जब से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी आर गवई ने भारत की न्यायपालिका की कमान संभाली है तब से जुडिशरी में भ्रष्टाचार की गहरी जड़े जमाए जजों, रजिस्ट्रारों और बिचौलियों के होश उड़े हुए हैं। न्यायपालिका में एक के बाद एक भ्रष्टाचार की कई परतें खुलती जा रही हैं। जो इस पवित्र मंदिर की नींव को भी हिला रही हैं। हाल ही में मुंबई में ₹1.5 करोड़ में फेवरेबल फैसले की सेटिंग और दिल्ली के एक कोर्ट में ब्राइट फॉर बेल का सनसनीखेज मामला अभी सुलग ही रहा था कि एक और काला कारनामा सामने आ गया। इस बार कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार को गिरफ्तार किया गया है। जुडिशरी की ऐसी दुर्दशा हो सकती है इस पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना ने पहले ही गंभीर चेतावनी दी थी। आज वह सच साबित होती दिखाई पड़ रही हैं।
29 मई 2025 को सीबीआई ने एक ऐसी कारवाई की जिसने कॉर्पोरेट जगत को हिला कर रख दिया। राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ट्रिब्यूनल कोर्ट जिसे एनसीएलटी भी कहते हैं। उसकी मुंबई बेंच में एक डिप्टी रजिस्ट्रार चरण प्रताप सिंह है। उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार किया। उनके सहयोगी को भी गिरफ्तार किया। यह लोग ₹ लाख की रिश्वत ले रहे थे ताकि एक होटल मालिक को उसके मामले में फायदा पहुंचाया जा सके। यह मामला 2020 से ही चल रहा था। जिसमें एक होटल मालिक ने अपने भाइयों पर फर्जी शेयर, हस्तांतरण वित्तीय कुप्रबंधन और होटल को बंद करने की साजिश जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन 5 साल बाद भी फैसला नहीं हुआ। और फिर डिप्टी रजिस्ट्रार ने मौके का फायदा उठाया। उसने 11 मई 2025 को ₹3.5 लाख की डिमांड की और बाद में इसे 3 लाख पर सेटल किया। सीबीआई ने एक ट्रैप ऑपरेशन चलाया और रिश्वत लेते हुए इन दोनों कों हाथों धर लिया। मुंबई और लखनऊ में इनके ठिकानों पर छापेमारी की गई और अब सीबीआई इस रैकेट के पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है।जो संस्था कॉर्पोरेट जगत के बड़े विवाद सुलझाने के लिए बनी है वहां इतना घिनौना खेल कैसे चल रहा है? सीजीआई गवई साहब ने हाल ही में कहा था कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन क्या उनकी यह बातें एनसीएलटी तक पहुंच पाएंगी? समझना जरूरी है।दरअसल यह कोई पहला मामला नहीं है।
मार्च 2025 में एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ जिसने एनसीएलटी की साख को दागदार किया। सीबीआई ने एक ऐसे रैकेट का भंडाफोड़ किया जिसमें एनसीएलटी की बेंच को फिक्स करने के लिए ₹1.5 करोड़ की रिश्वत ली जा रही थी। जी हां, ₹1.5 करोड़ में एक फैसला खरीदा जा रहा था। माइक्रो कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने एनसीएलटी मुंबई में एक दिवालियापन से जुड़ा मामला दायर किया था। इस मामले में एक प्रोफेशनल पुनर्मूल्यांकनकर्ता धर्मेंद्र ढेलरिया को नियुक्त किया गया। लेकिन जब कंपनी ने अपना पुनर्मूल्यांकन प्लान जमा किया तो उसे मंजूरी दिलाने के लिए रिश्वत की मांग हुई। रिपोर्ट में एक नाम सामने आया महावेश जो एयू कॉर्पोरेट एडवाइज़री एंड लीगल सर्विज में काम करती थी। महावेश ने कंपनी के डायरेक्टर विनय सर्राफ से संपर्क किया और कहा कि वह एनसीएलटी की जुडिशियल मेंबर रीता कोहली से उनके पक्ष में फैसला करवा सकती हैं लेकिन कीमत लगेगी ₹1.5 करोड़। सीबीआई ने पाया कि रजिस्ट्री के अधिकारी, रिश्वतखोरों और एनसीएलटी के सदस्यों के बीच की कड़ी थी। एक रिटायर्ड रजिस्ट्री अधिकारी को इस रैकेट का सरगना बताया गया। सीबीआई के सूत्रों ने कहा यह एक सुनियोजित रैकेट था जो देश भर में एनसीएलटी की बेंच को फिक्स करता था। सोचिए अगर इंसाफ की कीमत डेढ़ करोड़ हो तो आम आदमी का क्या होगा? सीजीआई गवई साहब ने हाल ही में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कारवाई की बात कही थी। लेकिन क्या यह रैकेट उनकी नजरों से बच पाएगा?
यहां एक और मामला हम आपको बताते हैं। दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट की ओर आपका ध्यान आकर्षित करते हैं। जहां एक और घिनौना खेल सामने आया। मई महीने में ही दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच के एसीबी ने कैश फॉर बेल का एक ऐसा मामला पकड़ा जिसने सबको हिला कर रख दिया। आरोप था कि यहां जमानत के लिए ₹40 लाख की रिश्वत ली गई। जांच में यह भी पता चला कि कोर्ट के अहलमद मुकेश और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट विशाल ने मिलकर यह रिश्वत ली थी ताकि एक आरोपी को जमानत मिल सके। एसीबी ने ऑडियो रिकॉर्डिंग्स जुटाए जिसमें अहमद को यह कहते सुना गया बात खराब हो जाएगी अगर पैसे नहीं दिए। इन रिकॉर्डिंग्स में एक स्पेशल जज की भूमिका पर भी सवाल उठे। एसीबी ने जज के खिलाफ कारवाई की अनुमति मांगी लॉ मिनिस्ट्री से लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अभी पर्याप्त सबूत नहीं है। हालांकि जज को दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। अहमद ने अग्रिम जमानत की अर्जी दी लेकिन कोर्ट ने उसे फिलहाल खारिज कर दिया। जज साहब बच गए। कोर्ट ने कहा यह शख्स मुख्य अपराधी है और सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है। दिल्ली से मुंबई तक भ्रष्टाचार की यह आग फैलती जा रही है। सीजीआई गवई साहब ने कहा कि हम जीरो टॉलरेंस पर यकीन रखते हैं। कोई करप्शन बर्दाश्त नहीं करेंगे। लेकिन क्या उनकी आवाज इन कोर्ट्स तक पहुंच पा रही है? ये एक सवाल हमेशा रहेगा।