सिब्बल,सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में फिक्सरों का नकाब उतार करके जस्टिस सूर्यकांत ने देश का बहुत भला किया
सिब्बल,सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में फिक्सरों का नकाब उतार करके जस्टिस सूर्यकांत ने देश का बहुत भला किया
सिब्बल,सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में फिक्सरों का नकाब उतार करके जस्टिस सूर्यकांत ने देश का बहुत भला किया
ये उम्मीद जगता जा रहा है कि जस्टिस सूर्यकांत अब इस देश की सुप्रीम कोर्ट में फिक्सरों को जड़ से समाप्त करके ही मानेंगे। ऐसा भरोसा जगने लगा है कि फिक्सरों की दाल अब सुप्रीम कोर्ट में नहीं गलने वाली। जस्टिस सूर्यकांत अब फिक्सरों की ऐसी जलालत कर रहे हैं खुल के जिससे देश जग रहा है। एसआईआर के मामले में इस देश में एक ऐसा भ्रम फैलाया गया कि गृह युद्ध हो जाता। देश जल जाता। भारत की सबसे बड़ी अदालत ने यह क्यों कहा कि डर हम भी गए थे। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम तो डर गए थे। ऐसा खेल मत खेलो। क्यों कहा सूर्यकांत ने ऐसा? तब आपको समझ में आएगा कि इस देश में दरअसल साजिश क्या होती रही है। ऐसा क्यों रहा है कि राम मंदिर के खिलाफ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का वकील सिबल होगा। 370 यदि सरकार के तरफ से संसद से पास करा करके कानून बना दिया गया तो 370 को फिर से लागू करने के लिए वकील सिबल होगा। राम मंदिर 370 सीए पैगासिस देशघाती देशद्रोहियों का वकील सिब्बल होंगे। जमानत दिलाने के शर्त सिबल होंगे। लेकिन इस सिब्बल की मौत सिबल के संग सिंघवी और प्रशांत भूषणों की चलती रही।
ममता बनर्जी की सरकार आरजीकर मेडिकल कॉलेज में एक मेडिकल की छात्रा के साथ बलात्कार और मौत के मामले में सिबल को खड़ा कर देगी तो सुप्रीम कोर्ट सिबल के लिए अपराधियों के पक्ष में रेड कारपेट बिछा देगा। ऐसा क्यों खौफ रहा है? लेकिन अब बारी जस्टिस सूर्यकांत की है। जस्टिस सूर्यकांत जब इस मामले की सुनवाई कर रहे थे तब वो देश के मुख्य न्यायाधीश नहीं थे। लेकिन मुख्य न्यायाधीश बनते ही जस्टिस सूर्यकांत के पीठ के पास एसआईआर का मामला जब आया तो जस्टिस कांत ने देश को चौंका दिया। सच कहिए तो देश को जस्टिस कांत ने हिला कर रख दिया और सिबल सिंघवियों का एक ऐसा सच खोल कर रख दिया जिससे पूरे देश को पूरा देश हिल जाए। ये बातें देश के जनजन तक क्यों पहुंचनी चाहिए? यह बात हर किसी को क्यों जानना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट में ऐसा क्या हुआ जो देश को जगा रहा है। दरअसल एसआईआर के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही और एसआईआर पर सिब्बल यह दलील देने लगे कि यदि उसके पिता 2003 में उसके पिता का नाम एसआईआर में नहीं होता तो वो भारत का नागरिक नहीं होता। सिब्बल जिन दलीलों में सुप्रीम कोर्ट को फंसाते जा रहे थे, सुप्रीम कोर्ट उसमें उलझने के बदले हर सिबल की नकेल कसने लगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने जो फैक्ट रखे वो चौंकाने वाले हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप लोगों की हरकतों से हम भी डर गए थे। भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि एसआईआर पर सीजीआई ने सिब्बल से पूछ पूछ लिया कि सबसे बड़ा सवाल हमें भी डर था लेकिन कोई नहीं आया। अब ये बात आपको हल्की लगेगी। दरअसल जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप लोगों ने देश में ऐसा माहौल बनाया कि हर किसी की नागरिकता छीन रही है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप लोगों ने देश को एक तरह से डरा दिया कि उसकी नागरिकता छीन रही है। भारत के आम नागरिकों की नागरिकता
छीन रही है और बिहार में सबकी नागरिकता चली जाएगी। ये ऐसा भयाव इशू था कि जिससे देश को डरना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा डर तो हम भी गए थे कि सचमुच यदि कुछ लोगों की नागरिकता चली जाएगी हजार दो हजारों की तो क्या होगा? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम इसलिए डर गए थे कि यदि एसआईआर एक ऐसी पद्धति है जिससे नागरिकता चली जाए तो गिनने वाले लोगों की की भी नागरिकता यदि चली जाएगी तो देश में आग लग जाएगा। लेकिन आप लोग ऐसा माहौल बनाते रहे चार आदमी शिकायत करने नहीं आया। उसके बाद सिबल ने वो सच बता दिया जिससे पूरा देश हिल जाए।
यह सच सामने आना चाहिए। दरअसल जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमने अपनी तरफ से हमने अपनी तरफ से लोगों को बिहार में लगाया था। सूर्यकांत ने गुरुवार को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन एसआईआर को लेकर एक बार फिर जमकर बहस हुई। चुनाव आयोग द्वारा कई राज्यों में मतदाता सूची के लिए व्यापक सत्यापन अभियान पर सवाल उठाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने नागरिकता और मतदाता पंजीकरण से जुड़े महत्वपूर्ण तर्क रखे। उन्होंने कहा 2003 का वोटर लिस्ट देखने के लिए के लिए कहा जा रहा है। अगर मेरे पिता 2003 में वोट नहीं दिया या उससे पहले उनकी मृत्यु हो गई तो इसमें कैसे साबित कर पाऊंगा। अब देखिए सिबल ने कहां फसाया। कह रहा है कि यदि मेरे पिता ने 2003 में वोट नहीं दिया तो मेरी नागरिकता चली जाएगी। इस तरह से सिबलों ने देश को डराया।
सूर्यकांत ने इसका गजब जवाब दिया। कहा कि यदि तुम्हारे पिता ने ये गलती की और तुमने भी इसमें सुधार नहीं की तो यह गलती तुम्हारी है। लेकिन ऐसा तो बिल्कुल नहीं है कि यदि किसी के पिता ने वोट नहीं दिया तो उसकी नागरिकता चली जाएगी। वोट नहीं देना मायने नहीं रखता। यदि वोटर लिस्ट में नाम था 2003 में तो उसके बेटे का भी नाम होगा। लेकिन सिब्बल ने फरेब ये फैलाया कि 2003 में यदि मेरे पिता का वोटर लिस्ट में नाम नहीं है। अब देखिए ये सब के सब पश्चिमी पाकिस्तान से आए हुए हैं। उस साइड से सिब्बल ने इस सवाल पर सूर्यकांत ने कहा अगर आपके पिता का नाम 2003 के लिस्ट में नहीं है और आपने भी इस पर ध्यान नहीं दिया तो शायद आपने अवसर खो दिया। फर्क सिर्फ इतना है कि यदि माता-पिता का नाम 2003 के सूची में नहीं है तो फिर स्थिति अलग होगी। सूर्यकांत ने इनके पूरे फरेब को खोल दिया। कहा कि यदि 2003 में नाम नहीं था तब अलग स्थिति होगी। लेकिन आप झूठ बोल रहे हो। फरेब फैला रहे हो।
अब इसी सच को समझने की जरूरत है कि क्यों जस्टिस सूर्यकांत को यह कहना पड़ा। आगे की चीजें और भी आपको फैक्ट को खोल करके रख देगा। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अजीब स्थिति है। ऐसा डर फैलाया गया कि डर तो हम भी गए। सीजीआई ने कहा हमने बिहार में एक अजीब चीज देखी। गौर कीजिएगा। सीजीआई कह रहे हमने बिहार में एक अजीब चीज देखी। हम निर्देश देते रहे अपने पैलीगल वालंटियर्स को भेजा। कोई भी यह कहने के लिए आगे नहीं आया कि मुझे बाहर कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा एक ऐसा सच खोल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने अपने तरफ से टीम लगा दिया था। मतलब सुप्रीम कोर्ट की टीम भी वालंटियर्स काम कर रहा था कि कोई तो शिकायत करे। कोई तो ऐसा व्यक्ति हो जो शिकायत करे कि हां मेरा नाम कट गया है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। फिर CJI सूर्यकांत ने कहा कि शुरू से बिहार के बारे में यह इंप्रेशन दिया गया कि लाखों लोगों का नाम हटाया जाने वाला है। हमें भी डर था। आखिर क्या हुआ? सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश कह हम भी डर रहे थे। बिहार में जो माहौल बनाया जा रहा था, इम्रेशन जो बनाया जा रहा था, उससे हम भी डर गए थे। सोचिए इस देश का चीफ जस्टिस कह रहा है कि डर तो हम भी गए थे।
अब ये डर का माहौल कैसे बनाया गया? दरअसल ये देश घाती षड्यंत्र किया गया कि देश में कहीं ना कहीं दंगा और फसाद हो जाए। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा मत करो। इस तरह की साजिशें मत करो। भारत की सबसे बड़ी अदालत ने सिब्बल और सिंघवी दरअसल इस पूरे मामले में देखिए सिब्बल भी है और सिंघवी भी है। एसआईआर के इस मामले में सिब्बल भी है, सिंघवी भी है, प्रशांत भी है, हर कोई है। और इन सबके अतीत को आप देख लीजिए। लेकिन इस सुप्रीम कोर्ट के अंदर सिबलों को ऐसे जलील करना ऐसे बेनकाब करना आसान नहीं था। इस देश में राम मंदिर पर सिब्बल नहीं चाहते थे कि हियरिंग हो। तो उस समय के CJI ने पीठ बना दी। स्थिति ऐसी हो गई कि उनके लिए महाभियोग की तैयारी होने लगी। तो बेचारे डर के मारे राम मंदिर को छुया ही नहीं निकल लिए। उनके खिलाफ चार जज तीन जजों का प्रेस कॉन्फ्रेंस करा दिया गया। निकल लिए डर के मारे कि कहीं पोल ना खुल जाए। खेल ना हो जाए। उसके बाद जो जज बने वो सब सिबल के इशारे पर कई लोग थे। लेकिन जब जस्टिस गोगई सीजीआई बने राम मंदिर पर हियरिंग की तो उन्हें भी डराया गया और जस्टिस उस समय के चीफ जस्टिस जस्टिस गोगई ने ये कहा भी रंजन गोगई ने ये कहा भी कि हमारे पास कुछ वकील आए थे।
उन्होंने इशारा सिबल के लिए साफ साफ किया। हमने एंट्री नहीं करने दी। उसके बाद उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कोर्ट फिक्सों के दबाव में है। सीजीआई की पूर्व सीजीआई की इस पीड़ा को अभी तक नहीं समझा गया। तो क्या यही वजह है कि कोई भी सीजीआई कितनी हिम्मत नहीं कर पाता कि सिब्बल और सिंघवियों से सवाल कर सके। जस्टिस सूर्यकांत संभवत पहले सीजीआई है जो फैक्ट के साथ कह रहे हैं कि डर हम भी गए थे। सीजीआई सूर्यकांत ने कहा कि बिहार में ऐसा माहौल बनाया गया था कि डर हम भी गए थे। हम भी डर गए थे कि बिहार में यदि कुछ लोगों की नागरिकता चली जाएगी तो क्या होगा? लेकिन एक आदमी शिकायत करने नहीं आया। नॉट ए सिंगल पर्सन। एक आदमी ये नहीं कहने आया कि हम जिंदा है लेकिन हमें मृत घोषित कर दिया गया। एक आदमी ये नहीं शिकायत करने आया कि हां हमारी नागरिकता छीन गई। आप लोगों ने क्या माहौल बना रखा था? अब इसे हल्के में मत लीजिए। जस्टिस सूर्यकांत की ये दलील दरअसल देश भर में होने हो रहे एसआईआर के खिलाफ जो षड्यंत्र है उसे समाप्त करने वाला है। जस्टिस सूर्यकांत ने ये कहा कि कुछ तो दलील दोगे। क्या इस देश में मतदाताओं का पुनरीक्षण नहीं होना चाहिए? क्या यदि इतिहास में कभी पुनर्नरीक्षण नहीं हुआ तो कभी नहीं होना चाहिए। बिहार से क्यों शुरुआत हुआ? कहीं से तो शुरू होगा। ऐसा खेल आपने क्यों खेला? दरअसल सूर्यकांत के जितने सवाल है वो मजबूत आधार पर है और ये खेम इस टेलीविजन चैनलों पर अखबारों में इस पर जीरा होनी चाहिए। चर्चा होनी चाहिए इस पर कि दरअसल इस देश को कैसे डराया गया। अब सोचिए इस देश का सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश कह रहा है कि हम भी डर गए तुम्हारे इस खेल से। तो सोचिए कि किस तरह का ये खेल करा जाता है और इन्हें लगता है कि सिबल और सिंघवी यदि इस तरह से हमारे साथ होंगे तो हम काम तमाम कर देंगे। अबमहत्वपूर्ण सवाल ये है कि हर ऐसे मामले में हर ऐसे मामले में सिब्बल और सिंघवी क्यों होते हैं? चाहे वह राम मंदिर का मामला हो, चाहे वह 370 का मामला हो, चाहे वह राफेल का मामला हो, चाहे वो पैगासिस का मामला हो, चाहे वो ममता बनर्जी द्वारा आरजी कर का मामला हो, चाहे वो देश द्रोह में बंद उमर खालिद का मामला हो, हर मामला सिब्बल के पास ही क्यों आता है? और जब ऐसे ऐसे मामले सिब्बल के पास आते हैं, सिब्बल और सिंघियों के पास आते हैं तो इस देश का सुप्रीम कोर्ट सवाल क्यों नहीं करता?
पहली बार जस्टिस सूर्यकांत ने इन सवालों से देश को हिला दिया है। भारत के सुप्रीम कोर्ट में यह सवाल और सुप्रीम कोर्ट का ये बताना कि वो वो डर गया। ये बता रहा है कि आम आदमी के अंदर क्यों डर था। यदि देश का सुप्रीम कोर्ट कानून का इतना बड़ा ज्ञाता इस तरह के दलीलों से डर गया था तो आम आदमी जो बिहार का वोटर था उसका डर तो वाजिब था कि उसकी उसके उसका नाम जा रहा है। इसके बावजूद भी बिहार में एक विद्रोह नहीं हुआ। एक हिंसा नहीं हुई। एसआईआर पर कोई सामने नहीं आया। इससे इन सब की पोल खुल गई। ऐसे कंडीशन में बिहार का चुनाव परिणाम इन सब का नकाब उतार गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यही कहा कि इतना बेहतरीन ढंग से चुनाव बिहार में संपन्न हो जाना और ये परिणाम आना दरअसल आप सबको बेनकाब कर रहा है कि आप सब ने एसआईआर पर जो दलीलें दी आप सब ने एसआईआर पर जो नरेटिव बनाया वो फेक था। अब बिहार का चुनाव परिणाम एसआईआर पर बिहार के आम आदमी का सरकार के साथ खड़ा होना उन तमाम नैरेटिव को नाथ गया है। जस्टिस सूर्यकांत यही कह रहे थे और इशारोंइशारों में यही कहे इस तरह की हरकतें बंद होनी चाहिए। अब बिहार के बाद पूरे देश में एसआईआर हो रहा है। ममता बनर्जी के तरफ से फिर वकील बन के सिबल आ गए हैं। इससे पहले यही सिबल यही सिंह भी आरजेडी के तरफ से कांग्रेस के तरफ से अलग-अलग पार्टी एआईएमआईएम के तरफ से थे और अब यही सिबल ममता बनर्जी के तरफ से और तमिलनाडु की सरकार के तरफ से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। तो सुप्रीम कोर्ट को सब समझ में आ गया कि खेल और घातक होगा। एक राज्य में नैरेटिव फैलाया गया। ये झूठ अब पूरे देश में फैलाया गया। फैला दिया जाएगा। बिहार तो बच गया। क्या देश के दूसरे हिस्सों में आग लग जाएगी? इसीलिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने चेताया कि हम भी डर गए थे। आप लोगों ने डर का माहौल बनाया। ऐसा मत कीजिए। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी की चर्चा चोरों पर होनी चाहिए। ताकि देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक ये संदेश जाए कि जस्टिस सूर्यकांत ने क्यों कहा कि हम भी डर गए। सोचिए सोच कर सिहरन पैदा होता है कि कैसे इस देश को डराया जाता है। कैसे इस देश में डर का माहौल बनाया जाता है। कैसे इस देश में फेक नैरेटिव बनाई जाती है और फेक नैरेटिव बन के देश खातिर षड्यंत्र होता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट भी हिम्मत नहीं कर पाते इतने ताकतवर वकीलों को बेनकाब करने में। जस्टिस सूर्यकांत ने सलीके से वो कर दिया है। सच यह है कि यदि ये देश जान जाए तो फिर जिस मुद्दे को लेकर के इस तरह के वकील सुप्रीम कोर्ट में जाए इस देश को समझ में आ जाए कि इसका मतलब ये मुद्दा देशघाती है।
सिब्बल और सिंघवी का ऊपर से एक तरह से नकाब उठा उतार करके जस्टिस सूर्यकांत ने देश का बहुत भला किया है। वो चीफ जस्टिस हैं। वो बहुत कुछ और खुलकर नहीं कर सकते। लेकिन यह संदेश देकर कि वो डर गए थे। यह दिखाता है कि देश को के अंदर किस तरह का डर का माहौल रहा होगा। यदि देश का चीफ जस्टिस इस तरह से डर गया। बिहार ने सही मायने में उस खौफ को खत्म कर दिया। उस षड्यंत्र को खत्म कर दिया। इसीलिए देश भर में अब यह षड्यंत्र और इस तरह की दालें इनकी गलने वाली नहीं है। इसीलिए उम्मीद जग रही है। जिस सुप्रीम कोर्ट में इन सब की तूती चलती रही है। ये सब अपने इशारे पर चलाते रहे हैं। उस सुप्रीम कोर्ट में इनका सच खुल के देश के सामने आ गया है।
जय हिंद
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