हैं बंगाल के साथ वो सभी के सब अब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे क्योंकि जैसा कि आपको बता दें 2024-25 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव कई राज्यों में हुए क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष का जो चुनाव है शुरू होने से पहले कम से कम 50% राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने जरूरी होते हैं। ऐसा नियम है बीजेपी का और उस मीटिंग में यह अल्टीमेटम दे दिया गया था बीजेपी आलाकमान को कि आप जल्द से जल्द बीजेपी अध्यक्ष चुन लीजिए नया और तभी संघ आपको आगे समर्थन करेगा लेकिन जिस तरह से बीजेपी आलाकमान ने अपना फैसला संघ को सुना दिया है अब संघ नाराज दिखाई दे रहा है और यह माना जा रहा था कि संघ ने जिस तरह से अल्टीमेटम दिया उसको देखते हुए अप्रैल में कम से कम 19 राज्यों के चुनाव बीजेपी करवा लेगी लेकिन अब खबर आ रही है कि बीजेपी ने अपना जो चुनाव प्रक्रिया है उसको आगे के लिए टाल दिया है टालने का साफ-साफ मतलब है कि जेपी नड्डा को बनाए रखने के लिए बीजेपी आलाकमान जो अभी तक दूसरी तड़मे लगा रही थी जब उसकी कोई भी तड़म नहीं चली तो उसने सीधे-सीधे अपना फरमान अब संघ को भी सुना दिया है कि इसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। हां बिल्कुल क्योंकि जिस तरीके से चुनाव टाला गया है क्योंकि अभी अप्रैल चल रहा है और मई पहले ये चल एक बात कही जा रही थी कि मई में चुनाव प्रक्रिया शुरू की जा सकती है क्योंकि जो 36 राज्य और यूनियन टेरिटरी हैं उनमें से आधे यानी आधे से ज्यादा यानी 19 राज्यों में या यूनियन टेरिटरी में बीजेपी के जो संगठन चुनाव पूरे हो जाने चाहिए थे। लेकिन जिस तरीके से पिछले 4 महीने में सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए क्योंकि 12 राज्यों में तो चुनाव पहले ही हो चुके थे। सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए हैं। उससे साफ दिख रहा था कि इतना स्लो ये प्रक्रिया कर दी गई है कि चुनाव अप्रैल मई में हो ही ना हो पाए। अब इस चुनाव को अनिश्चितकाल के लिए टाला गया है और यह तय है कि यदि तीन चार महीने चुनाव नहीं होते हैं तो फिर ये कहा जाएगा कि अब बिहार चुनाव आ गया है क्योंकि चुनाव से जस्ट पहले यदि चुनाव नया अध्यक्ष पार्टी को मिलेगा तो वो अपनी नई टीम नहीं बना पाएगा और उसका असर बिहार जैसे राज्य पर पड़ेगा। तो फिर बिहार चुनाव के चलते चुनाव चुनाव टाला जाएगा। फिर बिहार चुनाव जैसे ही खत्म होगा वैसे ही पांच राज्य के चुनाव प्रक्रिया टाली गई है उनका एक साल और बढ़ जाएगा। यानी एक्सटेंशन पर ही उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष का ये कार्यकाल पूरा कर लिया है।

संघ कुछ भी करे लेकिन बीजेपी हाईकमान ने जो सोच रखा है वही होना है और ये तय हो गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष रहेंगे और जेपी नड्डा की जगह यदि कोई दूसरा शख्स आएगा भी तो बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही आएगा। इस पूरे मामले में अब आरएसएस को बीजेपी हाईकमान यानी मोदी और अमित शाह ने एक तरह से पूरी तरीके से किनारे कर दिया है। जी बिल्कुल उन्होंने अपना मैसेज संघ तक पहुंचा दिया है कि मर्जी तो अब बीजेपी आलाकमान की ही चलेगी। यानी अगर जेपी नड्डा जाएंगे तो भी जो दूसरा अध्यक्ष होगा वो बीजेपी आलाकमान यानी बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही होगा। ऐसे में अब सभी की निगाहें हैं संघ पर कि संघ इस पूरे मामले को लेकर अब क्या प्रतिक्रिया देता है।


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 बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है और यह तय हो चुका है कि बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ही रहेंगे।अध्यक्ष पद को लेकर आरएसएस और बीजेपी हाईकमान के बीच में जो टकराव चल रहा है उस टकराव के केंद्र में जेपी नड्डा हैं। संघ चाहता है कि जेपी नड्डा को हटाया जाए और दूसरी तरफ बीजेपी हाईकमान यानी कि मोदी और शाह ये चाहते हैं कि जेपी नड्डा ही अध्यक्ष बने रहे और इसको लेकर लगातार क्योंकि अक्टूबर से चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अक्टूबर से लेकर अप्रैल आ गया है। हर बार एक नई तारीख आती है और तारीख निकल जाती है उसके बाद एक नई तारीख फिर आ जाती है और अब तो चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरीके से ही रोक दिया गया है और अब ये चुनाव प्रक्रिया कब से शुरू होगी क्योंकि पहले ये कहा जा रहा था कि अप्रैल में बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा लेकिन अप्रैल तो पूरा निकल ही गया है लगभग 2 दिन बचे हुए हैं। अब ये क्या कहा जा रहा है कि मई में भी बीजेपी को अध्यक्ष नहीं मिलेगा। यहां तक कि ये कहा अब तो सीधा-सीधा ये कह दिया गया जो बीजेपी की उच्च स्तरीय कमेटी है उसने ये बोल दिया है कि अभी हम चुनाव प्रक्रिया को रोक रहे हैं। यानी कि आगे भी कब भी अध्यक्ष पद बीजेपी को अध्यक्ष नया मिलेगा। इस पर सवाल खड़े हो गए हैं और साफ-साफ यह कहा गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष बने रहेंगे। जबकि जेपी नड्डा को लेकर बीजेपी और आरएसएस के बीच लगातार तनातनी बनी हुई है। आपको याद होगा लोकसभा 204 चुनाव के दौरान बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ को लेकर एक विवादित बयान दे दिया था।

उन्होंने साफ-साफ कहा था कि अब बीजेपी को संघ की जरूरत नहीं है। संघ अपने और काम देखे। और इस बयान ने संघ और बीजेपी के बीच दूरियां बढ़ा दी थी। संघ की नाराजगी इस बात पर भी थी कि जेपी नड्डा ने जो बयान दिया है इस पर बीजेपी आलाकमान यानी मोदी और शाह की तरफ से कोई टिप्पणी क्यों नहीं आई? क्यों उन्होंने इस बयान को खारिज नहीं किया? क्यों उन्होंने जेपी नड्डा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं दिया? यानी उनकी जो चुप्पी थी उसे उनका समर्थन मान लिया गया।

यानी संघ ने यह मान लिया कि जो भी जेपी नड्डा ने कहा है वह बीजेपी आलाकमान के इशारे पर ही कहा है। ऐसे में संघ लगातार जेपी नड्डा के खिलाफ रहा और इसका असर यह हुआ कि लोकसभा चुनाव के नतीजे जब आए तो बीजेपी को करारा झटका लगा क्योंकि बीजेपी अकेले के दम पर बहुमत हासिल इस बार चुनाव में नहीं कर पाई। जबकि बीजेपी तो चार सुपार के सपने देख रही थी। इसके बाद बीजेपी समझ गई कि बिना संघ के उसका गुजारा नहीं हो सकता और इसीलिए संघ को मनाने की कोशिश की। लेकिन संघ अपनी मांग पर लगातार अड़ा रहा। संघ यह बात लगातार दोहराता रहा कि अगर हमारा समर्थन चाहिए तो अध्यक्ष हमारे पसंद का होना चाहिए और इसी के चलते लगातार चुनाव प्रक्रिया स्लो पर स्लो कराई गई। बीजेपी की तरफ से संघ की तरफ से बार-बार अल्टीमेटम दिया गया। पहले यह माना जा रहा था कि जनवरी में चुनाव होंगे। जब 2024 के अगस्त में चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी तब यह माना जा रहा था कि जनवरी में बीजेपी के अध्यक्ष पद के चुनाव होंगे। लेकिन जनवरी में भी चुनाव नहीं हुए। उसके बाद बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान हुआ कि जब दिल्ली विधानसभा चुनाव हो जाएंगे तब वहां पर चुनाव कराए जाएंगे बीजेपी अध्यक्ष को लेकर। लेकिन फिर दिल्ली चुनाव के बाद भी चुनाव को टाला गया, आगे बढ़ाया गया और फिर यह माना जा रहा था कि संघ ने अल्टीमेटम दे दिया है कि अप्रैल में हर हाल में बीजेपी अध्यक्ष मिल जाना चाहिए नया।

लेकिन अब जो खबर आ रही है उसने साफ-साफ बता दिया है कि बीजेपी आलाकमान संघ को पूरी तरह किनारे लगा चुका है और अब संघ के साथ बीजेपी आलाकमान आर-पार के मूड में है। जबकि पिछले दिनों खबर यह आ रही थी कि संघ ने साफ-साफ अल्टीमेटम दे दिया है कि एक चीज आप अपने पसंद की रख सकते हैं। या तो बीजेपी अध्यक्ष का पद अपने हाथ में रखिए या फिर पीएम की कुर्सी। तो अब बड़ा सवाल यह हैअब संघ क्या करेगा? यानी बीजेपी आलाकमान ने तो दो टोक बता दिया कि हमारा जो अध्यक्ष है वह तो जेपी नड्डा ही रहेंगे। लेकिन आगे अब पीएम पद को लेकर क्या स्थितियां बनेंगी? क्या संभावनाएं दिखाई दे रही हैं?अभी तो चुनाव है नहीं है।

लोकसभा का चुनाव जो होना है वो 2029 में होगा। और इसी को लेकर क्योंकि नरेंद्र मोदी को भी इस चीज का एहसास है कि अगर आरएसएस की पसंद के व्यक्ति को बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया जाता है तो फिर अगला नंबर उन्हीं का आने वाला है। क्योंकि फिर यह कहा जाएगा कि आप 75 साल के हो गए हैं। आप कुर्सी छोड़िएगा और बहुत ज्यादा यदि नरेंद्र मोदी को आरएसएस फिर उसके बाद समय देगा तो एक या 2 साल तक का समय दे सकता है। लेकिन 2029 का चुनाव फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए और बीजेपी नहीं लड़ेगी।दूसरा यह है कि यदि नड्डा की जगह किसी और को बनाना पड़े तो फिर वह बीजेपी हाईकमान ही तय करे उसमें संघ की ज़्यादा कोई बस खाली उनको नाम भेज दिया जाएगा| संघ मोहर लगा दे लेकिन संघ की तरफ से नाम तय नहीं किया जाए। ये शुरुआत से ही चल रहा था जो लोकसभा चुनाव के समय पर जो बयान दिया था जेपी नड्डा ने ये बात तो संघ के सभी नेताओं को पता है कि विदाउट अमित शाह और नरेंद्र मोदी की सहमति के जेपी नड्डा इतना बड़ा बयान नहीं दे सकते हैं। और इसको लेकर ही संघ की नाराजगी तो वो अलग है ही है। क्योंकि संघ नहीं चाहता कि जेपी नड्डा या जेपी नड्डा जैसा कोई दूसरा शख्स बीजेपी का अध्यक्ष बने। और इसीलिए जो संघ की तरफ से शुरुआत में संजय जोशी का नाम लेकर आया गया। लेकिन संजय जोशी को लेकर तो आपको पता है कि किस तरीके से बीजेपी हाईकमान में साफ-साफ रेड सिग्नल दिखा दिया गया। यहां तक कि जिन लोगों ने संजय जोशी के नाम के पोस्टर भी लगाए उन सभी को नोटिस जारी कर दिए गए। जी तो यह तो तय हो गया कि जो आरएसएस की तरफ से जो नाम आएगा उसको बीजेपी हाईकमान पूरी तरीके से खारिज कर देगा और इसी के चलते क्योंकि ना तो आरएसएस का नाम बीजेपी हाईकमान मानने को तैयार है और ना ही बीजेपी हाईकमान की तरफ से जो नाम दिया जा रहा है उसको संघ स्वीकार कर रहा है और इसी के चलते जेपी नड्डा के नाम पर अब मोदी और शाह भी अड़ गए हैं और उन्होंने साफ कर दिया है कि जेपी नड्डा ही हमारे अध्यक्ष रहेंगे और जहां तक चुनाव प्रक्रिया की बात है कि जब तक आरएसएस अपनी तरफ से इसको सहमति नहीं देता है तब तक के लिए चुनाव प्रक्रिया भी टाल दी गई है।

चुनाव प्रक्रिया को इसीलिए इतना स्लो किया जा रहा है जिससे कि आखिर में जेपी नड्डा को ही अध्यक्ष चुना जा सके। यानी अब बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान कर दिया गया है कि कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। जेपी नड्डा ही अध्यक्ष रहेंगे। यानी ये तो साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव अब जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा और उसके आगे हो सकता है बंगाल विधानसभा चुनाव और जो दूसरे राज्यों के चुनाव हैं बंगाल के साथ वो सभी के सब अब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे क्योंकि जैसा कि आपको बता दें 2024-25 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव कई राज्यों में हुए क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष का जो चुनाव है शुरू होने से पहले कम से कम 50% राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने जरूरी होते हैं। ऐसा नियम है बीजेपी का और उस मीटिंग में यह अल्टीमेटम दे दिया गया था बीजेपी आलाकमान को कि आप जल्द से जल्द बीजेपी अध्यक्ष चुन लीजिए नया और तभी संघ आपको आगे समर्थन करेगा लेकिन जिस तरह से बीजेपी आलाकमान ने अपना फैसला संघ को सुना दिया है अब संघ नाराज दिखाई दे रहा है और यह माना जा रहा था कि संघ ने जिस तरह से अल्टीमेटम दिया उसको देखते हुए अप्रैल में कम से कम 19 राज्यों के चुनाव बीजेपी करवा लेगी लेकिन अब खबर आ रही है कि बीजेपी ने अपना जो चुनाव प्रक्रिया है उसको आगे के लिए टाल दिया है टालने का साफ-साफ मतलब है कि जेपी नड्डा को बनाए रखने के लिए बीजेपी आलाकमान जो अभी तक दूसरी तड़मे लगा रही थी जब उसकी कोई भी तड़म नहीं चली तो उसने सीधे-सीधे अपना फरमान अब संघ को भी सुना दिया है कि इसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। हां बिल्कुल क्योंकि जिस तरीके से चुनाव टाला गया है क्योंकि अभी अप्रैल चल रहा है और मई पहले ये चल एक बात कही जा रही थी कि मई में चुनाव प्रक्रिया शुरू की जा सकती है क्योंकि जो 36 राज्य और यूनियन टेरिटरी हैं उनमें से आधे यानी आधे से ज्यादा यानी 19 राज्यों में या यूनियन टेरिटरी में बीजेपी के जो संगठन चुनाव पूरे हो जाने चाहिए थे। लेकिन जिस तरीके से पिछले 4 महीने में सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए क्योंकि 12 राज्यों में तो चुनाव पहले ही हो चुके थे। सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए हैं। उससे साफ दिख रहा था कि इतना स्लो ये प्रक्रिया कर दी गई है कि चुनाव अप्रैल मई में हो ही ना हो पाए। अब इस चुनाव को अनिश्चितकाल के लिए टाला गया है और यह तय है कि यदि तीन चार महीने चुनाव नहीं होते हैं तो फिर ये कहा जाएगा कि अब बिहार चुनाव आ गया है क्योंकि चुनाव से जस्ट पहले यदि चुनाव नया अध्यक्ष पार्टी को मिलेगा तो वो अपनी नई टीम नहीं बना पाएगा और उसका असर बिहार जैसे राज्य पर पड़ेगा। तो फिर बिहार चुनाव के चलते चुनाव चुनाव टाला जाएगा। फिर बिहार चुनाव जैसे ही खत्म होगा वैसे ही पांच राज्य के चुनाव प्रक्रिया टाली गई है उनका एक साल और बढ़ जाएगा। यानी एक्सटेंशन पर ही उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष का ये कार्यकाल पूरा कर लिया है।

संघ कुछ भी करे लेकिन बीजेपी हाईकमान ने जो सोच रखा है वही होना है और ये तय हो गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष रहेंगे और जेपी नड्डा की जगह यदि कोई दूसरा शख्स आएगा भी तो बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही आएगा। इस पूरे मामले में अब आरएसएस को बीजेपी हाईकमान यानी मोदी और अमित शाह ने एक तरह से पूरी तरीके से किनारे कर दिया है। जी बिल्कुल उन्होंने अपना मैसेज संघ तक पहुंचा दिया है कि मर्जी तो अब बीजेपी आलाकमान की ही चलेगी। यानी अगर जेपी नड्डा जाएंगे तो भी जो दूसरा अध्यक्ष होगा वो बीजेपी आलाकमान यानी बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही होगा। ऐसे में अब सभी की निगाहें हैं संघ पर कि संघ इस पूरे मामले को लेकर अब क्या प्रतिक्रिया देता है।


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April 29, 2025 at 12:52PM
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बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है

बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है
बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है

 बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है और यह तय हो चुका है कि बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ही रहेंगे।अध्यक्ष पद को लेकर आरएसएस और बीजेपी हाईकमान के बीच में जो टकराव चल रहा है उस टकराव के केंद्र में जेपी नड्डा हैं। संघ चाहता है कि जेपी नड्डा को हटाया जाए और दूसरी तरफ बीजेपी हाईकमान यानी कि मोदी और शाह ये चाहते हैं कि जेपी नड्डा ही अध्यक्ष बने रहे और इसको लेकर लगातार क्योंकि अक्टूबर से चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अक्टूबर से लेकर अप्रैल आ गया है। हर बार एक नई तारीख आती है और तारीख निकल जाती है उसके बाद एक नई तारीख फिर आ जाती है और अब तो चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरीके से ही रोक दिया गया है और अब ये चुनाव प्रक्रिया कब से शुरू होगी क्योंकि पहले ये कहा जा रहा था कि अप्रैल में बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा लेकिन अप्रैल तो पूरा निकल ही गया है लगभग 2 दिन बचे हुए हैं। अब ये क्या कहा जा रहा है कि मई में भी बीजेपी को अध्यक्ष नहीं मिलेगा। यहां तक कि ये कहा अब तो सीधा-सीधा ये कह दिया गया जो बीजेपी की उच्च स्तरीय कमेटी है उसने ये बोल दिया है कि अभी हम चुनाव प्रक्रिया को रोक रहे हैं। यानी कि आगे भी कब भी अध्यक्ष पद बीजेपी को अध्यक्ष नया मिलेगा। इस पर सवाल खड़े हो गए हैं और साफ-साफ यह कहा गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष बने रहेंगे। जबकि जेपी नड्डा को लेकर बीजेपी और आरएसएस के बीच लगातार तनातनी बनी हुई है। आपको याद होगा लोकसभा 204 चुनाव के दौरान बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ को लेकर एक विवादित बयान दे दिया था।

उन्होंने साफ-साफ कहा था कि अब बीजेपी को संघ की जरूरत नहीं है। संघ अपने और काम देखे। और इस बयान ने संघ और बीजेपी के बीच दूरियां बढ़ा दी थी। संघ की नाराजगी इस बात पर भी थी कि जेपी नड्डा ने जो बयान दिया है इस पर बीजेपी आलाकमान यानी मोदी और शाह की तरफ से कोई टिप्पणी क्यों नहीं आई? क्यों उन्होंने इस बयान को खारिज नहीं किया? क्यों उन्होंने जेपी नड्डा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं दिया? यानी उनकी जो चुप्पी थी उसे उनका समर्थन मान लिया गया।

यानी संघ ने यह मान लिया कि जो भी जेपी नड्डा ने कहा है वह बीजेपी आलाकमान के इशारे पर ही कहा है। ऐसे में संघ लगातार जेपी नड्डा के खिलाफ रहा और इसका असर यह हुआ कि लोकसभा चुनाव के नतीजे जब आए तो बीजेपी को करारा झटका लगा क्योंकि बीजेपी अकेले के दम पर बहुमत हासिल इस बार चुनाव में नहीं कर पाई। जबकि बीजेपी तो चार सुपार के सपने देख रही थी। इसके बाद बीजेपी समझ गई कि बिना संघ के उसका गुजारा नहीं हो सकता और इसीलिए संघ को मनाने की कोशिश की। लेकिन संघ अपनी मांग पर लगातार अड़ा रहा। संघ यह बात लगातार दोहराता रहा कि अगर हमारा समर्थन चाहिए तो अध्यक्ष हमारे पसंद का होना चाहिए और इसी के चलते लगातार चुनाव प्रक्रिया स्लो पर स्लो कराई गई। बीजेपी की तरफ से संघ की तरफ से बार-बार अल्टीमेटम दिया गया। पहले यह माना जा रहा था कि जनवरी में चुनाव होंगे। जब 2024 के अगस्त में चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी तब यह माना जा रहा था कि जनवरी में बीजेपी के अध्यक्ष पद के चुनाव होंगे। लेकिन जनवरी में भी चुनाव नहीं हुए। उसके बाद बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान हुआ कि जब दिल्ली विधानसभा चुनाव हो जाएंगे तब वहां पर चुनाव कराए जाएंगे बीजेपी अध्यक्ष को लेकर। लेकिन फिर दिल्ली चुनाव के बाद भी चुनाव को टाला गया, आगे बढ़ाया गया और फिर यह माना जा रहा था कि संघ ने अल्टीमेटम दे दिया है कि अप्रैल में हर हाल में बीजेपी अध्यक्ष मिल जाना चाहिए नया।

लेकिन अब जो खबर आ रही है उसने साफ-साफ बता दिया है कि बीजेपी आलाकमान संघ को पूरी तरह किनारे लगा चुका है और अब संघ के साथ बीजेपी आलाकमान आर-पार के मूड में है। जबकि पिछले दिनों खबर यह आ रही थी कि संघ ने साफ-साफ अल्टीमेटम दे दिया है कि एक चीज आप अपने पसंद की रख सकते हैं। या तो बीजेपी अध्यक्ष का पद अपने हाथ में रखिए या फिर पीएम की कुर्सी। तो अब बड़ा सवाल यह हैअब संघ क्या करेगा? यानी बीजेपी आलाकमान ने तो दो टोक बता दिया कि हमारा जो अध्यक्ष है वह तो जेपी नड्डा ही रहेंगे। लेकिन आगे अब पीएम पद को लेकर क्या स्थितियां बनेंगी? क्या संभावनाएं दिखाई दे रही हैं?अभी तो चुनाव है नहीं है।

लोकसभा का चुनाव जो होना है वो 2029 में होगा। और इसी को लेकर क्योंकि नरेंद्र मोदी को भी इस चीज का एहसास है कि अगर आरएसएस की पसंद के व्यक्ति को बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया जाता है तो फिर अगला नंबर उन्हीं का आने वाला है। क्योंकि फिर यह कहा जाएगा कि आप 75 साल के हो गए हैं। आप कुर्सी छोड़िएगा और बहुत ज्यादा यदि नरेंद्र मोदी को आरएसएस फिर उसके बाद समय देगा तो एक या 2 साल तक का समय दे सकता है। लेकिन 2029 का चुनाव फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए और बीजेपी नहीं लड़ेगी।दूसरा यह है कि यदि नड्डा की जगह किसी और को बनाना पड़े तो फिर वह बीजेपी हाईकमान ही तय करे उसमें संघ की ज़्यादा कोई बस खाली उनको नाम भेज दिया जाएगा| संघ मोहर लगा दे लेकिन संघ की तरफ से नाम तय नहीं किया जाए। ये शुरुआत से ही चल रहा था जो लोकसभा चुनाव के समय पर जो बयान दिया था जेपी नड्डा ने ये बात तो संघ के सभी नेताओं को पता है कि विदाउट अमित शाह और नरेंद्र मोदी की सहमति के जेपी नड्डा इतना बड़ा बयान नहीं दे सकते हैं। और इसको लेकर ही संघ की नाराजगी तो वो अलग है ही है। क्योंकि संघ नहीं चाहता कि जेपी नड्डा या जेपी नड्डा जैसा कोई दूसरा शख्स बीजेपी का अध्यक्ष बने। और इसीलिए जो संघ की तरफ से शुरुआत में संजय जोशी का नाम लेकर आया गया। लेकिन संजय जोशी को लेकर तो आपको पता है कि किस तरीके से बीजेपी हाईकमान में साफ-साफ रेड सिग्नल दिखा दिया गया। यहां तक कि जिन लोगों ने संजय जोशी के नाम के पोस्टर भी लगाए उन सभी को नोटिस जारी कर दिए गए। जी तो यह तो तय हो गया कि जो आरएसएस की तरफ से जो नाम आएगा उसको बीजेपी हाईकमान पूरी तरीके से खारिज कर देगा और इसी के चलते क्योंकि ना तो आरएसएस का नाम बीजेपी हाईकमान मानने को तैयार है और ना ही बीजेपी हाईकमान की तरफ से जो नाम दिया जा रहा है उसको संघ स्वीकार कर रहा है और इसी के चलते जेपी नड्डा के नाम पर अब मोदी और शाह भी अड़ गए हैं और उन्होंने साफ कर दिया है कि जेपी नड्डा ही हमारे अध्यक्ष रहेंगे और जहां तक चुनाव प्रक्रिया की बात है कि जब तक आरएसएस अपनी तरफ से इसको सहमति नहीं देता है तब तक के लिए चुनाव प्रक्रिया भी टाल दी गई है।

चुनाव प्रक्रिया को इसीलिए इतना स्लो किया जा रहा है जिससे कि आखिर में जेपी नड्डा को ही अध्यक्ष चुना जा सके। यानी अब बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान कर दिया गया है कि कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। जेपी नड्डा ही अध्यक्ष रहेंगे। यानी ये तो साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव अब जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा और उसके आगे हो सकता है बंगाल विधानसभा चुनाव और जो दूसरे राज्यों के चुनाव हैं बंगाल के साथ वो सभी के सब अब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे क्योंकि जैसा कि आपको बता दें 2024-25 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव कई राज्यों में हुए क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष का जो चुनाव है शुरू होने से पहले कम से कम 50% राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने जरूरी होते हैं। ऐसा नियम है बीजेपी का और उस मीटिंग में यह अल्टीमेटम दे दिया गया था बीजेपी आलाकमान को कि आप जल्द से जल्द बीजेपी अध्यक्ष चुन लीजिए नया और तभी संघ आपको आगे समर्थन करेगा लेकिन जिस तरह से बीजेपी आलाकमान ने अपना फैसला संघ को सुना दिया है अब संघ नाराज दिखाई दे रहा है और यह माना जा रहा था कि संघ ने जिस तरह से अल्टीमेटम दिया उसको देखते हुए अप्रैल में कम से कम 19 राज्यों के चुनाव बीजेपी करवा लेगी लेकिन अब खबर आ रही है कि बीजेपी ने अपना जो चुनाव प्रक्रिया है उसको आगे के लिए टाल दिया है टालने का साफ-साफ मतलब है कि जेपी नड्डा को बनाए रखने के लिए बीजेपी आलाकमान जो अभी तक दूसरी तड़मे लगा रही थी जब उसकी कोई भी तड़म नहीं चली तो उसने सीधे-सीधे अपना फरमान अब संघ को भी सुना दिया है कि इसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। हां बिल्कुल क्योंकि जिस तरीके से चुनाव टाला गया है क्योंकि अभी अप्रैल चल रहा है और मई पहले ये चल एक बात कही जा रही थी कि मई में चुनाव प्रक्रिया शुरू की जा सकती है क्योंकि जो 36 राज्य और यूनियन टेरिटरी हैं उनमें से आधे यानी आधे से ज्यादा यानी 19 राज्यों में या यूनियन टेरिटरी में बीजेपी के जो संगठन चुनाव पूरे हो जाने चाहिए थे। लेकिन जिस तरीके से पिछले 4 महीने में सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए क्योंकि 12 राज्यों में तो चुनाव पहले ही हो चुके थे। सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए हैं। उससे साफ दिख रहा था कि इतना स्लो ये प्रक्रिया कर दी गई है कि चुनाव अप्रैल मई में हो ही ना हो पाए। अब इस चुनाव को अनिश्चितकाल के लिए टाला गया है और यह तय है कि यदि तीन चार महीने चुनाव नहीं होते हैं तो फिर ये कहा जाएगा कि अब बिहार चुनाव आ गया है क्योंकि चुनाव से जस्ट पहले यदि चुनाव नया अध्यक्ष पार्टी को मिलेगा तो वो अपनी नई टीम नहीं बना पाएगा और उसका असर बिहार जैसे राज्य पर पड़ेगा। तो फिर बिहार चुनाव के चलते चुनाव चुनाव टाला जाएगा। फिर बिहार चुनाव जैसे ही खत्म होगा वैसे ही पांच राज्य के चुनाव प्रक्रिया टाली गई है उनका एक साल और बढ़ जाएगा। यानी एक्सटेंशन पर ही उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष का ये कार्यकाल पूरा कर लिया है।

संघ कुछ भी करे लेकिन बीजेपी हाईकमान ने जो सोच रखा है वही होना है और ये तय हो गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष रहेंगे और जेपी नड्डा की जगह यदि कोई दूसरा शख्स आएगा भी तो बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही आएगा। इस पूरे मामले में अब आरएसएस को बीजेपी हाईकमान यानी मोदी और अमित शाह ने एक तरह से पूरी तरीके से किनारे कर दिया है। जी बिल्कुल उन्होंने अपना मैसेज संघ तक पहुंचा दिया है कि मर्जी तो अब बीजेपी आलाकमान की ही चलेगी। यानी अगर जेपी नड्डा जाएंगे तो भी जो दूसरा अध्यक्ष होगा वो बीजेपी आलाकमान यानी बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही होगा। ऐसे में अब सभी की निगाहें हैं संघ पर कि संघ इस पूरे मामले को लेकर अब क्या प्रतिक्रिया देता है।


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बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है

बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है

 बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है और यह तय हो चुका है कि बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ही रहेंगे।अध्यक्ष पद को लेकर आरएसएस और बीजेपी हाईकमान के बीच में जो टकराव चल रहा है उस टकराव के केंद्र में जेपी नड्डा हैं। संघ चाहता है कि जेपी नड्डा को हटाया जाए और दूसरी तरफ बीजेपी हाईकमान यानी कि मोदी और शाह ये चाहते हैं कि जेपी नड्डा ही अध्यक्ष बने रहे और इसको लेकर लगातार क्योंकि अक्टूबर से चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अक्टूबर से लेकर अप्रैल आ गया है। हर बार एक नई तारीख आती है और तारीख निकल जाती है उसके बाद एक नई तारीख फिर आ जाती है और अब तो चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरीके से ही रोक दिया गया है और अब ये चुनाव प्रक्रिया कब से शुरू होगी क्योंकि पहले ये कहा जा रहा था कि अप्रैल में बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा लेकिन अप्रैल तो पूरा निकल ही गया है लगभग 2 दिन बचे हुए हैं। अब ये क्या कहा जा रहा है कि मई में भी बीजेपी को अध्यक्ष नहीं मिलेगा। यहां तक कि ये कहा अब तो सीधा-सीधा ये कह दिया गया जो बीजेपी की उच्च स्तरीय कमेटी है उसने ये बोल दिया है कि अभी हम चुनाव प्रक्रिया को रोक रहे हैं। यानी कि आगे भी कब भी अध्यक्ष पद बीजेपी को अध्यक्ष नया मिलेगा। इस पर सवाल खड़े हो गए हैं और साफ-साफ यह कहा गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष बने रहेंगे। जबकि जेपी नड्डा को लेकर बीजेपी और आरएसएस के बीच लगातार तनातनी बनी हुई है। आपको याद होगा लोकसभा 204 चुनाव के दौरान बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ को लेकर एक विवादित बयान दे दिया था।

उन्होंने साफ-साफ कहा था कि अब बीजेपी को संघ की जरूरत नहीं है। संघ अपने और काम देखे। और इस बयान ने संघ और बीजेपी के बीच दूरियां बढ़ा दी थी। संघ की नाराजगी इस बात पर भी थी कि जेपी नड्डा ने जो बयान दिया है इस पर बीजेपी आलाकमान यानी मोदी और शाह की तरफ से कोई टिप्पणी क्यों नहीं आई? क्यों उन्होंने इस बयान को खारिज नहीं किया? क्यों उन्होंने जेपी नड्डा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं दिया? यानी उनकी जो चुप्पी थी उसे उनका समर्थन मान लिया गया।

यानी संघ ने यह मान लिया कि जो भी जेपी नड्डा ने कहा है वह बीजेपी आलाकमान के इशारे पर ही कहा है। ऐसे में संघ लगातार जेपी नड्डा के खिलाफ रहा और इसका असर यह हुआ कि लोकसभा चुनाव के नतीजे जब आए तो बीजेपी को करारा झटका लगा क्योंकि बीजेपी अकेले के दम पर बहुमत हासिल इस बार चुनाव में नहीं कर पाई। जबकि बीजेपी तो चार सुपार के सपने देख रही थी। इसके बाद बीजेपी समझ गई कि बिना संघ के उसका गुजारा नहीं हो सकता और इसीलिए संघ को मनाने की कोशिश की। लेकिन संघ अपनी मांग पर लगातार अड़ा रहा। संघ यह बात लगातार दोहराता रहा कि अगर हमारा समर्थन चाहिए तो अध्यक्ष हमारे पसंद का होना चाहिए और इसी के चलते लगातार चुनाव प्रक्रिया स्लो पर स्लो कराई गई। बीजेपी की तरफ से संघ की तरफ से बार-बार अल्टीमेटम दिया गया। पहले यह माना जा रहा था कि जनवरी में चुनाव होंगे। जब 2024 के अगस्त में चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी तब यह माना जा रहा था कि जनवरी में बीजेपी के अध्यक्ष पद के चुनाव होंगे। लेकिन जनवरी में भी चुनाव नहीं हुए। उसके बाद बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान हुआ कि जब दिल्ली विधानसभा चुनाव हो जाएंगे तब वहां पर चुनाव कराए जाएंगे बीजेपी अध्यक्ष को लेकर। लेकिन फिर दिल्ली चुनाव के बाद भी चुनाव को टाला गया, आगे बढ़ाया गया और फिर यह माना जा रहा था कि संघ ने अल्टीमेटम दे दिया है कि अप्रैल में हर हाल में बीजेपी अध्यक्ष मिल जाना चाहिए नया।

लेकिन अब जो खबर आ रही है उसने साफ-साफ बता दिया है कि बीजेपी आलाकमान संघ को पूरी तरह किनारे लगा चुका है और अब संघ के साथ बीजेपी आलाकमान आर-पार के मूड में है। जबकि पिछले दिनों खबर यह आ रही थी कि संघ ने साफ-साफ अल्टीमेटम दे दिया है कि एक चीज आप अपने पसंद की रख सकते हैं। या तो बीजेपी अध्यक्ष का पद अपने हाथ में रखिए या फिर पीएम की कुर्सी। तो अब बड़ा सवाल यह हैअब संघ क्या करेगा? यानी बीजेपी आलाकमान ने तो दो टोक बता दिया कि हमारा जो अध्यक्ष है वह तो जेपी नड्डा ही रहेंगे। लेकिन आगे अब पीएम पद को लेकर क्या स्थितियां बनेंगी? क्या संभावनाएं दिखाई दे रही हैं?अभी तो चुनाव है नहीं है।

लोकसभा का चुनाव जो होना है वो 2029 में होगा। और इसी को लेकर क्योंकि नरेंद्र मोदी को भी इस चीज का एहसास है कि अगर आरएसएस की पसंद के व्यक्ति को बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया जाता है तो फिर अगला नंबर उन्हीं का आने वाला है। क्योंकि फिर यह कहा जाएगा कि आप 75 साल के हो गए हैं। आप कुर्सी छोड़िएगा और बहुत ज्यादा यदि नरेंद्र मोदी को आरएसएस फिर उसके बाद समय देगा तो एक या 2 साल तक का समय दे सकता है। लेकिन 2029 का चुनाव फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए और बीजेपी नहीं लड़ेगी।दूसरा यह है कि यदि नड्डा की जगह किसी और को बनाना पड़े तो फिर वह बीजेपी हाईकमान ही तय करे उसमें संघ की ज़्यादा कोई बस खाली उनको नाम भेज दिया जाएगा| संघ मोहर लगा दे लेकिन संघ की तरफ से नाम तय नहीं किया जाए। ये शुरुआत से ही चल रहा था जो लोकसभा चुनाव के समय पर जो बयान दिया था जेपी नड्डा ने ये बात तो संघ के सभी नेताओं को पता है कि विदाउट अमित शाह और नरेंद्र मोदी की सहमति के जेपी नड्डा इतना बड़ा बयान नहीं दे सकते हैं। और इसको लेकर ही संघ की नाराजगी तो वो अलग है ही है। क्योंकि संघ नहीं चाहता कि जेपी नड्डा या जेपी नड्डा जैसा कोई दूसरा शख्स बीजेपी का अध्यक्ष बने। और इसीलिए जो संघ की तरफ से शुरुआत में संजय जोशी का नाम लेकर आया गया। लेकिन संजय जोशी को लेकर तो आपको पता है कि किस तरीके से बीजेपी हाईकमान में साफ-साफ रेड सिग्नल दिखा दिया गया। यहां तक कि जिन लोगों ने संजय जोशी के नाम के पोस्टर भी लगाए उन सभी को नोटिस जारी कर दिए गए। जी तो यह तो तय हो गया कि जो आरएसएस की तरफ से जो नाम आएगा उसको बीजेपी हाईकमान पूरी तरीके से खारिज कर देगा और इसी के चलते क्योंकि ना तो आरएसएस का नाम बीजेपी हाईकमान मानने को तैयार है और ना ही बीजेपी हाईकमान की तरफ से जो नाम दिया जा रहा है उसको संघ स्वीकार कर रहा है और इसी के चलते जेपी नड्डा के नाम पर अब मोदी और शाह भी अड़ गए हैं और उन्होंने साफ कर दिया है कि जेपी नड्डा ही हमारे अध्यक्ष रहेंगे और जहां तक चुनाव प्रक्रिया की बात है कि जब तक आरएसएस अपनी तरफ से इसको सहमति नहीं देता है तब तक के लिए चुनाव प्रक्रिया भी टाल दी गई है।

चुनाव प्रक्रिया को इसीलिए इतना स्लो किया जा रहा है जिससे कि आखिर में जेपी नड्डा को ही अध्यक्ष चुना जा सके। यानी अब बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान कर दिया गया है कि कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। जेपी नड्डा ही अध्यक्ष रहेंगे। यानी ये तो साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव अब जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा और उसके आगे हो सकता है बंगाल विधानसभा चुनाव और जो दूसरे राज्यों के चुनाव हैं बंगाल के साथ वो सभी के सब अब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे क्योंकि जैसा कि आपको बता दें 2024-25 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव कई राज्यों में हुए क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष का जो चुनाव है शुरू होने से पहले कम से कम 50% राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने जरूरी होते हैं। ऐसा नियम है बीजेपी का और उस मीटिंग में यह अल्टीमेटम दे दिया गया था बीजेपी आलाकमान को कि आप जल्द से जल्द बीजेपी अध्यक्ष चुन लीजिए नया और तभी संघ आपको आगे समर्थन करेगा लेकिन जिस तरह से बीजेपी आलाकमान ने अपना फैसला संघ को सुना दिया है अब संघ नाराज दिखाई दे रहा है और यह माना जा रहा था कि संघ ने जिस तरह से अल्टीमेटम दिया उसको देखते हुए अप्रैल में कम से कम 19 राज्यों के चुनाव बीजेपी करवा लेगी लेकिन अब खबर आ रही है कि बीजेपी ने अपना जो चुनाव प्रक्रिया है उसको आगे के लिए टाल दिया है टालने का साफ-साफ मतलब है कि जेपी नड्डा को बनाए रखने के लिए बीजेपी आलाकमान जो अभी तक दूसरी तड़मे लगा रही थी जब उसकी कोई भी तड़म नहीं चली तो उसने सीधे-सीधे अपना फरमान अब संघ को भी सुना दिया है कि इसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। हां बिल्कुल क्योंकि जिस तरीके से चुनाव टाला गया है क्योंकि अभी अप्रैल चल रहा है और मई पहले ये चल एक बात कही जा रही थी कि मई में चुनाव प्रक्रिया शुरू की जा सकती है क्योंकि जो 36 राज्य और यूनियन टेरिटरी हैं उनमें से आधे यानी आधे से ज्यादा यानी 19 राज्यों में या यूनियन टेरिटरी में बीजेपी के जो संगठन चुनाव पूरे हो जाने चाहिए थे। लेकिन जिस तरीके से पिछले 4 महीने में सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए क्योंकि 12 राज्यों में तो चुनाव पहले ही हो चुके थे। सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए हैं। उससे साफ दिख रहा था कि इतना स्लो ये प्रक्रिया कर दी गई है कि चुनाव अप्रैल मई में हो ही ना हो पाए। अब इस चुनाव को अनिश्चितकाल के लिए टाला गया है और यह तय है कि यदि तीन चार महीने चुनाव नहीं होते हैं तो फिर ये कहा जाएगा कि अब बिहार चुनाव आ गया है क्योंकि चुनाव से जस्ट पहले यदि चुनाव नया अध्यक्ष पार्टी को मिलेगा तो वो अपनी नई टीम नहीं बना पाएगा और उसका असर बिहार जैसे राज्य पर पड़ेगा। तो फिर बिहार चुनाव के चलते चुनाव चुनाव टाला जाएगा। फिर बिहार चुनाव जैसे ही खत्म होगा वैसे ही पांच राज्य के चुनाव प्रक्रिया टाली गई है उनका एक साल और बढ़ जाएगा। यानी एक्सटेंशन पर ही उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष का ये कार्यकाल पूरा कर लिया है।

संघ कुछ भी करे लेकिन बीजेपी हाईकमान ने जो सोच रखा है वही होना है और ये तय हो गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष रहेंगे और जेपी नड्डा की जगह यदि कोई दूसरा शख्स आएगा भी तो बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही आएगा। इस पूरे मामले में अब आरएसएस को बीजेपी हाईकमान यानी मोदी और अमित शाह ने एक तरह से पूरी तरीके से किनारे कर दिया है। जी बिल्कुल उन्होंने अपना मैसेज संघ तक पहुंचा दिया है कि मर्जी तो अब बीजेपी आलाकमान की ही चलेगी। यानी अगर जेपी नड्डा जाएंगे तो भी जो दूसरा अध्यक्ष होगा वो बीजेपी आलाकमान यानी बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही होगा। ऐसे में अब सभी की निगाहें हैं संघ पर कि संघ इस पूरे मामले को लेकर अब क्या प्रतिक्रिया देता है।


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April 29, 2025 at 12:52PM

बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है?

 बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव अब टल गया है और यह तय हो चुका है कि बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ही रहेंगे।अध्यक्ष पद को लेकर आरएसएस और बीजेपी हाईकमान के बीच में जो टकराव चल रहा है उस टकराव के केंद्र में जेपी नड्डा हैं। संघ चाहता है कि जेपी नड्डा को हटाया जाए और दूसरी तरफ बीजेपी हाईकमान यानी कि मोदी और शाह ये चाहते हैं कि जेपी नड्डा ही अध्यक्ष बने रहे और इसको लेकर लगातार क्योंकि अक्टूबर से चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अक्टूबर से लेकर अप्रैल आ गया है। हर बार एक नई तारीख आती है और तारीख निकल जाती है उसके बाद एक नई तारीख फिर आ जाती है और अब तो चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरीके से ही रोक दिया गया है और अब ये चुनाव प्रक्रिया कब से शुरू होगी क्योंकि पहले ये कहा जा रहा था कि अप्रैल में बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा लेकिन अप्रैल तो पूरा निकल ही गया है लगभग 2 दिन बचे हुए हैं। अब ये क्या कहा जा रहा है कि मई में भी बीजेपी को अध्यक्ष नहीं मिलेगा। यहां तक कि ये कहा अब तो सीधा-सीधा ये कह दिया गया जो बीजेपी की उच्च स्तरीय कमेटी है उसने ये बोल दिया है कि अभी हम चुनाव प्रक्रिया को रोक रहे हैं। यानी कि आगे भी कब भी अध्यक्ष पद बीजेपी को अध्यक्ष नया मिलेगा। इस पर सवाल खड़े हो गए हैं और साफ-साफ यह कहा गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष बने रहेंगे। जबकि जेपी नड्डा को लेकर बीजेपी और आरएसएस के बीच लगातार तनातनी बनी हुई है। आपको याद होगा लोकसभा 204 चुनाव के दौरान बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ को लेकर एक विवादित बयान दे दिया था।

उन्होंने साफ-साफ कहा था कि अब बीजेपी को संघ की जरूरत नहीं है। संघ अपने और काम देखे। और इस बयान ने संघ और बीजेपी के बीच दूरियां बढ़ा दी थी। संघ की नाराजगी इस बात पर भी थी कि जेपी नड्डा ने जो बयान दिया है इस पर बीजेपी आलाकमान यानी मोदी और शाह की तरफ से कोई टिप्पणी क्यों नहीं आई? क्यों उन्होंने इस बयान को खारिज नहीं किया? क्यों उन्होंने जेपी नड्डा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं दिया? यानी उनकी जो चुप्पी थी उसे उनका समर्थन मान लिया गया।

यानी संघ ने यह मान लिया कि जो भी जेपी नड्डा ने कहा है वह बीजेपी आलाकमान के इशारे पर ही कहा है। ऐसे में संघ लगातार जेपी नड्डा के खिलाफ रहा और इसका असर यह हुआ कि लोकसभा चुनाव के नतीजे जब आए तो बीजेपी को करारा झटका लगा क्योंकि बीजेपी अकेले के दम पर बहुमत हासिल इस बार चुनाव में नहीं कर पाई। जबकि बीजेपी तो चार सुपार के सपने देख रही थी। इसके बाद बीजेपी समझ गई कि बिना संघ के उसका गुजारा नहीं हो सकता और इसीलिए संघ को मनाने की कोशिश की। लेकिन संघ अपनी मांग पर लगातार अड़ा रहा। संघ यह बात लगातार दोहराता रहा कि अगर हमारा समर्थन चाहिए तो अध्यक्ष हमारे पसंद का होना चाहिए और इसी के चलते लगातार चुनाव प्रक्रिया स्लो पर स्लो कराई गई। बीजेपी की तरफ से संघ की तरफ से बार-बार अल्टीमेटम दिया गया। पहले यह माना जा रहा था कि जनवरी में चुनाव होंगे। जब 2024 के अगस्त में चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी तब यह माना जा रहा था कि जनवरी में बीजेपी के अध्यक्ष पद के चुनाव होंगे। लेकिन जनवरी में भी चुनाव नहीं हुए। उसके बाद बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान हुआ कि जब दिल्ली विधानसभा चुनाव हो जाएंगे तब वहां पर चुनाव कराए जाएंगे बीजेपी अध्यक्ष को लेकर। लेकिन फिर दिल्ली चुनाव के बाद भी चुनाव को टाला गया, आगे बढ़ाया गया और फिर यह माना जा रहा था कि संघ ने अल्टीमेटम दे दिया है कि अप्रैल में हर हाल में बीजेपी अध्यक्ष मिल जाना चाहिए नया।

लेकिन अब जो खबर आ रही है उसने साफ-साफ बता दिया है कि बीजेपी आलाकमान संघ को पूरी तरह किनारे लगा चुका है और अब संघ के साथ बीजेपी आलाकमान आर-पार के मूड में है। जबकि पिछले दिनों खबर यह आ रही थी कि संघ ने साफ-साफ अल्टीमेटम दे दिया है कि एक चीज आप अपने पसंद की रख सकते हैं। या तो बीजेपी अध्यक्ष का पद अपने हाथ में रखिए या फिर पीएम की कुर्सी। तो अब बड़ा सवाल यह हैअब संघ क्या करेगा? यानी बीजेपी आलाकमान ने तो दो टोक बता दिया कि हमारा जो अध्यक्ष है वह तो जेपी नड्डा ही रहेंगे। लेकिन आगे अब पीएम पद को लेकर क्या स्थितियां बनेंगी? क्या संभावनाएं दिखाई दे रही हैं?अभी तो चुनाव है नहीं है।

लोकसभा का चुनाव जो होना है वो 2029 में होगा। और इसी को लेकर क्योंकि नरेंद्र मोदी को भी इस चीज का एहसास है कि अगर आरएसएस की पसंद के व्यक्ति को बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया जाता है तो फिर अगला नंबर उन्हीं का आने वाला है। क्योंकि फिर यह कहा जाएगा कि आप 75 साल के हो गए हैं। आप कुर्सी छोड़िएगा और बहुत ज्यादा यदि नरेंद्र मोदी को आरएसएस फिर उसके बाद समय देगा तो एक या 2 साल तक का समय दे सकता है। लेकिन 2029 का चुनाव फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए और बीजेपी नहीं लड़ेगी।दूसरा यह है कि यदि नड्डा की जगह किसी और को बनाना पड़े तो फिर वह बीजेपी हाईकमान ही तय करे उसमें संघ की ज़्यादा कोई बस खाली उनको नाम भेज दिया जाएगा| संघ मोहर लगा दे लेकिन संघ की तरफ से नाम तय नहीं किया जाए। ये शुरुआत से ही चल रहा था जो लोकसभा चुनाव के समय पर जो बयान दिया था जेपी नड्डा ने ये बात तो संघ के सभी नेताओं को पता है कि विदाउट अमित शाह और नरेंद्र मोदी की सहमति के जेपी नड्डा इतना बड़ा बयान नहीं दे सकते हैं। और इसको लेकर ही संघ की नाराजगी तो वो अलग है ही है। क्योंकि संघ नहीं चाहता कि जेपी नड्डा या जेपी नड्डा जैसा कोई दूसरा शख्स बीजेपी का अध्यक्ष बने। और इसीलिए जो संघ की तरफ से शुरुआत में संजय जोशी का नाम लेकर आया गया। लेकिन संजय जोशी को लेकर तो आपको पता है कि किस तरीके से बीजेपी हाईकमान में साफ-साफ रेड सिग्नल दिखा दिया गया। यहां तक कि जिन लोगों ने संजय जोशी के नाम के पोस्टर भी लगाए उन सभी को नोटिस जारी कर दिए गए। जी तो यह तो तय हो गया कि जो आरएसएस की तरफ से जो नाम आएगा उसको बीजेपी हाईकमान पूरी तरीके से खारिज कर देगा और इसी के चलते क्योंकि ना तो आरएसएस का नाम बीजेपी हाईकमान मानने को तैयार है और ना ही बीजेपी हाईकमान की तरफ से जो नाम दिया जा रहा है उसको संघ स्वीकार कर रहा है और इसी के चलते जेपी नड्डा के नाम पर अब मोदी और शाह भी अड़ गए हैं और उन्होंने साफ कर दिया है कि जेपी नड्डा ही हमारे अध्यक्ष रहेंगे और जहां तक चुनाव प्रक्रिया की बात है कि जब तक आरएसएस अपनी तरफ से इसको सहमति नहीं देता है तब तक के लिए चुनाव प्रक्रिया भी टाल दी गई है।

चुनाव प्रक्रिया को इसीलिए इतना स्लो किया जा रहा है जिससे कि आखिर में जेपी नड्डा को ही अध्यक्ष चुना जा सके। यानी अब बीजेपी आलाकमान की तरफ से ऐलान कर दिया गया है कि कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। जेपी नड्डा ही अध्यक्ष रहेंगे। यानी ये तो साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव अब जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा और उसके आगे हो सकता है बंगाल विधानसभा चुनाव और जो दूसरे राज्यों के चुनाव हैं बंगाल के साथ वो सभी के सब अब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे क्योंकि जैसा कि आपको बता दें 2024-25 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव कई राज्यों में हुए क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष का जो चुनाव है शुरू होने से पहले कम से कम 50% राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने जरूरी होते हैं। ऐसा नियम है बीजेपी का और उस मीटिंग में यह अल्टीमेटम दे दिया गया था बीजेपी आलाकमान को कि आप जल्द से जल्द बीजेपी अध्यक्ष चुन लीजिए नया और तभी संघ आपको आगे समर्थन करेगा लेकिन जिस तरह से बीजेपी आलाकमान ने अपना फैसला संघ को सुना दिया है अब संघ नाराज दिखाई दे रहा है और यह माना जा रहा था कि संघ ने जिस तरह से अल्टीमेटम दिया उसको देखते हुए अप्रैल में कम से कम 19 राज्यों के चुनाव बीजेपी करवा लेगी लेकिन अब खबर आ रही है कि बीजेपी ने अपना जो चुनाव प्रक्रिया है उसको आगे के लिए टाल दिया है टालने का साफ-साफ मतलब है कि जेपी नड्डा को बनाए रखने के लिए बीजेपी आलाकमान जो अभी तक दूसरी तड़मे लगा रही थी जब उसकी कोई भी तड़म नहीं चली तो उसने सीधे-सीधे अपना फरमान अब संघ को भी सुना दिया है कि इसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। हां बिल्कुल क्योंकि जिस तरीके से चुनाव टाला गया है क्योंकि अभी अप्रैल चल रहा है और मई पहले ये चल एक बात कही जा रही थी कि मई में चुनाव प्रक्रिया शुरू की जा सकती है क्योंकि जो 36 राज्य और यूनियन टेरिटरी हैं उनमें से आधे यानी आधे से ज्यादा यानी 19 राज्यों में या यूनियन टेरिटरी में बीजेपी के जो संगठन चुनाव पूरे हो जाने चाहिए थे। लेकिन जिस तरीके से पिछले 4 महीने में सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए क्योंकि 12 राज्यों में तो चुनाव पहले ही हो चुके थे। सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए हैं। उससे साफ दिख रहा था कि इतना स्लो ये प्रक्रिया कर दी गई है कि चुनाव अप्रैल मई में हो ही ना हो पाए। अब इस चुनाव को अनिश्चितकाल के लिए टाला गया है और यह तय है कि यदि तीन चार महीने चुनाव नहीं होते हैं तो फिर ये कहा जाएगा कि अब बिहार चुनाव आ गया है क्योंकि चुनाव से जस्ट पहले यदि चुनाव नया अध्यक्ष पार्टी को मिलेगा तो वो अपनी नई टीम नहीं बना पाएगा और उसका असर बिहार जैसे राज्य पर पड़ेगा। तो फिर बिहार चुनाव के चलते चुनाव चुनाव टाला जाएगा। फिर बिहार चुनाव जैसे ही खत्म होगा वैसे ही पांच राज्य के चुनाव प्रक्रिया टाली गई है उनका एक साल और बढ़ जाएगा। यानी एक्सटेंशन पर ही उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष का ये कार्यकाल पूरा कर लिया है।

संघ कुछ भी करे लेकिन बीजेपी हाईकमान ने जो सोच रखा है वही होना है और ये तय हो गया है कि जेपी नड्डा ही बीजेपी के अध्यक्ष रहेंगे और जेपी नड्डा की जगह यदि कोई दूसरा शख्स आएगा भी तो बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही आएगा। इस पूरे मामले में अब आरएसएस को बीजेपी हाईकमान यानी मोदी और अमित शाह ने एक तरह से पूरी तरीके से किनारे कर दिया है। जी बिल्कुल उन्होंने अपना मैसेज संघ तक पहुंचा दिया है कि मर्जी तो अब बीजेपी आलाकमान की ही चलेगी। यानी अगर जेपी नड्डा जाएंगे तो भी जो दूसरा अध्यक्ष होगा वो बीजेपी आलाकमान यानी बीजेपी हाईकमान की पसंद का ही होगा। ऐसे में अब सभी की निगाहें हैं संघ पर कि संघ इस पूरे मामले को लेकर अब क्या प्रतिक्रिया देता है।

Monday, April 28, 2025

दिल्ली हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश -स्पेशल हियरिंग शीनाज पाकिस्तान

 पहलगाम इस्लामिक टेरर अटैक के बाद जिसमें हिंदुओं की पहचान करके उनकी हत्याएं की गई। हमारी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ बहुत सारे फैसले लिए। चाहे वह इंडस वाटर ट्रीटी को सस्पेंड करने का हो और उसी के साथ-साथ बॉर्डर्स बंद करने का हो। बॉर्डर्स बंद करने के ही साथ 48 घंटे में पाकिस्तानी सिटीजंस जिनके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट है और वह भारत में मौजूद हैं उनको देश खाली करने का आदेश। बहुत जगह मैंने इस तरह की टिप्पणियां देखी।

अपने वीडियोस में भी देखी और उसी के साथ यत्र तत्र सोशल मीडिया पर भी इस तरह की शंकाएं देखी और यह बड़ा वाजिब है और यह मामला जुड़ा हुआ है हमारी देश की जुडिशरी न्यायपालिका से बहुत सारे लोगों ने चाहे वो सरकार का फैसला इंडस्ट्री वाला रहा हो चाहे 48 घंटे में नागरिकों को पाकिस्तानी भारत छोड़ देने का मामला रहा हो मुझे बहुत सारे लोग यह कहते हुए दिखाई दिए कि साहब देखिएगा कोर्ट है कोर्ट है कोर्ट है कोर्ट इसमें में इंटरवेन करेगा और कोर्ट कुछ ना कुछ ऐसा खुराफाती निर्णय दे देगा जो कि सरकार के इन फैसलों के खिलाफ होंगे। यह चिंताएं मौलिक भी हैं। जो विमर्श इस समय हमारे देश में जुडिशरी को लेकर चल रहा है। तो उसके बीच में अगर इस तरह की चर्चाएं हो रही है, शंकाएं हो रही हैं तो यह कोई उतना गैर वाजिब भी नहीं है। इसकी गुंजाइश खुद न्यायपालिका ने बनाई है। सवाल यह बड़ा है।

लेकिन क्या वाकई में ऐसे किसी मामले में हमारी जुडिशरी दखल दे सकती है? मैं जब इसके पड़ताल पर लगा तो मेरे हाथ लगा एक ऐसा निर्णय जो कि कोर्ट से निकल के आया है और इसी मामले से जुड़ा हुआ है जो कि यह आधार साफ करता है कि सरकार के पाकिस्तान के खिलाफ लिए गए किसी अभी तक के फैसले या आगे आने वाले किसी तरह के फैसले उनमें कोर्ट कभी भी दखल नहीं देगा। जी हां, यह मामला जुड़ा है पाकिस्तान के पासपोर्ट धारी एक महिला शीना नाच से। शीना नाच जिसकी आपने तमाम वो वीडियोस देखे होंगे। अटारी बाघा बॉर्डर से रोती हुई महिलाएं, कलपती हुई महिलाएं, विक्टिम कार्ड खेलती हुई महिलाएं, हमारे बच्चे सीमा के उस पार हैं। हमारा शौहर इधर है, हम उधर है। इस पर जरा बाद में आएंगे। लेकिन उन्हीं में भीड़ में से एक औरत शीनाज उसको भी 29 तारीख तक यानी कल तक भारत छोड़ देना है। लेकिन वो सीधे पहुंच जाती है दिल्ली हाई कोर्ट और उसने दिल्ली हाई कोर्ट में यह तर्क दिया कि साहब देखिए हमारा रेजिडेंशियल जो परमिट है भारत में वो 26 मार्च से 9 मई तक वैध है। इसलिए आप 9 मई तक तो हमको मत भेजिए और 9 मई तक भेजिए ही नहीं बल्कि इसके बाद हमारे लॉन्ग टर्म वीजा एप्लीकेशन पर विचार कीजिए। दिल्ली हाई कोर्ट में यह केस गया।

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने शनिवार को यह स्पेशल हियरिंग की। और इस स्पेशल हियरिंग में जस्टिस दत्ता ने जो डिसीजन दिया और जो दो बड़ी बातें कही और किस आधार पर कही यह बहुत कुछ साफ कर देता है और इस तमाम आशंकाओं को और इन तमाम ऐसे सवालों को कि क्या कोर्ट दखल दे सकता है या उसका देने का अधिकार है इसको साफ कर देगा। इस स्पेशल हियरिंग को शीनाज के मामले को सुनते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने यह कहा कि सरकार का यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के कारण लिया गया है। इसलिए सरकार के ऐसे किसी निर्णय का न्यायिक समीक्षा का अधिकार हमें प्राप्त नहीं है। एक बार फिर सुनिए। दिल्ली हाई कोर्ट ने सीना नाच के मामले में यह कहा कि तुम्हें 48 आवर्स के अंदर यानी कल 29 तारीख तक भारत छोड़ देना है। भले तुम्हारे पास 9 मई तक का परमिट हो। भले तुमने लॉन्ग टर्म वीजा अप्लाई कर रखा हो। भले तुम्हारा शौहर यहां का हो या तुम्हारा शौहर वहां कराची में हो। इससे हमें कोई मतलब नहीं है।

तुम्हारे बच्चे प्राइमाफेसी जो फॉरेन एक्ट है 1946 उसकी धारा 3 वन के तहत जारी किया गया। यह नोटिस है और ऐसे कोई आदेश की कोई न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती। न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती का मतलब किसी कोर्ट में इसकी चैलेंज नहीं किया जा सकता। इसको सुनवाई नहीं की जा सकती। क्योंकि इसको जारी करने के पीछे सरकार का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गंभीर विचार स्टैंड और स्ट्रेटजी है। इसके आगे की लाइन और महत्वपूर्ण है। जो दिल्ली हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश ने कहा। उन्होंने यह कहा कि इसके लिए कोई अपवाद निकालना भी यानी कोई एक्सेप्शन निकालना भी इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। यानी अगर तुम्हारा बच्चा वहां बिलख रहा है तुम्हारा शौहर वहां पर रातें कैसे काटेगा? तुम यहां पर अपने ससुराल कैसे आ पाओगे? इस तरह का अगर कोई विक्टिम कार्ड भी खेला जाता है इस एनिमी कंट्री के लोगों के लिए तो फिर यह भी किसी कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता। यहां कोर्ट ने साफ कर दिया दिल्ली हाई कोर्ट ने शीनाज के इस मामले में। उसके बाद भी आपको विक्टिम कार्ड तमाम खेलते हुए दिखाई दे जाएंगे। शांति के सफेद कबूतर उड़ाने वाले यह गिरोह आपको दिखाई दे जाएंगे।

The frequent judicial interventions by the Supreme Court of India

 ### Summary This Article presents a detailed critique of the frequent judicial interventions by the Supreme Court of India in administrati...