आज 5 तारीख जुडिशरी के लिए सुप्रीम कोर्ट के लिए बड़ा खास दिन है और एक बार फिर आप देखिएगा कि अगले कुछ दिनों तक सुप्रीम कोर्ट और व दोनों चर्चा में रहेंगे। आप सबको याद है कि वक्फ एक्ट पर तमाम दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई किया था और 5 तारीख यानी आज से फिर सुनवाई शुरू होगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उसमें यह कर दिया है कि केवल अब वो पांच रिटों को सुनेंगे और जब सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन की सुनवाई के बाद व वक्फ बाय यूजर के बारे में एक रिकमेंडेशन दिया या उसको आर्डर कह दीजिए जिसको कि स्टे कह के प्रचारित किया गया और दूसरा वर्क कमेटी में नए मेंबर्स के इंडक्शन जो कि नए वक्फ एक्ट के मुताबिक होना था उस पर कहा कि जब तक हम यह 5 तारीख यानी आज से जब हियरिंग करेंगे और इस पर फैसला नहीं ले लेते तब तक आप यह मत कीजिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसी में यह भी कहा कि वक्फ बाय यूजर में जो अनरजिस्टर्ड डीड है जो नोटिफाइड नहीं है उन पर कहीं कोई रोक नहीं है। आप जो चाहे एक्शन ले सकते हैं।
जब एक तरफ व फिर से एक बार वक्फ एक्ट पर सुनवाई शुरू करेगा सुप्रीम कोर्ट। वहीं पर दूसरी तरफ जो सो कॉल्ड जिसको स्टे कह के प्रचारित किया गया था आपको याद होगा कि उन दोनों सुनवाई को स्पष्ट तौर पर कहा था कि कहीं कोई सुप्रीम कोर्ट ने स्टे नहीं दिया है। केवल 9 तारीख तक स्टेटस को मेंटेन रखने के लिए कहा है। ऐसे रजिस्टर्ड डीड वाले नोटिफाइड जो वक्फ बाय यूजर प्रॉपर्टी हैं। यहां शिमला जो संजोली मस्जिद इस बात को प्रमाणित करता है कि मैंने जो बात आप सबको बताई थी वो सही साबित हुई।
आज जब वक्फ पर सुनवाई होगी तो आप सबको संजोली मस्जिद शिमला याद होगा।इस मस्जिद को ले बहुत सारे धरने बहुत सारा विरोध वह भी हुआ था शिमला में इस मस्जिद की दो ऊपरी इमारतें ये पांच मंजिली बना दी गई थी इसकी दो ऊपरी इमारतें यह अवैध पाई गई थी उसी समय जिसको कि गिरा भी लिया गया लेकिन जो बाकी तीन बची हुई हैं उसको भी गिराने का आदेश वहां की स्थानीय जो नगर मजिस्ट्रेट है उस कोर्ट से निकल के आया है जो नगरपालिका या नगर निकाय मजिस्ट्रेट का कोर्ट होता है। अब यहां पर यह सीधे-सीधे वक्फ बाय यूजर का मामला है। व वक्फ यूजर का मतलब एक मस्जिद के लिए इस्तेमाल की जा रही थी और दावा यह था कि यह वक्फ की प्रॉपर्टी है। लेकिन जब कोर्ट में सुनवाई हुई और नगर निगम या नगर पालिका ने वहां नगर निकाय ने जब तलब किया पेपर तो इनके पास ऐसा वक्फ का कोई पेपर नहीं था जबकि यह व बाय यूजर का ही मामला है। क्योंकि यह इनके पास ना पेपर था, ना यह रजिस्टर्ड थे, ना कोई रजिस्टर्ड डीड थी और ना ही यह नोटिफाइड थे। इसलिए पूरी तरह अवैध पाए गए और पूरी मस्जिद को डिमोलिश करने का आदेश पारित कर दिया गया। यह अलग बात है कि अभी ये आगे की कोर्टों पर जाएंगे, उसके ऊपर की कोर्टों पर जाएंगे। हम सबको याद है यह सारा एजिटेशन जो शिमला में चला था और जिस तरीके से हिंदुओं ने इस पूरे एजिटेशन को इस तरीके से चलाया था और कांग्रेस की सरकार जो कि हिमाचल प्रदेश में है सुखू साहब की अब उनके सामने एक ये इतना बड़ा सवाल खड़ा होता है कि साहब अब कोर्ट से आ गया है और यहां जिन लोगों को भी यह कंफ्यूजन था कि वक्फ बाय यूजर पर स्टे लगा दिया। आज से फिर सुनवाई हो रही है। जैसा मैंने आपको बताया पांच याचिकाएं फिर सुनी जाएंगी और उसके बाद फैसला आ भी जाएगा। लेकिन जो लोग भी यह कहते थे कि स्टे प्रभावी है। स्टे प्रभावी है और सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। यह संजोली शिमला मस्जिद का मामला इस बात को प्रमाणित करता है कि ऐसा कुछ नहीं है।
अब सवाल खड़ा होता है कांग्रेस पर। सवाल खड़ा होता है सुखू पर हिमाचल की सरकार पर कि क्या वो कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे? दूसरी पार्टी तो जाएगी आगे के कोर्ट में भी जाएगी। यह उसका खेल रहा है हमेशा से। लेकिन सवाल यह उठता है कि इस देश की जुडिशरी से इस तरह के फैसले कैसे आते हैं? आप सबके सामने नैनीताल का फैसला जहां 70 से ऊपर का एक दरिंदा बलात्कार करता है और जब प्रशासन उसका घर जो कि अवैध है उसको गिराने की कवायद करता है एक्शन लेता है तो हाई कोर्ट उसे स्टे ही नहीं देता बल्कि माफी मांगने को कहता है। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के मामले में किस तरीके से अभियुक्तों को बचाने का काम कर रही है। जांच ही नहीं होने दे रही है सुप्रीम कोर्ट की बेंच और आज जब 5 तारीख से एक बार फिर वक्फ एक्ट पर आप सुनवाई करेंगे तो एक बार फिर निगाहें इस देश की जुडिशरी पर रहेंगी|
जो इस तरह के फैसले निकल के आ रहे हैं और जो भी ऐसे लोग थे जिनको बड़ा गुमान था कि साहब कोई भी वक्फ की प्रॉपर्टी उसको छू नहीं सकता और सुप्रीम कोर्ट ने सारे मोदी के इरादों पर पानी फेर दिया है। तो संजोली आपके सामने उदाहरण है। जिसकी छटाई भी हुई, जिसकी कटाई भी हुई और जिसको पूरा गिराया भी जाने वाला है।यह सीधे हाई कोर्ट जाएंगे और हमें आश्चर्य नहीं हो अगर यह सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाए।
पाकिस्तानी नागरिकों को बाहर करने के मामले में आप स्टे देते फिरते हैं। एक बलात्कारी से आप माफी मंगवाते हैं। इस तरह के फैसले और वो भी तब जब आप अपने घरों में आधा जला हुआ करोड़ों नोट बरामद करवाते हैं। फिर भी पूरी बेशर्मी के साथ आप कोई एक्शन नहीं लेते। उसी के साथ-साथ जब आपके ऊपर उपराष्ट्रपति इस देश का सवाल उठाता है साहब जब एक चुना हुआ सांसद आप पर सवाल उठाता है तो फिर यह देखना बनता है कि आपके फैसले किस तरफ जा रहे हैं। संजोली मस्जिद के मामले में भी आगे जरूर यह देश देखना चाहेगा कि आप किस तरह के फैसले देते हैं। हमें उम्मीद है कि अब वहां की पर तो निगाह रहेगी।
बचाइए अपनी इज्जत जज साहब क्योंकि इस देश के उपराष्ट्रपति से ले इस देश के सांसद से ले इस देश के आम जनमानस तक अब आप पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि आप होंगे सर्वा सर्वा आप लोकतंत्र के कथित चौथे खंभे लेकिन खंभे का मतलब यह नहीं कि अगर बाकी खंभों की ऊंचाई सर 10 फीट हो तो आप अपने खंभे की ऊंचाई 12 फीट नहीं कर लेंगे क्योंकि तब आप इस देश की छत को मूल आत्मा को लोकतंत्र को टेढ़ा कर देंगे और यह आपको अख्तियार नहीं है क्योंकि अंततः यह देश प्रधान है और लोकतांत्रिक देश में जनता प्रधान है।
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