गृह मंत्री अमित शाह 32 से अधिक पाकिस्तान समर्थक नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करेंगे
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गृह मंत्री अमित शाह 32 से अधिक पाकिस्तान समर्थक नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करेंगे
पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन तो लिए जा रहे हैं लेकिन उसके साथ-साथ देश में वो लोग भी हैं वक्फ गैंग के वो मेंबर भी हैं जो छुपे तौर पर पाकिस्तान का सपोर्ट कर रहा है। भारत सरकार को कमजोर करने की कोशिश कर रही है और वहीं विपक्षी पार्टी के कुछ नेता भी हैं जो चाहते हैं कि किसी तरीके से सरकार पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन कमजोर कर दे ताकि उन लोगों को बताने के लिए हो कि देखो हमने मुसलमानों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई कम कर दी है। अब एक्शन उन लोगों के खिलाफ हो रहा है। यह वक्फ गैंग के 180 संगठनों की बात कर रहा था ताल कटोरा स्टेडियम में। सब लोग इकट्ठा होकर बोला कि देखो भाई बफ की सुरक्षा के लिए हम लोग एकजुट हैं। सिया और सुन्नी भी एकजुट हैं। कोई एक दूसरे से बैर नहीं है। हम इकट्ठा होकर सरकार को झुका देंगे। लेकिन वो 180 संगठन आज बिल में दुबका हुआ है। ओवैसी पहले उतरा था मैदान में। पहला दिन उसने ऐसी बातें की कि लगा इमोशनल हो गया है। लगा उसे हिंदुओं की हत्या किए जाने पर इतना बड़ा अफसोस है। लेकिन यह सच्चाई नहीं थी क्योंकि उसका भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ये असदुद्दीन ओवैसी का भाई अकबरुद्दीन ओवैसी जो कि बार-बार यह चैलेंज करता रहा था 5 मिनट के लिए पुलिस हटा लो हम दिखा देंगे। वो भी कुछ दिन के अंदर बदला और उसने इस मुद्दे पर सीधे तौर पर कहा ये हिंदू मुसलमान की बात नहीं है।
ये तो फर्जी बातें फैलाई जा रही है। यहां तक कि 26 जो लोगों की लिस्ट जिनको हत्या की गई थी उनकी लिस्ट सामने आई और उस लिस्ट में ऐसे फर्जीवाड़ा किया गया कि बताया जाने लगा देखो सरकार ने गलत इंफॉर्मेशन दिया है और वो लिस्ट सोशल मीडिया पर इधर-उधर वायरल किया जाने लगा जिसमें कहा गया कि मरने वालों में से 14 तो कश्मीर के मुसलमान थे। सरकार गलत बात कह रही है और ना ही यह जो हंगामा चल रहा है पूरे देश में कि हिंदुओं को पहचान करके मारा गया था ये पूरी तरह से गलत है। फर्जी ऐसी कि असम से लेकर कर्नाटक और केरल तक यही कांस्परेसी यह मौलाना गैंग चला रहा है। इसलिए एक्शन तो इसके खिलाफ हो रहा है। कश्मीर से शुरू हुआ।
एक्शन अलग-अलग स्टेट में भी है और तभी विपक्ष और मौलाना गैंग के 32 से ज्यादा नेताओं के खिलाफ एक्शन चल रहा है। क्योंकि इन लोगों ने अलग-अलग समय पर पाकिस्तान के सपोर्ट करने के नए-नए तरीके अपनाए हैं। उसमें उमर अब्दुल्लाह को देखिए, महबूबा मुफ्त को देखिए और ओवैसी को देखिए। ये तीनों के चार दिन के स्टेटमेंट में ऐसी बातें हैं जिससे दिख रहा है यह पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहता। उमर अब्दुल्लाह जो कि पूरा खानदान ही इसका पाकिस्तान के सपोर्ट में रहा है। फारूक अब्दुल्लाह यह कहा करता है अभी चुपचाप बैठा है कुछ दिन से। लेकिन यही फारूक अब्दुल्लाह बार-बार इस बात के लिए सरकार को कहता था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत के बिना कश्मीर की समस्या का समाधान नहीं होगा। और यही फारूक अब्दुल्लाह बार-बार ये धमकी देता रहा कि देखो अगर हिंदुस्तान पाकिस्तान के खिलाफ कोई कड़ी कारवाई करती है तो पाकिस्तान भी उल्टा कारवाई करेगा। उसके पास परमाणु बम है। ये फारूक अब्दुल्लाह की बात है। और उसी का बेटा उमर अब्दुल्लाह अभी फंसा हुआ है इस बात के लिए कि जितने परेशानियां लोकल ऑथॉरिटी ने पैदा की है और जम्मू कश्मीर में जो पूरा नेटवर्क तोड़ा जा रहा है। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के कई सपोर्टर हैं, नेता हैं। डिस्ट्रिक्ट लेवल पर इनके नेता भी पकड़े जा रहे हैं। 75 से ज्यादा लोगों को हिरासत में जो लिया गया वो केवल आतंकी नहीं थे बल्कि आतंकी फंडिंग के इनके सोर्स इन्हीं लोगों ने बनाया था। यानी टेरर फंडिंग भी ये करता रहा था। राशिद इंजीनियर जैसे लोग जो टेरर फंडिंग में अभी जेल के अंदर है उसकी पार्टी के भी कई नेता पकड़े जा रहे हैं। क्योंकि राशिद इंजीनियर जिसका ऊपर आरोप ही इस बात के लिए है कि ये टेरर फंडिंग करके वहां कश्मीर में आतंकवाद फैलाता है और जिसके कारण कश्मीर के लोगों की स्थिति देखिए कि ऐसे टेरर फंडिंग के आरोप में जेल में बैठा हुआ उस व्यक्ति को वोट देकर सांसद बना देता है। क्योंकि इन लोगों को हिंदुस्तान की परवाह नहीं। यह अभी भी पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है। इसके सिंपैथी हिंदुस्तान के प्रति नहीं पाकिस्तान के प्रति है। और जितना भी अभी चार दिन से चीख-चिल्ला कर बोल ले ऊपरी तौर पर कह ले राष्ट्रभक्ति दिखाने की कोशिश कर ले विश्वास इसके ऊपर नहीं है। इसलिए जम्मू कश्मीर में तो एक्शन हो ही रहे हैं। लेकिन दूसरे जगह पर भी एक्शन हो रहे हैं। असम के अंदर पांच छह ऐसे नेताओं को पकड़ा गया है जो कि डायरेक्ट नहीं तो इनडायरेक्ट सपोर्ट पाकिस्तान का कर रहा है और इनडायरेक्ट सपोर्ट का तरीका क्या है कि भारत के इस कार्रवाई का विरोध करो। इनडायरेक्टली यह कहने की कोशिश करो कि नहीं भारत सरकार यह जो कारवाई कर रही है वो सफिशिएंट नहीं है। यह समस्या का स्थाई समाधान नहीं है। भले ही पाकिस्तान कितना भी कांपते रहे। पाकिस्तान की परेशानी कितनी बढ़ते रहे। पाकिस्तान एक-एक देश का दरवाजा खटखटा रहा है। लेकिन यहां पर ऐसी बातें की जा रही है कि देखो पाकिस्तान को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इसीलिए इन लोगों के खिलाफ एक्शन हो रहा है।
ये विपक्ष में बैठे हुए नेता जिनके दिमाग में चल रहा है मुस्लिम तुष्टीरण और आज भी वही बात बार-बार दोहरा रहे हैं जो कि पिछले 70 सालों से दोहरा रहा था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत से ही समाधान हो सकता है। उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि अभी तो सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ है और पाकिस्तानी जो हिंदुस्तान में बैठे हुए हैं एक-एक कर बाहर निकाला जा रहा है। 2 दिन का समय और है। सारे हॉस्पिटल को अलर्ट जारी कर दिया गया है कि कितना भी क्रिटिकल केस हो ऐसा नहीं कि आप मेडिकल सपोर्ट के आधार पर कह दोगे कि इनका मामला तो ज्यादा क्रिटिकल है। इसलिए अभी ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकले हैं। 10 दिन की जरूरत है इन्हें हॉस्पिटल में रहने के लिए। ऐसा नहीं होगा। कितना भी क्रिटिकल केस हो जितना समय दिया गया यानी कि 30 तारीख के अंदर उसको बाहर भेजने की व्यवस्था करो। चाहे वो एयर एंबुलेंस के सहारे ही क्यों ना जाना पड़े उसे लेकिन हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ये सार्क का कोई भी ये डील जो चल रहा था पहले से इन लोगों ने सहानुभूति दिखाने की कोशिश की थी। अब कोई सहानुभूति नहीं है। पाकिस्तान का हर नागरिक पाकिस्तानी है और वो हमारा दुश्मन है। यही विचार करके सरकार ने एक्शन शुरू किया है। इसलिए सारे हॉस्पिटल में ये खोजबीन भी जारी है कि इन लोगों पर भी पूरा तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता। यह पैसे के लिए जमीर बेच सकते हैं। अभी हॉस्पिटल का धंधा ऐसे ही है कि पाकिस्तान से भी इन लोगों की कमाई हो रही है। इसलिए सबसे पहले शुरुआत की गई है दिल्ली एनसीआर के सारे हॉस्पिटल से कि वहां पर एक भी जो भी पाकिस्तान के लोग यहां के हॉस्पिटल में इलाज करवा रहा है उसकी लिस्ट सरकार को सौंपी जाए और वो खाली करके जाएगा। इसकी सूचना भी सरकार को दी जानी चाहिए। इसलिए पाकिस्तान के खिलाफ आंतरिक तरीके से देश के अंदर कारवाई हो रही है और परेशानी इसलिए वक्त बैंक के हुए है जो कि मुसलमान मुसलमान के नाम पर कुछ समय से हंगामा खड़ा कर रहा था और आज थोड़ा बैकफुट पर आया दो दिन तक और तीसरे दिन से अपना असली चेहरा दिखाने लगा। 3032 ऐसे बड़े नेता हैं जो टारगेट लिस्ट में हैं। मोदी ने आदेश दिया है और अमित शाह एक्शन मोड में आ गए हैं इन लोगों के खिलाफ कारवाई करने के लिए और ओवैसी जो कि बहुत दिनों से चीख-चिल्ला रहा था। पाकिस्तान के खिलाफ बोलता तो है लेकिन कांस्परेसी पाकिस्तान के लिए करता है।
ये सेटिंग करने वाले ये पूरा गैंग के अब एक-एक मेंबर को तोड़ा जा रहा है। इसलिए ये विपक्ष में बैठे हुए बड़े-बड़े नेता भी परेशान हैं। शरद पवार हो, अखिलेश यादव हो या फिर राहुल गांधी हो इन लोगों ने एक माहौल चेंज करने की कोशिश की है कि देखो देश के अंदर अभी सेंटीमेंट जागा हुआ है। और वो सेंटीमेंट किसके प्रति है? वो सेंटीमेंट है कि मुसलमानों ने मिलजुलकर हिंदुओं के खिलाफ जंग का ऐलान किया है। यह वक्फ गैंग ने कहा था जंगे आजादी की दूसरी लड़ाई है। तो ये जो जंग छेड़ने की कोशिश की थी अब हम उस जंग का अंत करने जा रहे हैं। इसीलिए इन लोगों को लगता है कि अगर इसमें माहौल इस तरह से हिंदुओं के अंदर से बनपा तो फिर हमारी राजनीतिक सियासती सियासत का पूरा रंग बिखर जाएगा और आगे भविष्य में राजनीति करने के लायक नहीं रहेंगे। इसलिए यह पीठ पीछे छुड़ा भोकने की रणनीति पर काम करता है। मीटिंग होती है रात में फोन पर बातचीत होती है। 28 पार्टियां जो इंडी अलायंस का पार्टनर हुआ करती थी। ये सारे के सारी पार्टियां आपस में मिलजुलकर यही रणनीति बना रही है कि कैसे इस माहौल को शांत करें और उसके लिए उपाय इसके पास एक ही है कि जितनी भी समस्या है उसका जिम्मेदार सरकार को ठहराओ जैसे पुलवामा के समय ठहराए थे उरी के समय ठहराए थे ऐसे ही कहो और ये कहना भी शुरू कर दिया कि जब पुलवामा में आरडीएक्स आ गया था उसके बाद सिक्योरिटी की इतनी बड़ी व्यवस्था थी तो यहां पर बंदूक लेकर AK- 47 लेकर टेररिस्ट कैसे आ गया? इसके लिए सुरक्षा चूक है। यह हिंदुस्तान के उन गद्दारों की बात नहीं है। बल्कि सरकार ने कुछ ऐसा करवाया। अखिलेश यादव तोयहां तक बोल दिया कि ये सारी घटनाओं के पीछे कौन है? यह बच्चा-बच्चा समझ सकता है। ये मुद्दे डायवर्ट करने की कोशिश है। बेरोजगारी, महंगाई। यह हमेशा जब भी कोई सेंसिटिव मुद्दा आता है, जब भी कोई राष्ट्रीय हित का मुद्दा आता है, देश के स्वाभिमान का मुद्दा आता है, तो ये लोग यही चार पांच शब्द अल्पसंख्यक, बेरोजगारी, महंगाई ऐसे ही शब्द गढ़ के लोगों का दिमाग भटकाने की कोशिश करता है। और इन्हीं लोगों के कारण अभी तक इसके खिलाफ कार्रवाई कभी कठोर नहीं हो पाई। 70 साल हो गया। अब तक पाकिस्तान कब का निपट गया होता लेकिन हमने कार्रवाई नहीं की। अब जब कार्रवाई हो रही है तो ये बिल से धीरे-धीरे निकल कर हंगामा खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं और दो-चार दिन के अंदर यह फिर से हंगामा करेगा।
यह 5 तारीख को जो वक्त पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। उस समय फिर से इकट्ठा होगा और इस मुद्दे को डायवर्ट करने की कोशिश करेगा। लेकिन उससे पहले इसका इलाज शुरू हो गया है। धरपकड़ चल रहा है। गिरफ्तारियां हो रही है और इन लोगों के ऐसे ऐसे कारनामे उजागर हो रहे हैं कि अब बाहर निकलने की कोशिश नहीं करेगा क्योंकि इलाज जरूरी था और ऐसे समय में जो भी पाकिस्तान का नाम लिया उसके सपोर्ट में एक बात कही उसकी खैर नहीं होगी। क्योंकि अभी देश की समस्या सिर्फ एक ही है कि पाकिस्तान ने आतंकवादी भेजे। उसने षड्यंत्र कास्परेसी की और उस साजिश में हिंदुस्तान के कुछ लोग शामिल हैं और कश्मीर के बड़े-बड़े पॉलिटिकल लीडर भी उसके सिंपैथाइजर हैं। कहीं ना कहीं इनडायरेक्ट कनेक्शन उसका है। तो इस पूरे नेटवर्क को तोड़ा जाए, क्रैकडाउन किया जाए और इसी आधार पर अमित शाह ने सारे राज्यों में अलर्ट जारी कर सबको निर्देश दिया है|
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