दोस्तों कर्नाटक सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कर्नाटक सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस पर सार्वजनिक स्थान पर कार्यक्रम करने, इकट्ठा होने और कोई भी ऐसा कार्यक्रम जो सार्वजनिक स्थान यानी पार्कों पर होता हो। 10 लोगों के इकट्ठे होने पर रोक लगा दी थी। सरकार ने एक आदेश पारित करके कहा था कि यदि 10 से अधिक लोग किसी भी सार्वजनिक जगह पर इकट्ठा हो तो उनको पहले अनुमति लेनी होगी। यानी पूरी तरह से कर्नाटक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जो नित्य प्रति शाखा लगती हैं उनको रोकने का एक तुगलकी फरमान कर्नाटक की सरकार के द्वारा दिया गया था।
इस पर मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे उनका मीडिया में बयान आया था और उन्होंने बकायदा एएनआई को कहा था के जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है वो अब कोई भी गतिविधि नहीं कर सकता। सार्वजनिक स्थान का दुरुपयोग हो रहा है। बिना परमिशन काम हो रहा है। यानी एक ऐसा काम जो बीजेपी, आरएसएस और कोई भी ऐसी एक्टिविटी जो देश हित की है अगर देश में चल रही है, कांग्रेस को उससे दिक्कत है। कांग्रेस देश की आजादी के बाद से सत्ता में रही। 2014 तक अगर अटल जी का काम टाइम छोड़ दें तो पूरे समय कांग्रेस का सत्ता में कब्जा रहा और कांग्रेस का पूरा प्रयास रहा कि कोई भी हिंदूवादी संगठन हिंदू संत महंत हिंदू मंदिर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसा संगठन इसको बैन कर दिया जाए। कांग्रेस ने कभी भी ना तो सिमी पर रोक लगाने की बात की। बाद में उसका नाम पीएफआई हो गया। पीएफआई के लिए कुछ नहीं बोला। इस देश के अंदर कोई भी जिहादी मानसिकता के लोग कुछ भी कार्यक्रम कहीं भी कर सकते हैं। अनुमति दे लेने के लिए कभी नहीं कहा गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जो राष्ट्रवादी संगठन है और 1925 से देश के अंदर देश हित में काम कर रहा है। नित्य प्रति भारत माता की जय के घोष के साथ और नित्य प्रति भारत माता की जय की कामना से इस भारत माता की पूजा पाठ कर रहा है। जो यह चाहता है कि इस देश में मजबूती आए। देश आत्मनिर्भर बने और देश फिर से हिंदू राष्ट्र था उस पुराने पुरातन स्वरूप में लौटे। तो कांग्रेस को दिक्कत क्या है? कांग्रेस के जितने भी नेता हैं हमेशा आरएसएस को बैन करेंगे। आरएसएस को बैन करना है। इसको लेकर यह हमेशा कहते रहे हैं। लेकिन कल कर्नाटक की हाई कोर्ट ने जस्टिस एम नाग प्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार गृह विभाग और हुबली पुलिस को नोटिस जारी कर दिया। और उन्होंने सीधा कहा कि जो राज्य सरकार का 18 अक्टूबर 2025 का आदेश था। उसको जो कोर्ट में चुनौती दी गई थी संविधान की अनुच्छेद 19 एक ए यह उसका सीधा उसका उल्लंघन है और आप किसी भी ऐसे संगठन के ऊपर जिसके ऊपर कोई अभी तक कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ। कोई ऐसे गलत हरकत उसकी नहीं हुई है जो आप यह कह सकें कि यह संगठन कोई राष्ट्र के नुकसान में है। फिर आप उसको बैन कैसे कर सकते हैं? उसकी एक्टिविटी को बैन कैसे कर सकते हैं? और हालांकि अभी अंतरिम आदेश दिया गया है। अंतरिम रोक लगाई है।
इस पर अभी आगे सुनवाई होगी और अगर यह सुनवाई होगी तो यह भी एक मील का पत्थर साबित होगी और कांग्रेस की पोल खोलने के लिए यह काफी है कि कांग्रेस किस तरह से राष्ट्रवादी संगठनों को इस देश में बैन करती है। यह आपको बता दें तेजस्वी Surya जो कि बेंगलुरु दक्षिण से बीजेपी के सांसद हैं। उन्होंने इस पर कहा कि आरएसएस को शांतिपूर्वक तरीके से अपनी गतिविधि जो चला रहा है। ये जो काम चल रहा है इसको प्रियांक खड़गे को दिक्कत है। प्रियांक खड़गे जो कांग्रेस के अध्यक्ष हैं मल्लिकार्जुन खड़गे उनके बेटे हैं।
यहां कोर्ट में भी जो बात हुई उसको भी देश को समझने की जरूरत है और कांग्रेसियों को दिमाग में रखने की जरूरत है। जो संविधान की कॉपी रोज लेकर के राहुल गांधी दुनिया में घूमते हैं उनको उस संविधान को पढ़ना चाहिए। जो आरएसएस की तरफ से वकील कोर्ट में प्रस्तुत हुए। उन्होंने कहा कि यह संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार पर प्रतिबंध है। अगर किसी पार्क में पार्टी आयोजित की जाती है तो भी सरकार आदेश के अनुसार यह अवैध जमावड़ा है। उन्होंने कहा सरकार ऐसा प्रशासनिक आदेश जारी नहीं कर सकती। जब पुलिस अधिनियम लागू है तो इस नियम की आवश्यकता क्या है? जस्टिस एम नाग प्रसन्ना की एकल पीठ में सुनवाई करते समय राज्य सरकार से पूछा क्या सरकार इस आदेश के माध्यम से कोई विशेष उद्देश्य साधना चाहती थी? इस पर राज्य सरकार की ओर से उपस्थित वकीलों ने अदालत से एक दिन का समय मांगा ताकि वह अपना पक्ष रख सकें। यानी सरकार की तरफ से बेवजह बिन बात बिन तैयारी ये रोक लगा दी गई। इससे स्पष्ट दिखाई दे रहा है। उनके पास जवाब होता तो तुरंत जवाब देते। अब ऐसे में यह सीधा कहा गया कि भाई जब पार्कों में आप योग की कक्षाएं लगती हैं। लोग इकट्ठे होते हैं। शादी विवाह होते हैं और फंक्शन होते हैं। यहां तक कि राजनीतिक दलों की रैलियां होती हैं। मीटिंग होती हैं। अब उसमें आप कह कोई रोक नहीं है। लेकिन आप राष्ट्रवादी संगठन पर रोक लगाओगे। ये कैसे चलेगा? असल में यह कांग्रेस की मानसिकता है। और इस मानसिकता को आपको ध्यान होगा। अभी कुछ दिन पहले पवन खेड़ा जो कांग्रेस के प्रवक्ता हैं वो जो है एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और वो अपनी दादी की कहानी सुना रहे हैं कि जब मैं छोटा था मेरी दादी ने कहा पार्क में मत जाना वहां खराब लोग हैं। आज मुझे पता लगा कैसे खराब लोग हैं। उस पोस्ट में उसने अपने साथ कुछ हुए अत्याचार व्यभचार की कोई बात की। उसका कोई साक्ष्य नहीं है कि वो व्यक्ति जो आरोप लगा रहा था वो सही था, गलत था। बस एक मुद्दा उठाते हैं।
एक खबर को उठाते हैं और बस उस खबर को फैला देते हैं कि साहब एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। उसने सुसाइड नोट लिखा और उसमें जो लिखा था वो पत्थर की लकीर था। वो व्यक्तिगत किसी एक व्यक्ति पर आरोप लगा रहा है ना कि संगठन पर। लेकिन कांग्रेस ने उस एक व्यक्ति के लगाए आरोप को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके और उसके बाद पूरा कांग्रेस का इकोसिस्टम पूरा सोशल मीडिया पर आरएसएस को बैन करो। आरएसएस में व्यभचारी हैं। आरएसएस में बलात्कारी हैं। यह तो आरएसएस है। उनके पास सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने के लिए बड़े-बड़े वकील हैं। लेकिन उसके बावजूद भी इस तरह की बदतमीजी की भाषा बोलने वाले और झूठे आरोप लगाने वालों पर कभी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोई प्रतिक्रिया नहीं देता। कोई केस पलट कर नहीं करता। और इस देश में न्यायपालिका भी कहीं ना कहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अगर केस करेगा उस पर मुझे लग रहा है उतनी तेजी से संज्ञान भी नहीं लेगी। यदि यहां कोई मुस्लिम कम्युनिटी का कोई व्यक्ति हो उसके बारे में कुछ ऐसा बोल दिया जाए। राहुल गांधी गांधी परिवार के बारे में ऐसा बोल दिया जाए। आप देखेंगे सुप्रीम कोर्ट और बड़े-बड़े वकील वहां पहुंच जाएंगे और वहां सुप्रीम कोर्ट तो सुनवाई भी कर देगा। एक मिनट में सजा भी बोल देगा। लेकिन इस देश में भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े नेता इस समय अगर कोई है तो मोदी प्रधानमंत्री उनको गाली दे लो। गृह मंत्री को गाली दे लो। बीजेपी के किसी नेता के ऊपर कुछ भी कटाक्ष कर दो। आपका कुछ बिगड़ता नहीं है। और इसलिए ये हौसले बढ़े हुए हैं। तो कुल मिलाकर के पवन खेड़ा ने जो बयान दिया कितना विवादित था। रागिनी नायक जो इनकी प्रवक्ता है वह एक्स पोस्ट पे उस वीडियो को डाल रही थी। अब आप सोचें कि इस उसके बाद भी इनकी मंशा क्या है? यह तो आरएसएस को बैन करने के लिए कब से कह रहे हैं? कब से इनके दिमाग में है कि आरएसएस बैन होना चाहिए। इनका मंशा चलती तो कब का यह कभी गांधी की हत्या का आरोप लगाते, कभी कोई और बात करते, कभी ये जो राम मंदिर के पहले बाबरी ढांचा वहां था उसके गिराए जाने के बाद बीजेपी की सरकारें गिराई। तब भी आरएसएस पर बैन की बात की। इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई। उस समय भी आरएसएस पर बैन लगाया गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट तक में केस चले तो बैन हटा।
अब भी इस मामले में हाई कोर्ट से जो झटका लगा है कर्नाटक की सरकार को अब देखना होगा इसमें अंतिम फैसला कोर्ट क्या करता है। लेकिन एक बात बिल्कुल साफ है कि ये जो कांग्रेस है कांग्रेस आरएसएस से परेशान है। इनको आरएसएस को बैन करना है। हिंदूवादी संगठनों पर बैन लगाना है। हिंदू संतों को जेल भेजना है। जैसा कि आपने देखा प्रज्ञा ठाकुर असीमानंद इनको भेजा गया। लेकिन कभी भी इनको इस देश में पीएफआई और सिमी से कोई दिक्कत नहीं है। यह देशवासियों को सोचने की बात है।
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