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Saturday, December 13, 2025

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

 देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों 

पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग  प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।

पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।

 अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस 

स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए  चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।

संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है  नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि  सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं

करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।

कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।


ये पहले से एक Planned  एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।

Jai Hind Jai Bharat



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CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

 देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों 

पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग  प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।

पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।

 अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस 

स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए  चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।

संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है  नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि  सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं

करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।

कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।


ये पहले से एक Planned  एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।

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CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

 देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों 

पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग  प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।

पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।

 अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस 

स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए  चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।

संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है  नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि  सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं

करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।

कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।


ये पहले से एक Planned  एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।

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CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया
CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

 देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों 

पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग  प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।

पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।

 अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस 

स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए  चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।

संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है  नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि  सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं

करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।

कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।


ये पहले से एक Planned  एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।

Jai Hind Jai Bharat



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CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

 देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों 

पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग  प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।

पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।

 अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस 

स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए  चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।

संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है  नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि  सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं

करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।

कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।


ये पहले से एक Planned  एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।

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December 13, 2025 at 02:08PM

CJI सूर्यकांत जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर कर सोनिया गैंग के बदनाम करने के नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया

 देश का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है।खोपड़ी की टोपी पहनकर इफ्तार करने वाले अयोध्या और कुंभ को फालतू बताकर दरगाहों पर मत्थ टेकने वाले गैंग यह स्वीकार नहीं कर पाए कि एक दीपक सदियों पुरानी एक पहाड़ी पर स्थित मंदिर में जल सके और जब इसके मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के एक जस्टिस ने सनातनियों को यह अधिकार दिया कि ईशा से तीन शताब्दी पूर्व के उस परंपरा को निभाया जाए और छठी शताब्दी के उस मंदिर में दीप जलाया जाए तो यह सनातन द्रोही भारत के सांसदों को पसंद नहीं आया और उन्होंने ने उस जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश कर दिया। 102 सांसदों के साथ जिस जज ने सनातनियों को उनका मौलिक हक दिया। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने के लिए एक आदेश दिया। तो देश के पूरे इको सिस्टम के वेतनभोगी दास उस सीजीआई की साख समाप्त करने के लिए मैदान में उतर गए। इन जरा दो मामलों को देखिए और वो कौन लोग थे उनकी पहचान की जानी चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच के जस्टिस हैं। और उन्होंने एक आदेश दिया कि बस भगवान कार्तिकेय के उस मंदिर में पारंपरिक रूप से एक दीपक जलाया जाए जो सदियों 

पुराना है। उसी पहाड़ी पर कुछ दूरी पर एक दरगाह है। दरगाह में जाने वाले लोगों की आस्था ना चोटिल हो जाए। इसीलिए भारत देश के कांग्रेस की अगुवाई में डीएमके के साथ स्वयं को हिंदूवादी पार्टी करने वाली बाला साहब ठाकरे के बेटे की पार्टी ने भी उस जज के खिलाफ महाभियोग  प्रस्ताव ला दिया। दूसरी तरफ भारत के सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा चीफ जस्टिस जिसने इतिहास बदलने को ठाना कि इस देश में फिक्सरों की अब नहीं चलेगी। इस देश की सुप्रीम कोर्ट रात भर माफियाओं के लिए नहीं जगेगी। आतंकवादियों के लिए नहीं जगेगी। तीस्ता सीतलवारों के लिए नहीं जगेगी। आम आदमी के लिए जगेगी। ये बात कहने वाले सीजीआई के खिलाफ सोनिया गांधी के इको सिस्टम के 40 वेतनभोगी दास लोग मैदान में आ गए। इसमें Retired Babu , Khaki Babu, कुछ चुनिंदा कुछ पूर्व जज थे। यह परंपरा नई नहीं है। लेकिन यह परंपरा मोदी के खिलाफ होती थी।

पहली बार ये हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस के इको सिस्टम के 40 लोग आए मैदान में। जो सोनिया के खैरात पर मनमोहनी सरकार के सामने में जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था। सलाहकार परिषद था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद उसके खैरात पर पलने वाले कुछ लोग थे और कुछ लोग उस इको सिस्टम के सदस्य थे। इन सबके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चली है जो देश में पहली बार हुआ है।इस देश में लग रहा है कि एक राष्ट्रीय जन जागरण हो रहा है। जब जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ सोनिया गांधी के टीम के कुछ पूर्व आईएएस, आईपीएस ऑफिसर्स, कुछ वकील चुनिंदा कुछ जज सामने आए तो स्वामीनाथन के पक्ष में 56 पूर्व जज उतर गए। उस जज के खिलाफ जिस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई उस जज के पक्ष में 56 सिर्फ पूर्व जज आ गए और कहा ये नहीं चलेगा।

 अब जरा इस चीज को समझने की कोशिश कीजिए। जस्टिस पहले जस्टिस 

स्वामीनाथन आप देखिए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोनिया गांधी ने अपनी टीम उतारा DMK कण मोजी,SPअखिलेश यादव और प्रियंका वाड्रा है लेकिन जब ये महाभियोग लाने की तैयारी हुई तो उस जज के खिलाफ जिसके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हुई उनके पक्ष में 56 पूर्व जज आ गए ,ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है। यह जन जागरण है और इसीलिए कह रहा हूं कि बहुत बड़ा होना है।जस्टिस स्वामीनाथन के पक्ष में आए 56 जज। इन 56 जजों ने कहा हमारी एक अपील है। आप इस तरह से ना करिए और इन 56 जजों ने इस तरह की चिट्ठी लिखी है।इसको समझने की कोशिश कीजिए। दूसरी तरफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की साख को डैमेज करने की एक साजिश हुई है। उनके पक्ष में 44 पूर्व जज आ गए हैं। ये इतिहास में पहली बार हो रहा है। ऐसा होता नहीं था। सीजीआई सूर्यकांत के पक्ष में 44 जज। सीजीआई सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या मामले में जब उन्होंने जजमेंट दिया तो उनके खिलाफ 40 लोग उतरे सोनिया गांधी के गैंग के जिसमें पूर्व आईपीएस पूर्व रिटायर्ड जो नौकरशाह जो खैरात पर पलने वाले ऐसेसे लोग उनके खिलाफ 44 सिर्फ हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज आ गए सिर्फ जस्टिस है ये मतलब स्वामीनाथन के पक्ष में 56 जस्टिस आ गए पूर्व जज और CJI सूर्यकांत के पक्ष में 44 आ गए ये उन लोगों के ऊपर एक प्रहार है जिन्होंने भारत के खिलाफ एक षड्यंत्र किया। अब इस को समझने की कोशिश कीजिए  चुनिंदा नाम बता रहा हूं। जस्टिस अनिल दवे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पूर्व जज है सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के। वो किसको-किसको लाए? वो खैरात पर पलने वाले कुछ अधिकारी आए थे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ चुनिंदा पहचाने गए वकील थे। कुछ नौकरशाह थे। सोनिया गांधी की जब मनमोहनी सरकार थी उस समय जो सोनिया गांधी का किचन कैबिनेट था उससे जुड़े हुए लोग थे। और इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजेस हैं जो सुप्रीम कोर्ट में रह चुके हैं। अनिल दबी, हेमंत गुप्ता, अनिल देव सिंह राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हुए हैं। बीसी पटेल चीफ जस्टिस जम्मू कश्मीर इनका पद और पद देखिए जरा सा। पीवी बजथरी चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट जस्टिस सब्रू कमल मुखर्जी ऐसे ऐसे जज हैं जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजेस है और इन सब ने जो कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंजूर नहीं। रिटायर्ड जजों ने इस बात पर जोर दिया, कारवाई की सही आलोचना हो सकती है। लेकिन मौजूदा कैंपेन तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CJI इस मामले में सिर्फ एक बुनियादी कानून सवाल पूछ रहे हैं। जजों ने यह भी बताया कि आलोचना करने वालों ने बेंच की बातों को यह जरूरी हिस्सा छोड़ दिया है। जिससे साफ तौर पर कहा जाता है कि भारत की जमीन पर किसी भी इंसान को चाहे वो नागरिक हो या विदेशी नागरिक टॉर्चर गायब या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उसे दबाना और फिर कोर्ट पर अमानवीयता का आरोप लगाना एक गंभीर तोड़ मरोड़ है। अब जरा पूरे फैक्ट को जरा समझने की कोशिश कीजिए। मैं क्यों कह रहा हूं इस देश में बहुत बड़ा होना है। दरअसल इस देश में एक देशघाती साजिश के तहत इस देश के सुप्रीम कोर्ट इस देश की संसद का दुरुपयोग होता रहा।फिक्सर्स अपना एजेंडा चलाते रहे। कमाल की बात यह है कि इस देश में एक ऐसा जज जो हाल के दिनों में जिसके बंगला पर करोड़ों रुपए की बोरिया जलती हुई मिली उसके खिलाफ संसद के वो सदस्य महाभियोग लाने के लिए आगे नहीं बढ़े बल्कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जस्टिस यादव जिसने किसी मंच पर कोई टिप्पणी की उसके खिलाफ आ गए महाभियोग के लिए सिबल के साथ ठीक उसी ढंग से जब मद्रास हाईको हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का एक जज जस्टिस स्वामीनाथन ने पीड़ित हिंदुओं को एक हक दिया उसके खिलाफ सोनिया की अगुवाई में क्रिश्चियन सोनिया की अगुवाई में डीएम के जो हिंदू विरोधी पार्टी है वो और खुद को हिंदू के हितों की रक्षा करने वाला बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव ठाकरे ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास कर प्रस्ताव पेश कर दिया इन सबको अपनी औकात पता है कि कुछ नहीं उखाड़ सकते ये महाभियोग नहीं ला सकते लेकिन लेकिन फिर भी उस जस्टिस के बहाने देश के सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य जस्टिसों को डराने की कोशिश की गई कि यदि हिंदुओं की सनातनियों की यदि पीड़ितों की बात की तो तुम्हें महाभियोग तुम्हारे ऊपर लाएंगे।

संसद का ये प्रस्ताव जस्टिस स्वामीनाथन को डराने का नहीं था। उन्हें पता है कि स्वामीनाथन का कुछ नहीं कर पाएंगे। स्वामीनाथन ने इससे डरने के बदले उन्होंने डीएम के सरकार के अधिकारियों को तलब कर दिया कि 17 तारीख को पेश हो के बताओ कि तुमने कोर्ट की अपमानना क्यों की है? स्वामीनाथन डरने वाले नहीं है। जो नैतिक बल वाला जज होता है डरता नहीं है।ये स्वामीनाथन को डराने का प्रयास नहीं है। ये डराने का प्रयास CJI सूर्यकांत को है और इसीलिए सोनिया गांधी ने अपने गैंग के 40 लोगों को मैदान में उतारा जस्टिस सूर्यकांत की साख खराब कर देने के लिए कि रोहिंग्या मामले में उन्होंने गलत जजमेंट किया है। रोहिंग्या भारत में आकर के घुसपैठ किया और जितना आतंकी गतिविधि और गैर कानानूनी गतिविधि में शामिल रहते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि इन्हें हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है तो सूर्यकांत के खिलाफ आ गए। इनको लगता था कि CJI सूर्यकांत की छवि खराब कर देंगे।इधर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड 44 जज सिर्फ सूर्यकांत के पक्ष में उतर गए। और दूसरी तरफ स्वामीनाथन के खिलाफ जो महाभियोग लाया गया था। उसके खिलाफ 56 जज आए। ये नैतिक बल और साख वाले लोग थे। इस देश में पहली बार हो रहा है  नैतिक बल वाले लोग भारतघाती लोगों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और सीजीआई जस्टिस के खिलाफ जो मुहिम चलाने की कोशिश की गई उसे कुचल दिया गया है। ये बदला हुआ भारत है। इस बदले हुए भारत को आपको और हमें पहचानना है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि देश में बड़ा होने वाला है। जो घात लगाए बैठे हुए लोग थे कि इस देश की सरकार को हम दुनिया भर में बदनाम कर देंगे,हम CJI सूर्यकांत को बदनाम कर देंगे। इसलिए कि  सूर्यकांत इनके मुताबिक नहीं चल रहे हैं। सीजीआई सूर्यकांत की साख इसलिए खराब करने के चक्कर में आए कि उन्होंने कह दिया कि मेंशनिंग अब सीनियर जजेस वकील नहीं

करेंगे। मेंशनिंग अब जूनियर वकील करेंगे। सीजीआई सूर्यकांत ने ये तय कर दिया कि अब फिक्सिंग का खेल नहीं चलेगा। सीधे किसी बेंच में सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस के कोई आएगा और ये कह देगा कि हमारा मेंशनिंग कर दीजिए। ऐसा नहीं होगा। इसके लिए दो दिन पहले रजिस्ट्री में आनी होगी। सीजीआई सूर्यकांत ने यह तय कर दिया कि रात के अंधेरे में अब सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए खुलेगा। गरीबों के लिए खुलेगा। तो फिक्सरों की नींद हराम हो गई। कि अब तक तो तीस्तासी तलवारों के लिए खुलता था। अब तक तो आतंकवादी याकूब मेनन के लिए खुलता था। सुप्रीम कोर्ट तो आम आदमी के लिए था नहीं। सुप्रीम कोर्ट तो राहुल गांधी के को लीक से हटकर के राहत देने के लिए था। सजायाप्ता अपराधी राहुल गांधी को बिना ऊपर की कोर्ट में ट्रायल किए सुप्रीम कोर्ट से सजा मुक्त कर देना और दोष सिद्धि पर रोक लगा दिया गया। ये इतिहास में शायद कभी नहीं हुआ। केजरी को इस सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दे दिया गया। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उसके बदले में यह हुआ कि कई आतंकवादियों को भी चुनाव प्रचार के लिए बेल दे दिया गया। रूप तो सबके लिए केजरीवाल को दे देंगे तो दूसरों को भी देना पड़ेगा। केजरीवाल को अपने चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं दिया गया। दूसरों के चुनाव प्रचार के लिए पहली बार हुआ कि चुनाव प्रचार के लिए किसी को बेल दिया गया। मामला यहीं तक नहीं हुआ। अब एक साजिश करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का खेल खेला जा रहा है। किसके लिए? जिसके ऊपर एनआईए ने देश घाती आतंकी एक तरह से घोषित करने का एफआईआर दर्ज किया गया है। वो लद्दाख वाला जो इको सिस्टम के संग खेल खेल रहा है। मामला दरअसल ये नहीं है। दरअसल ये खेल सुप्रीम कोर्ट की साख जो समाप्त करने की कोशिश हो रही है उसके खिलाफ एक बड़ी दूरगामी योजना है। दरअसल इन सब पिक्चरों को लगने लगा है कि सोनिया गांधी के खिलाफ जो राउन कोर्ट से एक नोटिस आया है उनकी विदेशी नागरिकता को लेकर के वो विदेशी नागरिकता का मामला इन सब की तबाही लाएगा। सोनिया गांधी की बेचैनी बढ़ाएगी। कोर्ट में पेशी होगी। सोनिया गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दिलाया जा सकता क्योंकि सीजीआई सूर्यकांत ने एक रूल बना दिया है कि अब अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं आएगा। ट्रायल कोर्ट जाएगा। तो बड़े-बड़े वकील जो करोड़ों रुपए की गाड़ी से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं उन्हें छोटे छोटे ट्रायल कोर्ट में जाना पड़ेगा। 20 करोड़ की कार वाले वकील जो है वो ट्रायल कोर्ट में जाएंगे। इनकी मुश्किलें ये होगी कि पहले ट्रायल कोर्ट से राहत लो फिर हाई कोर्ट से फिर सुप्रीम कोर्ट से। ये वीवीआईपी कल्चर जो जस्टिस सूर्यकांत खत्म कर रहे हैं वो महत्वपूर्ण है।

कल को जो सोनिया गांधी की परेशानी बढ़नी है वो सिब्बल और सिंघवी भी समझ गए हैं। इसीलिए सालों तक सोनिया के दरबार में से बाहर किए गए सिबल दरबार में एंट्री मार चुके हैं। हमने आपको पीछे दिखाया कि कैसे कपिल सिब्बल की गाड़ी सोनिया के दरबार में पहुंची। ये बताता है कि आने वाले समय में जो परेशानी बढ़ने वाली है। संसद के अंदर जो अमित शाह का तेवर था वो बता रहा है कि आने वाले दिनों में वीवीआईपी सफेदपशों की मुश्किलें बढ़ने वाली है और ये मुश्किलें अदालतों से बढ़ेगी। इसीलिए देश की सुप्रीम कोर्ट की साख खराब कर दो। हाई कोर्ट की साख खराब कर दो। ऐसी साख खराब कर दो कि उनकी मालकिन को यदि कोई सजा हो, उनकी मालकिन की यदि परेशानी बढ़े तो देश की जनता में मैसेज चला जाए कि इस देश की सुप्रीम कोर्ट ही भ्रष्ट है।इस देश की सुप्रीम कोर्ट ऐसा है।


ये पहले से एक Planned  एजेंडा था सीजेआई सूर्यकांत को बदनाम करने के लिए, जस्टिस स्वामीनाथन को बदनाम करने के लिए। लेकिन इन दोनों के पक्ष में देश के काबिल पूर्व जजों ने उतर करके इनके पूरे नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। यकीन मानिए बड़ा होना है और यह वीडियो उन सबके लिए है उन नैरेटिव को काटने के लिए है जो देशघाती एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। कह रहा हूं कि देश में आने वाले समय में बड़ा होना है। इस देश का मिजाज बदल रहा है।

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Wednesday, December 10, 2025

संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल

संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल
संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल
संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व की फिर टालमटोल

 

  संघ का संदेश बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें बीजेपी नेतृत्व  की फिर टालमटोल

नागपुर से एक औपचारिक संदेश दिल्ली भेजा गया। इतना सीधा, इतना साफ और इतना कठोर कि कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने पहले तो इसे अफवाह समझा। लेकिन यह अफवाह नहीं बल्कि आरएसएस की अंतिम समय सीमा थी। संदेश था बीजेपी तुरंत संजय जोशी का नाम अध्यक्ष के लिए घोषित करें। इस महीने के भीतर कोई देरी स्वीकार नहीं। इस संदेश का स्वर अनुरोध नहीं आदेश जैसा था। संघ ने कहा कि अब राजनीतिक गणित, लोकसभा सीटें, व्यक्तिगत रिश्ते कुछ भी इस निर्णय में बाधा नहीं बन सकता।और पहली बार नागपुर ने यह भी जोड़ दिया कि यदि बीजेपी नेतृत्व फिर भी टालमटोल करता है तो संगठन का अगला कदम अपनी स्वतंत्र दिशा तय करना होगा। जिसमें संजय जोशी को उच्चतम संघ नेतृत्व की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है।

यानी 14 जनवरी 2026 संघ बीजेपी संबंधों का टर्निंग पॉइंट बन गया। बिहार चुनाव का शोर अब आखिरकार थम चुका था और दिल्ली के सत्ता गलियारों में एक नई तरह की खामोशी तैर रही थी। वही खामोशी जो किसी बड़े तूफान से पहले महसूस होती है। बीजेपी हेड क्वार्टर में जश्न का माहौल धीरे-धीरे खत्म हो रहा था। लेकिन नागपुर में आरएसएस के दफ्तर में माहौल बिल्कुल उल्टा। तनावपूर्ण, गंभीर और बेहद निर्णायक। संघ के बड़े पदाधिकारी साफ

बोल चुके थे कि अब बहाने नहीं चलेंगे। चुनाव खत्म जीत मिली। ठीक है। पर अब संगठन को दिशा देनी है और उसके लिए बीजेपी प्रेसिडेंट का नाम तुरंत घोषित किया जाना चाहिए। और यहीं से असली पेंच शुरू हुआ। क्योंकि इस बार संघ ने सिर्फ एक सुझाव नहीं दिया बल्कि एक स्पष्ट आदेश जैसा कुछ भेजा। किसी और का नहीं संजय जोशी का नाम। और यह नाम जब संघ ने सीधे पीएम मोदी और अमित शाह को भेजा तो पावर कॉरिडोर में हलचल दौड़ गई। संजय जोशी वह नाम जिसे बीजेपी का कार्यकर्ता आज भी सम्मान के साथ लेता है। लेकिन सत्ता के शीर्ष पर बैठे कई लोग जिसकी वापसी से घबराए रहते हैं। बिहार के नतीजों ने यह दिखा दिया था कि मोदी शाह की रणनीति अभी भी मजबूत है। लेकिन आरएसएस का मानना था कि जमीन पर संगठन की पकड़ पिछले कुछ वर्षों में कमजोर हुई है। और इसी कमजोरी को ठीक करने के लिए संघ चाहता था कि बीजेपी का मुखिया अब कोई ऐसा बने जो पूरी तरह से संघ शिक्षित संघ शैली वाला और संघ के प्रति 100% समर्पित हो। संघ अपना विश्वास जिस नाम पर रख रहा था वह केवल और केवल संजय जोशी थे। आरएसएस ने स्पष्ट कहा यदि बीजेपी नेतृत्व संजय जोशी को अध्यक्ष नहीं बनाता, तो संघ अपनी दिशा खुद तय करेगा। यहां तक कि अगले सरसघ चालक के रूप में भी वही नाम सोचा जा रहा है।


 नरेंद्र मोदी को यह बात सबसे ज्यादा चुभ कि संघ ने पहली बार इतनी सख्त भाषा में चेतावनी दी। अमित शाह भी हैरान थे क्योंकि पिछले कई वर्षों की राजनीतिक चाले, संगठनात्मक फैसले और केंद्रीय नेतृत्व का नियंत्रण सब कुछ एक तरह से पीएमओ और गृह मंत्रालय की स्क्रिप्ट पर चलता रहा था। लेकिन इस बार मामला अलग था। संघ अपनी उस मूल भावना में लौट चुका था जिसके अनुसार संगठन सरकार से बड़ा है और उन्हीं गलियारों में चर्चा चल रही थी कि इस बार संघ सिर्फ दबाव नहीं डाल रहा बल्कि लिमिट सेट कर रहा है। एक रेखा कि मोदी शाह सरकार को पार नहीं करनी चाहिए और यदि वे फिर भी नहीं समझे तो संघ संजय जोशी को सिर्फ बीजेपी अध्यक्ष नहीं बल्कि आरएसएस चीफ के रूप में भी आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। मोहन भागवत पिछले कई वर्षों से संतुलन साधने की कोशिश कर रहे थे। एक तरफ सरकार की ताकत दूसरी ओर संगठन की परंपरा लेकिन यह संतुलन अब टूटता हुआ दिख रहा था। भागवत जानते थे कि मोदी और शाह दोनों ही संजय जोशी की वापसी से असहज है। लेकिन वे यह भी समझते थे कि संगठन की जड़ों को मजबूत करने के लिए जोशी जैसा व्यक्ति ही सबसे उपयुक्त है। भागवत ने कई बार पीएम को संकेतों में बताया कि आरएसएस और बीजेपी के बीच दूरी बढ़ रही है। लेकिन उन संकेतों को सत्ता की चमक में शायद उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया और अब संघ का धैर्य समाप्त हो चुका था। इसलिए भागवत ने पहली बार अपने ही लोगों से कहा, अब संतुलन का दूसरा तरीका अपनाना पड़ेगा। सत्ता को संगठन का महत्व समझाना होगा। दिल्ली में बैठे रणनीतिकारों का मानना था कि आरएसएस का यह दबाव साधारण नहीं है। क्योंकि बिहार जीत से उत्साहित बीजेपी चाहती थी कि वही कहानी देश भर में दोहराई जाए। जहां चुनावी रणनीति मोदी शाह केंद्रित हो और संगठन की भूमिका पीछे सरक जाए। लेकिन आर एस एस यह मॉडल अब स्वीकार करने के मूड में नहीं था। वे चाहते थे कि बीजेपी का अगला अध्यक्ष ऐसा हो जो पार्टी को फिर से केंद्र से बाहर चलाए यानी दिल्ली की सत्ता से स्वतंत्र। और यही विचार मोदी शाह के लिए सबसे कठिन था क्योंकि संजय जोशी के आने का मतलब था पार्टी का असल कंट्रोल फिर नागपुर की तरफ झुकना और यह दोनों नेताओं को मंजूर नहीं।

आरएसएस का अंतिम संदेश बेहद कठोर था। या तो बीजेपी अध्यक्ष संजय जोशी होंगे या फिर संघ अपना रास्ता अलग तय करेगा। यह बात सुनकर दिल्ली में कई वरिष्ठ नेता चुप हो गए क्योंकि यह केवल नाम का विवाद नहीं था। यह शक्ति संतुलन की लड़ाई थी। एक तरफ चुनी हुई सरकार की ताकत। दूसरी तरफ एक विचारधारा की दशकों पुरानी शाखाएं और इन शाखाओं में वही लोग काम करते हैं, जिन्हें आज भी लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने संघ की सलाह को लगातार अनसुना किया है। संघ चाहता था कि 2026 के चुनावों से पहले पार्टी पूरी तरह से वैचारिक दिशा में लौटे और इसके लिए संजय जोशी से बेहतर कोई चेहरा नहीं। दिल्ली की बैठकों में कई विकल्प सामने आए। किसी नए चेहरे को लाना, किसी पुराने नेता को आगे करना या आरएसएस को मनाने के लिए कुछ और प्रस्ताव भेजना। लेकिन नागपुर की तरफ से एक ही उत्तर हर बार मिला। नाम सिर्फ संजय जोशी। यह एक तरह का सीधा संदेश था कि इस बार संघ समझौता करने वाला नहीं। मोदी शाह को यह बात चुभियन लग रही थी कि वही संजय जोशी जिनकी राजनीतिक वापसी को उन्होंने वर्षों तक रोक कर रखा। अब बीजेपी और आरएसएस दोनों का संभावित मुखिया बन सकते हैं और यही डर इस कहानी को और दिलचस्प बना रहा था।

 कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी मन में यह बात स्वीकार कर ली थी कि जोशी यदि अध्यक्ष बनते हैं तो जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का मनोबल अचानक बढ़ जाएगा। क्योंकि जोशी की पहचान संगठन के आदमी वाली है जो बिना प्रचार के बिना कैमरे के रात-रात भर बूथ स्तर पर काम करते हैं। वहीं मोदी शाह का मॉडल है प्रचार नेतृत्व और चुनावी प्रबंधन। दोनों के काम करने के तरीकों में जमीन आसमान का अंतर है। आरएसएस चाहता था कि बीजेपी का पुनर्गठन खाली सत्ता के लिए नहीं बल्कि विचारधारा के लिए हो और जोशी इस काम के लिए आदर्श माने जाते थे। आरएसएस के अंदरूनी हलकों में यहां तक चर्चा शुरू हो गई कि संजय जोशी को सर संघचालक बनाने का प्रस्ताव तभी लागू होगा जब बीजेपी नेतृत्व उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाने से साफ इंकार कर दे। यानी एक तरह से यह संघ की बैकअप प्लान थी और यह धमकी नहीं बल्कि रणनीतिक संकेत था कि संघ अब पूरी तरह से तैयार है शक्ति संतुलन को बदलने के लिए। इस स्थिति ने मोदी शाह को ऐसी पोजीशन में ला दिया जहां उन्हें पहली बार महसूस हुआ कि बिहार की जीत के बाद सत्ता का नशा जितना तेज था उससे ज्यादा तेज संघ का दबाव उतर सकता है। अब पूरी कहानी एक ऐसे मोड़ पर आ गई जहां बीजेपी और आरएसएस की दशकों पुरानी साझेदारी की परीक्षा हो रही है। मोहन भागवत के प्रयास असफल होते दिख रहे  हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों एक मजबूत राजनीतिक ढांचे के समर्थक हैं। जबकि संघ वैचारिक और संगठनात्मक ढांचे को प्राथमिकता देता है। अगर जोशी को अध्यक्ष बनाया जाता है तो सत्ता का केंद्र बदल जाएगा। अगर नहीं बनाया जाता तो संघ अपने सबसे अनुभवी अनुशासन प्रिय और वैचारिक रूप से कठोर कार्यकर्ता को अपनी सर्वोच्च कुर्सी पर बैठाकर बीजेपी को एक सीधा संदेश दे देगा। कहानी अब केवल नाम की नहीं आने वाले वर्षों में भारतीय राजनीति के शक्ति संतुलन की है और इस संघर्ष का सबसे बड़ा किरदार बन चुका है संजय जोशी।





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December 10, 2025 at 09:59AM
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Nagpur Demanding the BJP immediately announce Sanjay Joshi as party President

 

A formal and uncompromising message was sent from Nagpur to Delhi, demanding that the BJP immediately announce Sanjay Joshi as party president within the month. This directive, perceived initially as a rumor by senior BJP leaders, was actually the RSS’s final deadline. The message was authoritative, not a request, emphasizing that political calculations, Lok Sabha seats, or personal relationships should not obstruct this decision. For the first time, RSS signaled that if BJP leadership delayed or resisted, the organization might independently choose its path, potentially appointing Joshi to the highest RSS leadership role. This marked a significant turning point in RSS-BJP relations as of January 14, 2026.

Political Context and Organizational Pressure

  • Bihar election noise had settled, but a tense silence prevailed in Delhi’s corridors of power, signaling an impending upheaval.
  • BJP headquarters’ celebratory mood was fading, while the RSS office in Nagpur was tense, serious, and decisive.
  • RSS senior officials declared no more excuses would be tolerated; despite election victories, the organization needed clear direction, starting with announcing the BJP president’s name—Sanjay Joshi.
  • Unlike earlier suggestions, this was a firm order, not a recommendation, sent directly to PM Narendra Modi and Amit Shah, causing stirrings in the power corridors.
  • Sanjay Joshi is a respected name among BJP workers but feared by some top leaders due to his organizational style and RSS roots.

Analysis of Bihar Election and RSS’s Assessment

  • Bihar results demonstrated that Modi-Shah’s strategy remained strong electorally.
  • However, RSS believed the organizational grip on the ground had weakened in recent years.
  • To restore this, RSS insisted the BJP president be a fully RSS-educated, disciplined, and dedicated individual—namely Sanjay Joshi.
  • RSS declared that if BJP leadership did not comply, it would chart its own course, possibly elevating Joshi even as the next RSS chief.
  • This hardline stance surprised Modi and Shah, as previous political and organizational decisions had been largely under the PMO and Home Ministry’s influence.


RSS’s Return to Core Principles and Power Dynamics

  • RSS, under Mohan Bhagwat, had tried balancing government power and organizational tradition, but this balance was breaking down.
  • Bhagwat acknowledged Modi and Shah’s discomfort with Joshi’s return but saw Joshi as essential to strengthening organizational roots.
  • Bhagwat had warned PM Modi about growing distances between RSS and BJP, but these warnings were possibly overlooked due to the allure of political power.
  • RSS’s patience was exhausted, and Bhagwat signaled a new approach: the government must recognize the organization’s primacy.


BJP’s Electoral Strategy vs RSS’s Organizational Vision

  • BJP strategists wanted to replicate Bihar’s Modi-Shah-centric electoral model nationwide, sidelining the organizational role.
  • RSS rejected this model, insisting the BJP president be someone who runs the party independently of Delhi’s power centers.
  • This demand was difficult for Modi and Shah because Joshi’s leadership implied the party’s control would shift back to Nagpur (RSS center), undermining their influence.
  • RSS’s ultimatum was clear: either Sanjay Joshi becomes BJP president or RSS would take a separate path.


Power Struggle and Organizational Ideology

  • Senior Delhi leaders fell silent upon hearing this ultimatum, recognizing it as a struggle over power balance, not merely a personnel issue.
  • On one side, elected government authority; on the other, decades-old ideological branches with workers feeling ignored by party leadership.
  • RSS demanded BJP return fully to ideological direction before the 2026 elections, with Joshi as the ideal leader to achieve this.

Options and Responses within BJP

  • Discussions in Delhi included:
    • Introducing a new face
    • Promoting an older leader
    • Offering other proposals to appease RSS
  • Nagpur’s response was unwavering: the name must be Sanjay Joshi.
  • Modi and Shah were unsettled by the prospect of Joshi’s return, which they had resisted for years.


Joshi’s Leadership Style and Worker Morale

  • Many senior party workers recognized that Joshi’s appointment would boost grassroots morale.
  • Joshi’s reputation: a dedicated RSS man working at booth-level without media attention, contrasting sharply with Modi-Shah’s media-driven leadership and election management.
  • RSS sought BJP’s reorganization not just for power but to reinforce ideological commitment, for which Joshi was deemed ideal.


RSS’s Backup Plan and Strategic Signaling

  • Inside RSS, discussions emerged that if BJP rejected Joshi as president, they might then appoint him as the RSS chief.
  • This was not a threat but a strategic indication that RSS was prepared to alter the power balance decisively.
  • This development put Modi and Shah under unprecedented pressure, surpassing the excitement following Bihar’s electoral victory.


Implications for BJP-RSS Relations and Indian Politics

  • The BJP-RSS partnership, forged over decades, was at a critical test point.
  • Mohan Bhagwat’s attempts to mediate were faltering as Modi and Shah prioritized political strength, while RSS emphasized ideological and organizational strength.
  • Joshi’s appointment as BJP president would shift the party’s power center toward RSS’s influence.
  • If rejected, RSS might assert control by elevating Joshi to its highest post, signaling direct ideological dominance over BJP.
  • This conflict transcends a simple leadership choice and represents a long-term struggle over political power and ideological control in India.


Conclusion

  • The unfolding story centers on Sanjay Joshi becoming the pivotal figure in the evolving power dynamics between BJP and RSS.
  • The outcome will significantly influence Indian political structures and the balance between government authority and ideological organization in the coming years.
  • Viewers are encouraged to follow updates on YouTube, Twitter, and Facebook for further developments.

Key Insights

  • RSS’s ultimatum for BJP to appoint Sanjay Joshi as president marks a rare, explicit power assertion over BJP’s leadership decisions.
  • Joshi symbolizes ideological purity and organizational dedication, contrasting with Modi-Shah’s electoral-centric leadership style.
  • This confrontation reflects a deeper, ongoing tension between political governance and ideological organization within BJP-RSS relations.
  • Mohan Bhagwat’s balancing role is under strain amid escalating pressure from RSS cadres and BJP’s central leadership.
  • The crisis could redefine BJP’s internal power structure and the future trajectory of Indian politics.

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