शराब घोटाले के बारे में अगर कुछ भी शुरुआत कह दी जाए तो सारे लोगों का ध्यान दिल्ली अरविंद केजरीवाल वाली पार्टी और उनके मुख्यमंत्री रहते हुए दिल्ली शराब घोटाला इसी का ध्यान आता है।सुप्रीम कोर्ट लेकर चलना है और यह अब क्या ही कहा जाए किस तरह का विषय है गर्व का है कि शर्म का है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एक्सट्रीम लीगल लतखोरी का मामला आया और कल जिस तरीके से इस देश में जुडिशरी पर चाहे वो उपराष्ट्रपति जी हो चाहे उसके बाद भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे कई और लोग यहां तक कि जस्टिस वर्मा जो कि पटना हाई कोर्ट से उन्होंने रिट डाली और ऐसे कई सवाल गंभीरता से जब उठ रहे हैं अदालतों पर जुडिशरी सिस्टम पर और ये लोग बैकफुट पे हैं।
लेकिन इस केस में जो लतखोरी हो रही है, उसका ध्यान देना बड़ा जरूरी है। कि किस तरीके से छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले को देश जानता ही नहीं उसके बारे में कुछ। लेकिन मैं आपको बताऊं कि किस तरीके से मुख्यमंत्री कांग्रेस सरकार के भूपेंद्र बघेल साहब इनके मुख्यमंत्री रहते हुए एक पूरा सिंडिकेट छत्तीसगढ़ में जो कि1600 करोड़ से शुरू हुआ था और चार्जशीट तक पहुंचते पहुंचते ₹2,000 करोड़ का घोटाला हुआ। उस घोटाले का जो पूरा पोल खुला वो 2000- 22 में उस समय ये जो भूपेंद्र बघेल साहब हैं इनके बड़े निजी करीबी नौकरशाह वो नौकरी में अब रिटायर्ड हैं।अनिल टूटेजा इस का बेटा यश टूटेजा सीएम सचिवालय की तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पहला दिल्ली के 30 हजारी कोर्ट में एक मामला डाला। उसके बाद वहां पर कहा क्या गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली, बेहिसब पैसे का खेल इसमें नौकरियां और तमाम चीजें थी। उसी में से यह मामला पीएमएल कोर्ट में पहुंचा 18 नवंबर 2022 को जहां शुरुआती इसका 1600 करोड़ बाद में बढ़ के 2161 करोड़ और अब लगभग 22000 करोड़ से ऊपर मुकदमा हो गया तब तक छत्तीसगढ़ में सरकार कांग्रेस की जा चुकी थी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ जाती है।
सरकार आने के बाद जब 22 में यह मुकदमा दर्ज हो जाता है तो यह जो अनिल टूटेजा जो कि बेहद करीबी भूपेंद्र बघेल का वो चला आता है सुप्रीम कोर्ट और आके कहता है कि साहब हमें हमारी जांच ही ना हो यह आर्डर कर दीजिए और वह सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ऑर्डर भी कर देती है साहब और उसी की कल हियरिंग हुई और उस हियरिंग में जो एक बड़ा सवाल निकल के आया है सुप्रीम कोर्ट में कि किस तरीके से सरकारी वकील और दो जजों की बेंच में उस तरह की बहस हुई है और उस तरह की झड़प हुई है। बस भौतिक द्वैत नहीं हुई है। उसके अलावा सब हुआ है। और ऐसा हुआ है कि सरकारी पक्ष यानी छत्तीसगढ़ सरकार के ऑफिशियल वकील उन्होंने कहा कि आप जो बर्ताव कर रहे हैं एक आरोपी को एक अभियुक्त को जिसकी की जांच अभी होनी है जिसको कि हमारे गिरफ्तारी में होना चाहिए आप उसको लगातार उसके मुकदमे को टाल रहे हैं ना सिर्फ आपने स्टे दिया है बल्कि आप किसी भी सुनवाई पर मुकदमा सुनते ही नहीं और यही हो रहा है इस केस में सुप्रीम कोर्ट में और यह सरकार के पक्ष के वकील ने कल सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में दोनों जजों को खरीखोटी सुनाई है और जजों ने सुना है। लखोरी की हद ये देखिए सवाल ये उठता है कि आपको केस बताता हूं। ये जो अनिल टूटेजा ये सुप्रीम कोर्ट चला गया। इसके पीछे पीछे चार पांच और चले गए। बट नेचुरल है। एक चोर कहीं से राहत पाने के लिए जाता है। उसके साथ के जितने और भ्रष्टाचारी होते हैं वह भी जाते हैं। म टूटे जाके पीछे। अब वो जितने अधिकारी और जितने और लोग उनको अभियुक्त बनाया गया था वो सारे के सारे चले गए। ठीक-ठाक संख्या में। और सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया? जमानत तो छोड़ दीए जिसको आज जेल में होना चाहिए। जिसके यहां सीबीआई का छापा पड़ चुका है। जिसके यहां से तमाम तथ्य दस्तावेज सरकार के पास, एजेंसियों के पास, ईडी के पास, सीबीआई के पास सबके पास है। वह सिर्फ इतना कह रहे हैं कि साहब हमको इन्वेस्टिगेट करना है और इसके लिए इसको हमारे कब्जे में होना चाहिए। और कोर्ट ने क्या आर्डर देके रखा है कि नहीं आप इसके मुकदमे की आप इसके खिलाफ जांच ही नहीं कर सकते। उस पर रोक लगाई हुई है और इस रोक को लगातार बढ़ा दे रहे हैं। कल वही सरकार के पक्ष के वकील ने कहा कि साहब देखिए यह हरकत आपकी ठीक नहीं है और आप सही नहीं कर रहे हैं। आप उस काम को नहीं कर रहे हैं जो आपको करना चाहिए। आप सोचिए आप कल्पना कीजिए। यह है वह अधिकारी जो मैं आपको अभी दिखाऊंगा और इसका जो रसूख है वह इतना बड़ा था कि यह अपनी तनख्वाह से वह वकील अफोर्ड नहीं कर सकता जो वकील सुप्रीम कोर्ट में इस अनिल टूटेजा के लिए जमानत और उसको जमानत तो छोड़ दीजिए साहब जांच ही शुरू नहीं हुई जेल सजा ये सारी चीजें लेकिन एक परिवर्तन हुआ है। मैं फिर वही कहूंगा कि यह सरकारी वकील ने जो सुनाया है कि स्थिति यह हो गई कि दोनों जजों ने कहा कि ऐसा है। सामान्यत ऐसा किसी केस में होता नहीं कि बेंच बदल दी जाए जो सुप्रीम कोर्ट में हो। इन लोगों ने कोलेजियम सिस्टम से अपने लिए 142 148 50 ऐसी लथखोरी की दवाइयां इकट्ठा कर लिया है जुडिशरी ने हमारे कि एक ये भ्रष्ट जिसको ₹2,000 करोड़ के छत्तीसगढ़ भूपेंद्र बघेल कांग्रेस की सरकार के उस शराब घोटाले का मुख्य आरोपी इसको बचा रही है सुप्रीम कोर्ट और कल उसी बात के लिए वहां पर रिकॉर्ड हुआ है कि क्या-क्या सुनाया है सरकार के वकील ने और उसके बाद बेंच ने कहा यह भी एक नैसर्गिक गुण है होता होगा कुछ लोगों में उन्होंने कहा ऐसा है रवायत तो नहीं है तरीका तो नहीं है क्योंकि हम तो कॉलेजियम के शहनशाह हैं कि बेंच बदल दिया जाए लेकिन हम आपको परमिशन देते हैं छत्तीसगढ़ सरकार को कि वो एप्लीकेशन डाले और आप कोई दूसरे बेंच से अपना मामला सुनवा लें। क्यों भाई? आप सीधे-सीधे एक ऐसा आरोपी जिसके खिलाफ एजेंसियां कह रही हैं कि आप भैया मुकदमे की सुनवाई या तो शुरू कीजिए। और जब मुकदमे की सुनवाई आप शुरू करेंगे तब ना हम बताएंगे कि भाई हमारे पास यह यह सबूत आ गए हैं। यह यह फैक्ट्स हमारे पास हैं। और इस बेसिस पर हमको इस व्यक्ति को रिमांड पर लेना है और हमसे हमको इन्वेस्टिगेट करना है। जब इन्वेस्टिगेशन पूरी हो जाएगी तभी तो आपके पास मेलाड पेश किया जाएगा और मेलाड क्या कर रहे हैं? वही वही दरवाजे पर आप कह सकते हैं कि अनिल टूटेजा शराब छत्तीसगढ़ घोटाले का मुख्य आरोपी और वो सुप्रीम कोर्ट के सो कॉल्ड बचाव के गेस्ट हाउस आप कल्पना कर लीजिए या होटल कह लीजिए उसके कमरे में आराम से सो रहा है एंजॉय कर रहा है और जुडिशरी के हमारे दो गुलाब लोग जो हैं मैं गुलाब कह रहा हूं। दो गुलाब लोग वो बाहर दरवाजे पर लेटे हुए पहरेदारी कर रहे हैं। यह वही स्थिति है और कल जो झड़प हुई है मुझे लगता है कि इस देश में दर्शकों जो जुडिशरी को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं उन सवालों से चाहे वो उपराष्ट्रपति जी हो चाहे निशिकांत दुबे हो अलग-अलग लोग हो और उससे भी ज्यादा अब समाज में इस बात की और कई ऐसे मौके आए हैं जहां अब क्या ही कहा जाए इनके लिए शब्दों की अवमानना का हथियार लिए घूमते हैं। लेकिन यहां पर साफ तौर पर वह दिखाई दे रहा है कि यह जांच ही नहीं शुरू होने जाना चाहते और इसलिए लगातार आज कल डेट आई वहां उन्होंने सुना और कह दिया कि ठीक है एक महीने डेढ़ महीने की तारीख दे दे रहे हैं। तो कल जो पटका पटकी ही छोड़ के बाकी सब कुछ सुना डाला छत्तीसगढ़ सरकार के पक्ष के वकील ने के सिया जरूर होंगे लेकिन जो खरीखरी सुना है उन्होंने कहा कि साहब यह बेशर्मी है ऑफिशियली नहीं कहा बेशर्मी लेकिन ये लथखोरी नहीं है तो और क्या है आप क्यों बचा रहे हैं आपसे सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं क्योंकि सरकारों पर यह दबाव होता है कि अगर 2022 में मुकदमा दर्ज हो गया है। सीबीआई की जांच हो चुकी, ईडी की जांच हो चुकी और आप है साहब कि मुख्य अभियुक्त जो है उसको अंदर आराम करा के आप उसके रक्षा के लिए बैठ गए हैं। उसके खिलाफ आप तारीखों पर ये सुनने से मना कर देते हैं कि हम इस मामले को अभी सुनेंगे ही नहीं। आपने इस बात का स्टे दिया कि इसके खिलाफ कोई कारवाई हो ही नहीं। कारवाई का मतलब साहब जब उसको गिरफ्तार किया जाएगा ऐसे हंसता खेलता कोई बता देगा क्या जो पूरा मास्टरमाइंड है जिसमें भूपेंद्र बघेल के घर तक उसकी छाया है एक पूरा ऐसा सिंडिकेट है और मजे की बात यह है कि यहां भी वही अगर आप मूल में जाइएगा तो जैसे सारे ऐसे ग्रे ऐसे काले कारनामों का जो डीएनए है वह कहां से आता है तो इस केस में भी आप सोचिए कि रायपुर का महापौर शामिल था एजाज डेबर और उसका भाई अनवर डेबर। यह इस छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के जड़ में यहां से यह सिंडिकेट शुरू होता है जो भूपेंद्र बघेल तक जाता है। उनके सचिवालय तक जाता है। उनके सबसे करीबी और उस समय सबसे पावरफुल अफसर और अब रिटायर्ड हो चुका अभियुक्त अनिल टूटेजा तक जाती है और तमाम और अधिकारियों तक जाती है। यहां तक कि भूपेंद्र बघेल के सचिवालय के अधिकारी तक जाती है और सिर्फ यही नहीं इसके खिलाफ सीधे-सीधे बिना किसी क्वालीाइंग परीक्षा और बिना किसी नियमों का पालन किए एसपी तक बनाया। डिप्टी एसपी डिप्टी कलेक्टर डिप्टी एसपी तक बनाया गया है। भूपेंद्र बघेल की सरकार में छत्तीसगढ़ में यह मामला जब खुला तो उसमें वो भी शामिल है जो 2020 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने दर्ज किया था। तो मुझे लगता है कि इस देश में जुडिशरी को जो सुनना पड़ रहा है और उन्होंने बड़ी लतखोरी से आराम से कह दिया कि ठीक है यानी हम तो सेट हैं कानून से या जो भी आप कहेंगे यही ना कहेंगे लेकिन समाज समझ नहीं रहा है कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं ऐसा खुला खुला क्यों कर रहे हैं ये सोचना पड़ेगा आपको और अब सवाल चाहे वो उपराष्ट्रपति हो चाहे इस देश का आम नागरिक हो दर्शक हो पूछ रहा है इन सवालों को पूछा जाना चाहिए लेकिन अफसोस स्थापित मीडिया खुद को कहने वाले सो कॉल्ड मेन स्ट्रीम मीडिया में इस तरह की खबरें कभी नहीं आती। दिल्ली शराब घोटाले की चर्चा तो तमाम होती है। कांग्रेस ही करती है। लेकिन कांग्रेस क्या भूपेंद्र बघेल के इस चोर महाभ्रष्ट अफसर और जनता के पैसों को लूट के खाने वाले अफसर पर कारवाई रुकी हुई है। यह कभी नाम सुना है आपने? कभी नहीं सुना होगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट को यह सोचना पड़ेगा इस देश की जुडिशरी को सोचना पड़ेगा कि आप ऐसे खेल खुलेआम करेंगे जिसे अब क्या कहूं मैं लतखोरी के अलावा बहुत कुछ कहा जा सकता है लेकिन ठीक है तो ये एक ऐसा घोटाला जिस पर सुप्रीम कोर्ट सीधे-सीधे मुजरिम को बचा रही है और ना सिर्फ बचा रही है बिल्कुल असहाय ऐसा लग रहा है कि न जाने क्या है कोई तकनीकी आधार नहीं कोई लीगल आधार के नहीं बस आपका मन आया आपने उसको स्टे दे दिया आप अगर उस पर भी रोक लगा देंगे आप मामले को सुनना ही नहीं शुरू कर रहे हैं स्टेप बाय स्टेप दिए चले जा रहे हैं तारीख पे तारीख तारीख पे तारीख इसे लतखोरी नहीं तो और क्या कहेंगे जो सुप्रीम कोर्ट के आंगन में हो रहा है।हमें उम्मीद है कि इस कथा की जानकारी जो कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही है और जहां सीधे-सीधे दिखाई दे रहा है लेकिन सवाल भी उठ रहे हैं। यह आप तक पहुंची होगी।
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