दरअसल इस पैगासिस भारत में ना आ सके ये सॉफ्टवेयर इजराइल का ये सॉफ्टवेयर आ नहीं सके जो आतंकवादियों को पकड़ सके खेल ये था।सुप्रीम कोर्ट में तो पूरा पैगासिस पर खेल ही खुल गया।ये लोग इस एगसिस स्पाईवेयर के पीछे पिछले तीन चार साल से पड़े हुए हैं। 2021 में ले पहुंच गए थे और फिलहाल इसकी कम से कम ₹40 लाख तो इसकी फीस है ही है जो एक पेशी की है और इसमें 29 लोगों की जांच हो चुकी। उनके फोन नहीं पकड़े गए। सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था उन लोगों ने अपने फोन देने से मना कर दिया। आप सबको याद होगा कि पिछले दिनों पैगासिस को लेकर के सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं आई। पैगासिस को लेकर के ये कहा गया कि राहुल गांधी का फोन टेप हो रहा है। फलाना मंत्री का हो रहा है। फलाना आर्मी ऑफिसर का हो रहा है। पत्रकारों का हो रहा है।यह सच आ रहा कि नहीं यह मामला उनका नहीं था। दरअसल इस पैगासिस भारत में ना आ सके इजराइल का ये सॉफ्टवेयर जो आतंकवादियों को पकड़ सके खेल ये था। सुप्रीम कोर्ट में तो पूरा पैगासिस पर खेल ही खुल गया। आज का रोल जो है वो सुप्रीम कोर्ट का बहुत बढ़िया रोल रहा है।कोर्ट से ना तो रिशेदारी है ना कोई दुश्मनी है। जिस दिन वो गलत करते हैं उस दिन उनकी आलोचना करते हैं। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने बेहतर बेहतर निर्णय दिया है कि सुप्रीम कोर्ट ये पेगासिस जो स्पाईवेयर है वो हमारे सुरक्षा बल इस्तेमाल करते हैं। हमारी खुफिया एजेंसियां इस्तेमाल करती हैं। जांच की एजेंसियां सारी इस्तेमाल करती हैं ]कांग्रेसी कपिल सिब्बल आज भी था अदालत के अंदर जरा सोच लीजिए कि कांग्रेस का हाथ आतंकवादियों के साथ किस तरह से खड़ा| सरकार देशद्रोहियों के खिलाफ स्पाईवेयर का यूज़ कर रही है तो इसमें गलत क्या है ये सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है इन इन दलालों से आतंकवादियों के दलालों से| जरा ये गौर करिए कि सरकार देशद्रोहियों के खिलाफ स्पाईवेयर का यूज़ कर रही है। तो इसमें गलत क्या? पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी बिल्कुल सही है ये।सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेगास स्पाईवेयर के इस्तेमाल को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान कहा कि अगर देश इस तकनीक का उपयोग आतंकवादियों के खिलाफ करता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। ये बिल्कुल साफ किया है सुप्रीम कोर्ट ने। अदालत ने दोहराया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। और अब ये तो सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है इस पर हम लोग चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने स्पाईवेयर के इस्तेमाल पर चल रही सुनवाई के दौरान कहा कि अगर इसका उपयोग आतंकवादियों के खिलाफ किया जाता है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। अदालत ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति कोटेश्वर सिंह की पीठ ने यह बात उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कही जिनमें सरकार पर इजराइयली सॉफ्टवेयर पेगासिस के जरिए जासूसी करने के आरोपों की जांच की मांग की गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि असली सवाल यह है कि यह सॉफ्टवेयर किन लोगों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया है। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 30 जुलाई तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेगासिस स्पाईवेयर के इस्तेमाल को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान कहा कि अगर देश इस तकनीक का उपयोग आतंकवादियों के खिलाफ करता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। अदालत ने दोहराया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा स्पाईवेयर का होना गलत नहीं है। असली सवाल यह है कि इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ किया गया? सुनवाई के दौरान सॉललीिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी यही सवाल उठाया कि अगर स्पाईवेयर का इस्तेमाल आतंकवादियों के
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Saturday, May 3, 2025
सुप्रीम कोर्ट में तो पूरा पैगासिस पर खेल ही खुल गया
खिलाफ हो तो इसमें क्या क्या दिक्कत है? उन्होंने कहा कि आतंक आतंकियों को निजता का अधिकार नहीं दिया जा सकता। अदालत ने यह भी साफ किया कि वह किसी ऐसी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करेगी जो देश की सुरक्षा और संप्रभुता को प्रभावित कर सकती है। ये लोग कह रहे थे उसकी जरा रिपोर्ट सार्वजनिक करो। जरा देख लीजिए जो वकील वहां पे पहुंचे थे अदालत के अंदर। बेंच ने यह भी कहा कि ऐसी रिपोर्टों को सड़कों पर चर्चा का विषय नहीं बनाया जा सकता। एक तरह से जूते मारे हैं आज सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों ने इन देशद्रोहियों पर। जाता लेकिन अगर कोई व्यक्ति जानना चाहता है कि क्या वह निगरानी में था तो उसकी बात सुनी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उसे यह तय करना होगा कि पेगासिस मामले की जांच कर रहे तकनीकी पैनल की रिपोर्ट को किस सीमा तक उन व्यक्तियों के साथ साझा किया जा सकता है जो इसके संभावित शिकार हो सकते हैं।
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