मोदी सरकार के हर फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले विपक्ष के चहेते वकील कपिल सिब्बल को लेकर बड़ी बात बाहर आई है कि कैसे विपक्ष की सरकारें कपिल सिब्बल पर मोटी रकम खर्च करती है। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंह भी विपक्ष के दो ऐसे वकील हैं जो विपक्ष की तरफ से लगभग हर मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं। लेकिन लोगों के मन में यह सवाल हमेशा आता है कि सिब्बल और सिंघवी कितनी फीस लेते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक बार पेश होने के लिए कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंह भी लाखों में चार्ज करते हैं। दोनों देश के महंगे वकीलों की लिस्ट में शामिल हैं। मोदी सरकार के खिलाफ नए वफ कानून को लेकर भी कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंह भी विपक्ष की तरफ से दलीलें दे रहे हैं। वहीं इस बार एक मामले में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल की दाल कोर्ट में नहीं गली है। इसके अलावा कपिल सिब्बल की फीस से जुड़ी एक खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर लिखे पोस्ट के मामले में सुनवाई हुई।
इस दौरान अली खान की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि एसआईटी कोर्ट के आदेश का गलत इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने इस आदेश की आड़ में बेवजह दूसरी चीजों की भी जांच करनी शुरू कर दी है। इसके मद्देनजर कोर्ट ने जांच को सीमित रखने का आदेश दिया है। वहीं कपिल सिबल ने कोर्ट से आग्रह किया है कि वह उस शर्त को हटा दें जिसके तहत जांच के विषय से जुड़े विषय पर ऑनलाइन पोस्ट करने पर मनाही थी। कपिल सिबल ने कहा कि वह इस बारे में कोर्ट को आश्वासन देने को तैयार हैं कि वह ऐसा कोई पोस्ट नहीं करेंगे। वह समझदार व्यक्ति हैं। यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं। हालांकि कपिल सिबल को झटका देते हुए कोर्ट ने अभी इससे इंकार कर दिया और कहा कि अभी यह शर्त रहने दीजिए। आप अगली तारीख पर हमें ध्यान दिलाएंगे। वैसे भी हमने अपने आदेश के जरिए सिर्फ इस विषय पर लिखने से रोका है। दूसरे विषयों पर तो वह लिख ही सकते हैं। कोर्ट अगली सुनवाई जुलाई में करेगा तब तक अली खान को मिली अंतरिम जमानत बरकरार रहेगी। कोर्ट ने अली खान को भी जांच में सहयोग करने को कहा है।
वहीं दूसरी तरफ एक खबर यह भी है कि केरल सरकार ने कपिल सिब्बल को सुप्रीम कोर्ट में दो प्रमुख मामलों में पेश होने के लिए 1.37 करोड़ से अधिक का भुगतान किया है। इसमें से एक मामले में केंद्र द्वारा राज्य पर लगाई गई कर्ज सीमा को चुनौती देने और दूसरा मामला कूटनीतिक चैनल के सोना तस्करी मामले में ईडी की गतिविधियों का विरोध करने का है। नवंबर 2024 में सोना तस्करी मामले की सुनवाई के दौरान ईडी की याचिका जिसमें ट्रायल को केरल से बेंगलुरु स्थानांतरित करने की मांग की गई थी के खिलाफ कपिल सिब्बल की पेशी के लिए 15.5 लाख की मंजूरी दी गई थी। कुल मिलाकर कपिल सिब्बल को इस मामले में पेश होने के लिए 46.5 लाख का भुगतान किया गया। व इसके अलावा कपिल सिब्बल ने एक दूसरे मामले में भी केरल का प्रतिनिधित्व किया था। जिसमें राज्य ने केंद्र सरकार की कर्ज सीमा को चुनौती दी थी। इस मामले के लिए सिबल को अब तक 90.5 लाख का भुगतान किया जा चुका है। इन दोनों मामलों में कुल मिलाकर 1.37 करोड़ का भुगतान किया गया है। जो राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के बीच जारी कानूनी लड़ाई के बीच ध्यान आकर्षित कर रहा है। तो देखा कैसे विपक्ष की राज्य सरकारों की तरफ से पक्ष रखने के लिए कपिल सिब्बल मोटी रकम चार्ज करते हैं। मोदी सरकार के नए WAQF कानून के खिलाफ भी कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में दलीलें दे रहे हैं कि कैसे भी करके इस कानून पर स्टे लग जाए। इसके अलावा मोदी विरोधी लोगों की तरफ से भी वह सुप्रीम कोर्ट में हाजिर होते रहते हैं। अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान के मामले में भी वह उनका बचाव कर रहे हैं।अली खान केस के लिए कपिल सिब्बल को लाखों रुपए की फीस कौन दे रहा है? अली खान की तरफ से सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए एफआईआर रद्द करने की मांग की है। वहीं पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अली खान को अंतरिम जमानत दे दी थी। लेकिन मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर जांच करने और कोर्ट को रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। व शर्तों में बदलाव करने की मांग भी कपिल सिब्बल कर रहे थे। लेकिन कोर्ट ने इससे इंकार कर दिया है।
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May 30, 2025 at 04:44PM
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