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Thursday, May 22, 2025

SC डायरेक्शन अपने आप में अद्वितीय- हाईवे का इंक्रोचमेंट 100% खाली करिए

 अभी सुप्रीम कोर्ट के आज के एक जजमेंट की और वो जजमेंट जो केंद्र सरकार को डायरेक्शन देता है जो राज्यों को डायरेक्शन देता है और मुझे लगता है कि बकफ बोर्ड का जो संशोधन केंद्र सरकार ने किया है उसकी 50% तो नहीं कह सकते लेकिन 40% समस्याएं जरूर सॉल्व कर दी हैं। यह डायरेक्शन अपने आप में अद्वितीय है और अपने आप में बता रहा है और पूरा एक एसओपी पूरा एक मैकेनिज्म बनाकर यह आदेश दिया गया है कि क्या-क्या करना है। मैं बात कर रहा हूं हाईवेज की। हम सब जानते हैं कि हमारे देश के अंदर जब से यह जो केंद्र की सरकार है यानी कि मोदी जी की सरकार इसने एक्सप्रेसवे और हाईवेज का एक जाल बिछाया है। लेकिन अगर इनके एक्सप्रेसवे को हटा दिया जाए। नए हाईवेज को हटा दिया जाए। तो पूरे देश में पुराने हाईवेज को अगर देखेंगे तो एक पर्टिकुलर कम्युनिटी कहां-कहां बैठी है?

वो बैठी हुई है कंटोनमेंट बोर्ड के बाहर। कंटोनमेंट बोर्ड में उसने कब्जा करके रखा है। कंटोनमेंट बोर्ड से जो रास्ते जाते हैं वहां पर आर्मी के हेड क्वार्टर से जो रास्ते जाते हैं, एयरफोर्स के हेड क्वार्टर से ज्यादा रास्ते जाते हैं। खासतौर से बड़े हाईवेज जाते हैं। और एक अनुमानित सर्वे के अनुसार देश में 90% पुराने हाईवेज 2014 से पहले वाले 90% हाईवेज के किनारे एक पर्टिकुलर कम्युनिटी ने चाहे 10 गुना पैसे देकर जमीन खरीदनी पड़ी हो। उन्होंने खरीद कर रखी है और उसके बाहर फिर वह हाईवेज पर बैठ गए। हाईवेज पूरे देश में कहीं बत्ती लगाई, कहीं जरा सा बाजार टाइप की बनाई, कहीं पर दो गुंबे रखे, कहीं पर कुछ अगरबत्ती जलाई, कुछ हरी चादर डाल दी। और ऐसे करके रेलवे आप देखें रेलवे प्लेटफार्म के अंदर रेलवे स्टेशन के अंदर और हाईवेज के ऊपर बीचों-बीच में एक स्ट्रक्चर बना दिया और वो स्ट्रक्चर पूजने लगे। कभी समस्या का भी बात करोगे तो रिलीजियस प्रोपोगेंडा राइट टू राइट टू रिलीजन आर्टिकल 25 से 30 का हवाला दिया गया राइट टू प्रोफेशन जो क्लेम है केंद्र सरकार का वफ अमेंडमेंट एक्ट में उसका कहना है और जो जो उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वे करवाया अपने यहां मतलब योगी जी के बाद जो उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वे करवाया कि जो रिलीजियस स्ट्रक्चर हैं इन स्ट्रक्चर्स का जरा डाटा निकालो केंद्र के के राज्य के एक आंकड़े जो राज्य सरकार ने निकाला उसमें 97% स्ट्रक्चर इललीगल और अनथराइज्ड है।

97% यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट में ये जो बहुत तेजी से बड़ी संख्या में बहुत बड़े-बड़े वकील खड़े किए गए हैं। शायद फॉरेन फंडिंग भी उसमें हुई हो। उसका कारण यह है कि WAQF बाय यूजर को बरकरार रखा जाए। अब बाय यूजर भी अगर मैं कहता हूं तो उसके पीछे अगर यह कह दिया जाए कि बक बाय यूजर विल बी कंटिन्यू लेकिन वो प्रॉपर्टी किसी की ओनरशिप की होनी चाहिए तो भी इनको समस्या हो जाएगी क्योंकि वो प्रॉपर्टी किसी की ओनरशिप की होगी तो बख बाय यूजर में कोई समस्या नहीं है वो व्यक्ति अगर कहता है कि जमीन हमारी है और हमने इनको दे दी है ये यूज़ कर रहे हैं कोई समस्या नहीं लेकिन बख बाय यूजर में भी ऐसा एक अनुमान है कि 95% बल्कि 97% जमीनें सरकारी जमीनें हैं। यह जमीनें उनकी है ही नहीं। अब वफ बाय यूजर कौन-कौन सी और काउंट करते हैं? वो कहते हैं कि जो लोग पाकिस्तान चले गए उस पर हम यूज़ कर रहे हैं वो भी हमारी हो गई। वो कहते हैं जो जमीन पाकिस्तान को 10, 48,000 कि.मी. आपने दे दी और यहां पर जो जो लोग वहां गए और वो यहां इबादतें करते थे उसके लिए सार्वजनिक संपत्ति थी वो भी हमारी हो गई क्योंकि हम यूज़ कर रहे हैं। आजादी के आजादी के समय से नहीं आजादी से

पहले इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे तमाम तरह के प्रोपोगेंडा देश में चलते हैं। यही कारण है बख बाय यूजर बरकरार रखना है उनको। बख बाय यूजर पर पूरी शक्ति लगानी है। बख बाय यूजर उनको चाहिए।

अब सुप्रीम कोर्ट ने आज जो जजमेंट दिया उसमें एक डिटेल्ड गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट ने दी है और मुझे लगता है कि आप सभी का उसमें एक रोल तय किया। हमारे देश के प्रत्येक सम्रांत नागरिक का रोल तय किया है सुप्रीम कोर्ट ने और ये कहा है कि आपकी जिम्मेदारी बनती है कि इंक्रोचमेंट अगर हाईवेज पर कहीं पर हुआ है तो आप सूचना दें। केस का नाम अगर जानना चाहे ज्ञान प्रकाश वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया। ज्ञान प्रकाश वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया और यह आज का जजमेंट है। 2017 के आंकड़े रखे और 2017 के आंकड़ों के अनुसार इन्होंने बताया कि साहब 53181 लोगों की मौत हुई आंकड़े के अनुसार बाकी कितनी हुई और वो आंकड़ा आया ही नहीं वो अलग बात है। आंकड़े के अनुसार 2017 में 53181 लोगों की मृत्यु हुई हाईवेज पर एक्सीडेंट की वजह से और हाईवेज का जो कानून है 2002 का जिसको कहते हैं इनविटेशन टू द कंट्रोल ऑफ नेशनल हाईवेज लैंड एंड ट्रैफिक एक्ट 2002 इसका पालन नहीं हो रहा है। हाईवे एडमिनिस्ट्रेशन रूल 2004 का भी पालन नहीं हो रहा है।कि अथॉरिटीज इसका पालन नहीं करती हैं। इस वजह से बहुत सारे इंक्रोचमेंट हैं। बहुत सारे गलत तरीके से वहां पर वाहन खड़े किए जाते हैं, इस्तेमाल होते हैं। बहुत सारे तरीके से इंक्रोचमेंट वहां पर हुआ है और वो इंक्रोचमेंट के लिए हमें एक मैकेनिज्म चाहिए और हमें सुप्रीम कोर्ट ने इस मैकेनिज्म के मामले में पहले तो केंद्र को बुलाया था

डिटेल्ड गाइडलाइन जारी की है और यह कहा है राज मार्ग यात्रा राज मार्ग यात्रा सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार की यह जो हाईवेज की जमीन है हाईवेज का जो जो उसके चारों ओर वो जमीन छोड़ी जाती है मतलब उसकी ओनरशिप सब केंद्र सरकार की होती है। यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि उसके हाईवे पर या तो रोड पर और रोड के किनारे जो जमीनें उसकी हैं उस पर किसी का इंक्रोचमेंट ना रहे। उनको तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। अब कौन करने वाला है? सरकारी कर्मचारियों का तो हमारे हाथ देश में हाल यह है कि हर व्यक्ति सरकारी कर्मचारी सिर्फ इसलिए बनना चाहता है क्योंकि वह वहां आराम करना चाहता है और बहुत सारा करप्शन का मामला होगा और नौकरी भी नहीं जा सकती क्योंकि सर्विस लॉस हमारे देश में है। सरकारी नौकरी का मतलब बैठकर खाना काम नहीं करना।कोई काम आए तो उसको कैसे रिजेक्ट किया जाए इसकी प्रैक्टिस करना शुरू कर देता है

हमको याद होगा कि अभी छ महीने पहले ही और अभी सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस के दौरान यह भी कहा था कि अगर इंक्रोचमेंट होता है और कोई गड़बड़ी होती है तो जो ऑफिसर इंचार्ज जिस समय वो इंक्रोचमेंट हुआ उसकी भी रिस्पांसिबिलिटी बनाई जाएगी। उसके खिलाफ रिटायरमेंट होने के बाद भी उसके खिलाफ इंक्वायरी बिठाई जाएगी और उस उससे वसूली करी जाएगी। उसको पनिश किया जाएगा। ये ऑने सुप्रीम कोर्ट ने पीछे गाइडलाइन दी थी।

लेकिन आज की गाइडलाइंस की अगर हम बात करें तो हाईवे एडमिनिस्ट्रेशन के सेक्शन टू थ्री 2002 के सेक्शन थ्री के अनुसार उन्होंने कहा कि जॉइंट सेक्रेटरी हाईवेज तीन महीने के अंदर एफिडेविट दाखिल करें। जॉइंट सेक्रेटरी हाईवेज एमओआर टीएच 3 महीने के अंदर एफिडेविट दाखिल करें कि सिचुएशन क्या है? कौन ड्यूटी डिस्चार्ज कर रहा है? डिटेलिंग स्टेप्स टेकिंग टू डिस्चार्ज ड्यूटीज अंडर सेक्शन थ्री ऑफ दी 2004 रूल्स है अमेंडेड इन 2019। बताइए कि कौन कौन-कौन इसमें इनवॉल्व है। इसके अलावा उन्होंने कहा यह यूनियन की रिस्पांसिबिलिटी बनती है। हाईवे एडमिनिस्ट्रेशन की रिस्पांसिबिलिटी बनती है कि वो इनमें फूड प्लाजा और यह सब जो है इसको रेगुलराइज करें। उनकी विजिबिलिटी दिखाई दे। रोड साफ चमके। इसके अलावा जॉइंट सेक्रेटरी हाईवेज मस्ट फाइल अ डिटेल ऑफ कंप्लेंट्स रिसीव्ड बाय अ ऐप। यह जो ऐप की बात कही गई है, उसमें उन्होंने कहा कि यह जो ऐप है आप उसकी पब्लिसिटी करिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को मालूम पड़े और इसके अलावा 1033103 का जो नंबर है उसमें उसको उसको कैसे हाईलाइट कर सकते हैं सीसीटीवी कैमरे लगाइए और इस पर एक रिपोर्ट तैयार करिए इनके सर्वे करिए इसकी पेट्रोलिंग की व्यवस्था करिए इसकी हर बात की जानकारी आपके पास हो इसकी व्यवस्था करिए पेट्रोलिंग के साथ-साथ राज्य सरकार की पुलिस का इस्तेमाल करिए राज्य सरकार के अधिकारियों का इस्तेमाल करिए और उनकी सबकी रिस्पांसिबिलिटी तय करिए कि हाईवेज के ऊपर किसी प्रकार का कोई इंक्रोचमेंट ना होने पाए और अगर इंक्रोचमेंट हो गया है तो साफ करिए हर व्यक्ति का फंडामेंटल राइट है कि वो अच्छे हाईवेज पर चले। हर व्यक्ति का फंडामेंटल राइट है कि हाईवेज के किनारे इंक्रोचमेंट मतलब इंक्रोचमेंट की वजह से उसको तकलीफ ना हो। यानी कि केंद्र सरकार को यह डायरेक्शन दिया गया है कि हाईवेज पर या हाईवे की जो जमीन खाली पड़ी हुई है उस जमीन पर किसी प्रकार का कुछ भी इंक्रोचमेंट है तो उस इंक्रोचमेंट को खाली हाईवे का इंक्रोचमेंट 100% खाली करिए।

अब ये हाईवे का इंक्रोचमेंट 100% खाली करिए का मतलब क्या है? किनारे किसी ने भी कुछ भी टीन टप्पल डालकर एक मजार बना ली थी। किनारे किसी ने भी कोई एक रिलीजियस स्ट्रक्चर बना लिया था। किनारे रोहिंग्या बांग्लादेशियों ने झोपड़ियां डाल ली थी। देश के वो लोग जो कहीं से भी चले और वहां हद्वानी में जाकर रेलवे के किनारे रहने लगे। उनको इंक्रोचमेंट करके रखा है। तो अब केवल रेलवे का इंक्रोचमेंट नहीं एक बात समझ लीजिए कि रेलवे एक्ट के तहत कोई इंक्रोचमेंट हो ही नहीं सकता। रेलवे जब चाहेगी तो बुलडोजर लगाकर गिरा देगी। वो अलग मामला है कि कुछ विशेष मामले सुप्रीम कोर्ट में आ जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट भी उसको स्टे दे देता है।

लेकिन यहां पर डिटेल गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट ने जारी करते हुए यह आगाह कर दिया है कि राजमार्ग यात्रा ऐप हर एक व्यक्ति डाउनलोड करें और हर एक व्यक्ति डाउनलोड करें। ऐसा सुनिश्चित भी सरकार करेगी। सरकार इसकी पब्लिसिटी जितनी ज्यादा कर सकती है, सरकार इसके मामले में विजिबिलिटी जितनी ला सकती है, सरकार इन रूल्स को लोगों को ज्यादा से ज्यादा बता सकती है। ये सब कुछ होना तय किया गया है

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