तमिलनाडु हाई कोर्ट के जज बेलू मुर्गन ने एडीजीपी को गिरफ्तार कर लिया
तमिलनाडु हाई कोर्ट के जज बेलू मुर्गन ने एडीजीपी को गिरफ्तार कर लिया
तमिलनाडु हाई कोर्ट के दो बहादुर और कहें कि सम्मानित जजों ने एक फैसला दिया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट के दो जजों द्वारा दिए गए असंवैधानिक फैसले को पलट दिया था। एक बार फिर से बड़ी खबर है तमिलनाडु हाई कोर्ट से। इस हाई कोर्ट के एक निष्ठावान और न्यायप्रिय जज बेलू मुर्गन ने एक ऐसा फैसला दिया जिसने देश की ब्यूरोक्रेसी और पुलिस को हिला कर रख दिया है। राजनीतिक हलकों में भी इस फैसले के बाद हड़कंप मच गया है। क्योंकि इन जज साहब ने एक एडीजीपी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया और बाद में पुलिस ने उस एडीजीपी को गिरफ्तार भी कर लिया।
जिसकी एंटीिसिपेटरी बेल अब सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। अब आप कहेंगे कि ऐसा किस मामले में हुआ? क्या कोई नॉर्मल कदाचार का मामला था? तो नहीं आप यहां पर गलत हैं। यह जो एडी एडीजीपी महोदय हैं जयराम इनका नाम है। उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने एक बच्चे का अपहरण कराने में मदद की और अपनी गाड़ी का इस्तेमाल कराया। मामला है तमिलनाडु में एक लड़के और लड़की का अंतरजातीय विवाह होता है जिससे लड़की के पिता को आपत्ति होती है। लड़की के पिता कांटेक्ट करते हैं माहेश्वरी नाम के एक सस्पेंडेड पुलिस वाले से। यह पुलिस वाला उस लड़की के पिता को मिलाता है एडीजीपी जयराम से और एडीजीपी जयराम एक स्थानीय विधायक पूर्वी जगन मूर्ति के साथ मिलकर दबाव डालते हैं उस लड़के पर कि वो इस शादी को तोड़ दे। जब वह लड़का नहीं मिल पाता है, उसके घर वाले कहते हैं कि हमें उसका कुछ अता पता नहीं है तो फिर यह जयराम, जगन मूर्ति और लड़की का पिता यानी कि वनराज ये सब मिलकर उस लड़के के छोटे भाई जिसकी उम्र 16 साल होती है उसको किडनैप कर लेते हैं।
उसके बाद उस लड़के की मां पुलिस में एफआईआर दर्ज कराती है, शिकायत करती है। बड़ी मुश्किल से उस बच्चे को बचाया जाता है। और बचाने के बाद पुलिस के सामने कहानी यह आती है कि अपहरण करने में जो गाड़ी इस्तेमाल हुई थी वह पुलिस के एडीजीपी यानी कि महा सहायक या अतिरिक्त महानिदेशक की गाड़ी थी और उसको एक पुलिस वाला ही चला रहा था। बाद में जो यह विधायक होता है इसको पुलिस जब गिरफ्तार करने जाती है तो यह अपने समर्थकों के साथ हंगामा करता है और पुलिस को वापस लौटना पड़ता है।
इसको लेकर जस्टिस भेनु मुर्गन ने स्पष्ट तौर पर इस एमएलए को भी डांट लगाई और यह कहा कि एक एमएलए या जनप्रतिनिधि का ये कर्तव्य होता है कि वो जनता के साथ रहे। जनता का सहयोग करें ना कि उसे डराने का काम करें और कानून को अपने तरीके से चलाने का या कंगारू कोर्ट चलाने का काम करें। जब इसको लेकर एंटीिसिपेटरी बेल लगाई एमएलए ने तो जज साहब ने कहा कि हां तुम्हें मैं एंटीिसिपेटरी बेल दे देता हूं। लेकिन तुम्हें पुलिस के साथ सहयोग करना पड़ेगा। दूसरी तरफ एडीजीपी के लिए उन्होंने कह दिया कि इस व्यक्ति को तो गिरफ्तार किया ही जाना चाहिए। एडीजीपी के वकील ने यह कहा कि आपने एमएलए को बेल दे दी है तो हमारा क्लाइंट भी इस मामले में जो भी जांच होगी उसमें सहयोग करने के लिए राजी है। इस पर जस्टिस भैलू मुर्गन ने यह कहा कि आप किसी जनप्रतिनिधि को किसी ब्यूरोक्रेट या अधिकारी के साथ बराबर नहीं रख सकते हैं। और ऐसे व्यक्तियों को जो सत्ता का पावर का दुरुपयोग कर रहे हैं उन्हें तो जेल जाना ही चाहिए और इसके बाद उस एडीजीपी यानी जयराम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
यह एक बहुत बड़ा अपने तरीके का पहला मामला आप कह सकते हैं। हालांकि तमाम आईपीएस इससे पहले गिरफ्तार हो चुके हैं। लेकिन किसी राज्य की एडीजीपी स्तर का अधिकारी जो कि दूसरे नंबर का कहा जाता है क्योंकि डीजीपी जो होता है वो मेन होता है। उसके बाद जो एडीजीपी होते हैं वो दूसरी रैंक पे आते हैं। तो ये जो फैसला कड़ा फैसला न्यायकारी फैसला मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस भैलू मुर्गन ने दिया है। इसकी चारों तरफ तारीफ होनी चाहिए और इसका जनता को समर्थन भी मिलना चाहिए। हालांकि यह जो एडीजीपी है उम्मीद है कि उसको कपिल सिब्बल या सिंघवी टाइप के बड़े वकील सुप्रीम कोर्ट से जमानत जरूर दिलवा देंगे। लेकिन जो कुछ इस मामले में हो चुका है वह अपने आप में एक न्याय की मिसाल बन चुका है। जो बड़े स्तर के आईपीएस या एसएसपी स्तर के भी अधिकारी होते हैं, दरोगा इंस्पेक्टर भी होते हैं, उनके खिलाफ भी कभी ऐसी कार्यवाही देखने को नहीं मिलती है। हालांकि उनको अपहरण हत्या से लेकर तमाम अपराधों में लिप्त पाए जाने की खबरें आए दिन आती रहती है।
यह एक मिसाल पेश की है मद्रास हाईकोर्ट ने एक बार फिर से जैसे उन्होंने पिछली बार किया था कि जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की खंडपीठ ने जो एक असंवैधानिक फैसला दिया था जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपाल के हस्ताक्षर या किसी विधेयक को पास करने के या उसको रोकने के विशेषाधिकार को जो संविधान द्वारा राष्ट्रपति को दिया गया है उसको हत्याने की कोशिश की थी। उसको एनर्समेंट करने की कोशिश की थी और उसके बाद उस फैसले पर उस फैसले के बाद जो विधेयक पास हो गए थे उन पर स्टे लगा दिया था दो हाई कोर्ट जजों ने जो मद्रास हाई कोर्ट के ही थे। मद्रास हाई कोर्ट के जजों के लिए हम इस बात के लिए उन्हें बधाई देते हैं और जनता से भी कहते हैं कि ऐसे जजमेंट अगर कहीं आते हैं तो हमें ऐसे जजों का निश्चित ही सम्मान करना चाहिए।
via Blogger https://ift.tt/6CJRtnK
June 18, 2025 at 03:47PM
via Blogger https://ift.tt/9QdxBlf
June 18, 2025 at 04:13PM
via Blogger https://ift.tt/xHg4koh
June 18, 2025 at 05:13PM
No comments:
Post a Comment