इतिहास में संजीव खन्ना को याद किया जाएगा उनके चाचा जस्टिस एचआर खन्ना की तरह क्योंकि संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट और जुडिशरी की गंदगी साफ करने की कोशिश की।
पहली गंदगी उन्होंने ये साफ की कि उन्होंने कोर्ट फिक्सरों के लिए तय कर लिया कि मनमर्जी तुम्हारी नहीं चलेगी कि मुंह उठाए कोई मामला ले चले आओगे कि अभी हमारे क्लाइंट की बेल पर सुनिए। पहले रजिस्ट्री में एप्लीकेशन लगाओगे और उसके बाद तय किया जाएगा कि मामला सुनने लायक नहीं है। ये संजीव खन्ना ने किया।
इससे पहले सिबल और सिंगियों की मौज होती थी। जब मर्जी जो मैटर लेकर के आ गए और तुरंत सुनवाई हुई। संजीव खन्ना ने इस दौर में ये किया कि जजों को अपनी संपत्ति सार्वजनिक करनी चाहिए जो मांग सालों से हो रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट के हर जज ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक कर दी है।
संजीव खन्ना ने वो पूरा रिपोर्ट सरकार को सौंप दिया। देश को सौंप दिया जिसमें यह बताया गया है कि 2022 से लेकर 2025 तक मतलब उनके कार्यकाल तक जो कॉलेजियम बैठी उसमें कैसे-कैसे व्यक्तियों को जज बनाया गया। ये बहुत महत्वपूर्ण है। इस देश को पता चल जाएगा कि चंद्रचूर काल से लेकर आज तक कितने ऐसे लोग थे जिनके बाप, दादा, चाचा, मामा जुडिशरी से जुड़े हुए थे और उनको जज बनाया गया। यह बहुत गंभीर मामला है। यह पेन ड्राइव में जो रिपोर्ट है वो पूरे देश को एक तरह से जगा देगा।
एक पेन ड्राइव अमित शाह की पुलिस ने भी सुप्रीम कोर्ट को सौपी थी। जिस जस्टिस वर्मा के पूरे काले करतूत थे। उस पेनड्राइव को देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट जग गया कि अब उसका काला चिट्ठा खुलेगा। और फिर उसी ढंग का क्या एक पेन ड्राइव भारत सरकार को जस्टिस खन्ना सौंप गए हैं। यह बेहद महत्वपूर्ण है। जस्टिस खन्ना ने जो काम सही मायने में किया जाते उसके लिए इतिहास उन्हें याद रखेगा। अब जरूरत इस बात की है कि सरकार जुडिशरी के अंदर जो साख सुप्रीम कोर्ट की खराब खत्म होती जा रही है उस साख को बचाए।
इसीलिए जस्टिस खन्ना ने जाते जाते जो एक तरह से पूरे सबूत और साक्ष्य सरकार के पास दिए हैं वो एक इशारा है कि आने वाले समय में जुडिशियल रिफॉर्म की जरूरत है। संजीव खन्ना अपने काम से देश को एक तरह से जगा करके जा रहे हैं और सरकार को एक हथियार थमा रहे हैं कि वो जुडिशियल रिफॉर्म लेकर के आए।
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