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Thursday, September 18, 2025

राहुल गांधी अगर ब्रिटिश नागरिक हैं भारत में एमपी नहीं हो सकते

राहुल गांधी अगर ब्रिटिश नागरिक हैं भारत में एमपी नहीं हो सकते
राहुल गांधी अगर ब्रिटिश नागरिक हैं भारत में एमपी नहीं हो सकते
राहुल गांधी अगर ब्रिटिश नागरिक हैं भारत में एमपी नहीं हो सकते

 


 इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक पीआईएल फाइल हुई थी हम सबको मालूम होगा पेपर में भी और न्यूज़ में भी चला था कि राहुल गांधी के खिलाफ अलाहाबाद हाई कोर्ट में एक पिटीशन फाइल हुई और केवल राहुल गांधी के खिलाफ नहीं यस विघ्नेश शिशिर जो कर्नाटक के रेसिडेंट हैं और राहुल गांधी जो कि इस समय रायबरेली से जीत कर आए क्योंकि राहुल गांधी ने वाई नॉट की सीट छोड़ दी है और वह रायबरेली से इस समय सांसद है मेंबर ऑफ पार्लियामेंट की तरह उन्होंने शपथ भी ले ली है मेंबर ऑफ पार्लियामेंट की तरह शपथ लेने के से पहले पिटीशन पीआईएल पिटीशन भी नहीं पीआईएल ऑनेबल हाई कोर्ट में फाइल हुई जिसमें यह कहा गया कि इनकी पार्लियामेंट की सदस्यता जानी चाहिए क्यों जानी चाहिए क्योंकि यह ब्रिटिश नागरिक हैं यह दोनों लोग यस विघ्नेश शशित और राहुल गांधी यह दोनों ही ब्रिटिश नागरिक हैं पहले मुझे लगा था कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं यह बात पहले भी सुवर्ण स्वामी ने उठाई थी और वह विषय कहां चला गया बहुत लोगों ने सोचा होगा कि वह विषय कहां चला गया लेकिन अभी इसमें पूरे के पूरे फैक्ट फाइल किए गए हाई कोर्ट इस पर डिफर कर गया है हाई कोर्ट ने इस पर तारीख फिर से लगाई है रजिस्ट्री से कुछ प्रश्न पूछे हैं और मजिस्ट्री से उन प्रश्नों की रिपोर्ट मांगी है रिपोर्ट में उन्होंने पूछा है कि फला फला वकील साहब के द्वारा यह फाइल हो उस पर हम चर्चा करेंगे कि आखिर वह क्या कंडीशन लगाते हुए या किस बात को लेकर डिफर कर दिया है और इस मामले को भेज दिया है रजिस्ट्री के पास रजिस्ट्री की रिपोर्ट लगने के बाद अगली सुनेंगे पीआईएल का जो कंटेंट है वो कंटेंट सुनने की बजाय प्रोसीजरल मैकेनिज्म पर या जो प्री कंडीशन है लॉयर की उस कंडीशन पर हाई कोर्ट गया है


2016 के एक डायरेक्शन को ध्यान में रखते हुए उस डायरेक्शन के आधार पर ऑनेबल हाई कोर्ट के दो जजेस की बेंच ने वकील साहब से प्रश्न कर लिए और रजिस्ट्री से प्रश्न कर लिए कि क्या हुआ उस 2016 के ऑर्डर का खैर इनका कहना था जो पिटीशन थी पीआईएल में उसका कहना था कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक इस आधार पर है क्योंकि एक डॉक्यूमेंट यूके की फर्म ने यानी कि ब्रिटेन की फर्म ने मेसर्स बैक डॉप्स लिमिटेड यह फर्म का नाम है मेसर्स बैक डॉप लिमिटेड इसने एक वो इशू किया था इसमें राहुल गांधी को इस कंपनी के पास यह जो कंपनी है फर्म है इस कंपनी में डायरेक्टर शो किया गया था 2003 और 2009 में अब कंपनी में डायरेक्टर नियुक्त किया गया है तो फिर पूरी डिटेल भी देनी पड़ेगी और डिटेल दी होगी क्योंकि कंपनी के डायरेक्टर हैं राहुल गांधी अगर यूके की रजिस्टर्ड लिस्टेड कंपनी है डॉक्यूमेंट के हिसाब से इनका कहना था कि उस डॉक्यूमेंट में जिसमें यह डायरेक्टर दिखाए गए हैं जो वहां के कंपनी लॉ रजिस्टार के पास सबमिट हुआ होगा उसमें राहुल गांधी ने अपनी आइडेंटिटी ब्रिटिश नागरिक की तरह दिखाई है और यह बात इसमें हाईलाइट की गई है कि यह कंपनी जो बैक डॉप्स लिमिटेड है इसके डायरेक्टर राहुल गांधी थे और डायरेक्टर 2003 2009 में हुए इसमें 2006 में कंपनी की तरफ से एक डॉक्यूमेंट फाइल हुआ उस डॉक्यू मेंट में कंपनी ने राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक दिखाया है आपको एक बात और बता दूं कि ऐसा कुछ कुछ चर्चाएं चली थी कि राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने थे और वह ब्रिटेन गए थे  या यूरोप में गए थे तो यूरोप में उन्होंने अपनी क्रिश्चियनिटी चैलेंज की थी मतलब क्रिश्चियनिटी क्लेम की थी और य कहा था कि हम तो आपके बीच के लोग हैं और मैं तो यहीं पर था और मेरा मैं तो बाय डिफॉल्ट क हो या कुछ ऐसा स्टेटमेंट दिया था हालांकि बाय डिफॉल्ट हिंदू के बयान आपने सुने होंगे नेहरू परिवार तो हम सब जानते हैं शुरू से कैसा रहा है क्या उनकी गतिविधि रही है और किसकिस प्रकार के कामों में इवॉल्व रहे खैर तो उनके पुत्र राहुल गांधी जी हैं राहुल गांधी जी की कंपनी जिसके वोह डायरेक्टर हैं वह कंपनी अपने कंपनी अपने यहां जो नेशनलिटी क्लेम करती है वो कहती है कि यह तो ब्रिटिश नागरिक है इसलिए डायरेक्टर क्योंकि वहां के कानून के अनुसार से कुछ और होगा इसमें इस पिटीशन में यह भी कहा गया है कि चूंकि 2023 में सूरत के ट्रायल कोर्ट ने डिफेमेशन के केस में इनको दो साल की सजा दी थी इसलिए यह एमपी होने योग्य नहीं है उनका कहना था कि राहुल गांधी की डिसक्वालीफिकेशन को लेकर मैं मानता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने स्टे कर दिया था फिर भी सेक्शन थ सब क्लॉस थी पीपल्स रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत ये अब ये नहीं हो सकते उन्होने अपनी आर्गुमेंट है उन्होंने आर्गुमेंट दिया पिटीशन में इन्होंने फिर से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही रोक दिया हो फिर भी यह उसको करने के योग्य नहीं है अब बात आती है यह पिटीशन तो भाई है राहुल गांधी को जवाब देना है सबसे पहले उनको यह बताना है कि जिस कंपनी की बात की गई है जिसमें वोह डायरेक्टर हैं जो  स्वामी साहब भी मुझे लगता है कि बहुत पहले से कहते आ रहे हैं उस कंपनी में के डायरेक्टर होने के नाते यह किस आधार पर इन्होंने वहां पर कहा या कंपनी ने अपने डॉक्यूमेंट लगाया और कहा कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं ड्यूएल सिटीजनशिप की बात मैं मान सकता हूं कि


ड्यूल सिटीजनशिप वाजपेई जी के समय पर भारत में लागू की गई थी लेकिन डुअल सिटीजनशिप की खास बात यह थी कि उन्हीं देशों के साथ ड्यूएल सिटीजनशिप लागू होगी जो देश अपने हां ड्यूएल सिटीजनशिप को आधार बताते हैं मतलब अपने यहां अलाव कर रखा लेकिन ड्यूएल सिटीजन जो है उसको भारतवर्ष में पूरे अधिकार नहीं है अगर राहुल गांधी डुअल सिटीजन भी हैं उधर यूके के भी और भारत के भी तो भारत में डबल सिटीजन को डुअल सिटीजन को चुनाव लड़ना और जीतकर पार्लियामेंट जाना या कोई संविधान संवैधानिक पोस्ट रखने का अधिकार नहीं है ड्यूल सिटीजनशिप मतलब


आप यहां आ सकते हो आपको वीजा नहीं लेना पड़ेगा आप यहां आ सकते हो रह सकते हो यहां व्यापार कर सकते हो लेकिन आप यहां वोट नहीं डाल सकते और आप यहां पर जब वोटर नहीं बन सकते तो चुनाव लड़ने की बात ही बहुत दूर की बनती है इसलिए इस केस में अगर राहुल गांधी ये डिनायर हैं कि वो ब्रिटिश नागरिक नहीं है कै सकते हैं मैं ब्रिटिश नागरिक नहीं हूं मैं तो भारत का नागरिक हूं तो फिर वहां यूके में भी बवाल होना स्वाभाविक है क्योंकि वहां पर भी कुछ लोग क्लेम करेंगे कि यहां वहां भारत में एफिडेविट लगाकर उन्होंने कहा या भारत में


केस में कहा कि हम हम भारत के नागरिक हैं जबकि यहां कंपनी के डायरेक्टर होने के नाते कंपनी के पार्टिसिपेटर होने के नाते या शेयर होल्डर होने के नाते जब डॉक्यूमेंट बनाया तो यहां पर यानी कि यूके में व ब्रिटिश नागरिक किस आधार पर दिखा रहे हैं आपको हमारे यहां तो खैर चल जाता है कभी-कभी इस प्रकार के झूठ बोल दिए लेकिन ब्रिटेन की खास बात यह है कि उनके प्राइम मिनिस्टर ने कोविड प्रोटोकॉल को लेकर झूठ बोला था कोविड प्रोटोकॉल को लेकर और कोविड प्रोटोकॉल में बोरिस जॉनसन ने जब झूठ बोल दिया था तो उस बात के लिए मामला  पार्लियामेंट में उठाया गया था और पार्लियामेंट में यह कहा गया था कि एक पार्लियामेंटेरियन के नाते झूठ बोलना एक प्राइम मिनिस्टर के नाते झूठ बोलना यह बहुत बड़ा है क्योंकि उसकी वीडियोग्राफी थी और उन्होंने कहा था मैंने जो पार्टी दी है उसमें कोविड प्रोटोकॉल का बाकायदा फॉलो पालन किया गया है उनकी जो पार्टी उन्होंने दी थी अपने किसी कार्यक्रम की वहां कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था उसका वीडियो आ गया था इसलिए उनके पास पार्लियामेंट के अंदर या पार्लियामेंट के बाहर या कोर्ट में या चुनाव में जरा सा भी


झूठ बोलना बहुत बड़ा अपराध माना जाता है और इसलिए वो उसको पूरा का पूरा संज्ञान लेते हैं हमारे यहां झूठ बोलना तो आप देख ही रहे हैं कि कैसे 2024 का चुनाव हुआ और उस चुनाव में प्रतिपक्ष लड़ने वाले लोगों ने किस प्रकार संविधान की धजिया उड़ाई और यह कहा झूठ बोलकर यह कहा कि 400 पार अगर हो जाएगा तो संविधान बदल दिया जाएगा 400 पार हो जाएगा तो रिजर्वेशन ले लिया जाएगा 400 पार हो जाएगा तो भारत में अमूल चूक परिवर्तन कर दिए जाएंगे यह सब बातें भारत में संविधान की प्रति उन लोगों के द्वारा लेकर घूमा गया जो लोग संविधान अंदर पड़े नहीं होंगे इसका मुझे पूर्ण रूप से विश्वास है और कोई यह झूठ का कोई संज्ञान नहीं हुआ कहीं केस नहीं हुआ कहीं पर इसके एक्सप्लेनेशन नहीं जनता के बीच में झूठ बोला गया हमारे यहां तो यहां तक की व्यवस्था है कि चुनाव के समय पर चांद की परिया या इंद्रलोक की परिया जमीन पर लाकर दे देंगे ऐसा भी बयान दिया जा सकता है और उस बयान से सरकार बनने के बाद उस पार्टी वह पार्टी बाध्य नहीं है सुप्रीम कोर्ट में भी यह बात आई कि चुनावी भाषण है चुना भाषण बाइंडिंग नहीं होता चुनावी भाषण बाइंडिंग नहीं होता तो फिर चुनावी भाषण झूठ होता है क्या झूठ के आधार पर चुनाव  होता है क्या झूठ के आधार पर चुनाव जीतकर सत्ता आ सकती जो चुनाव के समय पर ही झूठ बोल रहा हो जो चुनाव लड़ते समय झूठ बोल रहा हो आप सोचिए कि जिसको जनता जनार्दन लोग कहते हैं वो कितना बड़ा झूठा होगा और वो झूठा देश को कहां-कहां झूठ पर ले जाएगा सत्ता में आने के बाद तो वह प्रोटेक्टेड झूठ बोलेगा केजरीवाल उसका सबसे बड़े इलस्ट्रेशन हमारे सामने दिखाई देते हैं तो झूठ बोलना भारत में अपराध नहीं है या उसकी कोई लीगल बाइंडिंग नहीं है चुनाव के झूठ में यह भारत को गर्त में ले जाने के लिए सफिशिएंट है खैर मामला हाई कोर्ट ने जब


आगे बढ़ाया तो हाई कोर्ट सुनते समय उसको ध्यान आया उसने कहा एडवोकेट मिस्टर अशोक पांडे क्योंकि यह जो पीआईएल फाइल की गई वह एक लॉयर के द्वारा फाइल की गई और पिटीशन एडवोकेट अशोक पांडे अशोक पांडे जो पिटीशन है केस यह है कि राहुल गांधी की डुअल सिटीजनशिप कैसे हो सकती है केस यह है कि ब्रिटिश नागरिक भारत में एमपी कैसे हो सकता है केस यह है कि ब्रिटिश नागरिक भारत में वोटर कैसे हो सकता चुनाव कैसे लड़ सकता है हाई कोर्ट ने इस बात पर इस केस को आगे डिफर करते हुए तारीख डाली रजिस्ट्री से इसकी रिपोर्ट मांगी है वकील साहब ने कहा कि साहब हम तब से लगातार फाइल करते आ रहे हैं हम केस भी लड़ रहे हैं आज तक तो किसी ने दोबारा कहा नहीं हां कोर्ट ने उस समय कहा था मैं मानता हूं लेकिन अभी तक ना तो रजिस्ट्री तो उन्होंने कहा रजिस्ट्री को मालूम नहीं होगा हाई कोर्ट ने कहा तो रजिस्ट्री को मालूम नहीं होगा और उनके ध्यान में नहीं होगा तो उन्होंने कहा साहब रजिस्ट्री के ध्यान में भी था लेकिन हमसे कभी कहा नहीं और हम से अगर कोई ऐसा बाइंडिंग ऑर्डर होता तो कहा जाता इसलिए हमसे कभी कहा नहीं तो हम ऐसी फाइल करते हैं आपके पास तक चली आती और किसी बेंच ने अभी तक हमें नहीं टोका पिछले 8 साल में जब से आप ये डायरेक्शन की बात करते हैं हाई कोर्ट ने कहा लेट अस सी देख लेते हैं एक काम करते हैं कि रजिस्ट्री से ही पूछ लेते हैं कि आखिर मामला क्या है रजिस्ट्री अपनी रिपोर्ट लगाए इन वकील साहब ने अगर इनके खिलाफ यह ऑर्डर हुआ है तो इन्होंने अपने आप को बचाने के चक्कर में रजिस्ट्री को भी फसा दिया और रजिस्ट्री को फंसा दिया का मतलब अब रजिस्ट्री को जवाब देना पड़ेगा कि हाई कोर्ट के डायरेक्शन होने के बावजूद रजिस्ट्री ने वो डिमांड ड्राफ्ट क्यों नहीं जमा करवाया इनसे खैर इस बात को लेकर  डेट डाली गई एक बात और इसमें बड़े ध्यान देने की है वो ये है कि राहुल गांधी की तरफ से फिर से मैं कहता हूं रेस्पोंडेंट की तरफ से रेस्पोंडेंट कौन है इसमें रेस्पोंडेंट है राहुल गांधी राहुल गांधी की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एस बी पांडे का उनकी लिस्टिंग है एडवोकेट आनंद द्विवेदी एडवोकेट विजय विक्रम सिंह यह अपीयर होंगे और डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एस बी पांडे इसमें रेस्पोंडेंट की तरफ से या कि राहुल गांधी की तरफ से प्रेजेंट हुए उत्तर प्रदेश सरकार के वकील हैं डिप्टी सॉलिसिटर जनरल है उत्तर प्रदेश सरकार में यह तो अभी इसमें नहीं बताया वो प्राइवेटली प्रैक्टिस कर रहे हैं या सरकार की तरफ से अपीयर हुए हैं सरकार राहुल गांधी का डिफेंड कर रही है यह भी अभी क्लियर नहीं हुआ वो बात की बात है लेकिन मैंने केवल यह जो लिस्टिंग हुई है कि कौन-कौन अपीयरेंस हुई है उसके विषय में आपको बताया कि यह इसमें कौन-कौन अपीयर हुआ था राहुल गांधी अगर ब्रिटिश नागरिक हैं तो यह ध्यान देने की बात है कि राहुल गांधी भारत में एमपी नहीं हो सकते भारतीय कानून उनको अनुमति नहीं देता हालांकि मेरा मानना है इस केस में दूध का दूध और पानी का पानी होना ही चाहिए इसका इंटरप्रिटेशन और एक्सप्लेनेशन आना ही चाहिए प्रोसीजरल मैकेनिज्म के आधार पर नहीं सब्सटेंस के आधार पर 



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