https://www.profitableratecpm.com/shc711j7ic?key=ff7159c55aa2fea5a5e4cdda1135ce92 Best Information at Shuksgyan: नितिन नवीन सिन्हा कठपुतली अध्यक्ष होंगे जो मदारियों (मोदी और शाह) के इशारों पर करतब दिखाएंगे

Pages

Monday, December 15, 2025

नितिन नवीन सिन्हा कठपुतली अध्यक्ष होंगे जो मदारियों (मोदी और शाह) के इशारों पर करतब दिखाएंगे

नितिन नवीन सिन्हा कठपुतली अध्यक्ष होंगे जो मदारियों (मोदी और शाह) के इशारों पर करतब दिखाएंगे
नितिन नवीन सिन्हा कठपुतली अध्यक्ष होंगे जो मदारियों (मोदी और शाह) के इशारों पर करतब दिखाएंगे
नितिन नवीन सिन्हा कठपुतली अध्यक्ष होंगे जो मदारियों (मोदी और शाह) के इशारों पर करतब दिखाएंगे

मोदी शाह ने बीजेपी के लिए एक अध्यक्ष चुन लिया है आखिरकार तीन साल बाद अपना अध्यक्ष बना लिया है।यह चुनाव नहीं था।पार्लियामेंट्री बोर्ड ने डिसाइड कर लिया कि नितिन नवीन सिन्हा जो बिहार सरकार में मंत्री हैं और चार बार के विधायक हैं उनको पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने जा रही है। यह फैसला बहुत-बहुत चौंकाने वाला है। क्योंकि इतनी बड़ी पार्टी है। इतने अनुभवी नेता हैं। उसमें एक लंबी कतार है। जिन्हें संगठन का अनुभव है। सरकार का अनुभव है। राजनीति का अनुभव है। उस सबको उन सबको दरकिनार करते हुए एक नौसिखीय नितिन नवीन सिन्हा को पार्टी का अध्यक्ष बनाने का फैसला भारतीय जनता पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड ने लिया है। बहुत सारे सवाल खड़े हो रहे हैं इससे। पहला सवाल तो यह कि नितिन नवीन सिन्हा को क्यों बनाया गया? जाहिर है उनके पास कोई अनुभव तो है नहीं संगठन का। चार बार के विधायक हैं। बिहार से बाहर कभी निकले नहीं। एक बार छत्तीसगढ़ जैसे छोटे से राज्य का प्रभारी उन्हें बनाया गया था। इसके अलावा संगठनात्मक अनुभव उनके पास जीरो है। इतनी बड़ी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर वो कैसे उसको संचालित करेंगे। और इसी से साफ हो जाता है कि दरअसल उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाया गया है। लेकिन वो दिखावटी होंगे। वो जमूरे होंगे। जो अपने मदारियों के इशारों पर करतब दिखाएंगे। तो नितिन नवीन सिन्हा दरअसल एक कठपुतली मुख्यमंत्री कठपुतली अध्यक्ष होंगे जो मोदी और शाह के इशारे पर काम करेंगे। यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि यह कोई लोकतांत्रिक प्रक्रिया की तरह तहत इनका चयन या चुनाव नहीं हुआ है।

ये हम सब जानते हैं कि पार्लियामेंट्री बोर्ड की हैसियत जहां मोदी शाह पार्टी को चला हो कोई नहीं है। पार्लियामेंट बोर्ड से केवल मोहर लगवाई गई है। तय किया होगा इन दो नेताओं ने कि इस तरह का कोई जैसे उन्होंने कई राज्यों में ऐसे मुख्यमंत्री लोगों को बना दिया जिनकी कोई हैसियत नहीं थी। चाहे वो उत्तराखंड के हो, राजस्थान के हो, मध्य प्रदेश के हो, इन तमाम राज्यों में नौसखीय लोगों को मुख्यमंत्री बनाया गया। जिनको कोई जानता भी नहीं था। उनको उठा के मुख्यमंत्री बना दिया गया। ये यही काम मोदी शाह ने पार्टी के अध्यक्ष के पद पर किसी व्यक्ति को बैठाने के लिए किया है। तो ये बहुत ही साफ मैसेज है कि मोदी शाह पार्टी पर नियंत्रण नहीं छोड़ना चाहते हैं। ये इसका एक दूसरा मैसेज ये है कि मोहन भागवत से इस बारे में कोई राय मशवरा शायद ही हुआ हो। कोई कंफर्मेशन नहीं है। कोई मोहन भागवत कभी इसको जाहिर भी करने की जरूरत नहीं करेंगे। अंदर खाने भले ही वो यह शिकायत करें। डेढ़ साल से वो प्रधानमंत्री मोदी के साथ गु्थाम गु्था हो रहे हैं कि पार्टी अध्यक्ष तो उनकी राय का बनेगा। अब एक ऐसे व्यक्ति को बना दिया गया जो आरएसएस की पसंद तो कतई नहीं हो सकता है।नागपुर ने कहीं किसी भी सूरत में मुझे नहीं लगता कि नितिन नवीन सिन्हा  को सपना में देखा होगा।

जिस व्यक्ति की कोई राष्ट्रीय सोच ना हो। जिस जो व्यक्ति पार्टी में मतलब एक कहने को युवा है लेकिन इतनी बड़ी पार्टी को चलाने के लिए जिस तरह का अनुभव जिस तरह का कमिटमेंट जिस तरह का दृष्टि चाहिए वो तो नवीन सिन्हा में नहीं है। तो नागपुर से तो इसको सहमति नहीं मिली होगी। इसका मतलब यह है कि मोदी शाह ने या प्रधानमंत्री मोदी ने साफ-साफ मोहन भागवत की जो शर्त है या जिद है उसको दरकिनार कर दिया है कि अब आपको जो करना हो कर लो। हमने तो तय कर लिया है कि नितिन नवीन सिन्हा को हम राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाएंगे। 

अभी वो कार्यकारी अध्यक्ष हैं। लेकिन परंपरा यही है कि जिसे कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाता है वही फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बना लिया जाता है। कोई चुनाव की प्रक्रिया नहीं होती है। एक तरह की सहमति बना ली जाती है।

बीजेपी में सर्वसम्मति अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी के समय ज्यादा ब्रॉड बेस्ड होती थी। मतलब विचार विमर्श के जरिए बनती थी। लेकिन मोदी और शाह के राज में यह थोपी जाती है। यह सर्वस्मति ऊपर से आती है। लोगों से बातचीत करके नहीं बनती है। तो इस तरह से नितिन नवीन सिन्हा को पार्टी का अध्यक्ष बना लिया गया है। अब इसकी प्रतिक्रिया इसमें एक बात और है कि मोदी शाह और उनकी पूरी पार्टी वंशवाद की बात अक्सर करती रहती है। लेकिन इस मामले में उसने वंशवाद का ही सहारा लिया है। जो नितिन नवीन सिन्हा है वो बिहार के बीजेपी के दिग्गज नेता नवीन किशोर सिन्हा के बेटे हैं। यानी यह खानदानी मामला हो गया।बीजेपी का बेटा एक तो विधायक भी बना है, मंत्री भी बना है और अब पार्टी का अध्यक्ष भी बना दिया गया है। तो इतनी सारी विसंगतियां, विडंबनाएं इस फैसले में नजर आ रही हैं। लोकतांत्रिक प्रक्रिया तो खैर छोड़ दीजिए।

यह बीजेपी में जब से मोदी शाह का कब्जा हुआ है बीजेपी पर उसके बाद से पार्टी ना लोकतांत्रिक रह गई है। अनुशासन भी डिक्टेटर वाला है। ऊपर से चाबुक चला और सब ने हां में हां मिला दी। ये कोई अनुशासन नहीं है। और अब मोहन भागवत के लिए भी बहुत साफ-साफ संदेश दे दिया गया है कि आपकी सहमति की हमें जरूरत नहीं है। आपकी राय की जरूरत नहीं है और आपकी जो हैसियत है वो बस उतनी ही है जितनी पिछले छ आठ महीनों में आपको बता दी गई है। यानी कि सरकार के कामकाज में भारतीय जनता पार्टी के संचालन में आपकी कोई भूमिका नहीं है। आपको चुनाव 

मशीनरी की तरह काम करना है। पार्टी को सत्ता में बनाए रखने के लिए। इसके अलावा कोई रोल नहीं है। मोहन भागवत इसे अपमान के रूप में लेंगे या इसे कैसे गले उतारेंगे यह देखने की बात है। कब तक चुप रहेंगे यह भी देखने की बात है। लेकिन उनके सामने कोई विकल्प मोदी शाह ने छोड़ा नहीं है। वो इसके अलावा कर भी क्या सकते हैं? अगर करेंगे तो वो मोदी शाह के कोप भाजक तो बनेंगे ही। मोदी शाह के जो समर्थक अंधभक्त और जो पत्रकारों और तथाकथित बुद्धिजीवियों की सेना है वो भी उन पर पिल पड़ेगी जैसा कि पिछली बार हुआ था जब भी उन्होंने मोदी और उनकी सरकार की आलोचना की तो उन पर टूट पड़े थे वो अब अगर वह इस मामले में कुछ कहेंगे तो इस बार भी यही होगा। जहां तक बीजेपी के लोगों का सवाल है, उनके समर्थकों का सवाल है तो वो वही लॉजिक देंगे जो हर बार देते हैं कि एक बीजेपी में ही ये हो सकता है कि किसी बिल्कुल निचले स्तर के नेता को इतना बड़ा पद दे दिया जाए। ये बीजेपी ही है जो इतनी उदार है जो निचले स्तर के नेताओं को एकदम से इतना महत्वपूर्ण बना देती है। जिन राज्यों में मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। उन जिस तरह से बनाए गए थे उस समय भी यही तर्क दिया गया था।एक वंशवादी  नेता का चयन है। मोदी शाह की प्रवृत्ति का, उनकी मानसिकता का और उनकी विचारधारा का भी यह नमूना है। इसको आप इस तरह से समझ सकते हैं।

बीजेपी ने नहीं चुना है। मोदी शाह ने बीजेपी के लिए एक अध्यक्ष चुन लिया है और बीजेपी को उसे स्वीकार करना पड़ेगा। आरएसएस को उसको स्वीकार करना पड़ेगा। बाकी सारे जो उनके मंडली के लोग हैं इस पर तालियां बजाएंगे।

जय हिन्द


via Blogger https://ift.tt/nbRHE56
December 15, 2025 at 09:37AM
via Blogger https://ift.tt/A2nKrW7
December 15, 2025 at 10:13AM
via Blogger https://ift.tt/gj3E0oK
December 15, 2025 at 11:13AM

No comments:

नितिन नवीन सिन्हा कठपुतली अध्यक्ष होंगे जो मदारियों (मोदी और शाह) के इशारों पर करतब दिखाएंगे

नितिन नवीन सिन्हा कठपुतली अध्यक्ष होंगे जो मदारियों (मोदी और शाह) के इशारों पर करतब दिखाएंगे नितिन नवीन सिन्हा कठपुतली अध्यक्ष होंगे जो मदा...