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Wednesday, May 14, 2025

मोदी सरकार भारत के इंटरनल खतरे के ऊपर इतना बड़ा कदम ले लेगी?

मोदी सरकार भारत के इंटरनल खतरे के ऊपर इतना बड़ा कदम ले लेगी?
मोदी सरकार भारत के इंटरनल खतरे के ऊपर इतना बड़ा कदम ले लेगी?
मोदी सरकार भारत के इंटरनल खतरे के ऊपर इतना बड़ा कदम ले लेगी?

 मोदी सरकार भारत के इंटरनल खतरे के ऊपर इतना बड़ा कदम ले लेगी, इतना डिसाइसिव एक्शन ले लेगी, पूरी नीति बदल देगी ये किसी ने सोचा नहीं होगा। ये बातें सुप्रीम कोर्ट के सामने जब हियरिंग हो रही है तो पिटिशनर्स ने जो क्लेम्स करे अगर आप वो सुनेंगे तो आप समझेंगे के जिस तरह पाकिस्तान के अंदर घुस के जो किसी की कल्पना में नहीं था उनके एयर बेसिस पे स्ट्राइक किया। आप सोचिए पाकिस्तान जो सोचता था उसके पास इन ब्लैकमेल है। जिसको प्रधानमंत्री ने कल कहा कोई ब्लैकमेल नहीं चलेगा। अगर तुम्हें लगता है तुम भारत पे हमला करोगे तो घर में घुस के मारेंगे। पर हमारे घर के अंदर जो घुस हैं उनके ऊपर बहुत लोगों को प्रॉब्लम थी। बहुत लोग कह चुके हैं मोदी सरकारजो स्टेप्स लेने हैं वो कड़क स्टेप्स नहीं लिए जा रहे हैं या नहीं ले पा रहे हैं क्योंकि कई बारी ब्यूरोक्रेटिक डिलेस है कुछ लोग जाते हैं कोर्ट चले जाते हैं वहां से स्टे ऑर्डर ले आते हैं तो बहुत सारे रीज़ंस है अब ये रीज़ंस क्या है क्यों है किसलिए है ये एक लंबी डिबेट है पर जो हुआ और ये पिटिशनर्स सुप्रीम कोर्ट में कह रहे हैं पिटिशनर्स दावा कर रहे हैं वो आप जानिए है। इसकी हेडलाइन क्या है वो शायद कल्पना से परे है। और सुप्रीम कोर्ट की हियरिंग में क्या हुआ? जो ऑर्डर हुआ वो क्रूशियल है। क्योंकि जो क्लेम है जो बातें सामने आ रही है उसकी एक लाइन बता देता हूं। क्लेम किया जा रहा है कि रोहिंग्या रिफ्यूजीस को भारत सरकार ने उठाकर समुंदर में फेंक दिया। अब सोचिए देखिए इसके पीछे क्या है? क्या आर्गुममेंट है? क्या गवर्नमेंट का स्टैंड है? क्या सुप्रीम कोर्ट का आर्डर है? ये समझना जरूरी है। क्योंकि सुन के ये बात चौंकाने वाली लगती है।पर एक बात तो है क्या इललीगल्स का भारत में रहने का हक है? इस पर सुप्रीम कोर्ट का क्या व्यू है? यह भी जानिए। क्या भारत सरकार ने एक्शन किया? कैसे शुरू हुआ? यह भी जानिए।


दो रोहिंगियों ने जनहित याचिका दायर करी। उसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस के अधिकारी बायोमेट्रिक डाटा इकट्ठा करने के बहाने में उनको अरेस्ट करते हैं रोहिंग्यास को। उनको वैन में डालते हैं और 24 घंटे तक अलग-अलग पुलिस स्टेशन में रखते हैं। उसके बाद उनको ले जाते हैं डिटेंशन सेंटर में।ये बहुत जगह से खबर आ रही है कि पुलिस वेरिफिकेशन ड्राइव रन कर रही है। रोहिंग्या उसको पकड़ रही है। पुलिस बहुत अकलमंदी से काम करती है। वो कुछ बहाने से ही पकड़ती है कि सड़क पे ना उस समय हल्ला ना हो जाए।किसी को अरेस्ट करने जाए जिसके सपोर्ट में लोग वायलेंट हो सकते हैं। जो वायलेंस करते हैं वो क्रिमिनल्स है पर हो तो सकते हैं। तो पुलिस बड़ी चतुराई से अपना काम करती है। ये क्लेम किया जा रहा है कि उनको ऐसे पकड़ के ले आते हैं।

वकील कौन पेश हुए ये भी जान लीजिए क्योंकि ये दावा जब हो रहा है बहस भी हो रही है।गुजालविस और प्रशांत भूषण।उन्होंने बोला महिलाएं थी बच्चे थे और इनको डिपोर्ट किया गया। डिपोर्ट के अंदर जो वो कह रहे हैं शॉकिंग एलगेशन उनके अनुसार है। उनका आरोप है ये क्या है? पढ़िए के परिवारों को यह देखकर बड़ा सरप्राइज हुआ के बंदियों को रिहा नहीं किया गया। उसके बजाय उनको हवाई अड्डों पर ले गए और अंडमान निकोबार पोर्ट ब्लेयर ले जाया गया। बाद में जबरन नेवी ने जहाजों पर चढ़ा दिया और हाथ बांध दिए। आंखों पर पट्टी बांध दी। फिर वो कहते हैं इसमें तो 15 16 साल के बच्चे थे, बुजुर्ग थे, महिलाएं थी तो चुपचाप ले गए।

अंडमान निकोबार आइलैंड्स पे हाथ बांधे, पट्टी बांधी। यूएस यही करता है। हाथों में चैन बांध के उठा के फें था। एक केस जो सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। यहां भी चल रहा है। क्योंकि लोग पूछते हैं सुप्रीम कोर्ट क्यों? हर देश में जहां भी डेमोक्रेसी है केस सुप्रीम कोर्ट जाता है। सुप्रीम कोर्ट फैसला क्या करता है?

तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो मैं अंत में बताने जा रहा हूं वो इंपॉर्टेंट है कि क्या होता है। तो ये क्लेम किया गया हाथ पैर बांध दिए उठा के फेंक दिया। यूएस में भी वहां पर भी बहुत बड़ी-बड़ी लॉबीज है। वो हर कोर्ट जाती है। सुप्रीम कोर्ट तक जाती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तो वहां पर यह भी कह दिया कि वापस लेके आ जाओ जिसको भेजा है। वापस लेके आ जाओ एक व्यक्ति को जिसको भेजा है। पर भारत के सुप्रीम कोर्ट की बात करते हैं। भारत के कानून की बात करते हैं। तो ये जब डिपोर्ट किया गया तो उसके बाद कहते हैं कि इनसे सवाल पूछा वहां पे कि आपको इंडोनेशिया जाना है या म्यांमार जाना है। सबने कहा हमें इंडोनेशिया जाना है। म्यांमार नहीं जाना है। जाना तो पड़ ही रहा था। फिर कहते हैं यहां भी उनका कहना अथॉरिटीज ने धोखा दिया। धोखा नहीं होता। अथॉरिटीज को अपना काम करना है। स्मूथली जैसे हो करना है। कार्य पूरा होना चाहिए। स्मूथली करना है। तो वो उनको डिसीव की जगह उनको ये कहते हैं इंटरनेशनल पानी में छोड़ दिया। यह कहते हुए कि तुम्हें इंडोनेशिया से कोई आएगा इंडोनेशिया ले जाएगा पर वो खाली पानी में स्टैंडेड थे कोई बोट होगी लाइक बोट होगी जो भी होगा छोड़ दिया तभी कह रहे हैं हमें समुंदर में फेंक दिया एकदम तट के सामने आइलैंड के सामने छोड़ दिया फिर वो कहते हैं उन बेचारों को इनका एक कहना फिर स्विमिंग करना पड़ा और जब वो स्विमिंग करके पहुंचे तो पता चला वो म्यांमार में लैंड कर गए वो बोलते हैं सारी फैमिली सेपरेट हो कितना देखो इमोशनल जो आर्गुममेंट किया कोर्ट में वो बहुत जानना आपके लिए जरूरी है।

सोलेस्टर जनरल ने साफ किया कि पहले भी केसेस चल चुके हैं इस इशू के ऊपर और ये जो यहां पर रहना चाह रहे हैं वो इस तरह नहीं रह सकते। और उनको भेजा जाएगा कानून का पालन करते हुए भेजा जाएगा। उनको यहां रखा नहीं जाएगा किसी भी हालत। बार-बार आर्गुममेंट हो रहा है बार-बार। अब इसमें क्या्ट है कि सुप्रीम कोर्ट क्या डिसाइड करता है? सुप्रीम कोर्ट रोकता है या नहीं रोकता है। फाइनल केस डिसाइड होना अलग होता है। स्टे अलग होता है। उस पर आने से पहले कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला से पहले आप सोचिए ये मांग क्या रहे थे? जो ये रोहिंग्याज है ये मांग क्या रहे? तीन मैं सुनाने जा रहा हूं प्रेयर। आप देखिए हिम्मत चाहिए ये मांगने के लिए। स्पेशली इनमें से एक प्रेयर। पहले देखिए पहले कहते हैं कि जो ये फोर्स और क्लैंडस्टाइन डिपटेशन है यह अनक्स्टिट्यूशनल है और भारत सरकार स्टेप्स ले के रोहिंग्यास को फ्लाई करके वापस दिल्ली लेके आए और उनको रिलीज करे बताओ जी पाकिस्तान से अपन जंग लड़ रहे हैं। इललीगल लोगों को टैक्स पेयर के पैसे पे भारत जहाज भेजे और लेके आए। यह पहला प्रेयर है। देखिए ये हमारे सिस्टम के अंदर क्या क्या एक लोगों में कॉन्फिडेंस आ जाता है इललीगल्स के अंदर कि वो ऐसी चीजें डिमांड कर सकते हैं। प्रे कर सकते हैं। डिमांड तो नहीं है। प्रे कर सकते दूसरा कि भारत कोई अरेस्ट ना करे या रोहिंग्या जिसके पास यूएन एक्सआर कार्ड है उसको डिग्निटी से ट्रीट करे। उसको ये करे तीसरा प्रेयर 50 लाख हर रोहिंग्या को कंपनसेशन दो। 50 लाख हर रोहिंग्या को दिया जाए। जिसको डिपोर्ट किया गया।हमारे फौजी मरते हैं। हमारे जवान जाते हैं बॉर्डर पे।हमारा एक एक व्यक्ति काम करता है। टैक्स भरता है तुम्हारे लिए। तुम्हारे हेल्थ के लिए तुम्हारे वेलफेयर के लिए। तुम्हें 50 लाख भी देने चाहिए। कोर्ट क्या डिसाइड करता है? वो बाद की बात है। आपकी प्रेयर्स देखिए। क्या आप कोर्ट से मांगना चाह रहे हैं? लंबी बहस हुई। इस पे सोलिस्टर जनरल ने कहा कि आप जो कहे जा रहे हैं बार-बार भारत पार्टी ही नहीं है। भारत ने वो यूएसीआर कर रहे हो भारत ने वो रेफ्यूजी कन्वेंशन साइन ही नहीं किया। भारत उसका पार्टी ही नहीं है। भारत उसको मानता ही नहीं है। और जो ये यूएन यूएन साइड कर रहे हैं चले जाओ ना अमेरिका। देखते हो कितने लेता है अमेरिका रोहिंग्या चले जाओ। और वैसे तो आप बोलते हो भारत सेफ नहीं है। इतने सारे और देश है पाकिस्तान ही चले जाओ बांग्लादेश। सॉलिस्टर जनरल ने कहा कि भारत पार्टी ही नहीं है। थ्री जज बेंच सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी रिलीफ नहीं दिया था और कहा था कि राइट टू रिजाइड इन इंडिया इज ओनली फॉर इंडियन सिटीजंस, नॉट फॉर इंडियंस। अब कोर्ट ने फैसला क्या किया? कोर्ट ने फैसला यह किया कि कोई रिलीफ नहीं दिया। कोर्ट ने नहीं दिया सिर्फ इंडियंस को रहने का हक रोहिंग्यास को नहीं है। रोहिंग्यास को फॉरेनर्स माना जाएगा अंडर द फॉरेनर्स एक्ट। जिससे उनको लायबल फॉर डिपोटेशन किया जाता है। सरकार ने आर्ग्यू किया है रोहिंग्या सिक्योरिटी थ्रेट है और पांच डिपोटेशन का हवाला दिया आसाम जम्मू कश्मीर से साफ कर दिया कि यूएचसीआर जो यूनाइटेड नेशंस का है उस पे हवाला जो दे रहे हो वो स्टेटस रिफ्यूजीस नहीं क्लेम कर सकते हम उसकी सिग्नेटरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट डिड नॉट गव एनी इंटरिम रिलीफ। कोई रिलीफ नहीं मिला। इतनी भावुक, इतनी बड़ी बातें, इतनी इमोशनल बातें करी कि हमें उठा के पानी में फेंक दिया गया है। हमारे बच्चे भी हैं, बूढ़े भी हैं। सब जो स्टोरीज करी कोर्ट ने सिंपली डेट लगा दी। वो भी जुलाई की। 31 जुलाई डेट होगी। इसके अंदर 31 जुलाई की डेट लगा दी है। भारत सरकार पे कुछ नहीं उन्होंने पाया कि कुछ भी ऐसा रीज़न है कि भारत सरकार पे स्टे लगाया जाए। अच्छा एक बिकॉज़ इतनी बड़ी अगर स्टेप्स हो रहे हैं। एक और बात जो एक्शन हुआ है ना ये पाकिस्तान के ऊपर ये मुझे लगता है भारत के जो इंटरनल थ्रेट्स है ना उस पे भी सरकार अब टर्बो चार्ज हो गई है। गुजरात हाईकोर्ट ने रिजेक्ट कर दी है कि डिमोलिशन हो रहे थे बांग्लादेशी इमीग्रेंट्स के घर अहमदाबाद में। गए होंगे वहां पे गुजरात हाईकोर्ट गुजरात हाईकोर्ट ने रिजेक्ट कर दी। प्ली हो रहे हैं वहां पे गुजरात में। तो ये नई एक नीति कि पाकिस्तान इतना बड़ा खतरा है। भारत के इंटरनल खतरे जो है जो इललीगल्स भारत में है उसमें जैसे पाकिस्तान पे एक नई मोदी नीति आई है लग रहा है बहुत लोगों ने कहा है कि इंटरनल थ्रेट्स नेशनल सिक्योरिटी इकोनमिक हेल्थ क्राइसिस क्लियर कर दे अगर हेल्थ केयर में कि आपको ना मिल पाए हॉस्पिटल वो बैठे हो 50-50 लाख की वो क्लेम्स मांग रहे हैं ने रिजेक्ट कर दी। प्ली हो रहे हैं वहां पे गुजरात में। तो ये नई एक नीति कि भाई पाकिस्तान इतना बड़ा खतरा है।आपको ना पैसे मिल रहे हो उनको मिल रहे में हो आपको ना राशन कार्ड मिल रहा हो, अनाज मिल रहा हो, उनको मिल रहा हो, मल्टीपल लेवल थिएट है। मैं नेशनल सिक्योरिटी तो फुल वायलेंस को अलग बात कर रहा हूं। मैं ए्प्लॉयमेंट करेक्ट है। तो उस पे भी भारत सरकार सीरियस हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में जाके ऐसी बातें कर रहे हैं पिटिशन क्लेम कि उठा के उनको समुंदर में फेंका जा रहा है


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